संस्मरण किसे कहते हैं।हिंदी संस्मरण विभाजन । Sasnmran Kiske Kahte Hain


संस्मरण किसे कहते हैं । हिंदी संस्मरण विभाजन । Sasnmran Kiske Kahte Hain


संस्मरण किसे कहते हैं 

 

  • संस्मरण एक मनोहारी आत्म परक हिंदी गद्य साहित्य की आधुनिक विधा है। वास्तव में संस्मरण किसी समर्थमान स्मति का शब्दांकन है। संस्मरणकार अपने वैयक्तिक जीवन के संपर्क में आए हुए व्यक्तियों के विभिन्न स्वरूपों का अपनी स्मत्यानुसार जो कथात्मक शैली में रेखांकन करता है वह संस्मरण कहलाता है। 


  • मानव जीवन में संपर्क में आने वाले व्यक्तियों की संख्या असीमित होती है जिसकी ओर सामान्य मनुष्य ध्यान नहीं देता है किन्तु संवेदनशील मानव संपर्क में आए उस विशिष्ट मनुष्य को भुला नहीं पाता जिसकी कुछ-न-कुछ अमिट छाप उस पर पड़ी होती है। वे यादें अंतस्तल में सोई रहती हैं जिनके सहारे संस्मरणकार उनका चरित्र चित्रण स्वानुभूति के आधार पर शब्दों के माध्यम से करता है। अंतस्तल में सोई हुई छवि आकुलता - व्याकुलता के क्षण में जागत हो शब्दायमान होकर संस्मरण का रूप धारण कर लेती है।

 

  • संस्मरण के मूल में अतीत की स्मतियों का विशेष महत्व है। संस्मरणकार अतीत की स्मतियों के आधार पर जो कुछ देखता-सुनता या अनुभव करता है उसे अपनी अनुभूतियों से राग रंजित करके उन्हें संस्मरण का साहित्यिक जामा पहना देता है। इस विषय में डॉ. आशा कुमारी का कहना है कि संस्मरणकार इतिहासकार की भाँति तथ्यपरक विवरण मात्र नहीं देता अपितु अपनी अनुभूतियों को साहित्यिकता से अभिमंडित करके प्रस्तुत कर देता है। इतिाहसकार मात्र महत्वपूर्ण तथ्यों एवं घटनाओं को ही ग्रहण करता है जबकि संस्मरणकार सामान्य से सामान्य, छोटी से छोटी घटना को अपने संस्मरण का विषय बनाकर, अनुभूतियों से अभिषिक्त कर मनोरम, सरल, सरस शैली के द्वारा साहित्यिक रूप प्रदान कर संस्मरण का सजन करता है।

 

  • संस्मरण की वैयक्तिक भिन्नता के परिणाम स्वरूप प्रस्तुतीकरण में भी भिन्नता आ जाती है।

 

हिंदी संस्मरण विभाजन

 

भिन्नता को दष्टिगत रखते हुए संस्मरण को अनके वर्गों में विभाजित किया जा सकता है। 

1. मानव परक 

2.पशु-पक्षी परक 

3. यात्रा विवरणात्मक 

4. आत्मकथात्मक 

5.जीवनीमूलक 

6. डायरीनुमा 

7. मूल्यांकनपरक 

8. श्रद्धांजलि मूलक

 

1. मानव परक संस्मरण

 

  • संस्मरण कार के जीवन में अनेक व्यक्ति आते हैं किंतु विशिष्ट होते हैं वे जो अपनी अमिट छाप अपने किसी गुण से छोड़ जाते हैं। महादेवी की पेड़ के नीचे लगने वाली साप्ताहिक ग्रामीण पाठशाला का एक शिष्य घीसा है जो सफाई पसंद है। सबसे पहले आकर पेड़ के नीचे सफाई करता है। एक ही कुर्ता है जिसे धो लेता है तो न सूखने पर गीला ही पहन कर आ जाता है। अपने पिल्ले से इतना प्रेम करता है कि गुरु जी से मिली जलेबी उसके लिए ले जाता है। गुरु भक्ति इतनी प्रबल है कि गुरु जी जाते समय अपनी गरीबी में एक तरबूज गुरु दक्षिण में देता है। हिंदू मुसलमान के से भयभीत गुरु जी को न जाने के लिए आग्रह करता है। ऐसा चरित्र कभी भूल सकता है। महादेवी ने उसे अपने संस्मरण का विषय बनाकर अमर कर दिया है।

2. पशु-पक्षी परक संस्मरण

 

  • संस्मरणकार के जीवन संपर्क में मानव मात्र का ही आगमन नहीं होता है अपितु पशु-पक्षी जानवर आदि का मनुष्य से भी अधिक लगाव हो जाता है। 
  • महादेवी ने तोते के बच्चे को देखा जिसे कौवे मार रहे थे। बचा लिया और पिंजरे में पाल लिया जो सीता राम कहकर महादेवी को अपनी ओर आकर्षित कर लेता था। यही स्थिति गिलहरी के बच्चे की थी जिसे कौवे मार रहे थे महादेवी ने बचाकर पाल लिया जो इनकी मेच पर, कुर्सी पर कभी आगे, कभी पीछे, कभी दायें, कभी बायें फुदकता रहता था कुछ खाने लगती तो वह अपना भाग पहले लेता था। उसका नामकरण कट्टो रखकर महादेवी ने जाति वाचक संज्ञा को व्यक्ति वाचक संज्ञा बना दी। सोना हिरणी भी ऐसी थी। महादेवी ने असंख्य पशुपक्षियों एवं जानवरों को जीवन दान ही नहीं दिया अपितु अपने संस्मरणों में उन्हें स्थान देकर उन्हें सदा के लिए अमर बना दिया।

 

3. यात्रा विवरणात्मक संस्मरण

 

  • संस्मरणकार यात्राएं करता रहता है। यात्रा में मानव, पशु-पक्षी, जीव जंतु प्रकृति आदि अनेक से उसका संपर्क होता है। विशिष्ट विशेषता वाले को संस्मरण में स्थान देता है।

 

4. आत्मकथात्मक संस्मरण

 

  • संपूर्ण जीवन में अनेक तथ्य, घटनाएं एवं मनुष्य आते रहते हैं आत्म कथा लिखते समय उसमें से प्रबल शक्तिमान बिला बुलाए आ टपकता है उसके विषय में खट्टी मीठी यादें आ जाती हैं जिन्हें संस्मरण में शब्दांकित करता है। 


5. जीवनी मूलक

 

  • जिस प्रकार संस्मरणकार के जीवन में आने वाले अनेक तथ्य या व्यक्ति होते हैं उसी प्रकार जिसकी जीवनी लिख रहे होते हैं उसके संपर्क में आने वालों का चित्रण जीवनी मूलक संस्मरण कहलाता है।

 

6. डायरी नुमा

 

  • प्रतिदिन की घटनाओं, घटनाओं से संबंधित पात्रों को दैनंदिनी में अंकित करते हैं। जिसका विशेष का रूप लेकर व्यापार आधार फलक ग्रहण करता है।

 

7. मूल्यांकन परक संस्मरण

 

  • व्यक्ति, वस्तु, भाव या स्थान का मूल्यांकन करते समय उससे संबंधित विशिष्टता उभर कर सामने आ जाती है जो संस्मरण के रूप में विकसित हो जाती है।

 

8. श्रद्धांजलि मूलक संस्मरण

 

  • किसी की मृत्यु या मत्यु दिवस पर शोक संवेदना प्रकट करने को श्रद्धांजलि कहते हैं। दिवंगत व्यक्ति गुणवान होता है तभी श्रद्धांजलि का अधिकारी होता है। उसके गुण विशेष या प्रेरणादायक तथ्यों का चित्र भी उस समय उभरकर आ जाता है जिसे संस्मरण का रूप श्रद्धांजलि कर्ता की संवेदना दे देती है। हिंदी संस्मरणों का विकास इन वर्गों के आधार न करके सामान्य रूप से कालक्रमानुसार करना उचित है।

No comments:

Post a Comment

Powered by Blogger.