जैव विविधता पर सम्मेलन | Convention on Biological Diversity-CBD


जैव विविधता अभिसमय (सीबीडी)
Convention on Biological Diversity (CBD)

यह अभिसमय वर्ष 1992 में ब्राजील के रियो डि जेनेरियो में आयोजित पृथ्वी सम्मेलन के दौरान अंगीकृत प्रमुख समझौतों में से एक है। सीबीडी पहला व्यापक वैश्विक समझौता है जिसमें जैवविविधता से संबंधित सभी पहलुओं को शामिल किया गया है।

इसमें आर्थिक विकास की ओर अग्रसर होते हुए विश्व के परिस्थितिकीय आधारों को बनाएँ रखने हेतु प्रतिबद्धताएँ निर्धारित की गयी है। सीबीडी में पक्षकार के रूप में विश्व के 196 देश शामिल हैं जिनमें 168 देशों ने हस्ताक्षर किये हैं। भारत ने अभी तक हस्ताक्षर नहीं किए हैं।

इस सम्मेलन में राष्ट्रो के जैविक संसाधनों पर उनके सम्प्रभु अधि अधिकारों की पुष्टि किये जाने के साथ तीन लक्ष्य निर्धारित किये गए है-

जैव विविधता पर सम्मेलन के तीन लक्ष्य

  1. जैव विविधता का संरक्षण
  2. जैव विविधता घटकों का सतत उपयोग
  3. आनुवंशिक संसाधनों के उपयोग से प्राप्त होने वाले लाभों में उचित और समान भागीदारी

कार्टाजेना प्रोटोकॉल Cartagena Protocol 

  • जैव विविधता कन्वेंशन के तत्वाधान में कार्टाजेना जैव सुरक्षा प्रोटोकॉल को 29 जनवरी, 2000 को अंगीकार किया गया।
  • कार्टाजेना प्रोटोकॉल जैव सुरक्षा से संबंधित है। जैव विविधता के संरक्षण और विनियमन की दृष्टि से कार्टाजेना जैव सुरक्षा प्रोटोकॉल अत्यन्त महत्वपूर्ण है। साल 2000 में पेरिस में जैव विविधता सभा बुलाई गई जिसमें एक जैव सुरक्षा समझौता हुआ। भारत ने 17 जनवरी, सन् 2003 को इस समझौते पर हस्ताक्षर किये तथा 11 दिसंबर 2003 से यह प्रभावी माना गया है।
  • विश्व के लगभग 171 देश इस समझौते पर हस्ताक्षर कर चुके हैं।
  • इस समझौते की मुख्य बात थी जेनेटिक तरीके से सुधारे गये उत्पादों के व्यापार को नियमित करना। अर्थात् इस समझौते का मुख्य उद्देश्य निर्धारित किया गया था मानव स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए आधुनिक जैव प्रोद्योगिकी का सुरक्षित हस्तांतरण करना।
  • इसका मुख्य उद्देश्य आधुनिक प्रौद्योगिकी के परिणामस्वरूप ऐसे सजीव परिवर्तित जीवों का सुरक्षित अंतरण, प्रहस्तरण और उपयोग सुनिश्चित करना है जिसका मानव स्वास्थ्य को देखते हुए जैव विविधता के संरक्षण एवं सतत् उपयोग पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। 

नागोया प्रोटोकाॅल Nagoya Protocol

जैव विविधता अधिसमय में वर्ष 2010 में पहुूच और लाभ भागीदारी संबंधी धारणओं को अपनाने हेतु नागोया प्रोटोकाल स्वीकृत किया गया।

इस अंतर्राष्ट्रीय समझौते का प्रमुख उद्देश्य आनुवांशिक संसाधनों से उत्पन्न लाभों का निष्पक्ष एवं समान वितरण सुनिश्चत करना है। यह प्रोटोकाॅल नगोया (जापान) में वर्ष 2010 में संपन्न हुये जैव विविधता सम्मेलन के पक्षकारों द्वारा अपनाया गया था।

इसी सम्मेलन में जैव विविधता पर वर्ष 2011-20 रणनीतिक योजना के अंतर्गत 20 लक्ष्य तय किये गये जिन्हें आइची लक्ष्य कहा जाता है।

नगोया प्रोटोकाल का महत्व

यह प्रोटोकाॅल आनुवांशिक संसाधनों के प्रयोगर्ताओं के मध्य इस प्रकार कार्य करेगा-

  1. आनुवांशिक संसाधनों के प्रयोग से उत्पन्न लाभो की साझेदारी करना।
  2. आनुवांशिक संसाधनों तक पहुॅच हेतु क्षमता प्रदान करना एवं अधिक अनुकूल दशाएं स्थापित करना।

प्रोटोकॉल एवं कन्वेंशन में अंतर 

प्रोटोकॉल: एक प्रोटोकॉल एक समझौता है जिसे राजनयिक वार्ताकार तैयार करते हैं और अंतिम सम्मेलन या संधि के आधार के रूप में हस्ताक्षरित करते हैं। वस्तुतः संधि स्वयं कई वर्षों तक पूरी नहीं हो सकती है।

कन्वेंशन: एक कन्वेंशन कई राष्ट्रों के प्रतिनिधियों की एक अंतरराष्ट्रीय बैठक के रूप में शुरू होता है, जिसके परिणामस्वरूप वे विशिष्ट विषयों (जैसे, आर्द्रभूमि, लुप्तप्राय प्रजातियां, आदि) पर होने वाली प्रक्रियाओं या कार्यों के बारे में सामान्य समझौते करते हैं।  

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