मूल कर्तव्य वन लाइनर | Fundamental Duties One Liner GK

 

मूल कर्तव्य वन लाइनर

मूल कर्तव्य वन लाइनर


  • 42वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1976 के द्वारा एक नया भाग-IV(क) जोड़ा गया और इसमें मूल कर्त्तव्यों का उपबंध किया गया है।
  • नीति-निदेशक तत्त्वों के अनुच्छेद-48क में और मूल कर्त्तव्यों के अनुच्छेद 51 क (छ) में पर्यावरण का संरक्षण और संवर्द्धन के संबंध में प्रावधान किया गया है।
  • अनुच्छेद 51(क) (छ) में कहा गया है कि वन, झील, नदी और वन्य जीव की रक्षा और संवर्द्धन करना प्रत्येक नागरिक का कर्त्तव्य होगा।
  • राष्ट्रगान और राष्ट्रीय ध्वज के बारे में प्रावधान संविधान के अनुच्छेद-51क (क) में किया गया है, किंतु इसके संरक्षण और संवर्द्धन की चर्चा नहीं, बल्कि आदर करने की बात की गई है। 
  • सार्वजनिक संपत्ति को सुरक्षित रखने संबंधी प्रावधान अनुच्छेद-51क (झ) में किया गया है।
  • प्राकृतिक पर्यावरण का संरक्षण एवं संवर्द्धन (जिसमें वन, झील, नदी और वन्यजीव आते हैं) करने संबंधी प्रावधान अनुच्छेद-51(A) छ में किया गया है।
  • देश की रक्षा करने संबंधी प्रावधान अनुच्छेद 51क (घ) में किया गया है।
  • देश की प्रभुता, एकता और अखंडता की रक्षा करें और उसे अक्षुण्ण रखेंका उपबंध संविधान के अनुच्छेद-51क (ग) में किया गया है।
हमारी सामाजिक संस्कृति की गौरवशाली परंपरा का परिरक्षण करना- अनुच्छेद-51क (च)
वैज्ञानिक दृष्टिकोण का विकास करना-   अनुच्छेद-51क (ज) 
समरसता और समान भ्रातृत्व की भावना का निर्माण करना-  अनुच्छेद-51क (ङ) 
संविधान का पालन करना -अनुच्छेद 51क (क) 
मिश्रित संस्कृति की समृद्ध विरासत की रक्षा का उपबंध - अनुच्छेद-51क (च) में किया गया है
वैज्ञानिक मनोदशा और खोज की भावना का विकास का उपबंध-अनुच्छेद-51क (ज) 
वैयक्तिक और सामूहिक कार्यकलापों के सभी क्षेत्रों में उत्कृष्टता के लिये प्रयत्न का उपबंध अनुच्छेद-51क (ञ) में किया गया है।
  • शिक्षा के संबंध में उपबंध मूल अधिकारों के साथ-साथ नीति-निदेशक सिद्धांतों और मूल कर्त्तव्यों में किया गया है,
  • मूल अधिकारों में इसका उपबंध अनुच्छेद-21(A) में किया गया है।
  • नीति-निदेशक सिद्धांतों में इसका उपबंध अनुच्छेद-45 में किया गया है।
  • मूल कर्त्तव्यों में इसका उपबंध अनुच्छेद-51A के (ट) में किया गया है।
  • उल्लेखनीय है कि संसद द्वारा वर्ष 2009 में अनुच्छेद-21क के अनुसरण में एक अधिनियम बनाया गया और 1 अप्रैल, 2010 से यह अधिनियम प्रभावी हो गया।
  • संविधान के अनुच्छैद-51क (ङ) में उपबंध किया गया है  कि वह प्रत्येक नागरिक का कर्त्तव्य होगा कि वह भारत के सभी लोगों में समरसता और समान भाईचारा की भावना का निर्माण करे तथा ऐसी प्रथाओं का त्याग करे जो स्त्रियों के सम्मान के विरुद्ध है।
  • भारत के संविधान के भाग-IV (क) में वर्णित मूल कर्त्तव्य नागरिकों के लिये बाध्यकारी नहीं हैं, अपितु भारत के प्रत्येक नागरिक का कर्त्तव्य है कि इनका पालन करें।
  • मूल कर्त्तव्य न्यायालय द्वारा प्रवर्तनीय नहीं हैं। न्यायालय इन्हें प्रभावी बनाने के लिये रिट/प्रलेख नहीं निकाल सकता।
  • संविधान संशोधन अधिनियम के द्वारा इनकी संख्या बढ़ाई जा सकती है, जैसा कि 86वें संविधान संशोधन अधिनियम, 2002 के द्वारा बढ़ाई गई है।  अस्पष्ट विधियों की व्याख्या के लिये भी न्यायलय द्वारा इनका उपयोग किया जा सकता है।
  • 42वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1976 के द्वारा संविधान में एक नया भाग-IV(क) और एक नया अनुच्छेद-51(A) जोड़ा गया और इसमें मूल कर्त्तव्यों को शामिल किया गया है। अतः मूल कर्त्तव्य न तो मूल अधिकारों का हिस्सा है और न ही नीति-निदेशक तत्त्वों का।
  • पर्यावरण का संरक्षण और संवर्द्धन के संबंध में उपबंध राज्य के नीति-निदेशक तत्त्वों और मूल कर्त्तव्यों दोनों में की गई है। अंतर केवल यह है कि एक राज्य का कर्त्तव्य है तो दूसरा नागरिक का। 

वर्मा समिति

वर्मा समिति (1999) ने कुछ मूल कर्त्तव्यों की पहचान और उसके क्रियान्वयन के लिये कानूनी प्रावधानों को लागू करने की व्यवस्थाएँ की, जैसे-
  • राष्ट्र गौरव अपमान (निवारण) अधिनियम, 1971: यह अधिनियम भारत के संविधान, राष्ट्रीय ध्वज और राष्ट्रीय गान के अनादर का निवारण करता है।
  • विधि विरुद्ध क्रियाकलाप (निवारण) अधिनियम, 1976: किसी सांप्रदायिक संगठन को गैर-कानूनी घोषित करने की व्यवस्था करता है।
  • वन्य जीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972: दुर्लभ और लुप्तप्राय प्रजातियों के व्यापार पर प्रतिबंध लगाता है।
  • वन (संरक्षण) अधिनियम, 1980: वनों की अनियंत्रित कटाई और वन भूमि के गैर-वन उद्देश्य के लिये इस्तेमाल पर रोक लगाता है।
  • भारतीय दंड संहिता (IPC): राष्ट्रीय अखंडता के लिये पूर्वाग्रह से ग्रस्तता के लिये दंड का प्रावधान करता है।
  • सिविल अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1955: जाति और धर्म से संबंधित अपराधों पर दंड की व्यवस्था करता है।

No comments:

Post a Comment

Powered by Blogger.