भारत की रक्षा प्रौद्योगिकी | India's Defense Technology


India's Defense Technology Gk in Hindi

भारत की रक्षा प्रौद्योगिकी

  • रक्षा के क्षेत्र में अनुसंधान और विकास के लिए रखा अनुसंधान एवं विकास संगठन की स्थापना 1958 में की गई। इस समय इसे कुछ अन्य प्रौद्योगिकी संस्थाओं के साथ मिलाकर स्थापित किया गया था।
  • 1980 में स्वतंत्र रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग को गठित किया गया।
  • रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन के प्रुखक महानिदेशक रक्षा मंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार होते हैं। इस संगठन का मुख्यालय नई दिल्ली में हैं।
  • रक्षा उत्पाद विभाग एवं रक्षा आपूर्ति विभाग का 1984 में विलय करके रक्षा उत्पादन एवं आपूर्ति विभागकी स्थापना की गयी।

भारतीय प्रक्षेपास्त्र कार्यक्रम

  • भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने जुलाई, 1983 में समेकित निर्देशित प्रक्षेपास्त्र विकास कार्यक्रमकी नींव रखी। इस कार्यक्रम के संचालन का भार रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन को सौंपा गया। इस कार्यक्रम के अंतर्गत विकसित प्रक्षेपास्त्रों का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है।

पृथ्वी

  • यह जमीन से जमीन पर मार करेन वाला कम दूरी का बैलास्टिक प्रक्षेपास्त्र हैं
  • पृथ्वीप्रक्षेपास्त्र का प्रथम परीक्षण फरवरी, 1998 को चॉदीपुर अंतरिम परीक्षण केन्द्र से किया गया।
  • पृथ्वी की न्यूनतम मारक क्षमता 40 किमी तथा अधिकतम मारक क्षमता 250 किमी है।

त्रिशुल

  • यह कम दूरी का जमीन से हवा में मार करने वाला प्रक्षेपास्त्र है।
  • इसकी मारक क्षमता 500 मी से 9 किमी तक है।
  • यह मैक-2 की गति से निशाने को बेध सकता है।

आकाश

  • यह जमीन से हवा में मार करने वाला मध्यम दूरी का बहुलक्षीय प्रक्षेपास्त्र है।
  • इसकी मारक क्षमता लगभग 25 किमी हैं
  • आकाश पहला ऐसा भारतीय प्रक्षेपास्त्र है, जिसके प्रणोदक में रामजेट सिद्धांतों का प्रयोग किया गया है। इसकी तकनीकी को दृष्टिगत करते हुए इसकी तुलना अमरीकी पैट्रियाट मिसाइल से की जा सकती है।
  • यह परम्परागत एवं परमाणु आयुध को ढोने की क्षमता रखता है तथा इसे मोबाइल लांचर से छोड़ा जा सकता है।

अग्नि

  • अग्नि जमीन से जमीन पर मार करने वाली मध्यम दूरी की बैलस्टिक मिसाइल है।

 नाग 

  • यह टैंक रोधी निर्देशित प्रक्षेपास्त्र है। इसकी मारक क्षमता 4 किमी है।
  • इसका प्रथम सफल परीक्षण नवंबर 1990 में किय ागया था।
  • इसे दागो और भूल जाओटैंक रोधी प्रक्षेपास्त्र भी कहा जाता है क्योंकि इसे एक बार दागे जाने के पश्चात पुनः निर्देशित करने की आवश्यकता नहीं पड़ती ।
  • भारत के अन्य प्रमुख प्रक्षेपास्त्र

धनुष

  • यह जमीन से जमीन पर मार करने वाले प्रक्षेपास्त्रों में से एक है।
  • यह पृथ्वीप्रक्षेपास्त्र का ही नौसैनिक रूपांतरण है।
  • इसकी मारक क्षमता 150 मिी तथा इसपर लगभग 500 किग्रा आयुध प्रक्षेपित किया जा सकता है।

सागरिका

  • यह सबमरीन लॉच बैलेस्टिक मिसाइल है।
  • समुद्र के भीतर से इसका परीक्षण फरवरी 2008 में किया गया।
  • यह परम्परागत एवं परमाणु दोनों तरह के आयुध ले जाने में सक्षम है।
  • इसे रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन के द्वारा तैयार किया गया है।

अस्त्र

  • यह मध्यम दूरी की हवा से हवा में मार करने वाली और स्वदेशी तकनीक से विकसित प्रक्षेपास्त्र है। इसकी मारक क्षमता 10 से 25 किमी है।
  • यह भारत का प्रथम हवा से हवा पर मार करने वाले प्रक्षेपास्त्र है।

ब्रह्मोस

  • यह भारत एवं रूस की संयुक्त परियोजना के तहत विकसित किया जाने वाला प्रक्षेपाशस्त्र है। इसका नाम ब्रह्मेस  भारत की नदी ब्रम्हपुत्र तथा रूस की नदी मस्कवा के मॉस से मिलकर बना हैं
  • यह सतह से सतह पर मार करने वाली मध्यम दूरी का सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है।
  • इसका प्रथम सफल परीक्षण जून, 2001 में किया गया था। इसका तीसरा सफल परीक्षण मार्च 2009 में किया गया।
  • 2017 में ब्राह्मेस के लंबी दूरी तक मार करने वाले पहले संस्करण का परीक्षण किया गया था।
  • यह 300 किलोग्राम तक सामग्री ले जाने में सक्षम है। इसकी वास्तविक रेंज 290 किलोमीटर है, परंतु लडाकू विमान से दागे जाने पर यहा 400 किलोमीटर हो जाती हैं
  • ब्राह्मेस मिसाइल का सुखोई फाइटर विमान से परीक्षण कर इसके तीनों संस्करण जल, थल, वायु  के  परीक्षण में सफलता प्राप्त की है। अब इसकी मारक क्षमता 400 किमी तक की हो गई है।

प्रधुम्न

  • यह प्रक्षेपास्त्र दुश्मन के प्रक्षेपास्त्र को हवा में बहुत ही कम दूरी पर मार गिराने में सहायक है।
  • यह एक इंटरसेप्टर प्रक्षेपास्त्र है।
  • भारत ने स्वदेश निर्मित एडवांस्ड एयर डिफेंस मिसाइल का परीक्षण उड़ीसा के पूर्वी तट पर स्थित एकीकृत परीक्षण रेंज से 6 दिसम्बर 2007 को किया।

युद्धक टैंक अर्जुन

  • इसका विकास रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन द्वारा किया गया हैं
  • इस युद्धक अैंक की गति अधिकतम 70 किमी प्रति घंटा तक हो सकती है।
  • यह रात के अंधेरे में भी काम कर सकता हैं
  • इस टैंक में गा एक विशेष प्रकार का फिल्टर जवानों का जहरीली गैसों एवं विकिरण प्रभाव से रक्षा करता है। इस फिल्टर का निर्माण बार्क ने किया है।
  • अर्जुन टैंक को विधिवत रूप से भारतीय सेना में शामिल कर लिया गया है। 

टी-90 एस भीष्म टैंक

  • इसका निर्माण चेन्नई के समीप आवड़ी टैंक  कारखाने में किया गया है।
  • यह चार किमी के दायरे में प्रक्षेपास्त्र. दाग सकता है।
  • यह दुशमन के प्रक्षेपास्त्र से स्वयं को बचाने की क्षमता रखता है तथा जमीन में बिछाई गयी बारूदी सुरंगों से भी अपनी रक्षा करने की क्षमता रखता हैं। 

हल्के लडाकू विमान तेजस

  • यह स्वदेश निर्मित प्रथम हल्का लड़ाकू विमान है। इसके विकास में हिन्दुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड की महत्वपूर्ण भूमिका रही हैं
  • इसमें अभी जी.ई. 404 अमेरिकी कंपनी जनरल इलेक्ट्रॉनिक का इंजर लगा है। जिसे भविष्य में स्वदेश निर्मित कावेरी इंजन से हटाया जाएगा।
  • विश्व के सबसे कम वजन और बहुआयामी सुपर सोनिक लड़ाकू विमान 600 किमी/घण्टे से उड़ान भरते हैं। औरह हवा से हवा में हवा से धरती में तथा हवा से समुद्र में मार करने मेें सक्षम है।

पायलट रहित प्रशिक्षण विमान- निशांत

  • यह स्वदेशी तकनीक से निर्मित पायलट रहित प्रशिक्षण विमान है।
  • इसे जमीन से 160 किमी के दायरे में नियंत्रित किया जा सकता है।
  • इस विमान का मुख्य उद्देय युद्ध क्षेत्र में पर्यवेक्षण और टोह लेने की भूमिकाओं का निर्वाह करना हैं

पायलट रहित विमान- लक्ष्य

  • इसका विकास रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन के द्वारा किया गया है।
  • इसका उपयोग जमीन से वायु तथा वायु से वायु में मार करने वाले प्रक्षेपास्त्रों तथा तोपों से निशाना लगाने के लिए प्रशिक्षण देने हेतु एक लक्ष्य के रूप में प्रयोग किया जाता है।
  • यह जेट इंजन से चलता है तथा 10 बार प्रयोग में लाया जा सकता है।
  • इसका प्रयोग तीनों सेनाओं के द्वारा किया जा रहा है।

एडवांस लाइट हेलीकॉप्टर- धु्रव

  • इसे डी.आर.डी.ओ. द्वारा विकसित किया गया है।
  • अधिकतम 245 किमी/घंटे  की गति से उड़ान भरनेवाला यह हेलीकॉप्टर 4 घण्टे तक आकाश में रहकर 800 किमी की दूरी तय कर सकता हैं
  • यह दो इंजन वाला हेलीकॉप्टर है जिसमें दो चालकों सहित 14 व्यक्तियों को ले जाया जा सकता हैं। 

आई.एल. 78

  • यह आसमान में उड़ान के दौरान ही लडाकू विमानों में ईंधन भरने वाला प्रथम विमान है।
  • इस विमान में 35 टन वैमानिकी ईंधन का भण्डारण की सुविधा हैं
  • आगरा के वायु सैनिक अड्डे पर इन विमानों को रखने की विशेष व्यवस्था है।

काली-5000

  • काली-5000 का विकास बार्क द्वारा किया गया हैं
  • यह एक शक्तिशाली बीम शस्त्र है जिसमें कई गीगावाट शक्ति की माइक्रोवव तरंगे उत्सर्जित होंगी जो शत्रु के विमानों एवं प्रक्षेपास्त्रों पर लक्षित करने पर उनकी इलेक्ट्रॉनिक प्रणालियों और कम्प्यूटर चिप को समाप्त करके उन्हें ध्वस्त करने में सक्षम है।

पिनाका

  • यह मल्टी बैरल रॉकेट लॉचर हैं
  • स्वदेशी तकनीक से डी.आर.डी.ओ. द्वारा विकसित इस रॉकेट प्रक्षेपक को ए.आर.डी.ई पुणे में निर्मित किया गया है तथा इसका नाम भगवान शंकर के धनुष पिना के नाम पर पिनाका रखा गया हैं
  • इसके द्वारा मात्र 40 सेकेण्ड में ही 100-100 किग्रा वजन के एक के बाद एक 12 रॉकेट प्रक्षेपित किए जा सकते हैं, जो कम से कम 7 और अधिक से अधिक 39 किमी दूर तक दुशमन के खेमे की तबाही कर सकते हैं।

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