History of journalism in mp | MP me Patrakarita ka itiahs

MP me Patrakarita ka itiahs
History of Journalism in MP

मध्यप्रदेश में पत्रकारिता का इतिहास News Paper History in MP

 1946 से अब तक
जयहिन्द
  • फरवरी 1946 को जबलपुर से दैनिक जयहिन्दका प्रकाशन शुरू हुआ। इसके संचालक महाकौशल के अग्रणी कांग्रेस नेता बाबू गोविंददास थे। श्री विद्याभास्कर  जयहिन्दके प्रथम संपादक रहे। तत्कालीन जन भावनाओं की अभिव्यक्ति और राजनैतिक घटनाक्रम का विवरण जयहिन्दने बखूबी दिया। मध्य प्रदेश में मोनोटाइप मशीन का कम्पोजिंग के लिए उपयोग सबसे पहले जयहिन्दमें हुआ। जयहिन्द रूपाकार में एक उत्तम समाचार पत्र होते हुए भी प्रबंधकीय अकुशलता का शिकार होकर अंततः 31 दिसंबर 1954 को दैनिक नवभारत‘ (जबलपुर) में विलीन हो गया।
महाकौशल
  • 6 मार्च 1946 को रायपुर से श्री स्वराज्य प्रसाद त्रिवेदी के संपादन में साप्ताहिक महाकौशलका पुनः प्रकाशन हुआ। मध्यप्रदेश की राजनीति के शिखर पुरूष पं. रविशंकर शुक्ल ने 1935 में तत्कालीन मध्य प्रदेश की राजधानी नागपुर से इसका प्रकाशन आरंभ किया था। श्री सीताचरण दीक्षित एवं श्री कुलदीप सहाय महाकौशलके संपादन का दायित्व निभा रहे थे। 1951 के आरंभ में महाकौशलको दैनिक समाचार पत्र उका स्वरूप प्रदान किया गया। छत्तीसगढ़ अंचल का प्रथम दैनिक अखबार था, जिसके संपादक श्री स्वराज प्रसाद त्रिवेदी और श्री श्यामचरण शुक्ल ने संचालन व्यवस्था संभाली।
इंदौर समाचार
  • 22 मार्च 1946 को इंदौर से दैनिक इंदौर समाचारका प्रकाशन श्री पुरूषोत्तम विजय के संपादन में प्रारंीा हुआ। यह मालवा का पहला व्यवस्थित दैनिक पत्र बना। शुरू में यह दो पृष्ठों वाला अखबार था, जिसका मूल्य दो पैसे था। 19602 तक यह एक लोकप्रिय पत्र के रूप में स्थापित हो गया था। श्री पुरूषोत्तम विजय के प्रखर संपादन को इसका श्रेय जाता है।
क्रांति
  • 2 अक्टूबर, 1946 को श्री कालिकाप्रसाद दीक्षित कुसुमाकरके संपादन में इंदौर से दैनिक क्रांतिनिकला। अप्रैल 1947 में संपादकीय अग्रलेख आस्तीन का सांपके कारण होल्कर हुकूमत ने क्रांतिके प्रकाशन पर पाबंदी लगा दी।
भास्कर (1946 रीवा)
  • विजयादशमी 1946 को रीवा में साप्ताहिक भास्करका प्रकाशन विंध्य अंचल की पत्रकारिता का नया अध्याय बन कर आया। पंडित शंभुनाथ शुक्ल इसके संपादक थे। इसके मुद्रण कार्य हेतु उन्होंने भास्करप्रेस की स्थापना की। साप्ताहिक भास्करएक साथ तीन स्तरों पर अपनी भूमिका निभा रहा था। इसमें साहित्यिक सामग्री का प्रकाशन होता था। 1947 के प्रांरभ में भास्करके संपादक श्री जगदीश जोशी बने। 1952 में प्रथम आम चुनाव के बाद जब श्री शंभुनाथ शुक्ल विंध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री बन गए भास्करका संपादन श्री जागेश्वर प्रसाद पांडे ने संभाला। श्री चंद्रकांत शुक्ल के संपादन में यह रीवा से प्रकाशित होता रहा।
युगारंभ- मासिक पत्रिका
  • श्री ब्यौहार राजेंद्रसिंह ने 1947 में जबलपुर से साप्ताहिक युगारंभप्रकाशित किया। युगारंभ के प्रधान संपादक के रूप में श्री पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी का नाम जाता था। युगारंभ का मुद्रण उसके अपने साहित्य प्रेस में होता था। कोई पंद्रह अंक निकलने के बाद इस मासिक पत्रिका का प्रकाशन दायित्व श्री नर्मदाप्रसार खरे ने संभाला। तब श्री इंद्र बहादुर खरे इसके संपादक हुए और लगभग एक वर्ष तक युगारंभऔर चलता रहा।
प्रहरी- साप्ताहिक
  • 15 अगस्त 1947 को तरूणाई की आवाज बन कर प्रतिपक्षी तेवर लि सात्ताहिक प्रहरीजबलपुर में सामने आया। समाजवादी पं. भवानी प्रसाद तिवारी इसके संपादक और श्री रामेश्वर गुरू उनके सहयोगी थे। प्रहरीकी सामयिक बेवाक टिप्पणियां और तीखे व्यग्य एक तरफ जहां व्यवस्था और उसके नियामकों पर करारी चोट करते थे वहीं पाठकों के बीच अत्यंत लोकप्रियता का प्रमाण ही माना गया। प्रहरी के अंतिम समय में  लोकचेतना प्रेस से प्रहरीका प्रकाशन श्री नर्मदाप्रसाद खरे के संपादन-प्रकाशन में निकला, तथापित 1966 के आते-आते बंद हो गया।
नया जमाना
  • 12 अप्रैल 1947 को श्री हरेंद्रनाथ शर्मा के सपांदन में दैनिक नया जमानाका प्रकाशन इंदौर से हुआ। मुश्किल से बारह अंक ही निकल पाए थे कि हुकुमत के खिलाफ टिप्पणी करने के कारण नया जमानाका प्रकाशन बंद करा दिया गया। पूरे 20 महीने बाद 23 दिसंबर 1948 को उसके प्रकाशन की अनुमति मिली पाई। पांडेय बैचेन शर्मा उग्र  नया जमाना के संपादक थे। संचालक श्री हरेन्द्रनाथ शर्मा और मुद्रक श्री बृजभूषण भार्गव थे।
जय भारत
  • 1947 में ही 23 मार्च को एक अन्य दैनिक समाचार पत्र जय भारतका प्रकाशन हुआ। इस पत्र के अंकों में उस समय भारत में विद्यमान परिस्थितियों और राजनैनिक घटनाक्रम की यथेष्ट झलक मिलती है। 26 अप्रैल 1947 का अंक देखने से पता चलता है कि किसी न किसी रूप में असम की समस्या उस समय भी विद्यमान थी।
नईदुनिया
  • 5 जून 1947 कासे इंदौर से एक सांध्य दैनिक के रूप में लघु आकार में प्रकाशित हुआ।  श्री कृष्णकांत व्यास और श्री कृष्ण मुद्गल ने इसका प्रकाशन आरंभ किया था। जनवरी 1948 में नई दुनयिा का संचालन सूच श्री लाभचंद छजलानी ने ग्रहण किय। श्री नरेन्द्र तिवारी और श्री बंसतीलाल सेठिया के संबंद्ध होने से नईदुनियाएक मजबूत प्रबंधन टीम बन गई। यहीं से नई दुनिया  के विकास की कहानी प्रारंभ होती है। जो 1500 की प्रसार संख्या से आगे चलकर 115000 के आंकडे तक पहुंच गई। 1962 तक मार्डन प्रिंटरी में छपने वाली नईदुनियाको देश के समाचार पत्रों में पहले पहल (1967) फोटो कंपोजिंग और आफसेट मुद्रण पद्धति अपनाने का श्रेय जाता है। 1947 में एक आने में 4 पृष्ठों वाला यह अखबार आज 12 से 20 पृष्ठों तक निकलता है।
नई राह- प्रगतिशील साप्ताहिक
  • 5 मई 1948 को भोपाल से नई राह का प्रकाशन उस दौर की पत्रकारिता की एक क्रांतिकारी घटना है, जिसका राजनैनिक दृष्टि से भी बड़ा महत्व है। भोपाल के प्रजामंडल में सक्रिय जनवादी नौजवानों ने नई राह का प्रकाशन आरंभ किया। भोपाल रियासत के भारत संघ में विलीनीकरण के घोषित उद्देश्य के साथ निकले इस अखबार का ध्येय वाक्य था -‘‘रियासत भोपाल में जनराज्य‘‘ । लोकप्रिय कवि भाई रतनकुमार नई राहके संपादक थे। देयी रियासतों के विलनीकरण के दीवानों की टोली गा-गा कर नई राहबेचा करती थी। नई राह का अर्थ ही विलनीकरण आंदोलन हो गया था।
नव-प्रभात
  • 1948 में ग्वालियर से श्री हरिहर निवास द्विवेदी के संचालन में नव-प्रभातका प्रकाशन एक पूर्णाकार दैनिक समाचार पत्र के रूप में शुरू हुआ। श्री यशवंतसिंह कुशवाह इसके संपादक थे। सातवे दशक में नवप्रभातका प्रबंधन नए हाथों में चला गया। अब श्री चंदमोहन नागौरी उसका प्रकाशन कर रहे थे। नव प्रभात का 1951 में इंदौर तथा 1953 में भोपाल संस्करण भी निकला।
ग्रामवाणी
  • 16 फरवरी 1948 को श्री रामनारायण उपाध्याय के संपादन मंे खंडवा से पाक्षिक ग्रामवाणीका प्रकाशन हुआ। गांधी मार्ग का अनुगामी यह पत्र ग्रामीण भारत का प्रवक्ता था, जो एक वर्ष तक चला।
नव ज्योति- मासिक पत्रिका
  • 1948 में रायपुर से मासिक नव ज्योतिका प्रकाशन हुआ। श्री घनश्याम श्यामजो एक अच्छे कवि भी थे, के संपादन में नव ज्योति की गणना स्तरीय साहित्यिक पत्रकाओं में होती थी।
जनवाणी साप्ताहिक
  • सितंबर 1949 में इंदौर से साप्ताहिक जनवाणीका प्रकाशन हुआ। जुझारू पत्रकार श्री सूर्यनारायण शर्मा इसके संपादक थे। एक अच्छी पत्रिका के रूप में जनवाणी ने नाम कमाया । लेकिन वित्तीय संकट के कारण दीर्घजीवी नहीं बन सकी।
दैनिक जागरण
  • 26 जनवरी 1950 को श्रम शिविर इंदौर के तत्वाधान में दैनिक जागरणका प्रकाशन आरंभ हुआ। श्रमिक वर्ग का हितचिंतक यह  अखबार सुरूचिपूर्ण होने के कारण शीघ्र ही लोकप्रिय भी हो गया। श्री ईश्वर चंद जैन इसके संपादक थे।
मध्यभारत प्रकाश
  • 1950 में लश्कर ग्वालियर से दैनिक मध्यभारत प्रकाशश्री मायाशंकर वर्मा के संपादन में शुरू हुआ। यह अखबार जन भावनाओं के साथ चला और जुझारू तेवर इसकी स्थायी प्रकृति में शुमार थे। 
राष्ट्र बंधु
  • 4 सितंबर 1950 को रायपुर से अर्द्ध साप्ताहिक पत्र राष्ट्र बंधुका प्रकाशन हुआ। ठाकुर प्यारेलाल सिंह इसके संपादक थे। 1954 में इसका प्रकाशन स्थगित हो गया पश्चात् 1967 में राष्ट्र बंधुका पुनः प्रकाशन श्री हरि ठाकुर के संपादन में हुआ।
नव राष्ट्र
  • 1950 से कोई एक दशक तक रायपुर से एक श्रेष्ठ साप्ताहिक नवराष्ट्रका प्रकाशन हुआ। श्री घनश्याम प्रसाद श्यामइसके संपादक थे। अपनी स्तरीय सामग्री के कारण नव राष्ट्रका समाचार पत्रों में प्रतिष्ठित स्थान बन गया।
नव भारत
  • 1950 में जबलपुर से दैनिक नवभारत का प्रकाशन आरंभ हुआ। इसके संचालक श्री रामगोपाल माहेश्वरी व्यावस्थापक श्री मायाराम सुरजन और संपादक श्री कुंजबिहारी पाठक थे। कुछ ही समय बाद श्री सुरजन ने नव भारत का संपादन दायित्व ग्रहण कर लिया। उनके संपादन में नव भारत महाकौशल का अग्रणी समाचार पत्र बना। मूलतः नवभारतका प्रकाशन 1938 में नागपुर से श्री रामगोपाल माहेश्वरी के संपादन में शुरू हुआ। तब यह समाचार चार काल के अर्द्ध साप्ताहिक  अखबार के रूप में निकलता था। सप्ताह में हर मंगलवार और शनिवार को नवभारत प्रकाशित होता था। फरवरी 1939 में त्रिपुरी कांग्रेस के समय श्री माहेश्वरी ने इस दैनिक समाचार पत्र का रूप दिया।  नागपुर के बाद 1950 में नवभारतजबलपुर संस्करण, 1956 में भोपाल संस्करण, 1959 में रायपुर संस्करण, 1960 में इंदौर संसकरण और 1984 में बिलासपुर संस्करण प्रकाशित हुए।
विंध्य भूमि
  • मार्च 1953 में एक त्रैमासिक पत्रिका विंध्य भूमि का प्रकाशन विंध्य प्रदेश सरकार के तत्वाधान में आरंभ हुा। सरकारी पत्रिका होने के बावजूद विंध्य भूमि एक भिन्न कलेवर था एवं विषय वस्तु और रूपाकार के कारण उसकी लोकप्रियता रही। 1955 तक श्री विद्यानिवास मिश्र इसके संपादक रहे। अंतिम वर्ष में श्री अंबाप्रसाद श्रीवास्तव ने संपादन प्रकाशन दायित्व संभाला। 1956 में इसका प्रकाशन बंद हो गया।
भारती
  • जून 1954 में नव भारत प्रेस ग्वालियर से श्री जगन्नाथ प्रसाद मिलिंद के संपादन में साहित्य, संस्कृति एवं कला की उत्कृष्ट मासिक पत्रिका भारतीका प्रकाशन आरंभ हुआ। श्री हरिहरनिवास द्विवेदी इसके संचालक थे। सौ पृष्ठों की यह सचित्र मासिक पत्रिका शीघ्र ही हिंदी जगत में छा गई। 1960 में मासिक पत्रिका भारती का अवासान हो गया।
नई दिशा
  • 1955 में बिलासपुर से श्री श्रीकांत वर्मा के संपादन में त्रैमासिक नई दिशानिकली। श्री रामकृष्ण श्रीवास्तव उने सहयोगी थे। नई दिशा के सलाहकार मंडल में श्री गजानन माधव मुक्बिोध, श्री प्रभाकार माचवे और श्री नरेश मेहता का नाम शामिल था। श्रीकांत वर्मा मूलतः नई धारा के कवि थे और तदनुरूप नई दिशा में साहित्य की नई धारा का का सम्यक प्रतिनिधित्व हुआ करता था।
जबलपुर समाचार
  • 19 अप्रैल 1956 को श्री नित्यगोपाल तिवारी ने जबलपुर से सांध्य दैनिक जबलपुर समाचारका प्रकाशन किया। 1963 में सिटिजन न्यूज पेपर्स लिमिटेड के लिए श्री मायाराम सुरजन ने जबलपुर समाचारले लिया। और उसे 8 कालम के पूरे दैनिक के  रूप में निकाला। पहले श्री तिवारी और पश्चात श्री श्याम अग्रवाल इसके संपादक रहे। बाद में जबलपुर समाचार का नाम बदलकर सार समाचाररख दिया गया। जिसमें कुछ समय तक श्री सत्येंद्रप्रसाद मिश्र का नाम भी सलाहकार संपादक के रूप में छपता था। अंततः 1971 में इसे दैनिक देशबंधुमें विलीन कर दिया गया। श्री राजेन्द अग्रवाला इसके संपादक रहे।
युगधर्म
  • 7 दिसंबर 1956 को श्री भगवतीधर वाजपेयी के संपादन में जबलपुर से दैनिक युगधर्म का प्रकाशन हुआ। युगधर्म नरकेशरी प्रेस नागपुर का प्रकाशन था। वैसे युगधर्म का पहला संस्करण नागपुर से 26 जनवरी 1951 को श्री राजीव लोचन अग्निहोत्री के संपादन में प्रकाशित हुआ था।
वसुधा
  • वसुधा साहित्यिक पत्रिका के रूप में मई। 1956 की एक उल्लेखनीय सौगात रही। जो जबलपुर से श्री हरिशंकर परसाई और पं. रामेश्वर गुरू के संपादन में निकली। वसुधा के प्रबंध संपादक व्यंग्यकार श्री बाल पाण्डे थे और संपादन सहयोगी श्री दुर्गाशंकर शुक्ल थे। श्री गजानंद माधव मुक्तिबोध की एक साहित्यक डायरीवसुधा में पहले-पहल धारावाहिक के रूप में प्रकाशित हुई। अनेक वर्षों तक बंद रहने के बाद 1986-87 से प्रगतिशील लेखक संघ के तत्वाधान में वसुधा का पुनःप्रकाशन हुआ।
दैनिक जागरण
  • 1957 में श्री गुरूदेव गुप्त ने भोपाल से दैनिक जागरणका संस्करण निकाला। श्री घनश्याम पंकजइसके संपादक थे। बाद में श्री युगलबिहारी अग्निहोत्री और श्री सत्यनारायण श्रीवास्तव ने भी जागरणका संपादन किया। निखने हुए स्वरूप में निकला जागरणपाठकीय अभिरूचि का केंद्र है।
हितवाद
  • 1957 का अंतिम महीना भोपाल में अंग्रेजी पत्रकारिता के लिए महत्वपूर्ण रहा। 30 दिसंबर 1957 को नागपुर के आंग्ल दैनिक हितवाद ने श्री ए.डी. मणि के संपादन में भोपाल में कदम रखा। श्री मणि के संपादन काल में भोपाल का हितवाद तथ्य और कथ्य में राष्ट्रीय समाचार पत्रों की श्रेणी में गिना जाता था। उनके बाद श्री एन राजन हितवाद के दीर्घकाल तक संपादक रहे।
मध्यप्रदेश क्रानिकल
  • 1957 में ही भोपाल से दूसरा अंग्रेजी दैनिक मध्यप्रदेश क्रानिकलश्री के.पी. नारायणन के संपादन में निकला। श्री नारायणन मध्यप्रदेश की पत्रकारिता का एक समादूत नाम है।
कृषक जगत

  • श्री माणिक चंद्र बोंद्रिया के सपंादन में साप्ताहिक कृषक जगत का प्रकाशन हुआ। खेती किसानी और सहकारिता पर केन्द्रित कृषक जगत के प्रकाशन का अर्द्ध शतक पूरा हो गया हैं यह 1946 में नागपुर और 1956 में भोपाल से निकला।
भास्कर
  • 1958 में दैनिक भास्करके भोपाल और उज्जैन संस्करण निकले। इसके संचालक श्री द्वारका प्रसाद अग्रवाल और संपादक श्री अविनाशचंद्र राय एवं ठाकुर शिवप्रताप सिंह थे। रमेश अग्रवाल के संचालन में भास्कर समूह का आशातीत विस्तार हुआ। 1997 में भास्कर पत्र समूह ने राजस्थान में कदम रखा। वर्तमान में प्रसार संख्या के हिसाब से मध्यप्रदेश में सबसे अधिक प्रसार वाला अखबार है।
देशबंधु
  • 19 अप्रैल 1959 को श्री मायाराम सुरजन के संपादन में दैनिक नई दुनिया का प्रकाशन रायपुर से आरंभ हुआ। इसी नाम से जबलपुर में भी दैनिक समाचार पत्र निकला। कुद वर्षों बाद जबलपुर की नई दुनिया का नाम बदलकर नवीन दुनिया हो गई और रायपुर की नई दुनिया ने देशबंधु नाम धारण कर लिया। ग्रामीण पत्रकारित की दृष्टि से देशबंधु मध्य प्रदेश का अग्रणी अखबार रहा है। दीर्घकाल तक श्री रामाश्रय उपाध्याय देशबंधु के संपादक रहे।
दैनिक मध्यप्रदेश
  • प्रदेश के कटनी से 1959 में प्रकाशन प्रारंभ हुआ। मध्यप्रदेशके संपादक श्री कन्हैयालाल गौर रहे।
निरंजन
  • 1964 में श्री शंभूनाथ सक्सेना ने ग्वालियर से दैनिक निरंजननिकाला। नेताओं पर लिखी गई निरंजन की संपादकीय टिप्पणियों जो श्रृंखला के रूप में निकली थी, काफी चर्चित रहीं। इनमें संबंधित नेता का उल्टा फोटो छापा जाता था।
स्वदेश
  • विजयादशमी 1966 से इंदौर से श्री माणिकचंद्र वाजपेयी के संपादन में दैनिक स्वदेश प्रकाशित हुआ। विरोधी तेवरों के कारण स्वदेशने अच्छी लोकप्रियता हासिल की थी।
नर्मदा हेराल्ड
  • 22 फरवरी 1976 को जबलपुर से हिंदी दैनिक नवीन दुनियामें सान्निध्य में आंग्ल दैनिक दि नर्मदा हेराल्ड  का प्रकाशन श्री श्रवण भाई पटेल ने आरंभ किया। वरिष्ठ पत्रकार  हनुमान वर्मा ने संपादन का दायित्व संभाला।
फ्री प्रेस जर्नल
  • 9 जून 1983 को इंदौर से फ्री प्रेस जर्नलप्रकाशित हुआ। शुरू में इस आंग्ल दैनिक के संपादक श्री वीरेन्द्र कपूर और स्थानीय संपादक श्री डी.एन. सिंह थे।
Note- विभिन्न स्त्रोतों से अध्ययन करने के उपरांत समाचारों पत्रों के इतिहास के संबंध में जानकारी तैयार की गई है। यदि आपकी जानकारी में कोई अन्य समाचार पत्र है जिसे आप इस सूची में देखना चाहते हों तो समाचार पत्र की संपूर्ण जानकारी के साथ हमें mpgkpdf@gmail.com पर मेल करें। उक्त समाचार पत्र सूची में अद्यतन किया जाएगा।
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