MP Ke Dharmik evam Tirthsthal | मध्यप्रदेश के प्रमुख धार्मिक एवं तीर्थस्थल |religious and pilgrimage sites of MP

religious and pilgrimage sites of MP
मध्यप्रदेश के प्रमुख धार्मिक एवं तीर्थस्थल

मध्यप्रदेश के प्रमुख धार्मिक एवं तीर्थस्थल Religious and pilgrimage sites of MP

खजुराहो Khajuraho

मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले में स्थित खजुराहो मंदिर भारतीय स्थापत्य एवं शिल्पकला के उत्कृष्ट उदाहरण हैं। नागरशैली में निर्मित इन मंदिरों का निर्माण 10वीं और 11वीं शताब्दी में मध्य चंदेल शासकों द्वारा करवाया गया था। उस समय 85 मंदिरों का निर्माण किया गया था परन्तु वर्तमान में 22 मंदिर ही अस्तित्व में है। वर्ष 1986 में खजुराहों के मंदिरों को विश्व धरोहर घोषित किया गया तथा वर्ष 2009 में भाारत के 7 आश्चर्यों में सम्मिलत किया गया है। खजुराहों को पत्थर पर तराशी गई नगरी भी कहा जाता है।
खजुराहो मंदिरों को तीन समूहों में बाँटा गया है-
  1. पश्चिमी मंदिर
  2. पूर्वी समूह
  3. दक्षिण समूह
खजुराहो पश्चिमी समूह के मंदिर
  • इस समूह में सर्वाधिक मंदिरों की संख्या है, जिसमें कंदरिया महादेव मंदिर, चौसठ योगिकी मंदिर, चित्रगुप्त मंदिर, विश्वनाथ मंदिर, लक्ष्मण मंदिर, मतंगेश्वर मंदिर आदि।
पूर्वी समूह-  इस समूह में पार्श्वनाथ मंदिर, घटाई मंदिर आदिनाथ मंदिर आदि प्रमुख हैं
दक्षिणी समूह- समूह में दुल्हादेव मंदिर व चतुर्भुज मंदिर आदि सम्मिलत हैं।

कंदरिया महादेव मंदिर Kandariya Mahadev Temple

खजुराहो का सबसे विशाल मंदिर कंदरिया महादेव का मंदिर है, जो भगवान शिव को समर्पित है। इसका निर्माण चंदेल शासक विद्याधर ने करवाया था। यहाँ पर नंदी की सबसे ऊँची प्रतिमा स्थापित है। इस मंदिर की लंबाई 102 फुट, 3 इंच, चौड़ाई 66 फुट 10 इंच, और ऊँचाई 101 फुट 9 इंच है। इस मंदिर की तुलना भुवनेश्वर के लिंगराज मंदिर से की जाती है।
kandriya mandir kisne banya tha
Kandriya Mahdev Mandir
 चौसठ यौगिनी मंदिर Chausath Yogini Temple
  • यह ग्रेनाइट पत्थरों से निर्मित खजुराहो कासबसे प्राचीन मंदिर है, जो शिवसागर झाील के दक्षिण-पश्चिम में स्थित है। इसका विन्यास उत्तर-पूर्व से दक्षिण पश्चिमी की ओर है। इस मंदिर का आकार आयताकार है।
लक्ष्मण मंदिर Laxman Mandir
  • पंचायतन शैली में निर्मित लक्षमण मंदिर का निर्माण यशोवर्मन ने करवाया था। यहाँ पर भगवान विष्णु की 100 फुट ऊँची प्रतिमा स्थापित है।
चित्रगुप्त मंदिर Chitragupt Mandir
  • सूर्य को समर्पित चित्रगुप्त का निर्माण राजा गंडदेव ने करवाया था। इस मंदिर के गर्भगृह में स्थित सूर्य प्रतिमा के दांयी ओर चित्रगुप्त की प्रतिमा स्थापित की गई है.
मतंगेश्वर मंदिर
भगवान शिव को समर्पित 8 फीट ऊँचे मतंगेश्वर मंदिर का निर्माण हर्ष वर्मन ने करवाया था तथा इसी मंदिर में उसने भटकतमणी नामक मणि की स्थापना की थी।
शिवनाथ मंदिर
  • पंचायतन शैली से निर्मित विश्वनाथ मंदिर का निर्माण राजा धंगदेव वर्मन ने 1002-1003 ई. में करवाया था, जो भगवान शिव को समर्पित है। इस मंदिर की लंबाई 89 फुट तथा चौड़ाई 45 फुट है।
पार्श्वनाथ मंदिर
  • यह पूर्व में पंचरथ शैली से निर्मित जैन मंदिर है। इस मंदिर का निर्माण 950 ई. से 980 ई. के मध्य राजा यशोवर्मन के उत्तराधिकारी राजा धंग के शासन काल में हुआ था।
घटाई मंदिर
  • यह पूर्वी समूह में स्थित जैन मंदिर है। इस मंदिर में महावीर की मता के 16 स्वपनों को दर्शाया गया है।
दुल्हादेव मंदिर
  • दक्षिण समूह में स्थित दुल्हादेव मंदिर भगवान शिव को समर्पित हैं यह मंदिर वर्तमान में खंडित अवस्था में है। इसके गभगृह में सहस्त्र मुखी शिवलिंग स्थापित है।

साँची Sanchi

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  • साँची रायसेन जिले में स्थित बुद्ध धर्म का प्रमुख तीर्थ स्थल है, जिसका निर्माण ईसा पू. तीसरी शताब्दी में सम्राट अशोक ने करवाया था। अशोक ने साँची की पहाड़ी पर स्तूप, विहार एवं एकाश्म स्तंभ बनवाया था।
  • साँची को प्राचीन काल में बेदिसगिरी, चेतियागिरि, काकनाथ, काकणाय, काकाणढबोट, वोट श्री पर्वत इत्यादि नामों से पुकारा जाता था।
  • साँची स्तूप की खोज 1818 ई. में जनरल टेलर ने की थी। यूनेस्कों द्वारा 1989 में सांची स्तूपर को विश्व धरोहर घोषित किया गया हैं
  • पुरातत्वविद जनरल जॉनसन, जनरल कनिंघम, कैप्टन मैसी, मेजर कोलत तथा सर जॉन मार्शल ने वर्ष 1822 से 1919 के मध्य सांची स्थित बौद्ध स्मारकों को उत्खनन और संरक्षण कार्य करवाया था।
  • साँची में तीन बौद्ध स्तूप हैं, जिनमें सबसे बड़ा स्तूप 36.5 मीटर वयास है और 16.5 मीटर ऊँचाई वाला है। सांची के स्तूप में देखी जाने वाली सजावट की शैली को भरहुत कहा जाता है।
  • यहाँ पर महात्मा बुद्ध के दो शिष्यों सारिपुत्र और महामोगलायन की अस्थियों के अवशेष संरक्षित किये गये हैं।
  • वर्ष 2017 में सांची के स्तूप का छायाचित्र 200 रूपये के नोट पर छापा गया।
 

ओंकारेश्वर Omkareswar

  • ओंकारेश्वर खंडवा जिले में नर्मदा नदी के किनारे स्थित है। इसका प्राचीन नाम मांधाता था। यहाँ पर 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक ओंकारोश्वर ज्योतिर्लिंग स्थित है।
  • यहां नर्मदा घाट, चौबीस अवतार, सिद्धनाथ मंदिर मार्कण्डेय आश्रम, ममलेश्वर महादेव मंदिर आदि दर्शनीय स्थल प्रमुख है।

महेश्वर Maheswar

  • महेश्वर खरगौन जिले में नर्मदा नदी के तट पर स्थित है। इसका प्राचीन नाम महिष्मति था, इसे गुप्तकाशी भी कहा जाता है। इसकी स्थापना रानी अहिल्याबाई ने की थी।
  • यहां भवानी माता का मंदिर, अहिल्येश्वर शिवालय, राजवाड़ा, बाणेश्वर शिवालय, बिठाजी की छतरी, राजराजेश्वर शिवालय, कालेश्वर, जालेश्वर, बाणेश्वर, पंढरीनाथ, विश्वनाथ, मंगतेश्वर शिवालय, सहस्त्र धारा जलप्रपात, अहिल्या संग्रहालय, होल्कर वंश की छत्रिया आदि दर्शनीय स्थल है।
भोजपुर Bhojpur
  • भोजपुर मध्य प्रदेश के रायसेन जिले में बेतवा नदी के किनारे स्थित है। यहाँ पर परमार राजा भोज द्वारा भोजपुर मंदिर का निर्माण कर शिवलिंग की स्थापना की गई थी। इस मंदिर को उत्तर भारत का सोमनाथा मंदिर भी कहा जता है। यहाँ पर स्थापित विशाल शिवलिंग विश्व का सबसे बड़ा शिवलिंग है, जिसकी लंबाई 5.5 मीटर (18फीट) तथा व्यास 2.3 मीटर (7.5 फीट) है। यहाँ पर एक जैन मंदिर भी स्थित है, जिसमें भगवान पार्श्वनार्थ सुपार्श्वनाथ की प्रतिमा स्थापित है। इस मंदिर के परिसर में पार्वती गुफा व आचार्य माटुंगा की समाधि स्थल है। इसके समीप ही बेतवा नी पर साइक्लेपियन बांध स्थित हैं

चित्रकुट Chitrakoot

  • विंध्य पर्वतमाला के मध्य मंदाकिनी नदी के तट पर स्थित चित्रकुट धार्मिक दर्शनीय पर्यटन स्थल है। इसे 10 फरवरी 2009 में पवित्र नगर घोषित किया गया ।
  • चित्रकुट के प्रमुख धार्मिक स्थल
  • रामघाट, जानकी कुंड, गुप्त गोदावरी, भरत मिलाप मंदिर, सती अनुसुइया आश्रम, हनुमान धारा, कामदगिरी पर्वत, स्फटिक शिला, भरत कूप आदि है।
मैहर Maihar
  • मैहर सतना जिले से 40 किमी. दूर स्थित है। इसे वर्ष 2009 में पवित्र नगर घोषित किया गया था। यहाँ पर माँ शादरा मंदिर स्थित है, जिसमें मॉ शरदा की मूर्ति की स्थापना विक्रम संवत् 559 में की गई थी। यहाँ पर नरसिंहपीठ, गोलमठ, आल्हा तलाब आदि दर्शनीय स्थल हैं।
  • मैहर उस्ताद अलाउद्दीन खां की कर्मस्थली भी रहा है, जहाँ पर उन्होंने मैहर वाद्य वृंदर की स्थापना की थी।
ऊन
  • ऊन खरगोन जिले में स्थित है, जहाँ 12 जीर्ण-शीर्ण अवस्था में परमार कालीन शिव मंदिर तथा जैन मंदिरों का समूह स्थित है। इनका निर्माण परमार राजा उदयादित्य ने करवाया था। ये सभी मंदिर खजुराहो के मंदिरों के समाकालीन हैं।
बावनगजा
  • यह मध्यप्रदेश में बड़वानी जिले में स्थित एक प्रसिद्ध जैन तीर्थ स्थल है। यहाँ पर जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव की विशाल प्रतिमा और भगवान आदिनाथ की 72  फीट ऊँची मूर्ति स्थित है। यहाँ पर श्रवणबेलगोला (कर्नाटक) के आधार पर प्रत्येक 12 वर्ष में महामस्तकाभिषेक का अयोजन होता है।
पुष्पागिरी- देवास के निकट सोनकच्छ में स्थित जैन तीर्थ स्थल।
गोम्मद गिरी- इंदौर में स्थित प्रसिद्ध जैन तीर्थ स्थल है। यहाँ पहाड़ी पर महावीर स्वामी, आदिनाथ, पार्श्वनाथ आदि के भव्य मंदिर और विहार निर्मित हैं।

मंगलगिरी- सागर में स्थित जैन तीर्थ।

मुक्तागिरी- बैतूल जिले में स्थित जैन तीर्थ है। लगभग 52 मंदिर है जिनमें से कुछ चट्टानों के अंदर निर्मित है।

सोनगिरी- दतिया जिले में सोनगिरी भी प्रसिऋ जैन तीर्थ स्थल है।

कामदगिरी (जिला सतना)

  • चित्रकुट तीर्थ स्थल का सबसे प्रमुख भाग कामदगिरी है। यहां भगवान कामनानाथ का मंदिर है। श्रद्धालु प्रायः कामदगिरी की परिक्रमा करते हैं।
दादाजी दरबार-खंडवा में स्थित दादाजी दरबार महान संत दादाजी का समाधि स्थल है।

नेमावर- नर्मदा तट (देवास जिला) पर स्थित नेमावर हिंदुओं का तीर्थ स्थल है। यहां प्रतिवर्ष मेला लगता है।

रूणिजा- बड़नगर स्थित रूणिजा तेजाजीमहाराज से संबंधित पवित्र स्थान है। यहां प्रतिवर्ष मेला लगता है।

नोहटा- गुरहया-बेरसा नदी के संगम पर बसा नोहटा कभी चंदेलों की राजधानी था। अब यह शिव मंदिर और जैन मंदिर के अवशेषों के लिए विख्यात है।

मितावली
  • मितावली मुरैना जिले में स्थित प्राचीन मंदिर धरोहर है। प्राचीनकाल में इसे तांत्रिक क्रिया का विश्वविद्यालय कहते थे। प्रतिहार राजाओं ने मुरैना से 45 किलोमीटर दूर रिठोरा क्षेत्र में 64 योगिनी मंदिर का निर्माण कराया था। ऐसा प्रतीत होता है कि नई दिल्ली के संसद भवन का स्थापत्य इस मंदिर के स्थापत्य से प्रेरित है।
ग्यारसपुर (विदिशा)
  • विदिशा के समीप स्थित प्राचीन मंदिरों के अवशेषों के लिये जानी जाती है।यहां से 10वीं शताब्दी का अभिलेख एवं वैष्णव मंदिर की जानकारीी मिलती है। अभिलेख में महेन्द्रपाल, चामुंडा राज एवं शिवगढ़ की जानकारी है।

हिंगलाजगढ़ (मंदसौर)

  • हिंगलाजगढ़ राज्य संरक्षित स्मारक है। यहाँ एक किले के अवशेष है जिसमें कचहरी महल, सूरजपोल, कटारापोल, पाटनपोल, सूरजकुंड है। गुप्तकाल से लेकर 14वी शताब्दी तक की मूर्तियां प्राप्त होती हैं।यह परमार कालीन गतिविधियों  का केन्द्र रहा है। एक शक्तिपीठ के रूप में यहां गौरी के विभिन्न रूप, सप्तमातृकाओं की एकाकी प्रतिमायें, तांत्रिक पूजाओं के साक्ष्य, अपराजित वैनायकी, कात्यायनी, भुवनेश्वरी, बगुलामुखी, अर्धनारीश्वर शिव, लकुलिश, सदाशिव नटराज प्रमुख है। पार्श्वनाथ, शांतिनाथ, चन्द्रप्रभु की जैन मूर्तियां प्राप्त हुई हैं।
पीताम्बरा पीठ
  • दतिया में स्थित मां बगलामुखी पीतम्बरा पीठ हिन्दुओं का प्रसिद्ध धार्मिक एवं तांत्रिक स्थल है।

मध्य प्रदेश में सिक्ख धर्म के तीर्थ स्थल

  • आंनदपुर साहिब- इसागढ़ (अशोकनगर)
  • बंदी छोड़ गुरूद्वारा- जय विलास पैलेस (ग्वालियर)
  • इमली बजार गुरूद्वारा- इंदौर (गुरूनानक देव यहां पधारे थे।
  • बाडी संगत गुरूद्वारा- बुरहानपुर (10वें गुरू गोविन्दसिंह यहां आये थे।
  • भाई वाला संधु गुरूद्वारा- शिवपुरी
  • ओंकारेश्वर साहिब- ओंकारेश्वर (खंडवा)

ईसाई धर्म स्थल

  • केथेड्रल चर्च - जबलपुर 1840-1858
  • रेड चर्च- इंदौर
  • व्हाईट चर्च- इंदौर 1858
  • पंचमढ़ी चर्च- पंचमढ़ी 1875 में निर्मित

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