Rastriya samman by mp government | मध्यप्रदेश शासन के राष्ट्रीय स्तर के सम्मान

मध्यप्रदेश  के राष्ट्रीय सम्मान

मध्यप्रदेश  के राष्ट्रीय सम्मान National Level Award By MP Govt

1.    राष्ट्रीय महात्मा गांधी सम्मान

2.    राष्ट्रीय कबीर सम्मान

3.    राष्ट्रीय तानसेन सम्मान (हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत)

4.    राष्ट्रीय कालिदास सम्मान (शास्त्रीय संगीत)

5.    राष्ट्रीय कालिदास सम्मान (रूपंकर कला) 

6.    राष्ट्रीय कालिदास सम्मान (रंगकर्म)

7.    राष्ट्रीय कालिदास सम्मान (शास्त्रीय नृत्य)

8.    राष्ट्रीय तुलसी सम्मान    

9.    राष्ट्रीय लता मंगेशकर सम्मान

10.   राष्ट्रीय इक़बाल सम्मान

11.   राष्ट्रीय मैथिली शरण गुप्त सम्मान.

12.   राष्ट्रीय देवी अहिल्या सम्मान    

13.   राष्ट्रीय किशोर कुमार सम्मान    

14.   राष्ट्रीय शरद जोशी सम्मान 

15.   राष्ट्रीय कवि प्रदीप सम्मान 

16.   राष्ट्रीय नानाजी देशमुख सम्मान

17.   राष्ट्रीय कुमार गन्धर्व सम्मान

18.   राष्ट्रीय राजा मानसिंह तोमर सम्मान    

19.   राष्ट्रीय सूचना प्रौद्योगिकी सम्मान 

20.   राष्ट्रीय निर्मल वर्मा सम्मान

21.   राष्ट्रीय फादर कामिल बुल्के सम्मान

22.   राष्ट्रीय गुणाकर मुले सम्मान

23.   राष्ट्रीय हिन्दी सेवा सम्मान 

 

मध्यप्रदेश  के राष्ट्रीय सम्मान सम्पूर्ण जानकारी 

राष्ट्रीय महात्मा गांधी सम्मान Rashtriya Mahatma Gandhi Samman

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के 125वें जन्मवर्ष  की पावन स्मृति में गांधी विचार दर्शन के अनुरूप समाज में रचनात्मक पहल, साम्प्रदायिक सद्भाव एवं सामाजिक समरसता को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से राज्य शासन ने महात्मा गांधी के नाम पर इस क्षेत्र में देश का सबसे बड़ा राष्ट्रीय सम्मान महात्मा गांधी सम्मान 1995 में स्थापित किया है।

गांधी सम्मान का मूल प्रयोजन गांधी जी  विचारधारा के अनुसार अहिंसक उपायों द्वारा सामाजिक और आर्थिक का्रंति के क्षेत्र में संस्थागत साधना को सम्मानित और प्रोत्साहित करना है। गांधी सम्मान की पुरस्कार राशि 10 लाख रूपये है। सम्मान के अंतर्गत नगद राशि एवं प्रशस्ति पट्टिका अर्पित की जाती है। गांधी सम्मान द्वारा सुविचारित तथा सुनियोजित श्रृंखला के तहत यह प्रयास किया जाता है कि समूचे देश में गांधीजी के आदर्शों और विचारों के अनुसार सामाजिक तथा आर्थिक क्षेत्र में सर्वोत्कृष्ट रचनात्मक साधना और अवदान अर्जित किया गया है, उसकी राष्ट्रीय स्तर पर व्यापक पहचान बने ओर ऐसी संस्थाओं तथा उनके साधनारत मनीषियों का समूचे प्रदेश की ओर से सम्मान किया जाय। सम्मान संस्था द्वारा किए गए रचनात्मक कार्य एवं अनुदान की मान्यता के रूप में दिया जाता है, वित्तीय सहायता के बतौर नहीं। प्रारंभ में इस सम्मान की राशि 5 लाख रू. थी, जिसे बढ़ाकर वर्तमान में 10 लाख रू. कर दिया गया है। 

पहला महात्मा गांधी सम्मान पुरस्कार 1995-96 में कस्तूरबा स्मारक ट्रस्ट इंदौर को दिया गया

Rashtriya Mahatma Gandhi Samman Vijeta

राष्ट्रीय कबीर सम्मान Rashtriya Kabir Samman

मध्यप्रदेश शासन, संस्कृति विभाग ने साहित्य और सृजनात्मक कलाओं में उत्कृष्टता तथा श्रेष्ठ उपलब्धि को सम्मानित करने, साहित्य और कलाओं में राष्ट्रीय मानदण्ड विकसित करने की दृष्टि से अखिल भारतीय सम्मानों और राज्य स्तरीय सम्मानों की स्थापना की है। उत्कृष्टता और सृजन को राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित करने की अपनी सुप्रतिष्ठित परम्परा का अनुसरण करते हुए मध्यप्रदेश ने भारतीय कविता के लिए राष्ट्रीय कबीर सम्मान की स्थापना की है। महान संत कवि कबीर ने सदियों पहले कविता को पुनराविष्कार किया था और उसे नयी निर्भीकता दी थी। देश के अन्य भागों में वे आज भी सबसे लोकप्रिय कवि हैं। इस सम्मान के अंतर्गत 5 लाख रूपए की राशि और सम्मान पट्टिका भेंट की जाती है।

            असाधारण सृजनात्मकता, उत्कृष्टता और दीर्घ साधना के निरपवाद सर्वोच्च मानदण्डों को राष्ट्रीय कबीर सम्मान का निष्कर्ष बनाया गया है। सम्मान से विभूषित किये जाने वाले कवि का चयन असंदिग्ध निष्ठा और विवेक वाला विशेषज्ञ पूरी निष्पक्षता, वस्तुपरकता और निर्भयता के साथ ऐसे मानदण्डो के आधार पर किया जाता है जो उत्तरदायी जीवन दृष्टि, गंभीर कलानुशासन और सौन्दर्य बोध पर आश्रित है। प्रारंभ में इस सम्मान की राशि 1.5 लाख रू. थी जिसे बढ़ाकर वर्तमान में 5 लाख रूपए कर दिया गया है।

पहला राष्ट्रीय कबीर सम्मान 1986-87 में श्री गोपाल कृष्ण अडिग को दिया गया था।

Rashtriya kabir samman vijeta ki suchi

राष्ट्रीय मैथिलीशरण गुप्त सम्मान Rashtriya maithili sharan Gupt Samman

मध्यप्रदेश शासन ने साहित्य और कलाओं को प्रोत्साहन देने की दृष्टि से अनेक राष्ट्रीय और राज्य सम्मानों की स्थापना की है। हिन्दी साहित्य के क्षेत्र में वार्षिक सम्मान का नाम खड़ी बोली के शीर्ष प्रवर्तक कवि श्री मैथिलीशरण गुप्त की स्मृति में रखा गया है। यह सम्मान वर्ष 1987-88 से प्रारंभ किया गया है। इस सम्मान के अंतर्गत दो लाख रूपये की राशि तथा प्रशस्ति पट्टिका भेंट की जाती है। राष्ट्रीय मैथिलीशरण गुप्त सम्मान का उद्देश्य हिन्दी साहित्य में श्रेष्ठ उपलब्धि और सृजनात्मक को सम्मानित करना है। सम्मान के लिए चुने जाने के समय रचनाकर का सृजन सक्रिय होना अनिवार्य है। प्रसंगवश यहाँ उल्लेख भी आवश्यक है कि सम्मान केवल सृजनात्मक कार्य के लिए है शोध अथवा अकादमिक कार्य के लिए नहीं है। कवित के अपने समूचे कृतित्व के आधार पर ही सम्मान देय है न कि किसी एक अथवा विशिष्ट कृति के आधार पर। प्रारंभ में इस सम्मान की राशि 1 लाख रू. थी जिसे बढ़ाकर वर्तमान में 2 लाख रू. कर दिया गया है। 

पहला राष्ट्रीय मैथिलीशरण पुरस्कार 1987-88 श्री शमशेर बहादुर सिंह को दिया गया था।

राष्ट्रीय इकबाल सम्मान

साहित्य और कलाओं के क्षेत्र में उत्कृष्टता और सृजनात्मकता को सम्मानित करने की अपनी परम्परा के अनुसार मध्यप्रदेश शासन ने वर्ष 1986-87 में उर्दू साहित्य रचनात्मक लेखन के लिए इकबाल सम्मान स्थापित किया है। इस सम्मान में दो लाख रूपए की राशि के साथ प्रशस्ति पट्टिका प्रदान की जाती है। पुरस्कार उर्दू के सुप्रसिद्ध कवि अल्लामा इकबाल के नाम पर स्थापित किया गया है जिन्होंने बीसवी शताब्दी के प्रारंभिक चार दशकों में उूर्द कविता को नये आयाम दिये। देश के अधिकतम भागों के साथ-साथ विदेश में भी अल्लामा इकबाल को सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है। प्रांरभ में इस सम्मान की राशि 1 लाख रू. थी , जिसे बढ़ाकर वर्तमान में 2 लाख रू. कर दिया गया है।

पहला राष्ट्रीय इकबाल सम्मान 1986-87 में अली सरदार जाफरी को दिया गया था।

राष्ट्रीय इकबाल सम्मान

राष्ट्रीय कालिदास सम्मान Kalidas Samman

मध्यप्रदेश शासन ने सृजनात्क कलाओं में उत्कृष्टता और श्रेष्ठ उपलब्धि को सम्मानित करने और इन कलाओं में राष्ट्रीय मानदण्ड विकसित करने की दृष्अि से कालिदास सम्मान के नाम से शास्त्रीय संगीत, रूपंकर कलाओं, रंगकर्म और शास्त्रीय नृत्य के क्षेत्र में दो-दो लाख रूपए के चार वार्षिक सम्मान स्थापित किये हैं। प्रारंभ में यह सम्मान बारी-बारी से दिये जाते थे। वर्ष 1986-87 से उक्त चारों कला क्षेत्र  में अलग-अलग सम्मान दिये जाने लगे हैं।

कालिदास सम्मान का निष्कर्ष असाधारण सृजनात्मकता, उत्कृष्टता और दीर्घ कला साधना है निरपवाद मानदण्ड रख गए हैं। सम्मान से विभूषित किए जाने वाले कलाकार का चयर असंदिग्ध निष्ठा और विवेक वाले विशेषज्ञ पूरी निष्पक्षता ओर निर्भयता के साथ ऐसे मानदंडो के आधार पर किया जाता है जो उत्तरदायी जीवन दृष्टि, गंभीर कलानुशासन और सौन्दर्यबोध पर आश्रित है। प्रारंभ में इस सम्मान की राशि एक लाख थी जिसे बढ़ाकर वर्तमान में दो लाख कर दिया गया है।

राष्ट्रीय कालिदास सम्मान शास्त्रीय संगीत

राष्ट्रीय कालिदास सम्मान शास्त्रीय संगीत

राष्ट्रीय कालिदास सम्मान रूपंकर कला 

राष्ट्रीय कालिदास सम्मान रूपंकर कला

राष्ट्रीय कालिदास सम्मान रंगकर्म 

राष्ट्रीय कालिदास सम्मान रंगकर्म

राष्ट्रीय कालिदास सम्मान शास्त्रीय नृत्य

राष्ट्रीय कालिदास सम्मान शास्त्रीय नृत्य

राष्ट्रीय देवी अहिल्या सम्मान Devi Ahilya Samman 

देवी अहिल्या बाई कुशल शासिका, न्यायविद, सच्ची समाज सेविका और कलाप्रिया विदुषी थीं। वे स्नेह, दया और धर्म  की प्रतिमूर्ति थीं। अहिल्याबाई महिला शक्ति का प्रतीक हैं।उनका जीवन और कार्य समस्त जाति के लिए उदाहरण है। उनकी स्मृति में देश की जनसंख्या महिलाओं के संपूर्ण अवदान के लिए देवी सम्मान दिया जाना सुनिश्चित किया गया है।

मध्य प्रदेश शासन ने आदिवासी , लोक एवं पारम्परिक कलाओं के क्षेत्र में महिला कलाकारों की सृजनात्मकता को सम्मानित करने के लिए वर्ष 1996-97 से देवी अहिल्या सम्मान स्थापित किया है। इस सम्मान से विभूषित कलाकार को दो लाख रूपये की राशि और प्रशस्ति पट्टिका प्रदान की जाती है। देवी अहिल्या सम्मान, सृजनात्मकता, उत्कृष्टता, दीर्घ साधना और कलाकार की वर्तमान सृजन सक्रियता के मानदंडो के आधार पर दिया जाता है। सम्मान दिये जाने के लिए चुने गये कलाकार का सृजन सक्रिय होना अनिवार्य है। प्रारंभ में इस सम्मान की राशि 1 लाख रू. थी जिसे बढ़ाकर दो लाख रू. कर दिया गया है। 

पहला राष्ट्रीय देवी अहिल्या सम्मान 1996-97 में श्रीमती तीजन बाई को दिया गया था।

राष्ट्रीय देवी अहिल्या सम्मान

राष्ट्रीय शरद जोशी सम्मान Sharad Joshi Samman

उत्कृष्ट सृजन को राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित करने की अपनी सुप्रतिष्ठित परम्परा का अनुसरण करते हुए मध्यप्रदेश शासन ने हिन्दी व्यंग्य, ललित निबंध, संस्मरण, रिपोतार्ज, डायरी, पत्र इत्यादि विधाओं में रचनात्मक लेखन के लिए राष्ट्रीय शरद जोशी सम्मान स्थापित किया है। यह गौरव की बात है कि शरद जोशी मध्यप्रदेश के निवासी थे, जिन्हें उनकी सशक्त और विपुल व्यंग्य रचनाओं ने साहित्य के राष्ट्रीय परिदृश्य पर प्रतिष्ठित किया। शरद जोशी ने व्यंग्य को नया तेवर और वैविध्य दिया तथा समय की विसंगति और विडम्बना को अपनी प्रखर लेखनी से उजागर करते हुए समाज को दृष्टि और दिशाप्रदान करने का उत्तरदायी रचनाकर्म किया। उनकी व्यंग्य रचनाओं ने हिन्दी साहित्य की समृद्धि में अपना सुनिश्चित योगदान दिया है।

राष्ट्रीय शरद जोशी सम्मान का उद्देश्य साहित्य की ऐसी विधाओं की श्रेष्ठतम प्रतिभाओं को सम्मानित करना है जो कविता, कहानी, उपन्यास, नाटक, आलोचना आदि केन्द्रीय विधाओं में रचना न करते हुए भी अन्य सृजनात्मक विधाओं के माध्यम से साहित्य की समृद्धि और बहुलता में अपना योगदान देती है। निश्चय ही यह सम्मान रचनात्मक उत्कृष्टता, सुदीर्घ साधना और असाधारण उपलब्धि के निर्विवाद मानदण्डों पर ही देय हैं सम्मान के अंतर्गत 1 लाख रूपए की राशि और प्रशस्ति पट्टिका दी जाती है। प्रारंभ में इस सम्मान की राशि 51 हजार रू. थी जिसे बढ़ाकर वर्तमान में 1 लाख रू. कर दिया गया है। 

पहला राष्ट्रीय शरद जोशी सम्मान 1986-87 में श्री हरिशंकर परसाई को दिया गया था।

राष्ट्रीय शरद जोशी सम्मान

किशोर कुमार सम्मान Kishore Kumar Samman

मध्यप्रदेश शासन, संस्कृति विभाग ने उत्कृष्टता और सृजन को राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित करने की अपनी सृप्रतिष्ठित परम्परा का अनुसरण करते हुए सिनेमा के क्षेत्र में निर्देशन, अभिनय, पटकथा तथा गीत लेखन के लिए वार्षिक राष्ट्रीय किशोर कुमार सम्मान की स्थापना की है। यह सम्मान उत्कृष्टता, दीर्घ साधना, श्रेष्ठ उपलब्धि के मानदण्डों के आधार पर देचय है। सम्मान के लिए चुने जाने के समय निर्देशक, कलाकार, पटकथाकार तथा गीतलेखक का सृजन-सक्रिय होना अनिवार्य है।प्रख्यात पार्श्व गायक एवं हरनफनमौला कलाकार स्व. किशोर कुमार  खंडवा मध्यप्रदेश के रहने वाले थे। उन्होंने सिनेमा के क्षेत्र में बहुआयामी प्रतिभा का परिचय देते हुए न सिर्फ हिन्दुस्तान बल्कि विश्व के अनेक देशों में जो जगह बनायी उससे न सिर्फ यश स्थापित हुआ, बल्कि मध्यप्रदेश का गौरव में भी वृद्धि हुईं उन्हीं की स्मृति में राष्ट्रीय किशोर कुमार सम्मान दिया जाता है। इस सम्मान के अंतर्गत दो लाख रूपये की राशि और सम्मान पट्टिका भेंट की जाती है। प्रारंभ में इस सम्मान की राशि 2 लाख रू. थी जिसे बढ़ाकर वर्तमान में 4 लाख रू. कर दिया गया है।

पहला किशोर कुमार सम्मान 1997-98 में श्री हृषिकेष मुखर्जी को दिया गया था।

किशोर कुमार सम्मान

लता मंगेशकर सम्मान Lata mangeshkar Samman

सुगम संगीत के क्षेत्र में कलात्मक श्रेष्ठता को प्रोत्साहित करने की दृष्टि से 1984 में लता मंगेशकर सम्मान स्थापित किया गया। यह सम्मान बारी-बारी से संगीत रचना और गायन के लिए दिया जाता है। सम्मान, उत्कृष्टता, दीर्घसाधना और श्रेष्ठ उपलब्धि के भरसक निर्विवाद मानदण्डों के आधार पर सुगम संगीत के क्षेत्र में देश की किसी भी भाषा के गायक अथवा संगीत रचनाकार को उसके संपूर्ण कृतित्व पर दिया जाता है, न कि किसी एक कृति के आधार पर। सम्मान केवल सृजनात्मक कार्य के लिए है, शोध अथवा अकादमिक कार्य के लिए नहीं। सम्मान के लिये चुने जाने के समय कलाकार का सृजन सक्रिय होना आवश्यक है। प्रारंभ में इस सम्मान की राशि 1 लाख रू. थी जिसे बढ़ाकार वर्तमान में 2 लाख रू.कर दिया गया है। पहला लता मंगेश्कर पुरस्कार 1984-85 में श्री नौशाद को दिया गया था।

लता मंगेश्कर पुरस्कार

राष्ट्रीय कुमार गंधर्व सम्मान Kumar Gandharv Samman

मध्य प्रदेश शासन ने संगीत के क्षेत्र में राष्ट्रीय स्तर की उत्कृष्ट युवा प्रतिभा को सम्मानित और प्रोत्साहित करने के लिए वर्ष 1992-93 से वार्षिक राष्ट्रीय सम्मान स्थापित किया है। इस सम्मान का नाम संगीत क्षेत्र में राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय ख्याति के अद्वितीय गायक पंडित कुमार गंधर्व की स्मृति में रखा गया है। कलाकार को सम्मान के तौर पर 51 हजार रूपये की राशि और सम्मान पट्टिका प्रदान की जाती है।

सम्मान के समय कलाकार की आयु सीमा 25 से 45 वर्ष के बीच निर्धारित की गई है। यह सम्मान भारतीय, शास्त्रीय संगीत, हिन्दुस्तानी संगीत और कर्नाटक संगीत के लिए प्रतिवर्ष बारी-बारी से शास्त्रीय गायन और वादन में दिया जता है। प्रारंभ में इस सम्मान की राशि 50 हजार रू. थी जिसे बढ़कार 1 लाख रू. कर दिया गया है।

पहला राष्ट्रीय कुमार गंधर्व पुरस्कार 1992-93 में श्री विजय चक्रवर्ती को दिया गया था।

राष्ट्रीय कुमार गंधर्व पुरस्कार

राष्ट्रीय तानसेन सम्मान Tansen Samman

संगीत क्षेत्र की मान्यता प्राप्त हस्ती को एक लाख रूपये दिया जाता है। 1980 में स्थापित यह पुरस्कार प्रतिवर्ष दिया जाता है। स्थापना से 1985 तक इस पुरस्कार की धनराशि 5 हजार रूपए  थी जो वर्तमान में 2 लाख है।

प्रथम तानसेन पुरस्कार हीराबाई बड़ोदकर, बिसमिल्ला खान, पंडित कृष्णराव को 1980 में दिया गया था।

राष्ट्रीय तानसेन सम्मान

राष्ट्रीय तुलसी सम्मान Tulsi Samman

983 में स्थापित 2 लाख रूपये का पुरस्कार आदिवासी लोक एवं पारम्परिक कला में श्रेष्ठ उपलब्धि के लिए प्रतिवर्ष दिया जाता ह। तीन वर्ष में दो बार प्रदर्शन कारी कला एवं एक बाद रूपंकर कला के लिए दिया जाता है।

प्रथम तुलसी सम्मान हरीजी कैशव एवं गिरराज प्रसाद को 1983 को दिया गया था।

राष्ट्रीय तुलसी सम्मान Tulsi Samman

राष्ट्रीय कवि प्रदीप सम्मान Kavi pradeep Samman

राष्ट्रीय कवि प्रदीप सम्मान

राष्ट्रीय नानाजी देशमुख सम्मान Nanaji Deshmukh Samman

सामाजिक, सांस्‍कृतिक समरसता, उत्‍थान, परिष्‍कार, आध्‍यात्‍म, परंपरा, समाज एवं विकास तथा संस्‍कृति हेतु व्‍यक्ति (पुरुष अथवा स्‍त्री) एवं संस्‍था के लिए.

राष्ट्रीय नानाजी देशमुख सम्मान

राष्ट्रीय राजा मानसिंह तोमर सम्मान Mansingh Tomar Samman

वर्ष 2011 से प्रारम्भ  इस सम्मान मे एक लाख की राशि दी जाती है ।

संगीत, संस्कृति एवं कला के संरक्षण में कार्य करने वाली संस्था के लिए

राष्ट्रीय राजा मानसिंह तोमर सम्मान

राष्ट्रीय सूचना प्रौद्योगिकी सम्मान Suchna pradhyogiki samman

वर्ष 2015 से प्रारम्भ  इस सम्मान मे एक लाख की राशि दी जाती है ।

हिंदी सॉफ्टवेयर, सर्च इंजिन, वेब डिज़ाइनिंग, डिजिटल भाषा प्रयोगशाला, प्रोग्रामिंग, सोशल मीडिया, डिजिटल ऑडियो-विसुअल एडिटिंग आदि में उत्कृष्ट योगदान.

राष्ट्रीय सूचना प्रौद्योगिकी सम्मान

राष्ट्रीय निर्मल वर्मा सम्मान Nirmal Verma Samman

वर्ष 2015 से प्रारम्भ  इस सम्मान मे एक लाख की राशि दी जाती है ।

भारतीय अप्रवासी होकर विदेश में हिन्दी के विकास में अमूल्य योगदान


राष्ट्रीय निर्मल वर्मा सम्मान


राष्ट्रीय फादर कामिल बुल्के सम्मान Father Kamil Bulke Samman

वर्ष 2015 से प्रारम्भ  इस सम्मान मे एक लाख की राशि दी जाती है ।

विदेशी मूल के व्यक्ति के हिंदी भाषा एवं उसकी बोलियों के विकास में उत्कृष्ट योगदान

राष्ट्रीय फादर कामिल बुल्के सम्मान

राष्ट्रीय गुणाकर मुले सम्मान Gunakar Mule Puraskar

वर्ष 2015 से प्रारम्भ  इस सम्मान मे एक लाख की राशि दी जाती है ।

हिंदी में वैज्ञानिक एवं तकनीकी लेखन एवं पाठ्य पुस्तकों के लिए लेखन

राष्ट्रीय गुणाकर मुले सम्मान

राष्ट्रीय हिन्दी सेवा सम्मान Hindi Seva Samman

वर्ष 2015 से प्रारम्भ  इस सम्मान मे एक लाख की राशि दी जाती है ।

अहिंदी भाषी लेखकों और साहित्यकारों को लेखन-सृजन से हिंदी की समृद्धि के लिए योगदान


राष्ट्रीय हिन्दी सेवा सम्मान

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