मध्यप्रदेश की न्यायपालिका | Madhya Pradesh Judiciary


Madhya Pradesh Judiciary

मध्यप्रदेश की न्यायपालिका

  • भारतीय संविधान के अनुच्छेद 214 के अंतर्गत प्रत्येक राज्य में उच्च न्यायालय की स्थापना की जाती है । अनुच्छेद 215 के अंतर्गत उच्च न्यायालय एक अभिलेख न्यायालय होता है। जिसके निर्णय आधिकारिक माने जाते हैं तथा उसके आधार पर अधीनस्थ न्यायालय अपना निर्णय देते हैं ।
  • अनुच्छेद 227 के अंतर्गत उच्च न्यायालय को अधीनस्थ न्यायालय के अधीक्षण की शक्ति भी प्राप्त है।
  • 2 जनवरी सन् 1936 को भारत सरकार अधिनियम 1915 की धारा-108 के अंतर्गत जारी लैटर्स पेटेंट के द्वारा सेंट्रल प्राविंश  व बरार प्रांत हेतु नागपुर उच्च न्यायालय की स्थापना की गई। ये लैटर्स पेटेंटजिनके अंतर्गत नागपुर उच्च न्यायालय की स्थापना तथा क्षेत्राधिकार निहित किया गया था26 जनवरीसन् 1950 को भारतीय संविधान के अंगीकृत किए जाने के बाद भी इसके अनुच्छेद-225 व 372 के द्वारा प्रवृत्त रहे
  • मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की मुख्य पीठ के भवन का निर्माण राजा गोकुलदास ने वर्ष 1889 में करवाया था जिसके वास्तुकार हेनरी इरविन थे
  • मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय जबलपुर में तथा अन्य दो खंडपीठ इंदौर और ग्वालियर में स्थापित की गई हैं. तीसरी खंडपीठ भोपाल में प्रस्तावित है ।
  • 28 नवंबर 1968 में इंदौर व ग्वालियर में उच्च न्यायालय की खंडपीठ स्थापित की गई थी।

उच्च न्यायालय से संबंधित स्मरणीय तथ्य तथ्य

  • मध्य प्रदेश के उच्च न्यायालय में न्यायाधीशों की कुल संख्या 36 है।
  • मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के प्रथम मुख्य न्यायधीश न्यायमूर्ति श्री एम हिदायतुल्ला थे, जिन्हें सर्वोच्च न्यायालय के 11 वें मुख्य न्यायाधीश (प्रथम मुस्लिम मुख्य न्यायाधीश) बनने का गौरव भी प्राप्त हुआ।
  • मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की प्रथम महिला न्यायाधीश श्रीमती सरोजिनी सक्सेना थीं
  • मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के वर्तमान मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रवि विजयकुमार मलीमथ  हैं।



मध्यप्रदेश न्यायपालिका का इतिहास 

  • वर्तमान मध्यप्रदेश राज्य, जैसा कि सर्वविदित है, 02/11/1861 को मूल रूप से मध्य क्षेत्र (सेंट्रल प्राविंश ) के रूप में सृजित किया गया था, चूँकि न्यायिक आयुक्त क्षेत्र न्यायिक आयुक्त द्वारा प्रशासित था। उस समय, नागपुर स्थित न्यायिक आयुक्त का न्यायालय इस क्षेत्र का शीर्ष न्यायालय था। 
  • सन् 1921 में इसे राज्यपाल प्रांत (गर्वनर्स प्राविंश ) में परिवर्तित कर दिया गया, तब यह न्याय-प्रशासन हेतु पूर्ण उच्च-न्यायालय का हकदार हो गया। यद्यपि वित्तीय व प्रशासनिक कठिनाइयाँ लगभग पंद्रह वर्षो तक सेंट्रल प्राविंस हेतु उच्च न्यायालय के इंकार में परिणित हुई। इसी बीच, निजाम राज्य हैदराबाद के एक भाग, बरार प्रशासन हेतु सेंट्रल प्राविंश  में सन् 1933 में स्थानान्तरित कर दिया गया। इस कारण राज्य को मिला इसका नया नाम ‘‘सेंट्रल प्राविंश  तथा बरार‘‘ । 
  • तत्पश्चात्, सम्राट जार्ज पंचम द्वारा 2 जनवरी सन् 1936 को भारत सरकार अधिनियम 1915 की धारा-108 के अंतर्गत जारी लैटर्स पेटेंट के द्वारा सेंट्रल प्राविंश  व बरार प्रांत हेतु नागपुर उच्च न्यायालय की स्थापना की गई। ये लैटर्स पेटेंट, जिनके अंतर्गत नागपुर उच्च न्यायालय की स्थापना तथा क्षेत्राधिकार निहित किया गया था, 26 जनवरी, सन् 1950 को भारतीय संविधान के अंगीकृत किए जाने के बाद भी इसके अनुच्छेद-225372 के द्वारा प्रवृत्त रहे। 
  • नवंबर सन् 1956 को राज्य पुनर्गठन अधिनियम अधिनियमित किया गया। नवीन मध्यप्रदेश राज्य का गठन इसकी धारा-9 के अंतर्गत किया गया। राज्य पुनर्गठन अधिनियम् की धारा-49 की उपधारा-(1) विहित करती है कि नियुक्ति दिवस अर्थात 1 नवंबर 1956 से, वर्तमान मध्यप्रदेश राज्य के संबंध में अधिकारिता का प्रयोग करने वाले उच्च न्यायालय, अर्थात नागपुर उच्च न्यायालय, वर्तमान मध्यप्रदेश राज्य हेतु उच्च न्यायालय समझा जाएगा।
  • इस प्रकार नागपुर उच्च न्यायालय को समाप्त नहीं किया गया बल्कि एक कानूनी कथा द्वारा नवीन राज्य मध्यप्रदेश हेतु यह अपनी जबलपुर स्थित शाखा के साथ उच्च न्यायालय बन गया। 
  • माननीय मुख्य न्यायाधिपति द्वारा, अपने 1 नवंबर 1956 के आदेश द्वारा मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की अस्थाई पीठों का गठन इंदौर तथा ग्वालियर में किया गया। बाद में, राज्य पुनर्गठन अधिनियम 1956 की धारा - 51 की उपधारा (2) द्वारा प्रदत्त शक्तियों के प्रयोग में दिनांक 28 नवंबर 1968 को जारी राष्ट्रपति अधिसूचना द्वारा इंदौर तथा ग्वालियर में मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय की स्थाई पीठों की स्थापना की गई।
  • यह स्थिति 1 नवंबर 2000 तक रही, जब मध्यप्रदेश पुनर्गठन अधिनियम् 2000 के उपबंधों के अधीन वर्तमान मध्यप्रदेश राज्य से छत्तीसगढ़ राज्य का सृजन किया गया तथा इस राज्य हेतु छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय की स्थापना बिलासपुर में इस की पीठ के साथ की गई।तब जबलपुर स्थित मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय उत्तरवर्ती मध्यप्रदेश राज्य हेतु उच्च न्यायालय बन गया।

 

मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश


क्र  मुख्य न्यायाधीश का नाम  कार्यकाल 
01 
श्री एम. हिदायतुल्ला
01/11/1956   12/12/1958
02
श्री जी.पी. भट्ट
13/12/1958   22/09/1959
03
श्री पी.वी. दीक्षित
22/09/1959   18/03/1969
04
श्री विश्वंभरदयाल
19/03/1969   13/03/1972
05
श्री पी.के. तारे
14/09/1972   10/10/1975
06
श्री शिवदयालय श्रीवास्तव 
11/10/1975   28/02/1978
07
श्री ए.पी. सेन
28/02/1978   14/07/1978
08
श्री जी.पी. सिंह
27/07/1978   03/01/1984
09
श्री जी.एल. ओझा
01/12/1984   27/10/1985
10
श्री जे.एस. वर्मा
14/06/1986   27/08/1986
11
श्री एन.डी. ओझा
08/01/1986   18/01/1988
12
श्री जी.जी. सोहानी
21/10/1989   23/10/1989
13
श्री एस.के. ओझा
27/10/1989   15/12/1993
14
श्री यू.एल. भट्ट
15/12/1993   10/10/1995
15
श्री ए.के. माथुर
03/02/1996   21/12/1999
16
श्री भवानी सिंह
24/02/2000   19/08/2003
17
श्री के. राजाराथनम
06/09/2003   12/03/2004
18
श्री राजीव गुप्ता 
कार्यवाहक
19
श्री आर.वी. रविन्द्रन
08/07/2004   08/09/2005
20
श्री अनंग कुमार पटनायक
02/10/2005   16/11/2009
21
श्री सैयद रफत आलम
20/12/2009   04/08/2011
22
जस्टिस सुशील हरिकोली 
कार्यवाहक
23
श्री शरद अरविंद बोबड़े
16/10/2012   11/04/2013
24
श्री कृष्ण कुमार लाहोटी
2013
25
न्यायमूर्ति अजय माणिकराव खानविलकर
24/11/2013   12/05/2016
26
जस्टिस हेमंत गुप्ता
18/03/2017   01/11/2018
27
जस्टिस एस.के सेठ
09.11.2018    09.06.2019
28
जस्टिस अजय कुमार मित्तल 
3 नवंबर 2019
28
जस्टिस अजय कुमार मित्तल 
3 नवंबर 2019- 29-09-2020 
28
जस्टिस मोहम्मद रफीक  
3 जनवरी  2021  से 14-10-2021  
28
रवि विजयकुमार मलीमथ  
14-10-2021 से लगातार 


जिला न्यायालय
  • अनुच्छेद 233 के अंतर्गत उच्च न्यायालय के अधीनस्थ जिला न्यायालय की स्थापना का प्रावधान किया गया है। अधीनस्थ न्यायालयों से संबंधित प्रावधान संविधान के भाग 6 (अनुच्छेद 233- 237) में दिए गए हैं।
  • जिला न्यायाधीश जब आपराधिक मामलों पर विचार करता है तो उसे सत्र न्यायाधीश कहा जाता है और सिविल मामलों पर विचार करते समय वह जिला न्यायाधीश कहलाता है . इसी कारण इसे जिला एवं सत्र न्यायाधीश भी कहते हैं।

विशेष न्यायालय
  • वर्ष 1989 में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के अंतर्गत प्रत्येक जिला न्यायालय में एक विशेष न्यायालय का गठन किया गया है।

राजस्व न्यायालय
  • राजस्व संबंधी दीवानी प्रकरण के लिए ग्वालियर जिले में राजस्व मंडल का गठन किया गया है। वर्ष 2011 में मध्य प्रदेश भू राजस्व संहिता 1959 में संशोधन के उपरांत राजस्व निगरानी एवं सुनवाई के लिए समस्त अधिकार प्रदान किए गए हैं।

फास्टट्रैक न्यायालय
  • आपराधिक मामलों को त्वरित रूप से निपटाने के लिए 11वें वित्त आयोग की अनुशंसा पर फास्टट्रैक न्यायालय की स्थापना 1 अप्रैल 2001 को की गई। राज्य में कुल 85 फास्टट्रैक न्यायालय स्थापित हैं।

श्रम एवं परिवार न्यायालय
  • मध्य प्रदेश में औद्योगिक अधिनियम 1960 के अंतर्गत 25 श्रम न्यायालय प्रदेश में स्थापित किए गए हैं।
  • तथा कुटुंब न्यायालय अधिनियम 1935 के अंतर्गत सभी संभागीय मुख्यालयों एवं मुख्य जिलों में परिवार न्यायालय की स्थापना की स्थापना की गई है।

3 comments:

  1. भारत सरकार अधिनियम 1935 की जगह पर भारत सरकार अधिनियम 1915 की धारा 108 है सर

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    1. Thank you Deepak for valuable Feedback content is updated.

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