विश्व की प्राचीन सभ्यताएँ { Old Civilization of World }

विश्व की प्राचीन सभ्यताएँ { Old Civilization of World }
Ancient Civilization of Wold

मिस्र की सभ्यता Misra Ki Sabhyata

  • मिस्र की सभ्यता का प्रारंभ 3400 ई.पू. में हुआ।
  • मिस्र को नील नदी की देन कहा गया है। मिस्र के बीच से नील नदी बहती है, जो मिस्र की भूमि को उपजाऊ बनाती है।
  • यह सभ्यता प्राचीन विश्व की अति विकसित सभ्यता थी। इस सभ्यता ने विश्व की अनेक सभ्यताओं को पर्याप्त रुप से प्रभावित किया है।
  • समाजिक जीवन मेँ सदाचार का महत्व इसी सभ्यता से प्रसारित हुआ है।
  • सामाजिक जीवन की सफलता के लिए मिस्र निवासियों ने नैतिक नियमों का निर्धारण किया।
  • मिस्र के राजा को फ़राओ कहा जाता था। उसे ईश्वर का प्रतिनिधि तथा सूर्य देवता का पुत्र माना जाता था।
  • मरणोपरांत राजा के शरीर को पिरामिड मेँ सुरक्षित कर दिया जाता था।
  • पिरामिडों को बनाने का श्रेय फ़राओ जोसर के वजीर अमहोटेप को है।
  • मिस्र वासियो को मृत्यु के बाद जीवन में विश्वास था।
  • मृतकोँ के शवोँ को सुरक्षित रखने के लिए शवों पर रासायनिक द्रव्योँ का लेप लगाया जाता था। ऐसे मृतक के शारीर को ममी कहा जाता था।
  • शिक्षा के क्षेत्र मेँ सर्वप्रथम व्यवस्थित विद्यालयों का प्रयोग यहीं हुआ था और यहीं से अन्यत्र प्रचलित हुआ।
  • विज्ञान के क्षेत्र मेँ मिस्रवासी विश्व में अग्रणी समझे जाते है। रेखागणित मेँ जितना ज्ञान उन्हें था उतना विश्व के अन्य लोगोँ को नहीँ था।
  • कैलेंडर सर्वप्रथम यही पर तैयार हुआ। सूर्य घड़ी एवं जल घडी का प्रयोग भी सर्वप्रथम यहीं हुआ।
  • अमहोटेप चतुर्थ (1375 ई.पू. से 1358 ई.पू.) मानव इतिहास का पहला सिद्धांतवादी शासक था। उसे आखनाटन के नाम से भी जाना जाता है।

मेसोपोटामिया की सभ्यता  Mesopotamia Ki Sabhyata in

  • वर्तमान इराक अनेक सभ्यताओं का जन्मदाता रहा है।
  • मिस्र सभ्यता के समकक्ष तथा समकालीन मेसोपोटामिया की सभ्यता विकसित हुई।
  • यूनानी भाषा मेँ मेसोपोटामिया का अर्थ नदियों के बीच की भूमि होता है। यह सभ्यता दजला एवं फरात नदियो के बीच के क्षेत्र मेँ विकसित हुई।
  • प्राचीन काल मेँ दजला फरात के बिल्कुल दक्षिणी भाग को सुमेर कहा जाता था। मेसोपोटामिया की सभ्यता का विकास विकास सर्वप्रथम सुमेर प्रदेश मेँ हुआ।
  • सुमेर के उत्तर पूर्व को बेबीलोन (बाबुल) कहा जाता था। नदियो के उत्तर की उच्च भूमि का नाम असीरिया था।
  • सुमेर बेबीलोन तथा असीरिया सम्मिलित रुप से मेसोपोटामिया कहलाते थे।

सुमेरिया की सभ्यता Sumerian Sabhyata

  • सुमेरियनों ने एक बड़े ही संगठित राज्य की स्थापना की।
  • प्रत्येक नगर राज्य का एक राजा था, जिसे पुरोहित या पतेसी से कहा जाता था।
  • धर्म एवं मंदिरों के लिए विशिष्ट स्थल थे।
  •  देव मंदिरोँ को जिगुरत कहा जाता था।
  • राजा ही मंदिरोँ का बड़ा पुरोहित होता था।
  • सुमेरियनों की महत्वपूर्ण देन लेखन कला है। उन्होंने एक लिपि का आविष्कार किया, जिसे कीलाकार लिपि कहा जाता है। इसे वे तेज नोक वाली वस्तु से मिट्टी की पट्टियों पर लिखते थे।
  • उन्होंने ही समय मापने के लिए सर्वप्रथम 60 अंक की कल्पना की तथा सर्वप्रथम चंद्र पंचांग का प्रयोग किया।
  • वृत्त के केंद्र मेँ 360 अंश का कोण बनता है। इस माप की कल्पना भी सर्वप्रथम सुमेर के लोगों ने ही की थी।

बेबीलोन की सभ्यता Babylon ki Sabhyata

  • सुमेरियन लोगोँ ने जिस सभ्यता का निर्माण किया उसी के आधार पर बेबीलोन की सभ्यता का भी विकास हुआ।
  • निपुर इसका प्रमुख नगर था।
  • बेबीलोन के प्रसिद्ध शासक हम्मूराबी 2124 ई.पू. से 2081 ई.पू. था, जो एमोराइट राजवंश का था।
  • हम्मूराबी की सबसे बडी देन कानूनों की संहिता है।
  • हम्मूराबी विश्व का पहला शासक था, जिसने सर्वप्रथम कानूनों का संग्रह कराया।
  • धर्म का महत्वपूर्ण स्थान था। लोग बहुदेववादी थे। मार्डुंक सबसे बड़ा देवता समझा जाता था।

असीरिया की सभ्यता Asiriya Ki Sabhyata

  • हम्मूराबी के शासन काल मेँ यह बेबीलोनिया का सांस्कृतिक उपनिवेश था। असीरिया की सबसे बडी देन उसकी शासन प्रणाली है।
  • असुर देवता राज्य का स्वामी माना जाता था तथा राजा उसके प्रतिनिधि के रुप मेँ शासन करता था।
  • भवन निर्माण कला तथा चित्र कला मेँ असीरिया ने काफी उन्नति की थी।
  • नींव मेँ पक्की इंटों का तथा दीवारो मेँ धूप मेँ सुखाई गई ईटो का प्रयोग किया जाता था।

चीन की सभ्यता China Ki sabhyata

  • ह्वांग-हो नदी की घाटी मेँ प्राचीन चीन की सभ्यता का विकास हुआ। यह स्थान चीन के उत्तरी क्षेत्र मेँ स्थित है।
  • यह क्षेत्र विश्व के साथ अत्यधिक उपजाऊ क्षेत्रों मेँ से एक है। इसे चीन का विशाल मैदान कहा जाता है।
  • ह्वांग-हो नदी को पीली नदी भी कहते है, इसलिए चीन की प्राथमिक सभ्यता को पीली नदी घाटी सभ्यता भी कहा जाता है।
  • इस दौरान चीन मेँ वैज्ञानिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण उन्नति हुई।
  • कागज एवं छपाई का आविष्कार चीन की देन है।
  • भूकंप का पता लगाने वाले यंत्र सीस्मोग्राफ का आविष्कार चीनवासियो ने नहीँ किया था।
  • ह्वांग टी (लगभग 2700 ईसा पूर्व) की पत्नी ली-जू ने पहले-पहल चीनी लोगोँ को रेशम के कीड़ों का पालन सिखाया रेशम के हल्के वस्त्रोँ का निर्माण एवं प्रयोग सर्वप्रथम चीन मेँ ही हुआ।
  • शी-ह्वांग टी (लगभग 247 ईसा पूर्व) ने समस्त चीन को एक राजनीतिक सूत्र मेँ आबद्ध किया।
  • चीन वंश के नाम पर ही पूरे देश का नाम चीन पड़ा।
  • राजा को वांग कहा जाता था।
  • चीन मेँ छठीं शताब्दी ईसा पूर्व दार्शनिक चिंतन का उद्भव हुआ।
  • दार्शनिक कंफ्यूशियस (551 ईसा पूर्व से 479 ईसा पूर्व) को कुंग जू या ऋषि कुंग के नाम से भी संबोधित किया जाता है।
  • पुच्छल तारा सर्वप्रथम चीन मेँ 240 ई. मेँ देखा गया था।
  • दिशा सूचक यंत्र का आविष्कार चीन मेँ ही हुआ।
  • चीन के लोगों ने ही सर्वप्रथम यह पता लगाया कि वर्ष मेँ 365 1/4 दिन होते हैं।
  • पेय पदार्थ के रुप मेँ चाय का सर्वप्रथम प्रयोग चीन मेँ ही प्रारंभ हुआ।

यूनान की सभ्यता Unan Ki  Sabhyata

  • यूनान की सभ्यता को यूरोपीय सभ्यता का उद्गम स्थल माना जाता है।
  • क्रीट की सभ्यता प्राचीन यूनानी सभ्यता की जननी कही जाती है।
  • क्रीट की राजधानी नासौस थी।
  • 1200 ई. पू. आर्यों की डोरियन शाखा ने यूनान मेँ प्रवेश कर वहाँ अपना प्रभुत्व जमा लिया।
  • यूनान को हेल्स भी कहा जाता था। इसलिए उसकी पुरानी सभ्यता हेलेनिक सभ्यता भी कहलाती है।
  • पर्वतीय प्रदेश होने के कारण यूनान छोटे छोटे राज्योँ मेँ विभक्त हो गया। विभिन्न नगर राज्यों मेँ, स्पार्टा और एथेंस अधिक शक्तिशाली एवं प्रभावशाली थे।
  • स्पार्टा सैन्य तंत्रात्मक राज्य था।
  • एथेंस मेँ गणतंत्रात्मक पद्धति का विकास हुआ था।
  • एथेंस मेँ 600 ई.पू. मेँ ही गणतांत्रिक शासन पद्धति के सफल प्रयोग हुए।
  • 490 ई.पू. मेँ फारस के राजा ने यूनान पर आक्रमण कर दिया। फलतः दोनो पक्षोँ मेँ युद्ध शुरु हो गया, जो 448 ईसा पूर्व तक चलता रहा।
  • पेरिक्लीज (469 ई.पू. से 429 ई.पू.)  का युग यूनान के इतिहास मेँ स्वर्ण युग था।
  • जिस युग मेँ महान कवि होमर ने अपने दो महाकाव्य ईलियड तथा ओडिसी की रचना की, उसे होमर युग कहा जाता है।
  • सिकंदर कालीन युग को हेलिनिस्टिक युग कहा जाता है।
  • सिकंदर मेसीडोनिया के राजा फिलिप का पुत्र था।
  • अरस्तू ने सिकंदर को शिक्षा प्रदान की थी।
  • भारत पर आक्रमण के क्रम मेँ 326 ई.पू. मेँ झेलम नदी के तट पर सिकंदर ने राजा पोरस को हराया था।
  • सुकरात, प्लेटो और अरस्तु प्राचीन यूनान के प्रमुख विचारक और दार्शनिक थे।

रोम की सभ्यता Rome Ki Sabhyata

  • रोम की सभ्यता का विकास यूनानी सभ्यता के अपकर्ष के बाद हुआ।
  • यह यूनानी सभ्यता से प्रभावित थी।
  • रोमन सभ्यता का केंद्र रोम नामक नगर था, जो इटली मेँ स्थित है।
  • इटली मेँ एक उन्नत सभ्यता को विकसित करने का श्रेय रोग एट्रस्कन नमक एक अनार्य जाती को है।
  • रोम एवं कार्थेज के बीच (264 ई.पू. 146 ई.पू.) तक एक शताब्दी से अधिक तक संघर्ष चला। इस बीच 3 भीषण युद्ध हुए।
  • इन युद्धों को प्यूनिक युद्ध के नाम से जाना जाता है। इस युद्ध मेँ रोम की विजय हुई।
  • जूलियस सीजर रोम के साम्राज्य का बिना ताज का बादशाह था। इसकी गणना विश्व के सर्वश्रेष्ठ सेनापतियो मेँ की जाती है।
  • ऑगस्टस (31 ई.पू. से 14 ई.पू.) का काल रोमन सभ्यता का स्वर्ण-काल माना जाता है।
  • जूलियस सीजर ने 365 दिनोँ का वर्ष बनाया।
  • आधुनिक अस्पतालो के संगठन की कल्पना रोमन सभ्यता की देन है।
  • रोमन दर्शन एवं धर्म ने विश्व सभ्यता पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाला। जहाँ तक धर्म का संबंध है, इसाई धर्म का प्रसार रोम की ही देन है। रोम का पोप कालांतर मेँ संपूर्ण यूरोप की राजनीति का संचालक बन गया। रोम की राष्ट्रभाषा लैटिन की महत्ता उसके विस्तृत प्रभाव से स्पष्ट परिलक्षित होती है। अंग्रेजी भाषा एवं साहित्य का जो स्वरुप आज उपलब्ध है वह लैटिन भाषा की ही देन है।

No comments:

Post a Comment

Powered by Blogger.