History Of Lokpal in Hindi {लोकपाल और इसका इतिहास}


लोकपाल और इसका इतिहास
History of Lokpal in India

लोकपाल और इसका इतिहास { History of Lokpal }

  • लोकपाल एक भ्रष्टाचार विरोधी प्राधिकरण हैं, जिसे ओम्बुड्समैन भी कहा जाता है यह भ्रष्टाचार एवं लोगों की शिकायतों के निवारण के किलए कार्य करता है। भारत में केंद्र के स्तर पर इस प्राधिकरण को लोकपाल तथा राज्य स्तर पर लोकायुक्त कहा जाता है।
  • विश्व के अधिकांश देशों में जिस संस्था को ओम्बुड्समैन कहा जाता है, उसे हमारे देश में लोकपाल या लोकायुक्त के नाम से जाना जाता है।
  • लोकपाल शब्द  को संस्कृत के शब्द लोक (लोग) तथा पाल (रक्षक) से लिया गया है। जिसका अर्थ लोगों का रक्षक होता है।
  • भारत में लोकपाल शब्द  को 1963 में मशहूर कानूनविद डॉ.एल.एम. सिंघवी ने दिया था।
  • भारत में लोकपाल की अवधारणा स्वीडन से ली गई है।
  • 1966 में मोरारजी देसाई की अध्यक्षता में प्रशासनिक सुधारों पर गठित एक कमेटी ने लोकपाल और लोकायुक्त के गठन की सिफारिश  की थी।
  • इस कमेटी का विचार था कि केंद्र में लोकपाल  तथा प्रादेशिक स्तर पर एक लोकायुक्त होना चाहिए, जिसका काम प्रशासन के कार्यों का मूल्यांकन करना  और उस पर नजर रखना हो।
  • इसके बाद कई राज्यों में लोकायुक्त नियुक्त किये गये, लेकिन यह कानूनी रूप से 2013 में ही लागू हुआ, जब संसद में लोकपाल और लोकायुक्त विधेयक 2013 पारित हुआ।
  • देश के मुख्य न्यायाधीश की तरह ही लोकपाल को भी शपथ राष्ट्रपति द्वारा दिलाई जाती है।

लोकपाल समिति Lokpal Committee

लोकपाल तथा लोकायुक्त अधिनियम 2013 के अनुसार लोकपाल समिति में निम्न सदस्य हो सकते हैं-
  1. लोकपाल समिति में अध्यक्ष सहित अधिकतम नौ सदस्य हो सकते हैं।
  2. इनमें से 50 प्रतिशत सदस्य अर्थात् चार न्यायिक क्षेक के होंगे।
  3. इसके अलावा 50 प्रतिशत सदस्य अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़े वर्गों, अल्पसंख्यकों तथा महिलाओं में से होने चाहिए।
  4. लोकपाल समिति के अध्यक्ष को लोकपाल कहा जाता है। समिति के अध्यक्ष सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश या सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त जज ही हो सकते हैं।

निम्न में से कोई भी नहीं बन सकता लोकपाल समिति का सदस्य
  1. संसद सदस्य या किसी राज्य अैार केंद्र शासित प्रदेशों की विधानसभाओं के सदस्य लोकपाल के सदस्य नहीं बन सकते हैं।
  2. नैतिक भ्रष्टाचार में दोषी पाया गया कोई व्यक्ति।
  3. किसी पंचायत या निगय का सदस्य।
  4. 45 साल में कम उम्र का व्यक्ति।
  5. केंद्र या राज्य सरकार की नौकारी से बर्सास्त व्यक्ति आदि।

लोकपाल का अधिकार क्षेत्र  Lokpal ka Adhikar Kseshtra

  1. लोकपाल के अधिकार क्षेत्र में पूरा देश आयेगा।
  2. लोकपाल को सभी केंद्रीय मंत्रियों और दोनों सदनों के सदस्यों की जांच करने का अधिकार होगा।
  3. समूह ए,बी,सी, तथा डी के अधिकारियों तथा सरकार के कर्मचारियों सहित सभी श्रेणियों के लोकसेवक, लोकपाल के क्षेत्राधिकार में आएंगे।
  4. सरकार से आर्थिक मदद लेने वाले ट्रस्ट, सोसायटी और एनजीओ के निदेशक एवं सचिव भी लोकपाल की जांच के दायरें में आयेंगे। लोकपाल के पास कुछ मामलों में प्रधानमंत्री और पूर्व प्रधानमंत्री की जांच करने का अधिकार होगा।
नोट- न्यायपालिका और सेनाएं लोकपाल की जांच के दायरे में नहीं होगी।

प्रधानमंत्री  के खिलाफ जांच के लिए प्रावधान
  • प्रधानमंत्री के खिलाफ उन्हीं मामलों में जांच की जायेगी, जो अंतर्राष्ट्रीय मामलों, आंतरिक और बाह्म सुरक्षा, सार्वजनिक व्यवस्था, अंतरिक्ष और परमाणु कार्यक्रम में जुड़े नहीं हों।
  • अर्थात् इन विषयों को छोड़कर अन्य सभी मामलों में प्रधानमंत्री के खिलाफ जांच की जा सकती है। प्रधानमंत्री के खिलाफ जांच के लिए पूरी बेंच की बैठक जरूरी होगी।
  • इस बैठक में दो-तिहाई बहुमत से फैसला लेना अनिवार्य होगा।
  • इस प्रकार की कार्यवाही में पूरी गोपनीयता रखी जायेगी। यदि शिकायत जांच लायक नहीं पाई गई तो उसे सर्वाजनिक नहीं किया जायेगा।
  • अन्य प्रावधान
  • कोई भी व्यक्ति लोकपाल से शिकायत कर सकता है।
  • भष्ट्राचार के मामले में लोकपाल खुद भी संज्ञान ले सकता है।
  • लोकपाल दोषी व्यक्ति के स्थानांतरण, अनुशासनात्मक कार्यवाही या निलंबन का आदेश भी दे सकता है।
  • भ्रष्ट्राचार के मामले में दो से दस साल की तक की सजा संभव है।

लोकपाल चयन समिति Lokpal Chyan Samiti

  • लोकपाल के अध्यक्ष और सदस्यों का चयन एक चयन समिति करती है।
  • इस समिति के निम्न सदस्य होतें -
  • प्रधानमंत्री - चयन समिति का अध्यक्ष होता है।
  • लोकसभा अध्यक्ष - सदस्य
  • लोकसभा में विपक्ष के नेता- सदस्य
  • भारत के  प्रधान न्यायाधीश या भारत के प्रधान न्यायाधीश  द्वारा मनोनीत उच्चतम न्यायलय का कोई वर्तमान न्यायाधीश
  • भारत के राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत प्रख्यात न्यायविद
  • इस समिति की सिफारिश पर राष्ट्रपति लोकपाल की नियुक्ति करता है।

लोकपाल  विधेयक का इतिहास  Lokpal Vidheyak ka Itihas
  • पहली बार 1968 में लोकपाल विधेयक लोकसभा में पेश किया गया था।
  • इसके बाद 1971, 1977, 1985, 1989, 1996,1998 और 2001 में भी लोकसभा में पेश किया गया।
  • इसके बाद अगस्त, 2011 में एक नया लोकपाल बिल लोकसभा में पेश किया गया।
  • इसके बाद 22 दिसंबर, 2011 को लोकपाल और लोकायुक्त बिल 2011 के नाम से एक बिल लोकसभा  में पेश किया गया। 
  • यह बिल 27 दिसंबर, 2011 को लोकसभा से पारित हुआ।
  • मई, 2012 में राज्यसभा ने बिल को सेलेक्ट कमेटी को भेजा था।
  • इसके बाद सेलेक्ट कमेटी नवंबर 2012 में अपनी रिपोर्ट राज्यसभा के  सामने रखी।
  • इस रिपोर्ट में कमेटी ने सरकार को 16 सुझाव दिये थे, जिसमें से सरकार ने 14 सुझावों को मान लिया।
  • 17 दिसंबर 2012 को राज्यसभा से यह बिल कुछ संशोधनों के साथ पारित हो गया।
  • राज्यसभा के इन संशोधनों को लोकसभा ने भी माना।
  • इसके बाद 18  दिसंबर को लोकपाल और लोकायुक्त विधेयक 2013 लोकसभा में पास हो गया।
  • 1 जनवरी, 2014 को राष्ट्रपति ने इसे अपनी मंजूरी दे दी।
लोकपाल और लोकायुक्त में अंतर  Lokpal and Lokayukt me Antar
  • जिस तरह केंद्र में लोकपाल होता है। उसी तरह हर राज्य में लोकायुक्त होता है।
लोकायुक्त के कार्य Lokaayukt ke Karya
  • किसी राज्य को लोकायुक्त आयकर विभाग और भ्रष्ट्रचार निरोधी ब्यूरो के  साथ मिलकर कार्य करता है।
  • यह सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ भ्रष्ट्रचार और अनियमितताओं की जांच करता है।
  • लोकायुक्त पांच साल से ज्यादा पुराने मामलों की जांच नहीं करता है।
  • लोकायुक्त के अधिकार क्षेत्र
  • प्रदेश के सभी मंत्री।
  • विधानसभा और विधान परिषद के  सदस्य।
  • सरकार के सभी अधिकारी, स्थानीय प्रशासन के अधिकारी
  • राज्य सरकार के उपक्रम, राज्य सरकार के अपक्रम, राज्य सरकार की 50 फीसदी हिस्सेदारी वाली  कंपनियां, राज्य सरकार में रजिस्टर्ड सोसाइटीज आदि।
लोकायुक्त नियुक्ति समिति
  • प्रदेश का मुख्यमंत्री
  • हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश
  • विधानसभी अध्यक्ष
  • विधान परिषद् के अध्यक्ष
  • विपक्ष के नेता
  • इस समिति की अनुशंसा पर राज्यपाल द्वारा लोकायुक्त की नियुक्ति की जाती है।

विश्व में लोकपाल का इतिहास  History of Lokpal in World
  • लोकपाल या ओम्बुड्समैन संस्था ने प्रशासन के प्रहरी बने रहने  में अन्तर्राष्ट्रीय सफलता प्राप्त की है।
  • इसका प्रारम्भिक श्रेय स्वीडन को जाता है, जहाँ सर्वप्रथम इस संस्था की अवधारणा की कल्पना की गई थी।
  • सर्वप्रथम स्वीडन में वर्ष 1809 में ओम्बुड्समैन नामक अधिकारी की नियुक्ति की गई।
  • यह अधिकारी विधायिका की ओर से जनता की शिकायकों की सुनवाई करता है और उनका निराकरण करता है।
  • स्वीडन के बाद धीरे-धीरे ऑस्ट्रिया, डेनमार्क, अफ्रीका, एशिया, ऑस्टेªलिया, अमेरिका एवं पूरोप, के  कई देशों में भी ओम्बुड्समैनके कार्यालय स्थापित हुए।
  • फिनलैण्ड में वर्ष 1919 में, डेनमार्क में 1954 में, नार्वें में 1961 में व ब्रिदेन में 1967 में  भ्रष्टाचार समाप्त करने के उद्देश्य से  ओम्बुड्समैन की स्थापना की गई।
  • अलग-अलग देशों में इसे अलग-अलग नाम से जाना जाता है, जैसे ब्रिटेन, डेनमार्क एवं न्यूजीलैण्ड में पार्लियामेंट्री कमिश्नर, फ्रास में प्रशासनिक न्यायालय, भारत में  लोकपाल आदि।

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