रानी अहिल्याबाई होल्कर के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी
अहिल्याबाई का जन्म 31 मई 1725 को चोंडी, अहमदनगर
(महाराष्ट्र) में हुआ था। उनके पिता, मानकोजी राव शिंदे, गाँव के मुखिया थे।
उनका विवाह वर्ष 1733 में खांडेराव
होलकर से हुआ था, जो मल्हार राव
होलकर के पुत्र थे। मल्हार राव होलकर मालवा के शासक और होलकर वंश के संस्थापक थे।
वर्ष 1745 में कुम्हेर
किले की घेराबंदी में खांडेराव की मृत्यु के बाद अहिल्याबाई विधवा हो गईं।
मल्हार राव होल्कर ने
अहिल्याबाई को सती होने से रोका और उन्हें सैन्य एवं प्रशासनिक मामलों में
प्रशिक्षित किया।
वर्ष 1766 में मल्हार राव
होलकर और वर्ष 1767 में उनके पुत्र
मालेराव होलकर की मृत्यु के बाद, अहिल्याबाई होलकर ने मालवा की बागडोर संभाली और वर्ष 1767 में इंदौर की
शासिका बनीं।
उन्होंने तुकोजी राव
होल्कर को सेनापति नियुक्त किया और मध्य प्रदेश में महेश्वर को होल्कर राजवंश की
राजधानी बनाया।
अहिल्याबाई होलकर ने सोमनाथ और काशी विश्वनाथ मंदिरों का पुनर्निर्माण
कराया, जिससे भगवान शिव
के प्रमुख ज्योतिर्लिंगों की पुनर्स्थापना हुई। उन्होंने खुशाली राम, मराठी कवि
मोरोपंत और शाहीर अनंतफंदी जैसे विद्वानों को संरक्षण दिया।
उन्होंने महिला शिक्षा, विधवा पुनर्विवाह
को बढ़ावा दिया और सती प्रथा जैसी प्रथाओं का विरोध किया, साथ ही भील, गोंड जनजातियों
तथा निम्न जातियों का उत्थान किया।
उन्होंने महेश्वर और
इंदौर को प्रमुख व्यापार केंद्र बनाया, माहेश्वरी बुनाई उद्योग को बढ़ावा दिया और माहेश्वरी
साड़ियों को पूरे भारत में प्रसिद्ध बनाया तथा अब इसे भौगोलिक संकेतक (GI) टैग के साथ
पंजीकृत किया गया है।
Post a Comment