उत्सर्जी उत्पाद एवं उनका निष्कासन | Excretory Product in Hindi

 उत्सर्जी उत्पाद एवं उनका निष्कासन  (Excretory Product in Hindi)

उत्सर्जी उत्पाद एवं उनका निष्कासन | Excretory Product in Hindi

उत्सर्जी उत्पाद एवं उनका निष्कासन परिचय (Introduction) 

  • जीवों के शरीर में मुख्यतः दो प्रकार की क्रियाएँ होती हैं जिनमें से कुछ क्रियाएँ ऐसी हैं जिनमें शरीर के लिये आवश्यक उपयोगी पदार्थों का संश्लेषण किया जाता है, इन क्रियाओं को उपचय (Anabolism) कहते हैं, जबकि दूसरी क्रियाएँ ऐसी हैं, जिनके द्वारा कुछ पदार्थों का विघटन, शरीर के उपयोग के लिये किया जाता है, इन क्रियाओं को अपचय (Catabolism) कहते हैं। इन दोनों ही क्रियाओं को एक साथ उपापचय (Metabolism) कहा जाता है। 
  • जीवों के शरीर में इन उपापचयी क्रियाओं के कारण कार्बन डाइऑक्साइड, जल, अमोनिया इत्यादि कुछ ऐसे पदार्थ भी बनते हैं जो शरीर में एक निश्चित मात्रा से अधिक हो जाने पर हानिकारक प्रभाव डालते हैं। इन पदार्थों को उत्सर्जी या अपशिष्ट या वर्ज्य पदार्थ (Excretory or Waste substances) कहते हैं। चूँकि ये पदार्थ शरीर के लिये हानिकारक होते हैं, इसलिये इन्हें शरीर से बाहर निकालना अत्यंत आवश्यक होता है। इन वर्ज्य पदार्थों को शरीर की कोशिकाओं या ऊतकों से अलग करके शरीर से बाहर निकालने की क्रिया को उत्सर्जन कहते हैं। इस क्रिया में शरीर के कुछ अंग भाग लेते हैं, इन अंगों को उत्सर्जी अंग (Excretory organs) तथा उत्सर्जन से सम्बन्धित सभी अंगों को एक साथ उत्सर्जी तंत्र (Excretory system) कहते हैं। 


  • उत्सर्जी अंग शरीर में अकार्बनिक आयनों की सान्द्रता तथा जल की मात्रा पर भी नियंत्रण रखते हैं। इस को परासरण नियंत्रण (Osmoregulation) कहते हैं। यदि किसी कारणवश उत्सर्जी अंग शरीर के उपापचयी वर्ज्य पदार्थों को शरीर से बाहर नहीं निकाल पाते तो ये पदार्थ शरीर के ऊतकों में एकत्रित होते जाते हैं तथा शरीर को विभिन्न प्रकार से हानि पहुँचाते हैं।

 

उत्सर्जन का महत्त्व (Significance of Excretion) 

1. इस क्रिया के द्वारा शरीर की उपापचयी क्रियाओं में बने उत्सर्जी पदार्थों को शरीर से बाहर निकाला जाता है। 

2. यह शारीरिक साम्य (Homeostasis) को बनाये रखता है । 

3. इसके कारण शरीर में विभिन्न प्रकार के उत्सर्जी पदार्थों की सान्द्रता नियंत्रित होती है।

4. उत्सर्जन के द्वारा ही शारीरिक द्रवों का परासरण दाब (O.P.) एवं pH नियंत्रित रहता है। 

5. इसके द्वारा शारीरिक द्रवों का अम्ल-क्षार सन्तुलन स्थापित रहता है।

 

उत्सर्जी पदार्थों के प्रकार (Types of Excretory Substances) 

जीवों के शरीर में उपापचयी क्रियाओं के कारण कई उत्सर्जी पदार्थ बनते हैं, जिन्हें उनके निर्माण के ढंग तथा प्रकृति के आधार पर दो वर्गों में बाँटते हैं-

 

1. श्वसन उत्पाद (Respiratory product)

  • इस समूह में श्वसन क्रिया के फलस्वरूप बने उत्सर्जी पदार्थ अर्थात् CO2 और जल आते हैं। CO2 को सभी जन्तु श्वसन की क्रिया के ही द्वारा सतह से विसरण द्वारा निकाल देते हैं जबकि जल, मूत्र या पसीने के रूप में कुछ और उत्सर्जी पदार्थों के साथ बाहर किया जाता है। पदार्थों को शरीर से बाहर किया जाता है । 

 

2 नाइट्रोजन युक्त उत्सर्जी पदार्थ (Nitrogen containing waste products) – 

  • इस समूह में वे पदार्थ आते हैं जिनमें नाइट्रोजन पायी जाती है। ये पदार्थ प्रोटीन के जलीय अपघटन के कारण बने अमीनो अम्लों के ऑक्सीकरण के फलस्वरूप बनी अमोनिया के रूपान्तरण के कारण पैदा होते हैं। निम्न श्रेणी के जीवों में इस अमोनिया को सीधे शरीर के बाहर निकाल दिया जाता है जबकि विकसित जन्तुओं में इसे यूरिया या यूरिक अम्ल के रूप में शरीर से बाहर निकाला जाता है। इन जीवों में पहले अमोनिया को, जो कि हमारे ऊतकों के लिये बहुत अधिक विषाक्त है, अपेक्षाकृत कम विषाक्त पदार्थ यूरिया और यूरिक अम्लों में बदला जाता है, इसके बाद इन्हें जल के साथ मूत्र के रूप में उत्सर्जी तन्त्र के द्वारा शरीर से बाहर कर दिया जाता है अर्थात् उत्सर्जन तन्त्र के द्वारा मुख्यत: नाइट्रोजन युक्त पदार्थों को ही पानी के साथ शरीर से बाहर निकाला जाता है।

 

  • उपरोक्त क्रियाओं के कारण कुछ उत्सर्जी पदार्थ, जैसे-हिप्यूरिक (Hippuric) अम्ल, आर्निथ्यूरिक (Ornithuric) अम्ल, क्रिएटिन (Creatine), जैन्थिन (Xanthin), ग्वानीन (Guanin), थायमीन (Thymine), भी अल्प मात्रा में बनते हैं जिन्हें सामान्य विसरण या मूत्र के रूप में शरीर से बाहर निकाला जाता है।

 

कशेरुकी जन्तुओं के विभिन्न नाइट्रोजनी वर्ज्य पदार्थ 

स्तनी -यूरिया 

मेढक -यूरिया 

अस्थिय मछलियाँ -अमोनिया

पक्षी -यूरिक अम्ल

सरीसृप -यूरिक अम्ल

छिपकली एवं साँप  -यूरिक अम्ल

कछुआ एलीगेटर्स -अमोनिया

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