अंतरराष्ट्रीय योग दिवस 2023 :थीम (विषय) इतिहास उद्देश्य महत्व | International Yoga Day 2023 Theme History Importance

 

अंतरराष्ट्रीय योग दिवस 2023 :थीम (विषय) इतिहास उद्देश्य महत्व 

 (International Yoga Day 2023 : Theme History Importance)

अंतरराष्ट्रीय योग दिवस 2023 :थीम (विषय) इतिहास उद्देश्य महत्व | International Yoga Day 2023  Theme History Importance






अंतरराष्ट्रीय योग दिवस 2023 :थीम (विषय) इतिहास उद्देश्य महत्व 


भारत में योगाभ्यास की परंपरा तकरीबन 5000 साल पुरानी है। योग को शरीर और आत्मा के बीच सामंजस्य का अद्भुत विज्ञान माना जाता है। इस प्राचीन पद्धति के बारे में जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से हर साल 21 जून को इंटरनेशनल योग दिवस मनाया जाता है। जिसकी पहल भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 27 सितम्बर 2014 को संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपने भाषण से की थी जिसमें उन्होंने कहा:-
योग भारत की प्राचीन परंपरा का एक अमूल्य उपहार है यह दिमाग और शरीर की एकता का प्रतीक हैमनुष्य और प्रकृति के बीच सामंजस्य हैविचारसंयम और पूर्ति प्रदान करने वाला है तथा स्वास्थ्य और भलाई के लिए एक समग्र दृष्टिकोण को भी प्रदान करने वाला है। यह व्यायाम के बारे में नहीं हैलेकिन अपने भीतर एकता की भावनादुनिया और प्रकृति की खोज के विषय में है। हमारी बदलती जीवन- शैली में यह चेतना बनकरहमें जलवायु परिवर्तन से निपटने में मदद कर सकता है। तो आयें एक अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस को गोद लेने की दिशा में काम करते हैं।"                                                   
                                                                                   —नरेंद्र मोदीसंयुक्त राष्ट्र महासभा।
  • 11 दिसंबर 2014 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 21 जून को विश्व योग दिवस या अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मनाए जाने की घोषणा की। भारत के इस प्रस्ताव के समर्थन में संयुक्त राष्ट्र के 177 सदस्यों द्वारा सहमति व्यक्त की गयी । प्रधानमंत्री श्री मोदी ने इस प्रस्ताव को 90 दिन के अंदर पूर्ण बहुमत से पारित करवाया जो संयुक्त राष्ट्र संघ के इतिहास में किसी दिवस प्रस्ताव के लिए सबसे कम समय है।

  • प्रथम बार 2015 में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस दुनिया भर में मनाया गया था इसके बाद हर साल योग दिवस व्यापक पैमाने पर पूरे विश्व में  मनाया  जाता है।

  • पूरे विश्व  के लोगों के बीच योग के फायदों के बारे में  जानकारी पहुंचाने के लिये योग प्रशिक्षण कैंपसयोग प्रतियोगिता जैसे क्रिया.कलाप के साथ अन्य और भी बहुत सारी गतिविधियों का आयोजन  किया अंतरराष्ट्रीय स्तर पर किया जाता है। ताकि लोगों तक यह जानकारी पहुंचे किनियमित योग अभ्यास बेहतर मानसिकशारीरिक और बौद्धिक स्वास्थ्य  पर बहुत अच्छा प्रभाव पड़ता है। ये सकारात्मक रुप से लोगों की जीवनशैली को बदलता है और सेहत के स्तर को बढ़ाता है।

 

अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 21 जून को ही क्यों मनाया जाता है?


  • 21 जून को  उत्तरी गोलार्ध में साल का सबसे लंबा दिन होता है। इस दिन सूर्य जल्दी उगता है और सबसे देर में सूर्यास्त होता है। इसके अलावा भारत में 21 जून ग्रीष्मकालीन संक्रांति का दिन भी होता है।


विश्व योग दिवस मनाने का उद्देश्य

  • योग के अद्भुत और प्राकृतिक फायदों  की जानकारी लोगों  तक पहुंचाना। 
  • योग अभ्यास के द्वारा लोगों को प्रकृति से जोड़ना।
  • योग के द्वारा ध्यान की आदत  का विकास करना।
  • विश्व भर में स्वास्थ्य संबधि चुनौतीपूर्ण बीमारियों की दर को योग के माध्यम से घटाना।
  • व्यस्त दिनचर्या  के बीच एक दिन निकालकर स्वास्थ्य के जरिये समुदायों को और करीब लाना।
  • वृद्धिविकास और शांति को पूरे विश्वभर में फैलाना।
  • योग के द्वारा तनाव से राहत दिलाना एवं तनाव में फसे लोगों की मदद करना।
  • योग के द्वारा लोगों के बीच वैश्विक समन्वय को मजबूत करना।
  • लोगों को शारीरिक और मानसिक बीमारियों के प्रति जागरुक बनाना और योग के माध्यम से इसका समाधन उपलब्ध कराना।
  • नियमित योग के अभ्यास के माध्यम से समस्त स्वास्थ्य चुनौतीयों से पार पाना।
  • योग अभ्यास के द्वारा लोगों के बेहतर मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को प्रचारित करना।

अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 2023 की थीम (विषय)

" इस वर्ष योग दिवस की theme है – Yoga For Vasudhaiva Kutumbakam यानि ‘एक विश्व-एक परिवार’ के रूप में सबके कल्याण के लिए योग |

यह योग की उस भावना को व्यक्त करता है, जो सबको जोड़ने वाली और साथ लेकर चलने वाली है |

  • अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 2022 की थीम (विषय) 

  •  'मानवता के लिए योग'  “Yoga for Humanity”

अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 2021 (International Yoga Day 2021)

  • ‘योगा फॉर वेलनेस’ ("Yoga for well-ness") अर्थात ‘स्वास्थ्य के लिए योग’ है। 



योग का इतिहास


योग दस हजार साल से भी अधिक समय से प्रचलन में है। ऋग्वेद में योग का उल्लेख है। सिन्धु.सरस्वती सभ्यता से प्राप्त पशुपति मुहर ;सिक्काजिस पर योग मुद्रा में विराजमान एक आकृति है, प्राचीन काल में योग की व्यापकता को दर्शाती है। बृहदअरण्यक उपनिषद में भीयोग के विभिन्न शारीरिक अभ्यासों का उल्लेख मिलता है। छांदोग्य उपनिषद में प्रत्याहार का तो बृहदअरण्यक के एक स्तवन ;वेद मंत्रमें प्राणायाम के अभ्यास का उल्लेख मिलता है। संभवतः कठोपनिषद में योग के वर्तमान स्वरूप के बारे में प्रथम उल्लेख प्राप्त होता है।
संवादयोग याज्ञवल्क्य में बाबा याज्ञवल्क्य और शिष्य ब्रह्मवादी गार्गी के बीच कई साँस लेने सम्बन्धी व्यायामशरीर की सफाई के लिए आसन और ध्यान का उल्लेख है। गार्गी द्वारा छांदोग्य उपनिषद में भी योगासन के बारे में बात की गई है।
अथर्ववेद में शारीरिक आसन जोकि योगासन के रूप में विकसित हो सकता है पर बल दिया गया हैयहाँ तक कि संहिताओं में उल्लेखित है कि प्राचीन काल में मुनियोंमहात्माओंविभिन्न साधु और संतों द्वारा कठोर शारीरिक आचरणध्यान व तपस्या का अभ्यास किया जाता था।
योग धीरे-धीरे एक अवधारणा के रूप में उभरा है और भगवद गीता के साथ साथमहाभारत के शांतिपर्व में भी योग का एक विस्तृत उल्लेख मिलता है।
बीस से भी अधिक उपनिषद और योग वशिष्ठ उपलब्ध हैंजिनमें महाभारत और भगवद गीता से भी पहले से हीयोग के बारे में सर्वोच्च चेतना के साथ मन का मिलन होना कहा गया है।
पतंजलि का लेखन भी अष्टांग योग के लिए आधार बन गया। जैन धर्म की पांच प्रतिज्ञा और बौद्ध धर्म के योगाचार की जडें पतंजलि योगसूत्र मे निहित हैं।
                  " योग: चित्त-वृत्ति निरोध: "- योग सूत्र 1.2

मध्यकालीन युग में हठ योग का विकास हुआ।
पतंजलि को योग के पिता के रूप में माना जाता है और उनके योग सूत्र पूरी तरह योग के ज्ञान के लिए समर्पित रहे हैं।


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