संगठनात्मक विकास अर्थ परिभाषायें उद्देश्य प्रक्रिया |Organizational Development Process

संगठनात्मक विकास अर्थ परिभाषायें उद्देश्य प्रक्रिया

संगठनात्मक विकास अर्थ परिभाषायें उद्देश्य प्रक्रिया |Organizational Development Process


संगठनात्मक विकास (Organizational Development): 

हमारा वातावरणजीवन परिवेशसंगठनात्मक व्यवहारहमारी संस्कृति आदि निरंतर प्रवाहशील हैं। व्यवस्थितएकीकृत एवं नियोजित परिवर्तन के द्वारा किसी संगठन को प्रभावशाली बनाया जा सकता है। संगठनात्मक विकास व्यक्तियों को परिवर्तन के लिये तैयार करने तथा परिवर्तन का प्रबंध करने की प्रक्रिया है । यह व्यक्तियों की अभिवृतियोंमूल्योंव्यवहार एवं संगठन की संरचना तथा नीति में समग्र परिवर्तन लाने की क्रिया है । संगठनात्मक विकास शब्दावली का प्रवर्तन करने का श्रेय रोबेर्ट ब्लेकहेर्बेर्ट शेफर्ड और जेनी माउटन को जाता है।

 

1 संगठनात्मक विकास की परिभाषायें 

(Definitions of Organizational Development): 

गोर्डन लिपिट: 

संगठन विकास संगठन में उन मानवीय प्रक्रियाओं को सुदृढ़ करता है जो संगठित प्रणाली की कार्य शीलता में वृद्धि करती है ताकि इसके लक्ष्य की प्राप्ति की जा सके ।

 

वारेन॰जी॰बैनिस:

संगठन विकास परिवर्तन का प्रत्युत्तर हैएक जटिल शैक्षिक रण नीति है जिसका उद्देश्य संगठन के विश्वासोंअभिवृत्तियोंमूल्यों एवं संरचना में परिवर्तन करना है ताकि वे नयी प्रोद्योगिकीचुनौतियों तथा स्वयं परिवर्तन की तीव्र गति के साथ अपने को ढाल सकें ।

 

रिचर्ड बेकहार्ड: 

संगठन विकास वह प्रयास है जो नियोजितसंगठन विस्तृत तथा उच्च स्तर से प्रतिबंधित है तथा जो व्यवहारवादी विज्ञान के ज्ञान का उपयोग करते हुये संगठन की प्रक्रियाओं में नियोजित हस्तक्षेप के जरिये संगठन की प्रभावशीलता और स्वास्थ्य में वृद्धि करता है।

 

उपर्युक्त परिभाषाओं से यह स्पष्ट है संगठन विकास नियोजित परिवर्तन एवं व्यवहारवादी शिक्षण की एक दीर्घकालीन एवं संगठन व्यापी प्रक्रिया है जिसके अंतर्गत संगठन की तकनीकी व मानवीय प्रक्रियाओंमूल्योंसंस्कृति एवं संरचनाओं में परिवर्तन लाकर संगठन क्षमता प्रभावशीलतागत्यात्मकता और परिपक्वता वृद्धि की जाती है।

 

संगठनात्मक विकास के उद्देश्य 

(Objectives of Organizational Development ): संगठनात्मक विकास के निम्नांकित उद्देश्य होते हैं :

 

• संगठनात्मक सदस्यों के बीच व्यक्तिगत उत्साहसंतुष्टि तथा समर्थन को बढ़ाना। 

• सभी दिशाओं में खुले संचार को बढ़ाना 

• अधिक प्रभावी कार्य समूहों का विकास करना । 

• सुव्यवस्थित ढंग से समस्या समाधान एवं संघर्षों के समाधान हेतु अंतर्वैयक्तिक सक्षमता में सुधार लाना । 

• समग्र संगठनात्मक वातावरण में सुधार लाना

 

संगठनात्मक विकास की प्रक्रिया 

(Process of Organizational Development) : 

संगठनात्मक विकास एक जटिल प्रक्रिया है जो कई वर्षों तक चलती है। अमेरिका के वृहद् उपक्रम जेनेरल मोटर्स द्वारा अपनाई गयी प्रकिया का वर्णन इस प्रकार है-

 

● जानकारी ( Awareness): 

संगठन के विकास के प्रथम चरण में कई बातों की जानकारी की जाती है - जैसे - संगठनात्मक समस्याएंसंगठन के विकास का स्तरमानवीय सन्तुष्टिमानवीय संसाधनों का उपयोग आदि।

 

• स्वीकृति (Acceptance): 

इस चरण में संगठन की प्रकृतिसंगठनात्मक प्रबंध के वैकल्पिक तरीकों तथा मानवीय एवं संगठनात्मक सम्भावनाओं की गहराई एवं विस्तार को स्वीकार किया जाता है।

 

• कार्य के लिये तत्परता एवं वचनबद्धता (Readiness and Commitment): 

परिवर्तन प्रक्रिया के लिये संगठन के सदस्यों में तत्परता एवं वचनबद्धता उत्पन्न की जाती है।

 

• निदान एवं खोज ( Diagnosis and Search): 

इस चरण में यह जाना जाता है की समस्या के वास्तविक कारण क्या हैंसंगठन का निष्पादन कैसा होना चाहिएसंगठन के लक्ष्यों एवं आवश्यकताओं के अनुरूप सुधार की व्यूह रचना क्या होनी चाहिये।

 

• नये व्यवहार की क्रियान्वति (Application of New Behaviour) :

 इस चरण में कार्य करने के नये तरीकों का प्रयोग करनेसंगठनात्मक प्रक्रियाओं में सुधार करने तथा लक्ष्यों व वैयक्तिक आवश्यकताओं में एक सुसंगति खोजने की दृष्टि से नये व्यवहार की क्रियान्वति की जाती है।

 

• सुधार का मापन (Measurement of Improvement ): 

इस चरण में नये व्यवहार के फलस्वरूप होने वाले परिवर्तनों का मापन किया जाता है।

 

• संस्थापन (Institutionalization): 

इस चरण में संगठन में मानव संशाधनप्रबंध के सिद्धान्तों तथा संगठन विकास की व्यूह रचनाओं एवं तकनीकों को संस्थापित एवं समाविष्ट किया जाता है।

 

स्व- पुनरारम्भ (Self Renewal): 

यह वह प्रणाली है जिसके द्वारा संगठन की समस्याओं की निरंतर जानकारी बनी रहती है ताकि समाधान के लिये संगठन विकास की प्रक्रिया पुनः आरंभ की जा सके। यह स्व नवीनीकरण की प्रक्रिया है जिसके द्वारा संगठन की निरंतरता को बनाये रखा जा सकता है।

 

उपर्युक्त विवरणों के आधार पर यह कहा जा सकता है कि संगठनात्मक विकास किसी संगठन को एक प्रणालीव्यवहार्य तथा वातावरण के साथ समायोज्य बनाने का प्रयास है ।

 

संगठन विकास की प्रक्रिया का रेखाचित्र

 

संगठन विकास की प्रक्रिया का रेखाचित्र

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