शैक्षिक प्रशासन का अर्थ विभिन्न प्रकार | Different Types of Educational Administration

शैक्षिक प्रशासन के विभिन्न प्रकार ( Different Types of Educational Administration)

Different Types of Educational Administration
 

शैक्षिक प्रशासन का अर्थ 

शैक्षिक प्रशासन का शाब्दिक अर्थ शिक्षा के वातावरण में प्रशासन के नियमों एवं सिद्धान्तों के उपयोग से है। 

वास्तव में प्रशासन शब्द लैटिन भाषा के मूल शब्द "minister" से लिया गया है जिसका मतलब होता है- सेवा (service) या वो कार्य जो दूसरों के कल्याण के लिये किया जाये। सरलतम शब्दों मेंप्रशासन एक चेतना पूर्ण ध्येय की प्राप्ति के लिये किया जाना वाला नियोजित कार्य है। लुथर के शब्दों में "प्रशासन का सम्बन्ध कार्यों को करवाने सेनिश्चित उद्देश्यों की प्राप्ति से है।" प्रत्येक संगठन के अंतर्गत कुछ निश्चित उद्देश्यों की प्राप्ति हेतु एकत्रित किये गये व्यक्तियों का समूह होता है। प्रशासन वह शक्ति है जो किसी पूर्व निर्धारित उद्देश्य की पूर्ति हेतु किसी संगठन का नेतृत्वपथ प्रदर्शन एवं निर्देशन करता है। यह एक उच्च स्तरीय प्रकार्य है जो किसी संगठन के उद्देश्य या नीतियों से संबंध रखता है। प्रशासन का प्रमुख विषय सत्ता या अधिकार माना जाता है। 

सत्ता या अधिकार किस बिन्दु पर आधारित है और उनका प्रयोग किस प्रकार किया जा रहा है इस आधार पर प्रशासन के दो प्रकार बताये गये हैं। इन दोनों का उल्लेख निम्नांकित है- 


केन्द्रीकरण (Centralization): 

यह वह व्यवस्था है जिसमें निर्णयन अधिकारों एवं दायित्वों को उच्च प्रशासक आपने पास सुरक्षित रख लेते हैं तथा निम्न स्तरों पर उनका प्रत्यायोजन नहीं करते हैं। उदाहरण के लियेयदि किसी विश्वविद्यालय में फीस बढ़ोतरी से संबंधित निर्णय सिर्फ उसके सीनेट के सदस्यों ही द्वारा लिया जाता है तब उसे केन्द्रीकरण कहा जायेगा। इसके लक्षण निम्नांकित हैं :

 

• निर्णय सत्ता उच्च स्तर पर केन्द्रीय बिन्दु पर पर संकेंद्रित होते हैं। 

• संस्था के सभी निर्णय उच्चाधिकारियों द्वारा लिये जाते हैं। 

• अधीनस्थ केवल आदेशानुसार कार्य करते हैंनिर्णय नहीं लेते हैं। 

• अधिकारों का प्रत्यायोजन बहुत कम किया जाता है। 

• सारे अधिकार उच्च प्रशासकों के पास सुरक्षित होते हैं।

 

विकेंद्रीकरण (Decentralization): 

यह वह व्यवस्था है जिसमें संगठन की छोटी से छोटी इकाई तकजहाँ तक कि व्यवहारिक हो निर्णयन अधिकारों एवं दायित्व का वितरण किया जाता है । उदहारण के लियेयदि किसी विश्वविद्यालय में परीक्षा प्रणाली में सुधार से संबंधित निर्णय में उसके शिक्षकों के अतिरिक्त अभिभावकोंसमाज के बुद्धिजीवी लोगोंनीति निर्माताओंविभिन्न संकायों के छात्र प्रतिनिधियों आदि का सुझाव लिया जाता है तब ऐसी व्यवस्था को विकेंद्रीकरण प्रशासन कहतें हैं। इसके लक्षण निम्नांकित हैं :

 

• यह संगठन में प्रत्येक स्तर सत्ता के व्यापक वितरण का परिणाम है। 

• इसमें अधीनस्थों की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। 

• यह प्रत्यायोजन का विकसित रूप है। 

• इसमें संगठन के निचले पदों तक अधिकाधिक मात्रा में निर्णय लिये जाते हैं जो अत्यंत महत्व के होते हैं। 

• उच्च प्रशासक आपने अधीनस्थों के निर्णयों का प्रतिदिन मूल्यांकन नहीं करते हैं वरन् यह मानते हैं कि निर्णय ठीक ही लिये गये होंगे।

 

परन्तु यह बात ध्यान देने योग्य है कि प्रत्येक संगठन में प्रशासन का स्वरुप केन्द्रीकृत और विकेन्द्रीकृत – दोनों होता है। पूर्ण विकेन्द्रीकरण किसी भी संगठन में संभव नहीं है क्योंकि इसका अर्थ संगठन पर कोई नियंत्रण नहीं वाली स्थिति होगी जो कि वास्तव में संभव नहीं है।

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