प्रादेशिक सेना स्थापना दिवस इतिहास उद्देश्य महत्व |Territorial Army Raising Day History Purpose Significance

प्रादेशिक सेना स्थापना दिवस इतिहास उद्देश्य महत्व

प्रादेशिक सेना स्थापना दिवस इतिहास उद्देश्य महत्व |Territorial Army Raising Day History Purpose Significance

प्रादेशिक सेना स्थापना दिवस इतिहास उद्देश्य महत्व 

  • 9 अक्तूबर, 2023 को 74वाँ ‘प्रादेशिक सेना स्थापना दिवस’ का आयोजन किया गया। प्रादेशिक सेना बल ने राष्ट्र निर्माण में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है और योग्यता हेतु नए बेंचमार्क स्थापित किये हैं। ‘सावधानी व शूरता’ भारतीय प्रादेशिक सेना का आदर्श वाक्य है। वर्ष 1920 में ‘प्रादेशिक सेना’ को ‘भारतीय प्रादेशिक अधिनियम-1920’ के माध्यम से ब्रिटिश सरकार द्वारा दो शाखाओं- भारतीय स्वयंसेवकों के लिये 'भारतीय प्रादेशिक बल' और यूरोपीय एवं एंग्लो-इंडियन के लिये 'सहायक बल' के रूप में स्थापित किया गया था। 


  • स्वतंत्रता प्रति के पश्चात् वर्ष 1948 में ‘प्रादेशिक सेना अधिनियम’ पारित किया गया। इसके पश्चात् वर्ष 1949 में भारत के पहले भारतीय गवर्नर-जनरल ‘सी राजगोपालाचारी’ ने औपचारिक रूप से 9 अक्तूबर, 1949 को प्रादेशिक सेना का शुभारंभ किया। नियमित सेना के एक हिस्से के रूप में ‘प्रादेशिक सेना’ (TA) की भूमिका प्राकृतिक आपदाओं से निपटने में नागरिक प्रशासन की सहायता करना, नियमित सेना को नागरिक दायित्वों से मुक्त करना और देश की सुरक्षा तथा समग्र समुदाय को प्रभावित करने वाली स्थितियों में आवश्यक सेवा का रखरखाव सुनिश्चित करना है। आवश्यकता पड़ने पर प्रादेशिक सेना नियमित सेना को सैन्य टुकड़ियाँ भी प्रदान करती है। प्रादेशिक सेना की विभिन्न इकाइयों ने उत्तर-पूर्व, जम्मू-कश्मीर और भारत की पश्चिमी एवं उत्तरी सीमाओं में सक्रिय सेवाएँ प्रदान की हैं। यह बल 29 जुलाई, 1987 से 24 मार्च, 1990 तक श्रीलंका में भारतीय शांति सेना (IPKF) का भी हिस्सा रहा।

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