गुरु अर्जुन देव के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी (तथ्य ) | Guru Arjun Dev Major Fact in Hindi

गुरु अर्जुन देव के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी (तथ्य )

गुरु अर्जुन देव के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी (तथ्य ) | Guru Arjun Dev Major Fact in Hindi

गुरु अर्जुन देव के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी 

सिख गुरुओं ने धर्म के नाम पर बलिदान होने की ऐसी मिसालें पेश की हैं, जो इतिहास के सुनहरे पन्नों पर और लोगों के दिलों पर अंकित हैं, लेकिन इनमें सिखों के 5वें गुरु अर्जुन देव का बलिदान सबसे महान माना जाता है, मानवता के उच्च आदर्शों और मानवीय मूल्यों की रक्षा के सिलसिले में किसी सिख द्वारा दी गई यह पहली शहादत मानी जाती है.

 
गुरु अर्जुन देव के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी (तथ्य )

  • अर्जुन देव जी का जन्म 15 अप्रैल1563 को गोइंदवाल साहिब में हुआ था. उनके पिता का नाम गुरु रामदास और माता का नाम बीवी भानी जी था. अर्जुन देव जी के नाना 'गुरु अमरदासऔर पिता 'गुरु रामदासक्रमशः सिखों के तीसरे और चौथे गुरु थे.

 

  • अर्जुन देव जी का पालन-पोषण गुरु अमरदास जी जैसे गुरु तथा बाबा बुड्डा जी जैसे महापुरुषों की देख-रेख में हुआ था. उन्होंने गुरु अमरदास जी से गुरमुखी की शिक्षा हासिल की थी, जबकि गोइंदवाल साहिब जी की धर्मशाला से देवनागरी, पंडित बेणी से संस्कृत तथा अपने मामा मोहरी जी से गणित की शिक्षा प्राप्त की थी. इसके अलावा उन्होंने अपने मामा मोहन जी से ध्यान लगाने की विधि सीखी थी. 

  • अर्जुन देव जी का विवाह 1579 ईस्वी में मात्र 16 वर्ष की आयु में जालंधर जिले के मौ साहिब गाँव में कृष्णचंद की बेटी माता "गंगा जी के साथ सम्पन्न हुई थी. उनके पुत्र का नाम हरगोविंद सिंह था, जो गुरु अर्जुन देव जी के बाद सिखों के छठे गुरु बने. 

  •  सिखों का प्रमुख त्योहार 'गुरु नानक गुरुपर्व' 

  • 1581 ईस्वी में सिखों के चौथे गुरु रामदास ने अर्जुन देव जी को अपने स्थान पर सिखों का 5वें गुरु के रूप में नियुक्त किया था. 
  • अर्जुन देव जी ने 1588 ईस्वी में गुरु रामदास द्वारा निर्मित अमृतसर तालाब के मध्य में हरमंदिर साहिब नामक गुरुद्वारे की नींव रखवाई थी, जिसे वर्तमान में स्वर्ण मंदिर के नाम से जाना जाता है. इस गुरुद्वारे की नींव लाहौर के एक सूफी संत साई मियां मीर जी से रखवाई गई। थी. लगभग 400 वर्ष पुराने इस गुरुद्वारे का नक्शा खुद गुरु अर्जुन देव जी ने तैयार किया था.

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