परम्परागत और आधुनिक राजनीति विज्ञान में अन्तर |Difference between traditional and modern political science

परम्परागत और आधुनिक राजनीति विज्ञान में अन्तर

परम्परागत और आधुनिक राजनीति विज्ञान में अन्तर |Difference between traditional and modern political science


परम्परागत और आधुनिक राजनीति विज्ञान में अन्तर

राजनीति विज्ञान की परिभाषा और क्षेत्र के सम्बन्ध में परम्परागत दृष्टिकोण का प्रतिपादन ब्लंटश्लीगैरिससीलेगार्नरलास्की आदि विद्वानों द्वारा किया गया है। आधुनिक दृष्टिकोण के प्रमुख प्रतिपादक हैं- डेविडईस्टनरॉबर्ट डहलजी00जी0 केटलिनमैक्स वेबर और एच0डी0 लासवेल आदि। राजनीति विज्ञान की परिभाषाप्रकृति और क्षेत्र के सम्बन्ध में परम्परागत दृष्टिकोण व आधुनिक दृष्टिकोण की तुलना निम्नांकित बिन्दुओं के आधार पर की जा सकती है

 

1. परम्परागत दृष्टिकोण राजनीतिक संस्थाओं-

राज्यसरकार आदि के अध्ययन पर विशेष बल देता है लेकिन आधुनिक दृष्टिकोण व्यक्तियों के व्यवहार के अध्ययन को सर्वाधिक प्रमुखता देता है। इस रूप में आधुनिक राजनीतिक अध्ययन में मानव के मनोवेगोंइच्छाओंप्रेरणाओं और आकांक्षाओं का अध्ययन किया जाता है।

 

2. परम्परागत दृष्टिकोण ने स्वयं को केवल राजनीतिक क्रियाओं और प्रतिक्रियाओं तक ही सीमित रखा है लेकिन आधुनिक दृष्टिकोण इस बात पर बल देता है कि व्यक्ति के राजनीतिक जीवन को सामाजिक जीवन के सन्दर्भ में ही उचित रूप से समझा जा सकता है। अतः राजनीतिक अध्ययन में अन्तर- अनुशासनात्मक दृष्टिकोण को अपनाया जाना चाहिए।

 

3. परम्परागत दृष्टिकोण मूल्यों से युक्त तथा मूल्यों पर आधारित है अतः उसमें व्यक्तिनिष्ठता का आ जाना स्वाभाविक है लेकिन आधुनिक दृष्टिकोण का उद्देश्य राजनीति विज्ञान में लगभग पदार्थ विज्ञानों की सीमा तक वस्तुनिष्ठता लाना हैअतः इसमें मूल्य-मुक्त दृष्टिकोण अपनाने का प्रयास किया गया है। किन्तु इसके रूचिकर परिणाम न निकलने के कारण आज यह विचार मान्य हो गया है कि राजनीतिक अध्ययन मूल्य सापेक्ष होना चाहिए लेकिन उसे वैज्ञानिकता प्रदान करने का प्रयास नहीं किया जाना चाहिए।

 

4. परम्परागत दृष्टिकोण में राजनीति विज्ञान के आदर्शात्मक पक्ष पर बल दिया गया हैजबकि आधुनिक दृष्टिकोण आदर्शवादी पक्ष के स्थान पर यथार्थवादी पक्ष पर अधिक बल देता है।

 

5.परम्परागत दृष्टिकोण राजनीतिक संस्थाओं के अध्ययन पर बल देता है जिससे यह औपचारिक अध्ययन बनकर रह गया हैजबकि आधुनिक दृष्टिकोण राजनीतिक संस्थाओं की अपेक्षा उन साधनों तथा प्रक्रियाओं को अधिक महत्व देता है जिनके आधार पर राजनीतिक संस्थाएँ कार्य करती हैं। इसी कारण आधुनिक राजनीतिक अध्ययनों में एक वास्तविकता आ गयी है।

 

6.परम्परागत दृष्टिकोण राजनीति विज्ञान के अध्ययन के लिए परम्परागतऐतिहासिकतुलनात्मक और दार्शनिक पद्धतियों का प्रयोग करते हैं लेकिन आधुनिक दृष्टिकोण मे मनोवैज्ञानिक प्रयोग एवं पर्यवेक्षक की पद्धतियों तथा सांख्यिकी और नमूना सर्वेक्षण आदि पद्धतियों का प्रयोग किया जाता है।

 

7. परम्परागत दृष्टिकोण अनुमानसम्भावनाओं और कल्पनाओं पर आधारित है जिससे उसके निष्कर्षों में प्रामाणिकता व निश्चयात्मकता का अभाव होता है लेकिन आधुनिक दृष्टिकोण ठोस तथ्यों पर आधारित होने के कारण निष्कर्षों की निश्चयात्मकता तथा प्रामाणिकता की खोज में हैं। यह सामान्यीकरणों को जन्म देने या सामान्य सिद्धान्तों का प्रतिपादन करने के प्रयास में संलग्न है।

 

संक्षेप मेंआधुनिक राजनीति विज्ञान और परम्परागत राजनीति विज्ञान में उपर्युक्त विभिन्नताओं के बाद भी ये दोनों एक-दूसरे के विरोधी नहीं हैं। आधुनिक राजनीति विज्ञान ने इसे विसतार प्रदान कर अधिक से अधिक वैज्ञानिक बनाने का प्रयत्न किया है।

No comments:

Post a Comment

Powered by Blogger.