अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष और भारत |अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष का गठन उद्देश्य | IMF Works and Aim in Hindi

अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष और भारत

अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष और भारत |अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष का गठन उद्देश्य | IMF Works and Aim in Hindi


 

अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष और भारत

उत्तर- एक अन्तर्राष्ट्रीय मौद्रिक संगठन के रूप में अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की स्थापना 27 दिसम्बर, 1945 को वेटनवुड सम्मेलन निर्णयानुसार की गई थीलेकिन इसने वास्तविक रूप में 1 मार्च, 1947 से कार्य प्रारम्भ किया था। दिसम्बर 2002 तक अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष में 188 सदस्य देश हैं। जुलाई 2002 में पूर्वी तिमोर नया सदस्य बना। रोड्रियो राटो के स्थान पर फ्रांस . के डोमनिकस्ट्रांस काहन क्रिस्टीना लगार्ड (फ्रांस की वित्तमंत्री) को अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष का प्रबन्ध निर्देशक चुना गया था।

 

अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के उद्देश्य 

अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के समझौता अनुच्छेदों के अनुसार इसके प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित हैं

 

1. अन्तर्राष्ट्रीय मौद्रिक सहयोग को प्रोत्साहित करना । 

2. अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार का सन्तुलित विकास करना । 

3. विनिमय दरों में स्थिरता बनाए रखना। 

4. बहुपक्षीय भुगतानों की व्यवस्था स्थापित करके विनिमय प्रतिबंधों को समाप्त करना अथवा कम करना ।

5. सदस्य देशों के प्रतिकूल भुगतान सन्तुलन को ठीक करने के लिए आर्थिक सहायता प्रदान करना । 

6. असन्तुलन की मात्रा एवं अवधि में कमी करना ।

 

अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष का गठन 

अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष का नियंत्रण एवं प्रबंध एक बोर्ड ऑफ गवर्नर्स में निहित है। प्रत्येक सदस्य देश एक गवर्नर को मनोनीत करता हैजिन्हें मिलाकर बोर्ड ऑफ गवर्नर्स का गठन होता है। प्रत्येक गवर्नर को कितना मताधिकार प्राप्त होयह उसके देश के प्राप्त कोटा के आधार पर निर्भर करता है। प्रत्येक गवर्नर के 250 मत सदस्यता का तथा उसके देश को प्राप्त कोटे में प्रत्येक एक लाख एस. डी. आर. पर एक अतिरिक्त मत देने का अधिकार है। इन दोनों के योग से सदस्य राष्ट्र का मताधिकार का मूल्य निर्धारित होता है।

 

अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष और भारत 

भारत का IMF से घनिष्ठ संबंध रहा है। उसकी नीति निर्माण एवं संचालन में भारत निरन्तर योगदान देता रहा है। वित्त मंत्री अन्तर्राष्ट्रीय मुद्राकोष का पदेन गवर्नर होता है। 1970 तक भारत अधिकतम अभ्यासों वाले प्रथम पाँच देशों में से थालेकिन अब भारत का 11वाँ स्थान है। भारत का मौजूदा कोटा कोष के कुल 212 अरब SDR में से 2.44% शेयर इसे मिले हुए हैं। 

इस प्रकार अन्तर्राष्ट्रीय मौद्रिक सहयोग को प्रोत्साहित तथा अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार को सन्तुलित करने वाली यह संस्था विश्व स्तर पर प्रासंगिक है।

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