दारा शिकोह (1615-59) शाहजहाँ के सबसे बड़े पुत्र थे। उन्हें
इतिहासकारों द्वारा एक ‘उदार मुस्लिम’ के रूप में वर्णित किया
जाता है, जिन्होंने हिंदू और
इस्लामी परंपराओं के बीच समानताएँ खोजने की कोशिश की।
दारा शिकोह ने भारत में अंतर-धार्मिक समझ के लिये
अकादमिक आंदोलन के अग्रणी के रूप में जाना जाता है। उन्हें प्रमुख धर्मों, विशेष रूप से इस्लाम और
हिंदू धर्म की गहरी समझ व ज्ञान था।
अपने भाई औरंगज़ेब की
तुलना में दारा शिकोह का झुकाव सैन्य गतिविधियों के विपरीत दर्शन और रहस्यवाद की
ओर अधिक था.
वर्ष 1655 में उनके पिता शाहजहाँ ने उन्हें युवराज घोषित कर दिया, लेकिन शाहजहाँ के बीमार
पड़ने के बाद वर्ष 1657 में उनके छोटे भाई
औरंगज़ेब ने उन्हें हरा दिया।
औरंगज़ेब ने 30 अगस्त, 1659 को 44 वर्ष की आयु में दारा शिकोह की हत्या कर दी।
दारा शिकोह द्वारा किये गए कार्य
हिंदू धर्म और इस्लाम के बीच संबंध:
उनकी सबसे महत्त्वपूर्ण
रचनाएँ- ‘मजमा-उल-बहरीन’ (दो महासागरों का मिलन) और
‘सिर-ए-अकबर’ (महान रहस्य), हिंदू धर्म तथा इस्लाम के
बीच संबंध स्थापित करने के लिये समर्पित हैं।
भारतीय संस्कृति का प्रचार
उन्होंने संस्कृत और
फारसी में दक्षता हासिल की तथा भारतीय संस्कृति एवं हिंदू धार्मिक विचारों को
लोकप्रिय बनाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा की।
उन्होंने उपनिषदों और
हिंदू धर्म तथा आध्यात्मिकता के अन्य महत्त्वपूर्ण स्रोतों का संस्कृत से फारसी
में अनुवाद किया। इन अनुवादों के माध्यम से उन्होंने हिंदू संस्कृति और आध्यात्मिक
परंपराओं को यूरोप एवं पश्चिमी देशों तक पहुँचाया।
भारत की बौद्धिक और धार्मिक विरासत में उनका
उत्कृष्ट योगदान है।
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