जॉन डीवी शिक्षाशास्त्री का जीवन-वृत्त (जीवन परिचय)| जॉन डीवी की शिक्षा-सम्बन्धी रचनायें| John DV Ka Jeevan Parichay

जॉन डीवी शिक्षाशास्त्री का जीवन-वृत्त (जीवन परिचय)  ( John DV Ka Jeevan Parichay)

जॉन डीवी शिक्षाशास्त्री का जीवन-वृत्त (जीवन परिचय)| जॉन डीवी की शिक्षा-सम्बन्धी रचनायें|  John DV Ka Jeevan Parichay


जॉन डीवी कौन थे उनकी जानकारी 

प्रयोजनवादी शिक्षाशास्त्री जॉन डीवी अमेरिका के सर्वाधिक प्रभावशाली दार्शनिक रहे हैं। उन्होंने न केवल दर्शन के विभिन्न पक्षों पर महत्वपूर्ण कार्य किया वरन् शिक्षा एवं मनोविज्ञान जैसे विषयों के अध्ययन को व्यापक रूप से प्रभावित किया। सत्तर वर्षों तक एक आधिकारिक विद्वान के रूप में क्रियाशील रहते हुए लगभग पचास ग्रन्थों की रचना की तथा आठ सौ से भी अधिक सारगर्भित लेख लिखे। इन कार्यों को विश्व की सभी प्रमुख भाषाओं में प्रकाशित किया गया है। उनके कार्यों ने अध्यापकों की कई पीढ़ियों को प्रगतिशील शिक्षा को अपनाने हेतु प्रेरित किया । विश्व की वर्तमान शिक्षा व्यवस्था पर डीवी का सर्वाधिक व्यापक प्रभाव है . 

जॉन डीवी शिक्षाशास्त्री का जीवन-वृत्त (जीवन परिचय)

  • जॉन डीवी का जन्म 1859 में संयुक्त राज्य अमेरिका में बर्लिंगटन (वर्मोन्ट) में हुआ था । विद्यालयी शिक्षा बर्लिंगटन के सरकारी विद्यालयों में हुआ। इसके उपरांत उन्होंने वर्मोन्ट विश्वविद्यालय में अध्ययन किया। जॉन हापकिन्स विश्वविद्यालय से उन्हें पी-एच०डी० की उपाधि मिली। इसके उपरांत उन्होंने मिनीसोटा विश्वविद्यालय (1888-89), मिशीगन विश्वविद्यालय (1889–94), शिकागो विश्वविद्यालय (1894-1904 ) में दर्शनशास्त्र पढ़ाया। 1904 में वे कोलम्बिया में दर्शनशास्त्र के प्रोफेसर नियुक्त हुए और तीस वर्षों तक वे इस पद पर रहें।

 

  • जीवन के प्रथम बीस वर्षों में वर्मोन्ट में जॉन डीवी ने ग्रामीण सादगी को ग्रहण किया जो प्रसिद्धि के उपरांत भी उनके व्यक्तित्व का हिस्सा बना रहा। अगले बीस वर्षों में उन्होंने मध्य पश्चिम अमेरिका का अनुभव प्राप्त किया। वह अमेरिका की शक्तियों एवं सीमाओं से परिचित हुए। जब उन्होंने दर्शन लिखना प्रारम्भ किया तो वे किसी एक प्रान्त के न होकर सम्पूर्ण अमेरिका के थे।

 

  • शिकागो के 'स्कूल ऑफ एडुकेशन' में उनके कार्यों ने लोगो का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया। इन्हीं वर्षों में उन्होंने अपने कार्यों में प्रयोगवादी झुकाव दिखाया जो 1952 में उनकी मृत्यु के समय तक बना रहा। उनका मस्तिष्क अंत तक शिक्षा में किसी भी नये प्रयोग के लिए खुला रहा। स्कूल्स ऑफ टूमॉरो' में उनकी रूचि अंत तक बनी रही।

 

  • डीवी की महानतम रचना डेमोक्रेसी एण्ड एडुकेशन (1916) है जिसमें उन्होंने अपने दर्शन के विभिन्न पक्षों को एक केन्द्र बिन्दु तक पहुँचाया तथा उन सबका एकमात्र उद्देश्य उन्होंने 'बेहतर पीढ़ी का निर्माण करना' रखा है । प्रत्येक प्रगतिशील अध्यापक ने उनका बौद्धिक नेतृत्व स्वीकार किया। अमेरिका का शायद ही कोई विद्यालय हो जो डीवी के विचारो से प्रभावित न हुआ हो । उनका कार्यक्षेत्र वस्तुतः सम्पूर्ण विश्व था। 1919 में उन्होंने जापान का दौरा किया तथा अगले दो वर्ष (मई 1919 से जुलाई 1921 ) चीन में बिताये - जहाँ वे अध्यापकों एवं छात्रों को शिक्षा में सुधार हेतु लगातार सम्बोधित करते रहे। में उन्होंने तुर्की की सरकार को राष्ट्रीय विद्यालयों के पुनर्गठन हेतु महत्वपूर्ण सुझाव दिया। इस प्रकार सम्पूर्ण विश्व में प्रगतिशील शिक्षा आन्दोलन को चलाने में डीवी की भूमिका महत्वपूर्ण रही।

 

जॉन डीवी की शिक्षा-सम्बन्धी रचनायें

 

जॉन डीवी ने बड़ी संख्या में पुस्तकों, शोध पत्रों एवं निबन्धों की रचना की। उनके अनेक कार्य दर्शन से सम्बन्धित है। निम्नलिखित ग्रन्थ शिक्षा से सम्बन्धित है

 

  • 1899 -दि स्कूल एण्ड सोसाइटी 
  • 1902 दि चाइल्ड एण्ड दि क्यूरीकुलम 
  • 1910 हाउ वी थिन्क 
  • 1913 इन्ट्रेस्ट एण्ड एफट इन एडुकेशन 
  • 1915 स्कूल्स ऑफ टूमॉरो
  • 1916 डेमोक्रेसी एण्ड एडुकेशन
  •  1922 ह्यूमन नेचर एण्ड कन्डक्ट 
  • 1925 इक्सपीरियन्स एण्ड नेचर 
  • 1929 दि क्वेस्ट फॉर सर्टेन्टि स्टडी ऑफ रिलेशन ऑफ नॉलेज एण्ड एक्शन 
  • 1929 सोर्सेज ऑफ साइन्स एडुकेशन

 

डीवी की इन रचनाओं का पूरे विश्व की शिक्षा पर व्यापक प्रभाव पड़ा. 

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