1919 ई. की संधि की खामियाँ द्वितीय विश्व युद्ध के लिए कहाँ तक उत्तरदायी थीं? | MPPSC 2018 PAPER-01 Question Answer

1919 ई. की संधि की खामियाँ द्वितीय विश्व युद्ध के लिए कहाँ तक उत्तरदायी थीं?

1919 ई. की संधि की खामियाँ द्वितीय विश्व युद्ध के लिए कहाँ तक उत्तरदायी थीं? | MPPSC 2018 PAPER-01 Question Answer


 

1919 ई. की संधि की खामियाँ द्वितीय विश्व युद्ध के लिए कहाँ तक उत्तरदायी थीं?

MPPSC 2018 PAPER-01

उत्तर- 

प्रथम विश्व युद्ध सन् 1918 में खत्म हुआ और 21 वर्षों बाद 1 सितंबर 1939 को हिटलर के नेतृत्व में जर्मनी ने पोलैण्ड पर आक्रमण किया व इसी तिथि को IInd world war यूरोप में आरंभ हो गया। द्वितीय विश्व युद्ध यूरोप से निकलकर यूरोप व अफ्रीका महाद्वीप में फैल गया। करीब 4 वर्षों तक निरंतर चलने वाला यह युद्ध साढ़े चार वर्ष बाद 1945 में खत्म हुआ। यह अत्यंत भयानक व विनाशकारी युद्ध था। Ist world war से यह कई मामलों में ज्यादा व्यापक था। जैसे- विस्तार क्षेत्रआधुनिक हथियारों के प्रयोग में युद्ध में सम्मिलित राष्ट्रों की संख्या की दृष्टि से और IInd world war के परिणाम भी 1st world war ज्यादा विध्वंसकारी और व्यापक थे। जैसे इस युद्ध में करोड़ों लोग मारे गएअरबों की सम्पत्ति नष्ट हुई। शक्ति का केंद्रीयकरण अमेरिका व रूस के पास चला गया। अनेक देश साम्राज्यवाद व उपनिवेशवाद से लिप्त हुए आदि । प्रथम विश्वयुद्ध के बाद भविष्य में ऐसे प्रलयकारी युद्धों को रोकने के लिए वैश्विक नेताओं ने अनेक प्रयत्न किए। जैसे अमेरिकी राष्ट्रपति कुरो विल्सन ने वैश्विक शांति के लिए 14 सिद्धांत दिए तथा विश्व में शांति व सहयोग स्थापित करने के लिए राष्ट्रसंघ जैसे अंतर्राष्ट्रीय संगठनों का निर्माण भी किया गया लेकिन फिर भी विश्व को दोबारा एक विनाशकारी विध्वंसकारी युद्ध का सामना करना पड़ा। इस भयानक युद्ध को द्वितीय युद्ध नाम दिया गया।

 

कारण- 1 

सितंबर 1939 को हिटलर युद्ध का तात्कालिक कारण थालेकिन द्वितीय विश्व युद्ध के बीज प्रथम युद्ध की समाप्ति के साथ ही बो दिए गए थे। ऐसे अनेक कारण व परिस्थितियों भीजिनके कारण द्वितीय विश्व युद्ध आरंभ हुआ।

 

1. वारसा की संधि : 

  • प्रथम विश्व युद्ध समाप्ति के बाद वारसा की संधि हुई। इसमें मित्र राष्ट्रों ने पराजित राज्यों को युद्ध के लिए जिम्मेवार माना था जर्मनी के साथ संधि की जिसे वरसा की अपमानजनक या आरोपित संधि कहा गया। इस संधि से जर्मनी को पूरी तरह से कमजोर कर दिया गया। उससे एक बड़ा भौगोलिक क्षेत्र छीन लिया गया। इस पर आर्थिक प्रतिबंध लगा दिया गयाउसकी सैन्य व्यवस्था को खत्म कर दिया गया। इसी आरोपित संधि से जर्मनी की जनता में आक्रोश उत्पन्न हो गया और हिटलर के कारण जर्मनी में नाजीवाद का उदय हुआ। जर्मनी को जनता अपने खोए हुए गौरव को पुनः पाना चाहती थीइसके लिए उन्होंने हिटलर को उपयुक्त माना। इसी प्रकार इस संधि से इटली को भी कुछ नहीं मिलाजबकि वह मित्र राष्ट्रों की ओर से लाभ ( उपनिवेश) प्राप्ति के लिए लड़ा था। स्वयं को छला महसूस किया और यहाँ मुसोलिनी के नेतृत्व में फासीवाद का उदय हुआ। इस प्रकार वरसा की संधि मात्र 20 वर्षों के लिए रही। क्योंकि 1919 में वरसा की संधि हुई व 20 वर्षों बाद IInd world war प्रारंभ हुआ।

 

2. राष्ट्रसंघ की अकर्मण्यता / विफलता- 

प्रथम विश्व युद्ध के बाद 1919 में विश्व शांति के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना हुईलेकिन इस पर केवल विजेता राष्ट्रों का ही प्रभाव रहापराजित राज्यों को इसका सदस्य नहीं बनाया गया। आगे चलकर राष्ट्र संघ युद्धों व आक्रमणों को रोकने में असफल रहा। 

  • जैसे मुसोलिनी द्वारा यूथोपिया पर आक्रमणजापान द्वारा चीन के मंचुरिया पर आक्रमणइन दोनों आक्रमणों को रोकने में यह असफल रहा। हिटलर व मुसोलिनी दोनों राष्ट्रसंघ के निर्णयों की लगातार अवहेलना करते रहे लेकिन राष्ट्र संघ कुछ नहीं कर पाया। इस प्रकार एक विश्व स्तरीय शांति संगठन की अकर्मण्यता भी द्वितीय विश्व युद्ध का कारण बनी।

 

3. उग्र राष्ट्रवाद 

  • प्रथम विश्व युद्ध के बाद नस्लीय - श्रेष्ठता को चुनौती मिली। इटलीजर्मनीजापान आदि में विजित राष्ट्रों के विरुद्ध उग्र राष्ट्रवाद का उदय हुआ। जर्मनी वृहद जर्मन की स्थापना पर जोर देने लगा और इसके लिए वह पोलैण्ड व ऑस्ट्रेलिया से कुछ क्षेत्र प्राप्त करना चाहता था तथा फ्रांस से कुछ पुनः अल्पेस लारेंस छीनना चाहता था। मुसोलिनी भी प्राचीन रोम सभ्यता का बखान करने लगा। जापान में भी इस वक्त सैन्यवाद तथा उग्र राष्ट्रवाद भड़का। जापान का उग्र सैन्यवाद जापानी नस्ल को सर्वश्रेष्ठ बनाकर उन्हें युद्ध की प्रेरणा देने लगा। इस उग्र राष्ट्रवाद के कारण अन्तर्राष्ट्रीय शांति को धक्का लगा व यूरोप में युद्ध का माहौल बना।

 

4. ब्रिटेन व फ्रांस की तुष्टिकरण की नीति- 

  • ब्रिटेन व फ्रांस दोनों साम्यवादिता के प्रबल विरोधी थे और वे रूस की शक्ति को रोकना चाहते थे। इस कारण हिटलर के उचित अनुचित कार्यों का अप्रत्यक्ष से समर्थन करते थे। इसी प्रकार ब्रिटेन के लिए जर्मनी आर्थिक रूप महत्व रखता था। ब्रिटेन में निर्मित वस्तुएँ जर्मनी में बड़ी मात्रा में खप जाती थीं। ब्रिटेन चाहता था कि जर्मनी मजबूत बने व फ्रांस कमजोर इसी प्रकार ब्रिटेन में भूमध्य सागर में आर्थिक हित जुड़े थे। जैसे भूमध्यसागर के रास्ते ही वह अफ्रीका महाद्वीप में अपनी साम्राज्यवाद व आर्थिक गतिविधियों को संचालित करता था। इस कारण भूमध्यसागर में वह कोई शत्रु नहीं चाहता था । 

  • साथ ही वह मुसोलिनी की विस्तारवादी नीति का विरोध नहीं करता थाजब हिटलर ने चेकोस्लोवाकिया से सडटेन लैण्ड छीन लिया तो जर्मनीब्रिटेनफ्रांस ने समझौते के अंतर्गत हिटलर के इस कार्य को वैधता प्रदान की। इस प्रकार ब्रिटेन की स्वार्थ व तृष्टिकरण पूर्ण नीति हिटलर मुसोलिनी के कर्तव्यों को वैधता प्रदान करती रही और इसी तुष्टिकरण की नीति के कारण हिटलर इतना आगे बढ़ गया कि उसने IInd world war आरंभ कर दिया।

 

5. वैश्विक आर्थिक मंदी तथा मूल्यवृद्धि- 

  • प्रथम युद्ध के बाद यूरोप की अर्थव्यवस्था जर्जर हो गई थी। विश्व यूरोप में आवश्यक वस्तुओं के मूल्यों में वृद्धि होने लगी। मुद्राओं के मूल्यों में गिरावट आई जिससे आर्थिक असमानता की स्थिति उत्पन्न हुई। मुद्राओं के मूल्यों में भारी गिरावट के परिणामस्वरूप विभिन्न क्षेत्रों में लोगों को काम मिलना बंद हुए और उनका जीवन स्तर गिरने लगा। विशेषकर जर्मनी और इटली में हालात व्यापक रूप से विद्यमान हुए। इसके लिए हिटलर ने जर्मनी की गणतंत्रीय सरकार को जिम्मेदार माना और साथ ही साथ इसके लिए फ्रांस और इंग्लैंड को भी दोषी बताया। हिटलर और मुसोलिनी ने जनता के समक्ष यह अवधारणा रखी कि युद्ध के माध्यम से ही देश की आर्थिक स्थिति को सुधारा जा सकता है व सम्मान वापस पाया जा सकता है। इस प्रकार वैश्विक आर्थिक मंदीआवश्यक सामग्रियों के मूल्यों में अत्यधिक वृद्धि के कारण द्वितीय विश्व युद्ध की पृष्ठभूमि तैयार हुई।

 

6. निःशस्त्रीकरण की विफलता व शस्त्रीकरण की होड़- 

1st world war के बाद हैग व हेरिस नामक स्थानों पर अंतर्राष्ट्रीय निःशस्त्रीकरण सम्मेलन आयोजित किए गए और इन सम्मेलनों में शस्त्रों के निर्माण व विकास पर रोक व नियंत्रण लगाने की बात की गईलेकिन केवल पराजित राष्ट्रों विशेषकर जर्मनी पर ही लगाई गई। अन्य राष्ट्रों में शस्त्रीकरण खूब बढ़ा व शस्त्रों की इस अनुचित होड़ में यूरोप को बारूद का ढेर बना दिया और हिटलर ने पोलैण्ड पर आक्रमण कर इस ढेर में अग्नि डाल दी।

 

7. रोम - बार्लिन - टोक्यो धुरी का गठन- 

हिटलर व मुसोलिनी दोनों तानाशाह व सैन्यवाद में विश्वास रखते थेदोनों के विचार भी समरूप थे। सन् 1936 में दोनों देशों ने संधि कीजिसे रोम-बर्लिन संधि कहा गया। जापान भी एशिया में विशेषकर रूस व चीन के प्रभाव को कम करना चाहता था। सन् 1905 में जापान द्वारा रूस को पराजित करने के बाद जापान के सैन्य नेतृत्व में यह अवधारणा और भी प्रबल हो गई। सन् 1939 में जापान भी रोम बर्लिन धुरी में जा मिला व इसका नाम रोम बर्लिनटोक्यो धुरी बन गया। यह धुरी युद्ध नीति में विश्वास रखती थी। इस धुरी ने एशिया व यूरोप में युद्धों का सिलसिला आरंभ कर दिया |

 

द्वितीय विश्व युद्ध का तात्कालिक कारण- 

हिटलर ने रूस से एक गुप्त संधि कर ली। इस संधि के अनुसार जर्मनी पोलैण्ड पर आक्रमण करेगा और पोलैण्ड को जर्मनी श्व रूस के बीच बाँट लिया जाएगा। इसी के संदर्भ में हिटलर ने 1 सितम्बर 1939 को पोलैण्ड पर आक्रमण कर दिया व उस पर कब्जा कर लिया। फ्रांस व ब्रिटेन ने जर्मनी को ऐसा करने से रोकालेकिन जर्मनी ने पोलैण्ड पर कब्जा बरकरार रखा। इसके बाद रूस ने फिनलैण्ड पर आक्रमण किया और उस पर कब्जा किया। तत्पश्चात् जर्मनी ने नार्वे व डेनमार्क पर आक्रमण कर इसे प्राप्त कर लिया। इसके बाद जर्मनी व इटली की संयुक्त सेनाओं ने पुर्तगाल व स्पेन पर अपना अधिकार जमा लिया। तत्पश्चात् जर्मन हिटलर के नेतृत्व में फ्रांस की ओर बढ़ा तथा पेरिस पर कब्जा किया। इसी प्रकार जर्मन सेनाओं ने ईरानइराक व सीरिया में ब्रिटिश सेना को पराजित किया। इसके बाद जर्मनी ने रूस पर आक्रमण किया। रूस के अनेक स्थानों पर पराजय मिली किन्तु लेनिनगार्ड युद्ध में जर्मन सेना हारी व रूस से बाहर होना पड़ा।

 

तत्पश्चात् जर्मनी ने ब्रिटेन पर हवाई हमले किए। जवाब स्वरूप ब्रिटेन ने भी जर्मनी के शहरों पर हवाई हमले किए। दूसरी ओर सन् 1941 में जापान में सिंगापुरमलेशियाबर्मा पर आक्रमण किए और गलती से पर्ल हार्बर के जहाज को नष्ट कर दिया। इस जहाज में अधिकांश अमेरिकी थे। इस घटना से रुष्ट होकर अमेरिका द्वितीय विश्वयुद्ध में मित्र राष्ट्रों की ओर से शामिल हुआ। फ्रांसअमेरिका और इंग्लैंड की में संयुक्त सेनाओं ने पराजित प्रदेशों की सेना को जीतना आरंभ ड किया। हार देखते हुए इटली की जनता ने मुसोलिनी की हत्या कर दी। सन् 1945 में हिटलर ने स्वयं को गोली मारकर व अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली।

 

6 अगस्त 1945 व 9 अगस्त 1945 को अमेरिका ने  हिरोशिमा व नागासाकी पर परमाणु बम गिरा दिए। 14 अगस्त को जापान ने आत्म समर्पण कर दिया व इसी दिन IInd word war समाप्त हो गया। 

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