समाचारों का वर्गीकरण| समाचार कितने प्रकार होते हैं |Classification of news

समाचारों का वर्गीकरण (समाचार कितने प्रकार होते हैं)

समाचारों का वर्गीकरण| समाचार कितने प्रकार होते हैं |Classification of news

समाचारों का वर्गीकरण (समाचार कितने प्रकार होते हैं)

समाचारों का वर्गीकरण एक अत्यंत ही कठिन कार्य है क्योंकि तो समाचारों का क्षेत्र सुनिश्चित है और ही उनकी प्रकृति। ये दोनों ही वैविध्यपरक है। फिर सुविधा के लिए समाचारों का निम्नलिखित वर्गीकरण किया जाता है

  • i. स्वरूप पर आधारित समाचार
  • ii. आकार पर आधारित समाचार 
  • iii. स्थल पर आधारित समाचार
  • iv. माध्यम पर आधारित समाचार
  • v. काल पर आधारित समाचार
  • vi. विषय पर आधारित समाचार


1. स्वरूप पर आधारित समाचार


स्वरूप पर आधारित समाचार को दो भागों में विभक्त किया गया है

i. सीधा समाचार और
ii. व्याख्यात्मक समाचार

सीधा समाचार 

  • सीधा समाचार उसे कहा जाता है जिसमें घटनाओं का तथ्यात्मक विवरण सरल और स्पष्ट ढंग से किया गया हो। इस प्रकार के समाचार में तथ्यों को तोड़ा-मरोड़ा जाता है और ही आरोप लगाने, सम्मति देने और निष्कर्ष निकालने का प्रयत्न होता है। बुलेटिन और फिलर को सीधे समाचार के उदाहरण में रखा जा सकता है।

व्याख्यात्मक समाचार 

  • व्याख्यात्मक समाचार उसे कहा जाता है जिसमें घटना का विवरण पूरी छानबीन करके दिया जाता है। इसमें पूर्वापर संबंध, परिवेश और परिणाम को लिखा जाता है ताकि पाठक को समाचार समझने में कठिनाई हो। व्याख्यात्मक समाचारों में लेख, फीचर, विश्लेषण या साक्षात्कार आधारित समाचारों को लिया जा सकता है।


2. घटना के महत्त्व पर आधारित समाचार


इस आधार पर समाचारों को विशिष्ट ओर व्यापी दो रूपों में बांटा गया है.

1. विशिष्ट समाचार और
ii. व्यापी समाचार

विशिष्ट समाचार

  • विशिष्ट समाचार वह है जिसमें किसी घटना के अचानक घटित हो जाने का उल्लेख होता है। इसे और स्पष्ट करते हुए श्री प्रेमनाथ चतुर्वेदी लिखते हैं कि 'विशिष्ट समाचार वे है जिनके बारे में पहले से कुछ मालूम नहीं होता। पर वे समाचार जब घटित हो जाते हैं तो उनका विशेष महत्व और प्रभाव होता है। वे समाचार गरमा-गरम और अद्यतन होते हैं। विशिष्ट समाचार अपने गुणों के कारण पृष्ठ पर मुख्य स्थान ग्रहण करते हैं। कभी-कभी तो वे इतने महत्त्व के होते हैं कि कम महत्त्व के समाचारों को बचाकर पृष्ठ का स्वरूप ही बदल देना पड़ता है। पूर्व निर्धारित अति महत्त्व के समाचार गौण रूप ले लेते हैं।' (समाचार-संपादन, पृ० 23) किसी नेता का निधन, किसी जहाज का दुर्घटनाग्रस्त हो जाना, किसी राज्यपाल या जिलाधिकारी का परिवर्तन आदि से जुड़े समाचार इस कोटि में आते हैं।

व्यापी समाचार 

  • व्यापी समाचार का क्षेत्र और दायरा बड़ा होता है और व्यापक जनसमुदाय इससे प्रभावित होता है। यह समाचार अपने महत्त्व और प्रभाव के कारण पृष्ठ पर आच्छादित प्रतीत होता है। श्री प्रेमनाथ चतुर्वेदी लिखते हैं कि यह भी संभव है कि व्यापी समाचार के खंडन-मंडन के लिए अन्य समाचार भी उसके अनुगामी का स्थान ग्रहण करते हों। व्यापी समाचार को स्थान भी विशेष मिलता है और उसका शीर्षक भी अधिक आकर्षक होता है। इस प्रकार के समाचार अपने में पूर्ण होते हैं।' (वही, पृ० 23) देशव्यापी हड़तालों की सूचना, राष्ट्र पर आक्रमण हो जाना या किसी बड़े नेता का निधन हो जाना व्यापी समाचारों के उदाहरणस्वरूप लिए जा सकते. 

3. स्थल पर आधारित समाचार


  • स्थल के आधार पर समाचार के ये प्रकार माने गए हैं (1) स्थानीय समाचार, ( 2 ) प्रांतीय समाचार, (3) राष्ट्रीय समाचार और (4) अंतर्राष्ट्रीय समाचार। उदाहरण के लिए यदि दिल्ली के एक इलाके मधु विहार की खबर स्थानीय समाचार होगी। उत्तराखंड के संबंध में समाचार प्रांतीय समाचार होगा। देश की राजनीति से संबंधित समाचार राष्ट्रीय समाचार होगा और चीन में आई बाढ़ से संबंधित समाचार अंतर्राष्ट्रीय समाचार होगा।

4. माध्यम पर आधारित समाचार


विभिन्न जनमाध्यम समाचारों का प्रकाशन प्रसारण करते हैं। इस भूमिका का निर्वाह परंपरागत जनमाध्यम भी करते हैं और आधुनिक माध्यम भी। इसीलिए इन समाचारों के प्रस्तुतीकरण में अंतर मिलता है क्योंकि प्रत्येक माध्यम की अपनी-अपनी विशेषताएं होती हैं जो उन्हें अन्य माध्यम से पृथक करती हैं। इन्हें निम्नलिखित वर्गों में बांटा जा सकता है.

() समाचारपत्र के लिए समाचार

() रेडियो समाचार,

() टेलीविजन समाचार,
() इंटरनेट समाचार।

  • वास्तव में माध्यम आधारित समाचार का विभाजन प्रस्तुति पर टिका है। इसीलिए एक में लिखित शब्द की सत्ता है तो रेडियो समाचार में लिखे हुए शब्द के उच्चरित रूप की। टेलीविजन समाचार में दृश्य और शब्द दोनों के समायोजन के साथ-साथ वाचन की महत्ता है और इंटरनेट समाचार में सामासिकता और तात्कालिकता की। ये गुण रेडियो और टेलीविजन समाचारों में भी पाए जाते हैं। यहां इन माध्यमों के समाचारो के उदाहरणो का एक-एक अंश द्रष्टव्य है

समाचारपत्र के लिए समाचार


आस्ट्रेलिया ने तीसरी बार विश्व कप जीता फाइनल में भारत को 125 रन से हराया

जोहांसबर्ग, 23 मार्च (एजेंसियां) भारत ने टूर्नामेंट में शुरुआती सदमों से उबर कर बेहतरीन वापसी करते हुए 20 साल बाद क्रिकेट विश्व कप वापस पाने का जो सपना देखा था वह आज यहाँ फाइनल मैच में आस्ट्रेलिया के पराक्रम के सामने दम तोड़ गया। मैच की शुरुआत से अंत तक आस्ट्रेलिया का संकल्प और पराक्रम देखने लायक था। उन्होंने बल्लेबाजी, गेंदबाजी और क्षेत्ररक्षण तीनों में ही भारत को ध्वस्त करते हुए 125 रनों से जीत दर्ज कर तीन विश्व कप जीतने का रिकार्ड बना लिया। (साभार, राष्ट्रीय सहारा, 24 मार्च, 2003)

रेडियो समाचार (25 मार्च, 2003)

प्रारंभ आकाशवाणी से प्रस्तुत है समाचार प्रभाग (संगीत) है

समाचार वाचिका का स्वर

मुख्य समाचार या समाचार शीर्षक चौबीस कश्मीरी पंडितों की हत्या के बाद स्थिति की समीक्षा के लिए उपप्रधानमंत्री आज जम्मू-कश्मीर जा रहे हैं।

इराक में अमरीकी नेतृत्व में गठबंधन सेना ने फिर से बगदाद पर हवाई हमले किए हैं। उसे नजफनसीरिया, उम्म कस्त्र और बसरा में इराकी सेना से कड़ा संघर्ष करना पड़ रहा है।

अमरीका ने रूस पर इराक को सैनिक उपकरण बेचने का आरोप लगाया लेकिन रूस ने इनकार किया।

अरब देशों ने इराक के बारे में चर्चा के लिए सुरक्षा परिषद की आपात बैठक बुलाने की मांग की है और युद्ध जल्दी खत्म होने के आसार कम होने के साथ ही दुनियाभर के शेयर बाज़ार गिरे हैं।

टेलीविजन समाचार


रात में राष्ट्रीय नेटवर्क के लिए प्रसारित हुआ समाचार बुलेटिन संपादक- भूपेन्द्र केंथौला, वाचक - राहुल देव

सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या में यथास्थिति बनाए रखने के आदेश दिए गैर विवादित स्थल पर सांकेतिक पूजा की अनुमति नहीं

तेलुगुदेशम और तृणमूल कांग्रेस ने सांकेतिक पूजा के मसले पर एटार्नी जनरल के रवैये का विरोध किया।

सोली सोराबजी ने कहा, गैर विवादित भूमि पर सांकेतिक पूजा उनकी निजी व्याख्या थी। और की इजाजत देने संबंधी दलील

अदालत के फैसले को लागू करने के सरकार के फैसले को एनडीए ने सही ठहराया।

टेलीविज़न समाचार

नमस्कार अब समाचार विस्तार से सुप्रीम कोर्ट ने विश्व हिंदू परिषद को अयोध्या में 15 मार्च को सांकेतिक करते हुए पूजा की अनुमति नहीं दी है। आज अयोध्या मामले पर याचिकाओं की सुनवाई तीन जजों की खंडपीठ ने करीब डेढ़ घंटे की बहस के बाद यह भी आदेश दिया कि अयोध्या में यथास्थिति बनाए रखी जाएगी और कहा कि अधिग्रहित भूमि पर वास्तविक या सांकेतिक पूजा नहीं होनी चाहिए। उच्चतम न्यायालय के फैसले का और ब्यौरा दे रहे हैं हमारे संवाददाता शैलेश रंजन-होल्ड
(साभार उद्धृत, ओमकार चौधरी, टेलीविजन पत्रकारिता, पृ०-46)

इंटरनेट समाचार


जोधपुर।। काले हिरण के शिकार के मामले में जोधपुर की अदालत में सलमान खान को छोड़कर बाकी चारों आरोपियों के खिलाफ आरोप तय हो गए हैं। इन लोगों पर शिकार करने और शिकार के लिए उकसाने के आरोप तय किए गए हैं। सितारों ने अदालत में आरोप को नकारा है। अब इस मामले में अगली सुनवाई 27 अप्रैल को होगी। सलमान खान कोर्ट में पेश नहीं हुए, इसलिए उनके खिलाफ आरोप तय नहीं हुआ। (साभार, नवभारत टाइम्स डॉट इंडियाटाइम्स डॉट कॉम, 23 मार्च 2013)



5. काल पर आधारित समाचार


  • समाचारों का यह निर्धारण इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों को ध्यान में रखकर किया गया है। समाचारपत्र में कॉलम स्थान पर समाचार आधारित होते हैं। रेडियो और टेलीविजन में समय की अवधि प्रमुख होती है। रेडियो में यह अवधि 5 मिनट भी हो सकती है और 15 मिनट भी। टेलीविजन तथा चैनलों पर समाचार की अवधि 5 मिनट से लेकर 1 घंटा तक हो सकती है। डी० डी० न्यूज पर हिंदी समाचार रात्रि 8 से 9 और अंग्रेजी समाचार रात्रि 9 से 10 बजे तक आते हैं। 


6  विषय पर आधारित समाचार 


  • अब तक आप काल, माध्यम स्थल, घटना और स्वरूप आधारित समाचारों से परिचित हो चुके हैं। आइए अब आपको विषय पर आधारित समाचारों के बारे में विस्तार से समझाते हैं | समाचारों का यह वर्गीकरण विशेष महत्त्व रखता है क्योंकि जनसामान्य की रुचि विभिन्न विषयक समाचारों में रहती है। ये समाचार राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक, रक्षा संबंधी आदि किसी भी प्रकार के हो सकते हैं। इनका विवेचन इस प्रकार है-

i. राजनीतिक समाचार


  • राजनीति भारतीय जीवन का अहम अंग हो गई है और जनता ऐसे समाचारों में रुचि लेने लगी है। इन समाचारों में भारतीय लोकतंत्र के विभिन्न अंगों कार्यपालिका, न्यायपालिका और विधायिका का उल्लेख होता है। राष्ट्रपति के निर्णय, उनका कार्यकलाप, उनका अभिभाषण राजनीतिक समाचारों का बिंदु बनता है। चाहे अपराधियों को फाँसी की सजा से छूट देने का मामला हो या इन मसलों पर यथास्थिति बनाए रखने का मामला हो। लोगों की रुचि इन निर्णयों में रहती है। राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के मतभेद, प्रधानमंत्री और विभिन्न मंत्रियों के मतभेद ऐसे समाचारों का आधार बनते हैं।

  • संसद या विधानसभा (राज्य के संबंध में) की कार्यवाही जनता का आकर्षण का केंद्र बनती है। विभिन्न नेताओं का व्यवहार, भाषण शैली, विचार - दृष्टि, बहस, विरोध समर्थन आदि इन समाचारों को विशिष्ट बना देते हैं। अन्ना हजारे आंदोलन के दौरान नेताओं की भाषणबाजी और चालबाजियों को समाचारपत्रों ने अपना केंद्र बनाया था।

  • प्रधानमंत्री और मंत्रिपरिषद की जनविरोधी नीतियां और उपलब्धियां भी समाचारों के रूप में प्रकाशित-प्रसारित होती हैं जो सरकार के निर्णयों और लोकप्रियता को सामने लाते हैं। भारतीय लोकतंत्र के अभिन्न अंग न्यायपालिका की सूचनाएं भी महत्त्व रखती हैं। ऐसी सूचनाओं में न्यायाधीशों की विलंब से नियुक्ति, न्यायाधीशों के रिक्त पद भरा जाना, नेताओं को शीघ्र जमानत मिल जाना, राजनीतिक मामलों में लिप्त नेताओं के संबंध में देरी से निर्णय करना, जिनके पीछे किसी-किसी रूप में राजनीतिक स्वार्थ छिपा रहता है, इन समाचारों का आधार बन जाते हैं। स्पैक्ट्रम घोटाले, कॉमनवेल्थ घोटाले में लिप्त नेताओं पर न्यायपालिका के निर्णय इस संबंध में देखे जा सकते हैं।

  • विभिन्न राजनीतिक दलों का गठजोड़, विभिन्न राजनीतिक दलों का गठबंधन टूटना, उनकी आपसी खींचतान, आरोप-प्रत्यारोप और इनके बावजूद एक बने रहने की मजबूरी, राजनीतिक अपराधीकरण इन समाचारों में दिखाई देता है। प्रायः राजनीतिक दलों का लक्ष्य सत्तारूढ़ दल का विरोध करना रहता है, भले ही सरकार की नीति जनहित में हो, उनके नजरिए को भी ऐसे समाचार सामने लाते हैं। कभी-कभी छुटभैये नेता भी इन समाचारों में अपना स्थान बना लेते हैं। ऐसा वे अपने स्तर पर पत्रकार सम्मेलन बुलाकर करते है। विभिन्न दलों और नेताओं की आपसी अतःकलह भी इन समाचारों में जान डाल देती है। कई बार केंद्र सरकार और राज्य सरकारें चुनावों को सामने रखकर विभिन्न संशोधन करते हैं और छूट देते हैं ताकि जनता के वोटों को कैश किया जा सके। केंद्र सरकार संविधान में संशोधन करती है और अध्यादेश जारी करती है ताकि जनसामान्य पर प्रभाव पड़ सके और उन्हें लगे कि सरकार उनके लिए कुछ कर रही है। इन्हें इन समाचारों में उभारा जाता है।

ii. संसदीय समाचार


  • संसद देश की सबसे बड़ी सत्ता है जहां देशभर से चुने हुए जनप्रतिनिधि बैठते हैं और देश के बारे में अनेक निर्णय लेते हैं, नीतियां बनाते हैं, संविधान में संशोधन करते हैं। इसकी प्रत्येक गतिविधि समाचारों का आधार बनती है चाहे वह कोई मुद्दा हो, बहस हो, शेरो-शायरी हो, एक-दूसरे पर ली गई चुटकियां हों, आक्षेप हो और आक्षेप के बाद क्षमा याचना हो, पूरक प्रश्न हो या तारांकित/अतारांकित प्रश्न हों या शून्यकाल हो, बजट हो, विभिन्न प्रकार की रिपोर्ट हों। इन समाचारों की प्रकृति औपचारिकता से पूर्ण होती है और इन्हें अत्यंत गंभीरता के साथ लिखा और प्रकाशित किया जाता है। प्रायः वरिष्ठ संवाददाता को ऐसे समाचारों के संकलन और लेखन का कार्य दिया जाता है। इसीलिए इन समाचारों में नेताओं के उन्हीं शब्दों और वाक्यों को रखा जाता है जो वे सदन में बोलते हैं।

  • ऐसे समाचारों में पत्रकारों की विभिन्न सांसदों और मंत्रियों से की गई बातचीत भी रोचकता पैदा करती है। इन समाचारों का लेखन करने वाले संवाददाताओं को पहले ही दिन विशेष की कार्यसूची, तारांकित/अतारांकित प्रश्नों की सूचियां आदि उपलब्ध कराई जाती है ताकि संवाददाता को समाचार लेखन में कोई दिक्कत आए।

  • संसदीय समाचारों के प्रकाशन / प्रसारण में विशेष सावधानी भी आवश्यक है ताकि संसदीय विशेषाधिकार और अवमानना संबंधी कार्यवाही का सामना करना पड़े। इन समाचारों में गलत रिपोर्ट देना, गोपनीय सूचना को संकलित या प्रकाशित करना संवाददाता के लिए ठीक नहीं रहता। उसे संसदीय प्रक्रियाओं, परंपराओं और सिद्धांतों से अवगत होना चाहिए।

iii. रक्षा समाचार


  • ये समाचार राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े होते हैं। इन समाचारों का उद्देश्य देश की सुरक्षा, युद्ध आदि के बारे में संतुलित प्रस्तुति करना होता है। सैनिकों को दी जाने वाली सुविधाएं, बजट में उन्हें दी जा रही छूट, सेना के शस्त्र संबंधी उत्पादन और नवीन आविष्कारों से जुड़े बिंदु इन समाचारों में उभारे जाते हैं।

  • इन समाचारों के संबंध में संवाददाता को रक्षा क्षेत्र से जुड़े कर्मचारियों के पद, सैन्य टुकड़ी उसके पास उपलब्ध सैन्य संसाधन, सैनिकों की दैनिक दिनचर्या और क्रियाकलाप आदि को ध्यान में रखना चाहिए। उसके पास तुलनात्मक दृष्टि भी हो जो दो देशों की सैन्य-संसाधन सैन्य उपकरणों की तुलना कर सके, जैसे अक्सर भारत, पाकिस्तान और चीन की सैन्य क्षमता की तुलना संबंधी समाचार पत्रों में प्रकाशित होते हैं और लोगों को पता चलता है कि रक्षा संबंधी मामले में भिन्न-भिन्न देशों की क्या तैयारियां हैं? अभी हाल ही में अनेक समाचारपत्रों ने उत्तर कोरिया और दक्षिण कोरिया की सैन्य क्षमता के बारे में तुलनात्मक अध्ययन से परिपूर्ण समाचारों को प्रस्तुत किया है।

  • इन समाचारों का उद्देश्य देश में भय का वातावरण बनाना नहीं होना चाहिए बल्कि वास्तविक स्थिति का निरूपण होना चाहिए। एक पत्रकार को सीमा क्षेत्र पर भी जाना पड़ सकता है और वहां की स्थितियों से दो-चार होना पड़ सकता है, उन सबका विवरण ऐसे समाचारों के केंद्र में रहता है।

अपराध समाचार क्या हैउन पर एक टिप्पणी लिखिए।

iv. अपराध समाचार


  • अपराध समाचार एक बहुत बड़े पाठकवर्ग को लुभाते हैं चाहे वे समाचारपत्र में प्रकाशित हों या रेडियो और टेलीविजन पर प्रसारित हों। तुलसीदास ने लिखा है कि 'गुण दोषमय सब संसारा अर्थात् संसार में अच्छे लोग भी हैं और बुरे लोग भी। इसलिए अपराध भी होते हैं। क्रिचफील्ड ने कहा है कि 'अपराध समाचारों का संकलन और लेखन संवाददाता को अपनी प्रतिभा चमकाने का अवसर देता है।(उद्धृत, प्रो. विजय कुलश्रेष्ठ, समाचारपत्र माध्यमः स्वरूप एवं संरचना, पृ० 52) पूरे विश्व में अपराध रोकने के लिए कानून हैं लेकिन फिर भी अपराध होते हैं। इन अपराधों की सूचना देना ही अपराध समाचार के मूल में निहित है। दिल्ली में हुए गैंगरेप का समाचार अपराध समाचार ही है जिसने भारत ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में हलचल मचा दी।

  • अपराध समाचार को प्रकाशित करने और लेखन करने में अत्यंत सतर्कता और अनुभव की आवश्यकता रहती है क्योंकि सही और गलत का निर्णय करने की क्षमता की आवश्यकता पत्रकार/संवाददाता का पड़ती है। कई बार अपराध समाचार देने के साथ-साथ संवाददाता ट्रायल भी करने लगता है जो कि गलत है क्योंकि यह तो अदालत का काम है। अपराध समाचार का लेखन तब तक नहीं किया जाना चाहिए जब तक किसी अपराध के बारे में ठोस जानकारी नहीं मिल जाए। सार्वजनिक प्रमाणों से पुष्टि अवश्य होनी चाहिए।

  • एक अच्छे संवाददाता को इन समाचारों के लेखन से पूर्व दीवानी और फौजदारी कानूनों का भली-भांति ज्ञान भी रखना चाहिए। पराध समाचार लेखन करने वाले संवाददाता को अपराधों के प्रकार भी पता होने चाहिए। जैसे, हत्या (चाहे वह जानबूझकर की गई हो या भावनावश होकर की गई हो), आत्महत्या, अपहरण, किसी को गंभीर रूप से घायल करना, चोरी करना, डाका डालना, गबन करना, धोखाधड़ी करना, माल हड़पना, झूठी गवाही देना, आपराधिक षड्यंत्र करना, आग लगाना, न्यायिक प्रक्रिया में बाधा पहुंचाना, शांति भंग करना, जुआ, सार्वजनिक रूप से मद्यपान करना, यौन अपराध, नरबलि, दहेज मांगना, बाल-विवाह, प्रेम विवाह, वेश्यावृत्ति, दंगा-झगड़ा, लूटपाट आदि।

  • इन समाचारों में पक्षपात नहीं दिखना चाहिए। उसमें पीड़ित के प्रति संवेदना तो हो लेकिन आरोपी के प्रति दुराग्रह भी हो बल्कि दोनों पक्षों का विवेचन संतुलित हो कभी-कभी समाचार दे दिया जाता है लेकिन बाद में कहानी कुछ और निकलती है। इससे संवाददाता और समाचारपत्र दोनों की प्रतिष्ठा प्रभावित होती है। निजी रंजिश के उद्देश्य से भी समाचार नहीं बनाया जाना चाहिए। इन समाचारों में मीडिया - स्वायत्तता के नाम पर किसी व्यक्ति के निजी जीवन में झांकने और हस्तक्षेप करने की कोशिश नहीं होनी चाहिए। आपराधियों को महिमामंडित या हीरो सिद्ध करने की कोशिश भी नहीं होनी चाहिए। ऐसे समाचारों से उत्तेजना फैलती है और व्यवस्था में सुधार की बजाय अनेक लोग प्रेरणा लेकर अपराध करने लगते हैं और उसे सही मानने लगते हैं।

  • इन समाचारों में गलत जानकारी देने से किसी की भी मानहानि हो सकती है जो बाद में पत्र और पत्रकार दोनों के लिए खतरे का संकेत है। किसी मामले में पहले व्यक्ति आरोपी होता है, अपराधी नहीं, अपराधी तो आरोपी को अदालत तय करती है। आरोपी यदि प्रसिद्ध व्यक्ति है तब तो अत्यंत सावधानी की आवश्यकता है क्योंकि यह प्रतिष्ठा से जुड़ा प्रश्न है। अपराध समाचारों के लिए सामग्री प्रायः पुलिस से मिलती है जो पूरी तरह प्रामाणिक हो, जरूरी नहीं है, अतः उस जानकारी की गहरी छानबीन की अपेक्षा रहती है।

खेल समाचार


  • अत्यंत प्राचीन काल से लोगों की खेलों में रुचि रही है और आज भी यह स्थिति विद्यमान है। हाकी, क्रिकेट, फुटबाल, टेनिस, बैडमिंटन आदि विभिन्न खेलों में लोगों की दिलचस्पी देखते ही बनती है। कई खेलों की खबरें तो लोग जूनून की तरह पढ़ते हैं और देखते हैं। अतः इस क्षेत्र विशेष में समाचार लेखन किया जाता है।

  • खेल समाचारों के संबंध में यह आवश्यक है कि संवाददाता को विभिन्न खेलों, उनके नियमों, खिलाड़ियों, उनके नामों, कोचों, खेल संस्थाओं के बारे में व्यवस्थित जानकारी हो। कौन से खेल राष्ट्रीय स्तर के हैं और कौन से खेल अंतर्राष्ट्रीय स्तर के हैं, इसकी जानकारी भी होनी चाहिए। भारतीय, एशियन, ओलंपिक प्रतियोगिताओं से भी उसे परिचित होना चाहिए। तभी खेल समाचार लेखन सफल हो पाएगा और संवाददाता की पहचान बन पाएगी।

  • खेल समाचार में रोमांच का महत्वपूर्ण स्थान होता है लेकिन इसका यह अर्थ नहीं है कि तथ्यों को भुला ही दिया जाए या उनसे छेड़छाड़ की जाए। पाठक तथ्यों के साथ-साथ रोमांच की अनुभूति चाहता है इसीलिए खेल समाचार का प्रस्तुतीकरण दृश्य-रूपात्मक होना चाहिए। उसमें संवाददाता की कुशलता और सटीक शब्द चयन की क्षमता दिखाई देनी चाहिए। पाठक की रुचि इस बात में होती है कि किस खिलाड़ी ने मैदान में कब क्या किया? वह 'एक्शन' के बारे में जानने को उत्सुक होता है। अतः खेल समाचार में उसे ही प्रस्तुत करना चाहिए। साथ में रिकार्ड् संबंधी जानकारी देने से भी पाठक का आकर्षण समाचारपत्र की ओर होता है और वह समाचार पढ़ने को लालायित होता है।

  • खेल समाचारों में आंकडे भी देने चाहिए और दृष्टि भी तुलनात्मक होनी चाहिए। दोनों टीमों के खेल और दो या अनेक खिलाड़ियों के खेल की सटीक तुलना की जानी चाहिए। खेल के चरम बिंदु का उल्लेख समाचार को रोचक बना देता है। समाचार में संवाददाता की निरीक्षण शक्ति की झलक दिखाई देनी चाहिए। छोटी से छोटी जानकारी उसके लिए महत्त्व की हो सकती है। इसका उसे ध्यान रखना चाहिए। खेल समाचारों में तालिका का उल्लेख अवश्य करना चाहिए। इस पर दृष्टि डालते ही पाठक खेल का परिणाम समझ लेता है। यह क्रिकेट मैचों के लिए सर्वाधिक उपयोगी है। खेल समाचार का उदाहरण माध्यम पर आधारित समाचार' में देखा जा सकता है।

 साहित्यिक-सांस्कृतिक समाचार


  • साहित्यिक-सांस्कृतिक समाचार भी समाचारपत्रों का अंग बनते हैं। कभी-कभी किसी विशेष संवाददाता को इन समाचारों को तैयार करने का काम दिया जाता है। ऐसे समाचार समाज की साहित्यिक-सांस्कृतिक रुचि का परिचय देते हैं। इन समाचारों से यह ज्ञात होता है कि साहित्य की विभिन्न विधाओं - उपन्यास, कहानी, नाटक, निबंध, संस्मरण, रेखाचित्र, जीवनी, आत्मकथा, आलोचना आदि के क्षेत्र में क्या नया लेखन हो रहा है? विभिन्न समुदायों की सांस्कृतिक गतिविधियों, रीति-रिवाजों, आचार-विचारों से भी जनसामान्य अवगत होता है और नई-नई जानकारियों से अपने आपको लाभान्वित करता है। नृत्य, संगीत, कवि-सम्मेलन, मुशायरा, , रंगकर्म और रंगोत्सव की जानकारी इन समाचारों में रहती है। 'भारत रंग महोत्सव के संबंध में अक्सर समाचार प्रकाशित होते हैं। पुस्तक मेले की व्यापक सूचना इन समाचारों से ही मुखरित होती है, पुस्तको के विमोचन आदि को ये समाचार अपना विषय बनाते हैं।

  • विभिन्न साहित्यिक चर्चाएं, विवाद और बहसें इन समाचारों को रोचकता और नवीनता प्रदान करती हैं और पाठक को इनमें रस मिलता है। भिन्न-भिन्न पत्रिकाओं के नए अंकों की सूचना भी प्रदान की जाती है। वस्तुतः ये समाचार किसी समाज की साहित्य और संस्कृति के प्रति रुचि और रुझान को सामने लाते हैं।

vii. खोजी समाचार


  • खोजी समाचार में गलत कार्यों का भंडाफोड़ किया जाता है। यह व्यक्तिगत स्तर पर भी होता है और सार्वजनिक स्तर पर भी। ऐसे समाचारों में जनहित सर्वोपरि होता है। समाज को एक स्वस्थ दिशा और दृष्टि देना इन समाचारों का उद्देश्य होता है। इन समाचारों को पत्रकारिता की भाषा में स्कूप समाचार या एक्सक्लूसिव' के नाम से जाना जाता है। भागलपुर गंगाजल कांड, . आर० अंतुले का सीमेंट कांड आदि खोजी समाचार के उत्तम उदाहरण हैं।

खोजी समाचार के लिए एक पत्रकार में ज्ञान, योग्यता और अनुभव तीनों का समावेश होना चाहिए। उसे धैर्यवान, जिज्ञासु, शक्की और एकाग्रचित होना चाहिए। वह विशिष्ट की खोज करे लेकिन सामान्य व्यक्ति बनकर, तभी वह अपनी पहचान छिपा पाएगा और अपने लक्ष्य में सफल हो पाएगा।

  • खोजी समाचारों में विश्वसनीयता, स्पष्टता और शुद्धता एक महत्त्वपूर्ण बिंदु है। इसीलिए इन समाचारों में इन्हें बनाए रखने के लिए अनेक प्रकार से तथ्यों की पुष्टि करना आवश्यक है। समाचार अर्धसत्यों तथा झूठ पर टिका नहीं होना चाहिए। ऐसी स्थिति में समाचार गलत हो सकता है और समाचार गलत जाने पर जान का जोखिम भी रहता है। किसी को ब्लैकमेल करने या बदनाम करने के उद्देश्य से ये समाचार प्रकाशित नहीं किए जाने चाहिए। ये समाचार अभिलेखों, दस्तावेजों और साक्ष्यों की पूरी जांच-पड़ताल के बाद विश्लेषण करते हुए लिखे जाने चाहिए। इन समाचारों में तथ्यों को छिपाने का प्रयास नहीं होना चाहिए और विषय ऐसा हो जो यह साबित करे कि उसे जानना लोगों के लिए आवश्यक था।

  • खोजी समाचारों की प्रक्रिया के तीन चरण होते हैं (1) गड़बड़ी का स्थान निर्धारण, ( 2 ) - अन्वेषण और (3) संबंधित व्यक्तियों से संपर्क स्थापन। इन सभी प्रक्रियाओं में आने वाली रुकावटों को दूर करने की क्षमता भी पत्रकार में होनी चाहिए।

 सामाजिक समाचार


  • सामाजिक समाचारों में सामाजिक समस्याओं और विसंगतियों को उभारा जाता है। इन समाचारों में पारिवारिक कलह, दांपत्य जीवन का बिखराव, जातीय द्वेष, सामाजिक उत्पीड़न  संबंधी समाचारों को लिया जा सकता है। विभिन्न समाजों की गतिविधियां भी इनमें शामिल की जा सकती है। उनका नया दृष्टिकोण, नई पहल पर समाचार बन सकते हैं।

अदालती समाचार


  • न्यायालय भारतीय लोकतंत्र का तीसरा महत्त्वपूर्ण स्तंभ है। उसके निर्णय, उसकी कार्यप्रणाली, जजों का आचरण आदि सभी में लोगों को रुचि होती है और इसी को ध्यान में रखते समाचारपत्रों में अदालती समाचारों को प्रकाशन होता है। हुए ये समाचार पर्याप्त सावधानी, निष्पक्षता और संतुलन की अपेक्षा करते हैं। इन समाचारों का लेखन करने वाले संवाददाता को कानूनी पहलुओं की जानकारी होना आवश्यक है। उसे अदालती भाषा और तकनीकी शब्दों की जानकारी भी होनी चाहिए। विभिन्न अदालतों का अधिकार क्षेत्र सीमित होता है, इसका भी पता रहना चाहिए। इन समाचारों में तो अदालत के कामकाज पर, उसके निर्णयों पर और ही जजों पर कोई टिप्पणी की जा सकती है अन्यथा मानहानि या अदालत की अवमानना का आरोप भुगतना पड़ सकता है। बेसिर-पैर के आरोपों से पत्रकारों को इन समाचारों के लेखन में बचना चाहिए क्योंकि बाद में उन्हें इन आरोपों को सिद्ध करने में कठिनाई सकती है।

  • ये समाचार निचली अदालतों से भी संबंद्ध होते हैं और उच्च और सर्वोच्च न्यायालय से भी जुड़े होते हैं। सत्र न्यायालय, सीबीआई न्यायालय से भी समाचार जुड़े होते हैं। इन समाचारों में न्यायालय के निर्णयों का तर्कपूर्ण विश्लेषण हो सकता है लेकिन ऐसा नहीं होना चाहिए कि उस विश्लेषण से न्यायिक प्रक्रिया में बाधा आने लगे।

अदालती समाचारों में निम्नलिखित बिंदुओं को उजागर किया जा सकता है-


i. पुलिस का रवैया और गवाहों की स्थिति। इसमें सरकारी गवाह की स्थिति और प्रकृति भी ली जा सकती है।
ii. गवाहों को मिलने वाली धमकियां।
iii. मुकद्दमा लड़ने वालों की परेशानियों और शोषण का जिक्र करना iv. अदालत का विभिन्न मामलों में रुख।
v. अदालती मामलों का देरी से होने वाला फैसला।
vi. मुकदमा चलने का समय और निपटने की स्थिति।
vii. जजों के रिक्त पद और अदालत पर पड़ने वाले बोझ का स्वरूप आदि। 


यहां यह उल्लेखनीय है कि लोगों की रुचि सिविल अदालतों के मामलों में नहीं रहती क्योंकि इन अदालतों में मामलों की भरमार होती है और ये मामले वर्षों विचाराधीन रहते हैं। उनकी रुचि उच्च या उच्चतम न्यायालय के मामलों में अधिक होती है। समाचारों को रोचक बनाने के लिए वकीलों से संपर्क भी किया जा सकता है ताकि किसी निर्णय की सही व्याख्या समझ में सके। बेहतर यही रहता है कि समाचार बनाने से पूर्ण निर्णय को सही प्रकार से देखा जाए, समझा जाए और पूरा पढ़ा जाए। एक-एक शब्द और पंक्ति का महत्त्व होता है, इस बात का सदैव ध्यान रखा जाना चाहिए।

विज्ञान समाचार


  • वैज्ञानिक शोधों से संबंधित समाचारों का जीवन में विशिष्ट महत्त्व रहता है। विज्ञान पत्रकारिता एक पूरी शाखा है। ये समाचार विभिन्न वैज्ञानिक परिवर्तनों, विकास, अनुसंधान, सरकारी नीतियों और बेरुखी को सामने रखते हैं। इन समाचारों की भाषा में तकनीकी पक्ष प्रबल होता है अतः उनका प्रस्तुतीकरण ऐसा होना चाहिए कि पाठक तक मंतव्य संप्रेषित हो जाए। इन समाचारों को पठनीय बनाने के लिए सामान्य पाठकों की भाषा अपनाई जानी चाहिए। तथ्य हो लेकिन बोझिलता हो। इन समाचारों के आधार विज्ञान संस्थाओं द्वारा प्रकाशित वार्षिक रिपोर्ट्स, सम्मेलनों में प्रस्तुत शोध-पत्र, सरकारी अन्य विज्ञप्तियां, किसी वैज्ञानिक की स्वतंत्र रूप से की गई खोज आदि हो सकते हैं।

  • यहां यह उल्लेखनीय है कि ये समाचार सोद्देश्य होते हैं कि घटना प्रधान। इनका उद्देश्य मनोरंजन नहीं है। इन समाचारों में प्राय: अनुवाद की भाषा भी देखने को मिलती है।

 आर्थिक और वाणिज्य समाचार

  • इन समाचारों में सरकार की आर्थिक नीतियों, आर्थिक गतिविधियों और देश की जनता पर पड़ने वाले प्रभावों की प्रस्तुति की जाती है। दैनिक समाचारपत्रों में पूरा एक पृष्ठ इस प्रकार के (आर्थिक-वाणिज्यिक) समाचारों के लिए सुरक्षित रहता है। विभिन्न आयोगों की रिपोर्ट, विभिन्न मंत्रालयों की मांगें, विश्व बैंक, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष, फिक्की, निजी संगठनों आदि से संबंधित सूचनाएं आर्थिक समाचार बन सकती हैं। वाणिज्य समाचारों के केंद्र में दैनंदिन बाजार भाव, आयात-निर्यात, उत्पादन, मुद्रा विनिमय, मंडी - समीक्षा, शेयर बाजार आदि रहते हैं। कंपनियों के संबंध में समाचार भी इसी वर्ग के तहत रखे जाते हैं।

  • इन समाचारों को प्रस्तुत करने वाले संवाददाता को आर्थिक मामलों की अच्छी समझ होनी चाहिए। उसके पास तार्किक क्षमता और व्यावहारिक ज्ञान होना चाहिए। बजट की विशेषताओं को समझाने की कोशिश भी इन समाचारों में रहती है। लोगों को शेयर बाजार मंडी में विभिन्न धातुओं, अनाजों की उठापटक की जानकारी इन समाचारों से मिलती है।

 पर्यावरण समाचार


  • इन समाचारों का उद्देश्य लोगों में पर्यावरण के प्रति जागरूकता का प्रचार-प्रसार करना होता है। वर्तमान समय में पर्यावरण के महत्त्व को देखते हुए समाचारपत्रों में ऐसे समाचारों को विशेष स्थान दिया जाता है। इन समाचारों के माध्यम से लोगों को जल संरक्षण, वायु प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, जल की कमी, वन-कटाव, अत्यधिक खनन, जल प्रदूषण आदि के प्रति चेताया जाता है, ताकि लोग अपने आप को नियंत्रित करें और पर्यावरण की रक्षा और विकास पर ध्यान दें। विभिन्न सरकारी और गैर सरकारी संस्थाओं द्वारा किए गए कामों को भी इनमें सामने रखा जाता है। नर्मदा बांध परियोजना, गंगा की स्वच्छता से जुड़े अभियान से संबंधित समाचार यहां उल्लेखनीय हैं।

चुनाव समाचार


  • भारतीय लोकतंत्र में चुनाव एक उत्सव के समान है। उससे संबंधित समाचार भी समाचारपत्रों में प्रकाशित होते हैं। इन समाचारों में विभिन्न दलों की चुनावी रणनीतियों, नेताओं के भाषणों, उनकी अपीलों, किसी प्रत्याशी की मृत्यु, चुनाव निरस्त हो जाना या अयोग्य घोषित होना आदि उल्लिखित होते हैं। मतदाता सूचियों में होने वाली गड़बड़ियों पर भी समाचार प्रस्तुत किए जाते हैं। अनेक समाचारों में चुनाव कार्यालय का दृश्य का उल्लेख रहता है तो अनेक समाचारों में जातीय, वर्गीय और धार्मिक समीकरणों की चर्चा होती है। विभिन्न दलों के चुनावी गठजोड़ का समाचार भी लोगों को आकर्षित करता है। प्रत्याशियों की संख्या, उनकी चुनाव संबंधी तैयारियों, मतगणना और चुनाव परिणामों, चुनाव क्षेत्र में जनता में प्रत्याशी की इमेज आदि के समाचार रोचकता पैदा करते हैं। इन समाचारों में प्रायः संवाददाताओं का प्रत्याशियों और दलों का प्रवक्ता बन जाने का खतरा रहता है, इससे मुक्त रहना संवाददाताओं के लिए आवश्यक है। चुनाव परिणाम से संबंधित समाचार पूरी छानबीन के बाद देना उचित रहता है।

विकास समाचार


  • विकास समाचारों का उद्देश्य सरकार के द्वारा किए गए देश के विकास को सामने लाना है। इन समाचारों में संवाददाता विभिन्न सरकारी विभागों की ओर से विकास हेतु अपनाई जा रही योजनाओं और कार्यक्रमों की सूचनाएं देता है। इन समाचारों से जनता के मन में सरकारी योजनाओं के प्रति जागरूकता और विश्वास पैदा कराया जाता है। नई सड़कों का विकास, रेल का विकास, स्वच्छ पानी की व्यवस्था, दूरसंचार व्यवस्था, स्वास्थ्य योजनाएं आदि विकास समाचारों के केंद्र में होती है। हिंदुस्तान, दैनिक भास्कर आदि समाचारपत्र इन समाचारों को प्रकाशित करते हैं।

  • इन प्रकारों के अतिरिक्त कृषि समाचार, रोजगार समाचार, फिल्मी समाचार आदि भी समाचारपत्रों में प्रकाशित होते हैं जो उन लोगों हेतु सूचना की पूर्ति करते हैं जो इस प्रकार के समाचारों के इच्छुक रहते हैं।

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