समाचारों का वर्गीकरण| समाचार कितने प्रकार होते हैं |Classification of news
समाचारों का वर्गीकरण (समाचार कितने प्रकार होते हैं)
समाचारों का वर्गीकरण (समाचार कितने प्रकार होते हैं)
समाचारों का वर्गीकरण एक अत्यंत ही कठिन कार्य है क्योंकि न तो समाचारों का क्षेत्र सुनिश्चित है और न ही उनकी प्रकृति। ये दोनों ही वैविध्यपरक है। फिर सुविधा के लिए समाचारों का निम्नलिखित वर्गीकरण किया जाता है
- i. स्वरूप पर आधारित समाचार
- ii. आकार पर आधारित समाचार
- iii. स्थल पर आधारित समाचार
- iv. माध्यम पर आधारित समाचार
- v. काल पर आधारित समाचार
- vi. विषय पर आधारित समाचार
1. स्वरूप पर आधारित समाचार
स्वरूप पर आधारित समाचार को दो भागों में विभक्त किया गया है
i. सीधा समाचार और
ii. व्याख्यात्मक समाचार
सीधा समाचार
- सीधा समाचार उसे कहा जाता है जिसमें घटनाओं का तथ्यात्मक विवरण सरल और स्पष्ट ढंग से किया गया हो। इस प्रकार के समाचार में तथ्यों को न तोड़ा-मरोड़ा जाता है और न ही आरोप लगाने, सम्मति देने और निष्कर्ष निकालने का प्रयत्न होता है। बुलेटिन और फिलर को सीधे समाचार के उदाहरण में रखा जा सकता है।
व्याख्यात्मक समाचार
- व्याख्यात्मक समाचार उसे कहा जाता है जिसमें घटना का विवरण पूरी छानबीन करके दिया जाता है। इसमें पूर्वापर संबंध, परिवेश और परिणाम को लिखा जाता है ताकि पाठक को समाचार समझने में कठिनाई न हो। व्याख्यात्मक समाचारों में लेख, फीचर, विश्लेषण या साक्षात्कार आधारित समाचारों को लिया जा सकता है।
2. घटना के महत्त्व पर आधारित समाचार
इस आधार पर समाचारों को विशिष्ट ओर व्यापी दो रूपों में बांटा गया है.
1. विशिष्ट समाचार और
ii. व्यापी समाचार
विशिष्ट समाचार
- विशिष्ट समाचार वह है जिसमें किसी घटना के अचानक घटित हो जाने का उल्लेख होता है। इसे और स्पष्ट करते हुए श्री प्रेमनाथ चतुर्वेदी लिखते हैं कि 'विशिष्ट समाचार वे है जिनके बारे में पहले से कुछ मालूम नहीं होता। पर वे समाचार जब घटित हो जाते हैं तो उनका विशेष महत्व और प्रभाव होता है। वे समाचार गरमा-गरम और अद्यतन होते हैं। विशिष्ट समाचार अपने गुणों के कारण पृष्ठ पर मुख्य स्थान ग्रहण करते हैं। कभी-कभी तो वे इतने महत्त्व के होते हैं कि कम महत्त्व के समाचारों को बचाकर पृष्ठ का स्वरूप ही बदल देना पड़ता है। पूर्व निर्धारित अति महत्त्व के समाचार गौण रूप ले लेते हैं।' (समाचार-संपादन, पृ० 23) किसी नेता का निधन, किसी जहाज का दुर्घटनाग्रस्त हो जाना, किसी राज्यपाल या जिलाधिकारी का परिवर्तन आदि से जुड़े समाचार इस कोटि में आते हैं।
व्यापी समाचार
- व्यापी समाचार का क्षेत्र और दायरा बड़ा होता है और व्यापक जनसमुदाय इससे प्रभावित होता है। यह समाचार अपने महत्त्व और प्रभाव के कारण पृष्ठ पर आच्छादित प्रतीत होता है। श्री प्रेमनाथ चतुर्वेदी लिखते हैं कि यह भी संभव है कि व्यापी समाचार के खंडन-मंडन के लिए अन्य समाचार भी उसके अनुगामी का स्थान ग्रहण करते हों। व्यापी समाचार को स्थान भी विशेष मिलता है और उसका शीर्षक भी अधिक आकर्षक होता है। इस प्रकार के समाचार अपने में पूर्ण होते हैं।' (वही, पृ० 23) देशव्यापी हड़तालों की सूचना, राष्ट्र पर आक्रमण हो जाना या किसी बड़े नेता का निधन हो जाना व्यापी समाचारों के उदाहरणस्वरूप लिए जा सकते.
3. स्थल पर आधारित समाचार
- स्थल के आधार पर समाचार के ये प्रकार माने गए हैं (1) स्थानीय समाचार, ( 2 ) प्रांतीय समाचार, (3) राष्ट्रीय समाचार और (4) अंतर्राष्ट्रीय समाचार। उदाहरण के लिए यदि दिल्ली के एक इलाके मधु विहार की खबर स्थानीय समाचार होगी। उत्तराखंड के संबंध में समाचार प्रांतीय समाचार होगा। देश की राजनीति से संबंधित समाचार राष्ट्रीय समाचार होगा और चीन में आई बाढ़ से संबंधित समाचार अंतर्राष्ट्रीय समाचार होगा।
4. माध्यम पर आधारित समाचार
विभिन्न जनमाध्यम समाचारों का प्रकाशन प्रसारण करते हैं। इस भूमिका का निर्वाह परंपरागत जनमाध्यम भी करते हैं और आधुनिक माध्यम भी। इसीलिए इन समाचारों के प्रस्तुतीकरण में अंतर मिलता है क्योंकि प्रत्येक माध्यम की अपनी-अपनी विशेषताएं होती हैं जो उन्हें अन्य माध्यम से पृथक करती हैं। इन्हें निम्नलिखित वर्गों में बांटा जा सकता है.
(क) समाचारपत्र के लिए समाचार,
(ख) रेडियो समाचार,
(ग) टेलीविजन समाचार,
(घ) इंटरनेट समाचार।
- वास्तव में माध्यम आधारित समाचार का विभाजन प्रस्तुति पर टिका है। इसीलिए एक में लिखित शब्द की सत्ता है तो रेडियो समाचार में लिखे हुए शब्द के उच्चरित रूप की। टेलीविजन समाचार में दृश्य और शब्द दोनों के समायोजन के साथ-साथ वाचन की महत्ता है और इंटरनेट समाचार में सामासिकता और तात्कालिकता की। ये गुण रेडियो और टेलीविजन समाचारों में भी पाए जाते हैं। यहां इन माध्यमों के समाचारो के उदाहरणो का एक-एक अंश द्रष्टव्य है
समाचारपत्र के लिए समाचार
आस्ट्रेलिया ने तीसरी बार विश्व कप जीता फाइनल में भारत को 125
रन से हराया
जोहांसबर्ग, 23 मार्च (एजेंसियां)। भारत ने टूर्नामेंट में शुरुआती सदमों से उबर कर बेहतरीन वापसी करते हुए 20
साल बाद क्रिकेट विश्व कप वापस पाने का जो सपना देखा था वह आज यहाँ फाइनल मैच में आस्ट्रेलिया के पराक्रम के सामने दम तोड़ गया। मैच की शुरुआत से अंत तक आस्ट्रेलिया का संकल्प और पराक्रम देखने लायक था। उन्होंने बल्लेबाजी, गेंदबाजी और क्षेत्ररक्षण तीनों में ही भारत को ध्वस्त करते हुए 125
रनों से जीत दर्ज कर तीन विश्व कप जीतने का रिकार्ड बना लिया। (साभार, राष्ट्रीय सहारा, 24 मार्च, 2003)
रेडियो समाचार (25 मार्च, 2003)
प्रारंभ आकाशवाणी से प्रस्तुत है समाचार प्रभाग (संगीत) है
समाचार वाचिका का स्वर
मुख्य समाचार या समाचार शीर्षक चौबीस कश्मीरी पंडितों की हत्या के बाद स्थिति की समीक्षा के लिए उपप्रधानमंत्री आज जम्मू-कश्मीर जा रहे हैं।
इराक में अमरीकी नेतृत्व में गठबंधन सेना ने फिर से बगदाद पर हवाई हमले किए हैं। उसे नजफ, नसीरिया, उम्म कस्त्र और बसरा में इराकी सेना से कड़ा संघर्ष करना पड़ रहा है।
अमरीका ने रूस पर इराक को सैनिक उपकरण बेचने का आरोप लगाया लेकिन रूस ने इनकार किया।
अरब देशों ने इराक के बारे में चर्चा के लिए सुरक्षा परिषद की आपात बैठक बुलाने की मांग की है और युद्ध जल्दी खत्म होने के आसार कम होने के साथ ही दुनियाभर के शेयर बाज़ार गिरे हैं।
टेलीविजन समाचार
रात में राष्ट्रीय नेटवर्क के लिए प्रसारित हुआ समाचार बुलेटिन संपादक- भूपेन्द्र केंथौला, वाचक - राहुल देव
सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या में यथास्थिति बनाए रखने के आदेश दिए गैर विवादित स्थल पर सांकेतिक पूजा की अनुमति नहीं
तेलुगुदेशम और तृणमूल कांग्रेस ने सांकेतिक पूजा के मसले पर एटार्नी जनरल के रवैये का विरोध किया।
सोली सोराबजी ने कहा, गैर विवादित भूमि पर सांकेतिक पूजा • उनकी निजी व्याख्या थी। और की इजाजत देने संबंधी दलील
अदालत के फैसले को लागू करने के सरकार के फैसले को एनडीए ने सही ठहराया।
टेलीविज़न समाचार
नमस्कार । अब समाचार विस्तार से सुप्रीम कोर्ट ने विश्व हिंदू परिषद को अयोध्या में 15
मार्च को सांकेतिक करते हुए पूजा की अनुमति नहीं दी है। आज अयोध्या मामले पर याचिकाओं की सुनवाई तीन जजों की खंडपीठ ने करीब डेढ़ घंटे की बहस के बाद यह भी आदेश दिया कि अयोध्या में यथास्थिति बनाए रखी जाएगी और कहा कि अधिग्रहित भूमि पर वास्तविक या सांकेतिक पूजा नहीं होनी चाहिए। उच्चतम न्यायालय के फैसले का और ब्यौरा दे रहे हैं हमारे संवाददाता शैलेश रंजन-होल्ड
(साभार उद्धृत, ओमकार चौधरी, टेलीविजन पत्रकारिता, पृ०-46)
इंटरनेट समाचार
जोधपुर।। काले हिरण के शिकार के मामले में जोधपुर की अदालत में सलमान खान को छोड़कर बाकी चारों आरोपियों के खिलाफ आरोप तय हो गए हैं। इन लोगों पर शिकार करने और शिकार के लिए उकसाने के आरोप तय किए गए हैं। सितारों ने अदालत में आरोप को नकारा है। अब इस मामले में अगली सुनवाई 27 अप्रैल को होगी। सलमान खान कोर्ट में पेश नहीं हुए, इसलिए उनके खिलाफ आरोप तय नहीं हुआ। (साभार, नवभारत टाइम्स डॉट इंडियाटाइम्स डॉट कॉम, 23 मार्च 2013)
5. काल पर आधारित समाचार
- समाचारों का यह निर्धारण इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों को ध्यान में रखकर किया गया है। समाचारपत्र में कॉलम व स्थान पर समाचार आधारित होते हैं। रेडियो और टेलीविजन में समय की अवधि प्रमुख होती है। रेडियो में यह अवधि 5 मिनट भी हो सकती है और 15 मिनट भी। टेलीविजन तथा चैनलों पर समाचार की अवधि 5 मिनट से लेकर 1 घंटा तक हो सकती है। डी० डी० न्यूज पर हिंदी समाचार रात्रि 8 से 9 और अंग्रेजी समाचार रात्रि 9 से 10 बजे तक आते हैं।
6 विषय पर आधारित समाचार
- अब तक आप काल, माध्यम स्थल, घटना और स्वरूप आधारित समाचारों से परिचित हो चुके हैं। आइए अब आपको विषय पर आधारित समाचारों के बारे में विस्तार से समझाते हैं | समाचारों का यह वर्गीकरण विशेष महत्त्व रखता है क्योंकि जनसामान्य की रुचि विभिन्न विषयक समाचारों में रहती है। ये समाचार राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक, रक्षा संबंधी आदि किसी भी प्रकार के हो सकते हैं। इनका विवेचन इस प्रकार है-
i. राजनीतिक समाचार
- राजनीति भारतीय जीवन का अहम अंग हो गई है और जनता ऐसे समाचारों में रुचि लेने लगी है। इन समाचारों में भारतीय लोकतंत्र के विभिन्न अंगों कार्यपालिका, न्यायपालिका और विधायिका का उल्लेख होता है। राष्ट्रपति के निर्णय, उनका कार्यकलाप, उनका अभिभाषण राजनीतिक समाचारों का बिंदु बनता है। चाहे अपराधियों को फाँसी की सजा से छूट देने का मामला हो या इन मसलों पर यथास्थिति बनाए रखने का मामला हो। लोगों की रुचि इन निर्णयों में रहती है। राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के मतभेद, प्रधानमंत्री और विभिन्न मंत्रियों के मतभेद ऐसे समाचारों का आधार बनते हैं।
- संसद या विधानसभा (राज्य के संबंध में) की कार्यवाही जनता का आकर्षण का केंद्र बनती है। विभिन्न नेताओं का व्यवहार, भाषण शैली, विचार - दृष्टि, बहस, विरोध व समर्थन आदि इन समाचारों को विशिष्ट बना देते हैं। अन्ना हजारे आंदोलन के दौरान नेताओं की भाषणबाजी और चालबाजियों को समाचारपत्रों ने अपना केंद्र बनाया था।
- प्रधानमंत्री और मंत्रिपरिषद की जनविरोधी नीतियां और उपलब्धियां भी समाचारों के रूप में प्रकाशित-प्रसारित होती हैं जो सरकार के निर्णयों और लोकप्रियता को सामने लाते हैं। भारतीय लोकतंत्र के अभिन्न अंग न्यायपालिका की सूचनाएं भी महत्त्व रखती हैं। ऐसी सूचनाओं में न्यायाधीशों की विलंब से नियुक्ति, न्यायाधीशों के रिक्त पद न भरा जाना, नेताओं को शीघ्र जमानत मिल जाना, राजनीतिक मामलों में लिप्त नेताओं के संबंध में देरी से निर्णय करना, जिनके पीछे किसी-किसी रूप में राजनीतिक स्वार्थ छिपा रहता है, इन समाचारों का आधार बन जाते हैं। स्पैक्ट्रम घोटाले, कॉमनवेल्थ घोटाले में लिप्त नेताओं पर न्यायपालिका के निर्णय इस संबंध में देखे जा सकते हैं।
- विभिन्न राजनीतिक दलों का गठजोड़, विभिन्न राजनीतिक दलों का गठबंधन टूटना, उनकी आपसी खींचतान, आरोप-प्रत्यारोप और इनके बावजूद एक बने रहने की मजबूरी, राजनीतिक अपराधीकरण इन समाचारों में दिखाई देता है। प्रायः राजनीतिक दलों का लक्ष्य सत्तारूढ़ दल का विरोध करना रहता है, भले ही सरकार की नीति जनहित में हो, उनके नजरिए को भी ऐसे समाचार सामने लाते हैं। कभी-कभी छुटभैये नेता भी इन समाचारों में अपना स्थान बना लेते हैं। ऐसा वे अपने स्तर पर पत्रकार सम्मेलन बुलाकर करते है। विभिन्न दलों और नेताओं की आपसी अतःकलह भी इन समाचारों में जान डाल देती है। कई बार केंद्र सरकार और राज्य सरकारें चुनावों को सामने रखकर विभिन्न संशोधन करते हैं और छूट देते हैं ताकि जनता के वोटों को कैश किया जा सके। केंद्र सरकार संविधान में संशोधन करती है और अध्यादेश जारी करती है ताकि जनसामान्य पर प्रभाव पड़ सके और उन्हें लगे कि सरकार उनके लिए कुछ कर रही है। इन्हें इन समाचारों में उभारा जाता है।
ii. संसदीय समाचार
- संसद देश की सबसे बड़ी सत्ता है जहां देशभर से चुने हुए जनप्रतिनिधि बैठते हैं और देश के बारे में अनेक निर्णय लेते हैं, नीतियां बनाते हैं, संविधान में संशोधन करते हैं। इसकी प्रत्येक गतिविधि समाचारों का आधार बनती है चाहे वह कोई मुद्दा हो, बहस हो, शेरो-शायरी हो, एक-दूसरे पर ली गई चुटकियां हों, आक्षेप हो और आक्षेप के बाद क्षमा याचना हो, पूरक प्रश्न हो या तारांकित/अतारांकित प्रश्न हों या शून्यकाल हो, बजट हो, विभिन्न प्रकार की रिपोर्ट हों। इन समाचारों की प्रकृति औपचारिकता से पूर्ण होती है और इन्हें अत्यंत गंभीरता के साथ लिखा और प्रकाशित किया जाता है। प्रायः वरिष्ठ संवाददाता को ऐसे समाचारों के संकलन और लेखन का कार्य दिया जाता है। इसीलिए इन समाचारों में नेताओं के उन्हीं शब्दों और वाक्यों को रखा जाता है जो वे सदन में बोलते हैं।
- ऐसे समाचारों में पत्रकारों की विभिन्न सांसदों और मंत्रियों से की गई बातचीत भी रोचकता पैदा करती है। इन समाचारों का लेखन करने वाले संवाददाताओं को पहले ही दिन विशेष की कार्यसूची, तारांकित/अतारांकित प्रश्नों की सूचियां आदि उपलब्ध कराई जाती है ताकि संवाददाता को समाचार लेखन में कोई दिक्कत न आए।
- संसदीय समाचारों के प्रकाशन / प्रसारण में विशेष सावधानी भी आवश्यक है ताकि संसदीय विशेषाधिकार और अवमानना संबंधी कार्यवाही का सामना न करना पड़े। इन समाचारों में गलत रिपोर्ट देना, गोपनीय सूचना को संकलित या प्रकाशित करना संवाददाता के लिए ठीक नहीं रहता। उसे संसदीय प्रक्रियाओं, परंपराओं और सिद्धांतों से अवगत होना चाहिए।
iii. रक्षा समाचार
- ये समाचार राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े होते हैं। इन समाचारों का उद्देश्य देश की सुरक्षा, युद्ध आदि के बारे में संतुलित प्रस्तुति करना होता है। सैनिकों को दी जाने वाली सुविधाएं, बजट में उन्हें दी जा रही छूट, सेना के शस्त्र संबंधी उत्पादन और नवीन आविष्कारों से जुड़े बिंदु इन समाचारों में उभारे जाते हैं।
- इन समाचारों के संबंध में संवाददाता को रक्षा क्षेत्र से जुड़े कर्मचारियों के पद, सैन्य टुकड़ी व उसके पास उपलब्ध सैन्य संसाधन, सैनिकों की दैनिक दिनचर्या और क्रियाकलाप आदि को ध्यान में रखना चाहिए। उसके पास तुलनात्मक दृष्टि भी हो जो दो देशों की सैन्य-संसाधन व सैन्य उपकरणों की तुलना कर सके, जैसे अक्सर भारत, पाकिस्तान और चीन की सैन्य क्षमता की तुलना संबंधी समाचार पत्रों में प्रकाशित होते हैं और लोगों को पता चलता है कि रक्षा संबंधी मामले में भिन्न-भिन्न देशों की क्या तैयारियां हैं? अभी हाल ही में अनेक समाचारपत्रों ने उत्तर कोरिया और दक्षिण कोरिया की सैन्य क्षमता के बारे में तुलनात्मक अध्ययन से परिपूर्ण समाचारों को प्रस्तुत किया है।
- इन समाचारों का उद्देश्य देश में भय का वातावरण बनाना नहीं होना चाहिए बल्कि वास्तविक स्थिति का निरूपण होना चाहिए। एक पत्रकार को सीमा क्षेत्र पर भी जाना पड़ सकता है और वहां की स्थितियों से दो-चार होना पड़ सकता है, उन सबका विवरण ऐसे समाचारों के केंद्र में रहता है।
अपराध समाचार क्या है? उन पर एक टिप्पणी लिखिए।
iv. अपराध समाचार
- अपराध समाचार एक बहुत बड़े पाठकवर्ग को लुभाते हैं चाहे वे समाचारपत्र में प्रकाशित हों या रेडियो और टेलीविजन पर प्रसारित हों। तुलसीदास ने लिखा है कि 'गुण दोषमय सब संसारा अर्थात् संसार में अच्छे लोग भी हैं और बुरे लोग भी। इसलिए अपराध भी होते हैं। क्रिचफील्ड ने कहा है कि 'अपराध समाचारों का संकलन और लेखन संवाददाता को अपनी प्रतिभा चमकाने का अवसर देता है।’(उद्धृत, प्रो. विजय कुलश्रेष्ठ, समाचारपत्र माध्यमः स्वरूप एवं संरचना, पृ० 52) पूरे विश्व में अपराध रोकने के लिए कानून हैं लेकिन फिर भी अपराध होते हैं। इन अपराधों की सूचना देना ही अपराध समाचार के मूल में निहित है। दिल्ली में हुए गैंगरेप का समाचार अपराध समाचार ही है जिसने भारत ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में हलचल मचा दी।
- अपराध समाचार को प्रकाशित करने और लेखन करने में अत्यंत सतर्कता और अनुभव की आवश्यकता रहती है क्योंकि सही और गलत का निर्णय करने की क्षमता की आवश्यकता पत्रकार/संवाददाता का पड़ती है। कई बार अपराध समाचार देने के साथ-साथ संवाददाता ट्रायल भी करने लगता है जो कि गलत है