मध्यप्रदेश की भतरा जनजाति के बारे में जानकारी| MP Bhatra Janjati (Bhatra Tribes)

मध्यप्रदेश की भतरा जनजाति के बारे में जानकारी MP Bhatra Janjati (Bhatra Tribes) 

मध्यप्रदेश की भतरा जनजाति के बारे में जानकारी| MP Bhatra Janjati (Bhatra Tribes)

मध्यप्रदेश की भतरा जनजाति के बारे में जानकारी 

भतरा जनजाति जनसंख्या          

 

  • भतरा की कुल जनसंख्या 1155 है, जो प्रदेश की कुल जनसंख्या का 0.002 प्रतिशत हैं।

 

भतरा जनजाति का निवास क्षेत्र           

 

  • भतरा जनजाति जिला मुरैना, भिण्ड, ग्वालियर, सागर, सतना, नीमच, रतलाम, उज्जेन, देवास, इन्दौर, भोपाल, हरदा, कटनी में पायी गई है।

 

भतरा जनजाति गोत्र          

 

  • इनमें मुख्य गोत्र कश्यप, मोहरे, बघेल, नाग एवं बकरा आदि हैं, इन गोत्रांे के टोटम भी पाये जाते हैं।

 

भतरा जनजाति रहन-सहन           

 

  • इनके घर मिट्टी के बने होते हैं। घर स्वयं बनाते हैं। घरेलू वस्तुओं में चारपाई, जाँता, चकिया, मूसल, ओढ़ने बिछाने के कपडे़, भोजन बनाने व खाने के बर्तन जो प्रायः एल्यूमोनियम, लोहा, मिट्टी व स्टील के होते हैं। इनके घरों में कुल्हाड़ी, हल, बैलगाड़ी खेती करने के छोटे मोटे औजार, मछली पकड़ने के जाल इत्यादि पाये जाते हैं।

 

भतरा जनजाति खान-पान            

  • मुख्य भोजन भात, पेज है। इसके साथ उड़द , मूंग, कुल्था की दाल, मौस्मी सब्जी आदि खाते हैं। मांसाहार में मछली, मुर्गा आदि हैं।

 

भतरा जनजाति वस्त्र-आभूषण           

 

  • वस्त्रों में पुरूष धोती (गोंछी) पहनते हैं। स्त्रियां लुगड़ा (धोती) पहनती हैं। आजकल साड़ी पहनती हैं।

 

भतरा जनजाति में गोदना          

  • महिलाएं अपने हाथ पैर व शरीर में विभिन्न आकृतियों में गुदना खुदवाती है।

 

भतरा जनजाति में तीज-त्यौहार           

 

  • मुख्य त्यौहार हरियाली, नवाखाई, नागपंचमी, दशहरा, होली, दिवाली आदि हैं।

 

भतरा जनजाति में नृत्य           

 

  • भतरा जनजाति के लोग करमा, रामसत्ता आदि नृत्य करते हैं। गौरागीत, रहस गीत आदि लोकगीतों का प्रचलन है। नव रात्रि में रामलीला नाटक खेला जाता है। 


भतरा जनजाति में व्यवसाय            

  • जनजाति का मुख्य व्यवसाय कृषि, जंगली उपज संग्रह, जंगल से लकडी काटना, कृषि मजदूरी आदि है। कृषि में कोदो, धान, अरहर, मूंग आदि की प्रमुख खेती है। जंगली उपज में महुआ, शहद, गोंद, तेन्दुपत्ता आदि संग्रह भी करते हैं।

 

भतरा जनजाति में जन्म-संस्कार           

  • प्रसव पति के घर पर ही होता है। प्रसव गांव की वृद्ध (सयानी) महिलाओं व दायी की देखरेख में कराया जाता है। घर में प्रसव स्थान में एक गड्डा खोदकर बच्चे का नराउसमें गाड़ दिया जाता है। प्रसूता को तीन दिन तक जंगली जड़ी बूटी व गुड़ का काढ़ा पिलाया जाता है। छठे दिन छठी मनाते हैं।

 

भतरा जनजाति में विवाह-संस्कार           

 

  • विवाह की उम्र लड़कियों की 17-19 तथा लड़कों की उम्र सामान्यतः 18-20 वर्ष हैं। विवाह की पहल लड़के वाले शुरुआत करते हैं। विवाह में वर का पिता, वधु के पिता को धान, दाल, नारियल, हल्दी, सुपारी, वधु के लिए साड़ी, ब्लाउज, मिठाई आदि सामग्री लेकर जाता है। इसके बाद विवाह की रस्म होतीं हैं। पुनर्विवाह, विधवा विवाह आदि को सामाजिक रिवाज अनुसार मान्यता दी जाती है।

 

भतरा जनजाति में मृत्यु संस्कार           

 

  • मृत्यु होने पर नश्वर शरीर को दफनाया जाता है, कुछ लोग शव को जलाते हैं। बच्चों को सामान्यतः दफनाया जाता हैं। दसवे दिन दशकरम किया जाता है। जिसमें सभी रिश्तेदार मौजूद रहते हैं। पुरूष सदस्य दाड़ी मूंछ व सिर के बाल मुड़वाते है मृत्युभोज दिया जाता है।

 

भतरा जनजाति में देवी-देवता           

 

  • भतरा जनजाति के प्रमुख देवी देवता ठाकुरदेव, बूढ़ाबाबा, माता देवी, परदेशीन माता, दन्तेश्वरी देवी, बूढ़ीमाई आदि हैं। इसके अलावा हनुमान भगवान, शिव, दुर्गामाता आदि की पूजा की जाती है।

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