मीडिया लेखन की अन्य विधाएँ| फीचर तथा मैगजीन के लिए लेखन विज्ञापन लेखन |Feature and Magazine Writing, Advertisement Writing

फीचर तथा मैगजीन लेखन, विज्ञापन लेखन

मीडिया लेखन की अन्य विधाएँ| फीचर तथा मैगजीन के लिए लेखन  विज्ञापन लेखन |Feature and Magazine Writing, Advertisement Writing

1 फीचर तथा मैगजीन के लिए लेखन 

  • फीचर लेखन की एक आधुनिकतम विधा है। सामान्य तौर पर यह अन्तर करना मुश्किल है कि समाचार लेखन से फीचर लेखन में क्या अन्तर है। फीचर समाचार नहीं हैरिपोर्टिंग या लेख या निबन्ध से भी भिन्न है.  फीचर ये न कथात्मक होते हैं और न विशुद्ध भावनात्मक। इसमें समाचार की पूर्ण जानकारी होती हैतथ्यों का वर्णन होता हैघटनाक्रम का उल्लेख भी होता है और लेखक द्वारा किया गया विश्लेषण भी होता है।


  • समाचार में घटनाओं का सीधे-सीधे उल्लेख कर दिया जाता हैफीचर में उसी समाचार या किसी घटना को रोचक ढंग से प्रस्तुत किया जाता है। उदाहरणतः एक समाचारपत्र लिखता है- 'पिछले चार दिनों से कुमाऊँ के पर्वतीय क्षेत्र में निरंतर बर्फबारी हो रही हैजिससे जनजीवन अस्तव्यस्त हो गया है - यह समाचार है। इसी समाचार को यदि इस रूप में लिखा जाता है - हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी पहाड़ों में ठण्ड अपने चरम पर है बर्फ गिरने के साथ जनजीवन अस्तव्यस्त होने लगा है। लगातार हो रही बर्फबारी ने अपना प्रभाव दिखाना शुरु कर दिया है। कुमाऊँ भर में इससे यातायात बाधित हो रहा है। कई इलाकों में बिजली गुल हैसुदूरवर्ती इलाकों से किसी प्रकार का सम्पर्क नहीं हो पा रहा हैकई स्थानों पर भूस्खलन हुआ हैकई कच्चे घर ढह गए हैंअनेक स्थानों पर इस प्राकृतिक आपदा के कारण लोग काल कवलित भी हो रहे हैंऐसे समय में जन प्रतिनिधियोंजिला प्रशासन को एकजुट होकर इस समस्या का समाधान करने के लिए कमर कसनी होगी- यह भी समाचार के सभी तथ्यों को प्रस्तुत करता है। लेकिन तथ्यों को मार्मिक रूप में रखने के कारण इस लेखन का प्रभाव पाठकों पर समाचार से अधिक पड़ता हैयहीं पर समाचार फीचर का रूप ले लेता है। घटनाक्रमघटना की पृष्ठभूमिप्रस्तुतिकरण का आकर्षणलेखकीय कौशल और मानवीय संवेदनाएँ- ये सभी तत्व एक सफल फीचर के अनिवार्य अंग हैं। हम समाचार और फीचर में इस रूप में अन्तर कर सकते हैं . 
  • समाचार में आमुख कथाविस्तार और समापन तीन अवस्थाएँ होती हैं और फीचर में एक आकर्षक शुरुआत की जाती है। फीचर के आमुख से पाठक अनायास उसे पढ़ने में के लिए तत्पर हो जाते हैंफिर विस्तार से विषयवस्तु का वर्णन किया जाता है, इसके बाद उसमें चरम सीमा यानी कथा का वह हिस्सा जिसे आज प्रचलित शब्दावली में "पंच" कहा जाता हैआता हैऔर फिर निष्कर्षात्मक उपसंहार होता है। स्पष्ट है कि फीचर न तो समाचार की तरह संक्षिप्त होता है और न केवल सूचनात्मक। 


  • एक रचनात्मक लेखजिसमें व्यक्तिगत अनुभूतियाँ होंकिसी घटना का विस्तृत वर्णन और विश्लेषण होजो पाठक को जानकारी दे रहा हो और उसका मनोरंजन भी कर रहा हो और उसके लिए ज्ञानवर्धक भी होफीचर है। लेखक फीचर के माध्यम से जानकारियों को अपनी कल्पना और सर्जनात्मकता से न केवल रोचक बनाकर प्रस्तुत करता है अपितु भावनात्मक दृष्टि से भी प्रस्तुत करता है। फीचर केवल राजनीतिक सन्दर्भों या राजनीतिक घटनाओं से ही जुड़े नहीं होते हैं अपितु साहित्यिकसामाजिकसांस्कृतिकधार्मिक आस्थाओंरीतिरिवाजों या अन्य किसी भी विषय पर आधारित हो सकते हैं।

 

  • फीचर लेखक के लिए जरूरी है कि वह सबसे पहले अपने विषय को समझेउसमें गहराई फीचर के चार मूल तक जाएउसका गम्भीरता से तार्किक विश्लेषण करे और मानवीय दृष्टिकोण से फीचर लेखन करे । सकारात्मक सामाजिक सन्दर्भों को बल देने वाले तथ्यों को तत्वों- सच्चाईजिज्ञासारोचकता और विश्वसनीयता को ध्यान में रखते - प्रस्तुत अपनी बात प्रस्तुत करे। एक और बात का ध्यान फीचर लेखन के लिए रखना बहुत आवश्यक है कि फीचर लेखक का भाषा पर अधिकार होना चाहिए। यदि उसमें अभिव्यक्ति का कौशल नहीं हैतो वह सफल फीचर लेखक नहीं हो सकता। 


  • फीचर लेखन का विषय कोई भी व्यक्तिस्थानघटना हो सकता है। फीचर लेखक सूक्ष्म दृष्टिबौद्धिक जिज्ञासा और भाषिक कौशल से किसी भी तरह के संवादफीचरसूचनाप्रधान फीचरअनुभव या उपलब्धियों पर आधारित फीचर लिख सकता है। एक फीचर या मैगजीन के लिए लिखे जाने वाले लेख को विलोम पिरामिड तरीके से लिखना जरूरी नहीं है। लेखक इस विषय में स्वतन्त्र है कि वह किस तरह से अपनी बात प्रस्तुत करेबस पाठक को लेखक के उद्देश्य का ज्ञान होना चाहिए कि वह यह फीचर क्यों लिख रहा है।

 

2 फीचर फिल्म लेखन अर्थ 

 

  • आप अक्सर फीचर फिल्म शब्द को सुनते हैं। आप यह भी जानते हैं कि फिल्में पूरे विश्व में मनोरंजन का सर्वाधिक लोकप्रिय और व्यावसायिक साधन है। फीचर फिल्म लेखन के लिए सर्वप्रथम कथा विचारजिसे हम थीमथॉट प्वाइंट कहते हैंका चुनाव किया जाता है-जैसे अमीरी गरीबी सम्बन्धों का द्वन्द्वप्रेमपारिवारिक रिश्तेस्त्री संघर्षकानूनगलतफहमी आदि। फिर थीम पर आधारित संक्षिप्त कथा तैयार की जाती है और उसके बाद इस कथा को विकासित किया जाता हैतदुपरान्त पटकथा लिखी जाती है। पटकथा में कथा विस्तार दृश्य के क्रम निर्धारण के साथ किया जाता है। इसके लिए लेखक में चौकन्नापनजानकारी अभिव्यक्ति कौशल का होना आवश्यक है।

 

3 विज्ञापन लेखन कैसे किया जाता है 

 

  • आज की दुनिया को विज्ञापनी दुनिया कहा जाता है। वाणिज्यिक और व्यावसायिक फलकों के प्रसार के लिए विज्ञापन जनमत तैयार करते हैं। क्योंकि विज्ञापन का मुख्य उद्देश्य उत्पाद की बिक्री करना है इसलिए उसके द्वारा उपभोक्ता का ध्यान आकर्षित करनेउपभोक्ता में उस उत्पाद को खरीदने की रुचि जगाने का कार्य करना होता है और इसके लिए बहुत जरूरी है कि विज्ञापन लेखन कौशल से किया जाय । 


  • विज्ञापन तैयार करते समय यह जानना जरूरी है कि जिस वस्तु का विज्ञापन तैयार किया जा रहा हैवह वस्तु कैसी है इसके प्रयोग क्या हैं उसका उपयोग किन लोगों के द्वारा किया जाना है। आवश्यकतानुसार विज्ञापन ब्लॉकस्लाइडलघु फिल्मफोल्डरपुस्तिकाहोर्डिंग आदि विज्ञापन के वे संसाधन हैंजिनके द्वारा विज्ञापन प्रसारित होता है। फिर बारी आती है विज्ञापन लेखन की।

 

  • विज्ञापन लेखन के लिए सबसे अधिक महत्व होता है शीर्षक का शीर्षक द्वारा ही उपभोक्ता का ध्यान उस उत्पाद के प्रति केन्द्रित हो जाता हैजिसके लिए विज्ञापन तैयार किया गया है। फिर उपशीर्षक और कथ्य का विस्तार किया जाता है। विज्ञापन की भाषा का विज्ञापन की सफलता असफलता में बहुत अधिक हाथ होता है। अतः विज्ञापन श्रव्यसुपाठ्य भाषा में विशिष्ट शैली में लिखे जाते हैं। विज्ञापन लेखक को अत्यधिक सावधानी से लिखना चाहिए क्योंकि विज्ञापन के प्रत्येक शब्द पर उपभोक्ता का ध्यान जाता है और एक भी गलत शब्द का प्रयोग पूरे विज्ञापन की महत्ता को समाप्त कर देता है।

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