विद्युत वाहक बल|विद्युत सेल प्राथमिक सेल द्वितीयक सेल क्या होते हैं | Vidhyut Vahak Bal Kya Hota Hai

 विद्युत वाहक बल,  विद्युत सेल प्राथमिक सेल द्वितीयक सेल क्या होते हैं 

विद्युत वाहक बल|विद्युत सेल प्राथमिक सेल द्वितीयक सेल क्या होते हैं | Vidhyut Vahak Bal Kya Hota Hai


विद्युत वाहक बल किसे कहते हैं (Electromotive force)-

  • किसी चालक में गतिमान मुक्त इलेक्ट्रानों को चालक के परमाणुओं द्वारा उत्पन्न बाधा के विरुद्ध कार्य करना पड़ता है। जिससे उनकी ऊर्जा का ह्रास होता है। 
  • अतः चालक में विद्युत धारा का प्रवाह बनाए रखने के लिए मुक्त इलेक्ट्रानों को किसी स्रोत से ऊर्जा देना आवश्यक होता है। यही ऊर्जा मुक्त इलेक्ट्रानों को प्रवाहमान बनाये रखने के लिए बल (Force) प्रदान करती है। 
  • अर्थात ऐसा बल जो परिपथ में विद्युत धारा का प्रवाह लगातार बनाये रखता है।विद्युत वाहक बल (Electromotive Force) कहलाता है। 
  • इसे विद्युत सेलजनित्र (Generator), तापयुग्म ( Thermo Couple), प्रकाश विद्युत सेल (Photo electric cell) व पाइजो विद्युत स्रोत (Piezo electroric Source) इत्यादि से प्राप्त किया जाता है। 
  • किसी सेल का विद्युत वाहक बल संपूर्ण परिपथ में आवेश को प्रवाहित कराने के लिए सेल द्वारा दी गई ऊर्जा प्रति एकांक आवेश के बराबर होता है। 
  • यदि किसी परिपथ में कूलाम आवेश को प्रवाहित कराने के लिए सेल से ऊर्जा प्राप्त हो तो-
  • सेल का विद्युत वाहक बल E = w/q  जूल/कूलाम या वोल्ट

 

विद्युत सेल क्या होते हैं इसके प्रकार (Electric Cell)

 

  • विद्युत सेल एक ऐसी युक्ति है जिसमें रासायनिक ऊर्जा का रूपान्तरण विद्युत ऊर्जा में होता है तथा यह परिपथ में विद्युत धारा का प्रवाह लगातार बनाये रखने के लिए विद्युत वाहक बल उत्पन्न करता है। अर्थात् परिपथ में दो बिंदुओं के बीच विभवान्तर बनाये रखता है। इस प्रकारविद्युत सेल वैद्युत ऊर्जा का स्रोत है। जो किसी परिपथ में आवेश के प्रवाह के लिए आवश्यक ऊर्जा प्रदान करता है।

 

  • विद्युत सेल में धातु की दो छड़ें होती हैं जिन्हें इलेक्ट्रोड कहते है। एक इलेक्ट्रोड धनावेशित होता है और दूसरा ऋण आवेशित। धनावेशित छड़ को एनोड तथा ऋणावेशित छड़ को कैथोड कहते हैं। इन छड़ों को जिस विलयन में रखा जाता है उसे विद्युत अपघट्य कहते हैं।

 

  • दोनों इलेक्ट्रोडों को किसी चालक तार से जोड़ दें तो धारा एनोड से कैथोड की तरफ बहने लगती है। 


विद्युत सेल के प्रकार 

विद्युत सेल मुख्य तथा दो प्रकार के होते हैं। 


(A) प्राथमिक सेल ( Primary Cell) - 

  • प्राथमिक विद्युत सेल ऐसे सेल को कहते हैं जिनमें रासायनिक पदार्थों की पारस्परिक क्रिया से रासायनिक ऊर्जा को त्रैद्युत ऊर्जा में रूपांतरित किया जाता है। प्रयुक्त रासायनिक पदार्थों के आधार पर प्राथमिक सेल भी कई प्रकार के होते हैं। यथा -

 

(1) साधारण या वोल्टीय सेल- 

  • इसमें विद्युत अपघटक के रूप में सल्फ्यूरिक अम्ल का प्रयोग होता है। एनोड तांबे की छड़ का व कैथोड जस्ते का होता है।

 

(2) लेंक्लांशे सेल- 

  • इसमें विद्युत अपघट्य के रूप में अमोनियम क्लोराइड (नौसादर) का प्रयोग किया जाता हैं। जस्ते की छड़ कैथोड व कार्बन की छड़ एनोड का कार्य करती है ।

 

(3) डैनियल सेल- 

  • इसमें कापर सल्फेट का विद्युत अपघट्य होता है। विलयन को तांबे के बर्तन में रखते है। कि एनोड का कार्य भी करता है। पात्र के बीच में एक जस्ते की छड़ भी डाली जाती है। जो कैथोड का कार्य करती है।

 

( 4 ) शुष्क सेल (Dry Cell)- 

  • यह लेक्लांशे सेल का ही संशोधित रूप है। इसमें विलयन के स्थान पर अमोनियम क्लोराइड की गाढ़ी लेई का प्रयोग होता है। इसमें जस्ते का बर्तन कैथोड व कार्बन की छड़ एनोड का कार्य करती है।

 

(B) द्वितीयक सेल ( Secondary Cell) - 

  • इन सेलों में पहले किसी अन्य स्रोत से विद्युत धारा प्रवाहित करके वैद्युत ऊर्जा को रासायनिक ऊर्जा में बदला जाता है। इससे विद्युत अपघट्य की रासायनिक ऊर्जा बढ़ जाती है। इस क्रिया को आवेशन (Charging) कहते हैं। 
  • सेल का उपयोग करते समय बढ़ी हुई रासायनिक ऊर्जा का रूपान्तरण पुनः वैद्युत ऊर्जा में होता है। इस क्रिया को निरावेशन (Discharging ) कहते हैं। इन सेलों में वैद्युत ऊर्जा का रासायनिक ऊर्जा के रूप में संचय किये जाने के कारण इन्हें संचायक सेल (Storage Cell) भी कहते हैं। 
  • मोटरकार  प्रयुक्त सीसा संचायक (Lead Accumulator) में तथा अन्य उपकरणों में प्रयुक्त क्षारीय सेल या नीफे सेल इसके प्रमुख उदाहरण है।

No comments:

Post a Comment

Powered by Blogger.