मार्क्सवादी नारीवाद |मार्क्सवादी नारीवादीयों का महिला उत्पीड़न पर विश्लेषण |Marxist Feminism in Hindi

मार्क्सवादी नारीवाद , मार्क्सवादी नारीवादीयों का महिला उत्पीड़न पर विश्लेषण

 Marxist Feminism in Hindi

मार्क्सवादी नारीवाद , मार्क्सवादी नारीवादीयों का महिला उत्पीड़न पर विश्लेषण  Marxist Feminism in Hindi


मार्क्सवादी नारीवाद Marxist Feminism in Hindi

  • कट्टरपंथी नारीवादी जिनका मानना हैं कि विषम लैंगिकता महिलाओं के उत्पीड़न का स्रोत है वहीं इन के विपरीत, मार्क्सवादी नारीवादियों का मानना है कि पूंजीवाद महिलाओं के उत्पीड़न का कारण है। मार्क्सवादी नारीवादी मार्क्सएंजेल्सलेनिन और अन्य उन्नीसवीं सदी के विचारकों के कार्यों से प्रभावित हैं। 


  • वे वर्ग आधारित समाज को महिलाओं के उत्पीड़न के स्रोत के रूप में देखते हैं और मानते हैं कि यह निजी संपत्ति के व्यवहार की उत्पत्ति है जिसने पूर्व औद्योगिक काल के समाजों में पुरुषों और महिलाओं के बीच समतावादी संबंध को तोड़ दिया है। उत्पादन कुछ व्यक्तियों के हाथों में था जो पुरुष थे । 
  • मार्क्सवादी और समाजवादी नारीवादी इस मुद्दे से चिंताशील हैं कि क्या वास्तव में महिलाएं एक वर्ग का गठन कर सकती है। जबकि सर्वहारा वर्ग और पूंजीपति वर्ग की महिलाएँ अलग-अलग वर्गों से संबंध रखती हैंलेकिन वे एकीकरणीय संघर्ष में साँझा रूप से शामिल हो सकती हैं जैसे 1970 के दशक का गृहकार्य के लिए मजदूरी आन्दोलन ।

 

मार्क्सवादी नारीवादीयों का महिला उत्पीड़न पर विश्लेषण

 

1 ऐन फोरमैन का महिला उत्पीड़न पर विश्लेषण

 

  • एन फोरमैन जैसे मार्क्सवादी नारीवादी मानते हैं कि एक महिला का स्वयं के प्रति दृष्टिकोण उसके परिवार की और उसके दोस्तों की उसके लिए की गई सराहना पर निर्भर है। अतः एक महिला खुद से ही विमुख हो जाती है। इसके अलावा वह गृहकार्य में भी संलग्न है जो सांसारिकनियमित और विमुखीय है क्योंकि इसे उत्पादक के रूप में नहीं देखा जाता है। वह मानती हैं कि श्रमिकों के एक वर्ग के रूप में महिलाएँ केवल तभी मुक्ति प्राप्त कर सकती हैं जब गृहकार्य को उत्पादक कार्य माना जाये। मार्क्सवादी नारीवादी एक ऐसे संसार की रचना करना चाहते हैं जिसमें महिलाएं स्वयं को खंडित अनुभव करने की बजाय एकीकृत मनुष्यों के रूप में देखें जो दूसरों की सराहना के आधार पर विमुख हैं ।

 

2 एवलिन रीड  का महिला उत्पीड़न पर विश्लेषण

 

  • अपने कार्य वूमेनः कास्ट क्लास ओर ओप्रेस्ड सेक्स ?' में एवलिन रीड ने तर्क दिया है कि पूंजीवादी और आर्थिक ताकतों के सामाजिक संबंध एक लिंग पर दूसरे लिंग के उत्पीड़न को लायें। रीड ने कहा कि इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि पूँजीवादी पितृसत्तात्मक व्यवस्था में स्त्रियाँ पुरुषों के अधीन होती हैं लेकिन तथ्य यह है कि पूंजीपति क्रम में बुर्जुआ महिलाएँ भी सर्वहारा पुरुषों और स्त्रियों पर प्रभुत्व रखतीं हैं। पूंजीवादी व्यवस्था में पूंजी ही शक्ति है। वह उत्पीड़ित पुरुषों और महिलाओं को अपने सामान्य उत्पीड़कों के खिलाफ एक वर्गीय युद्ध छेड़ने के लिए प्रोत्साहित करती है। वह मानती हैं उन्मूलन के साथ ही पुरुषों और महिलाओं का संबंध अधिक समतावादी होगा . 

 

मार्क्सवादी नारीवादीयों द्वारा दिए गए गृहकार्य पर विचारों को रेखांकित करें ?

गृहकार्य पर मार्क्सवादी नारीवादी परिप्रेक्ष्य

 

  • 1917 में रूस में कम्युनिस्ट क्रांति के बादसोवियत महिलाओं के लिए समय अच्छा नहीं गुजरा जो निम्न स्थितिकम मजदूरी जैसे थका देने वाले मुद्दों तक ही सीमित थीं। मार्गरेट बेन्सटन जैसे कुछ मार्क्सवादी नारीवादियों ने गृहकार्य पर अपना ध्यान केंद्रित किया और महिलाओं को एक वर्ग के रूप में देखा जो साधारण उपयोग मूल्यों का उत्पादन करतीं हैं ।
  • उन्होंने कहा कि खाना पकानेसफाई करने और बच्चों की देखभाल करने जैसे घरेलू कार्यों का सामाजीकरण किया जाना चाहिए ताकि महिलाओं को उत्पादक कार्य बल में शामिल किया जा सके और वे अपने घरों के बाहर भी समान कार्य ढाँचेमें संलग्न रह सकें जिस पर उनका नियंत्रण हो और उसे महत्वपूर्ण माना जाए।
  • दूसरी ओर मारिया डेला कोस्टा और सेल्मा जेम्स ने तर्क दिया कि महिलाओं के लिए एक विकल्प यह भी हो सकता है कि वे घर पर ही रहें और घर में उनके द्वारा घर पर किए गए उत्पादक काम के लिए मजदूरी की माँग करनी होगी। उन्होंने कहा कि महिलाओं को उनके पति के नियोक्ताओं से मजदूरी मिलनी चाहिए उस ग्रहकार्य के लिए जो वे करती हैं। हालांकि1970 के दशक में कई मार्क्सवादी नारीवादियों को इस बात का यकीन नहीं था कि गृहकार्य के लिए मजदूरी महिलाओं को मुक्त कर सकती है। उन्होंने आलोचना की कि महिलाएं घरों तक ही सीमित रहेंगीन कि घर के बाहर किसी भी काम में एकीकृत होंगी अपितु नियमित दोहराए जाने वाले काम में संलग्न रहेंगी।

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