जीवाश्म किसे कहते हैं|जीवाश्म कितने प्रकार के होते हैं | Fossils Types and Details in Hindi

 जीवाश्म किसे कहते हैं,जीवाश्म कितने प्रकार के होते हैं

जीवाश्म किसे कहते हैं|जीवाश्म कितने प्रकार के होते हैं | Fossils Types and Details in Hindi



जीवाश्म शब्द फॉसिल का अर्थ 

 

  • प्रागैतिहासिक अथवा प्राचीन जीवन का अध्ययन करने में जीवाश्म (fossil) जानकारी का एक मात्र महत्वपूर्ण स्रोत प्रदान करते हैं, क्योंकि प्राचीन जीवन के अध्ययन का कोई अन्य संगत स्रोत उपलब्ध नहीं है। शब्द फॉसिल यानी जीवाश्म, लेटिन शब्द फॉसिलियम (fossilium) से आया है, जिसका उपयोग मूलरूप से सोलहवीं शताब्दी में जमीन से खोद कर निकाले गए किसी प्रतिदर्श (specimen) के लिए किया जाता था. उदाहरण के लिए जैसे खनिज, शैल और धातु के साथ ही कभी जीवित रहे जीवों के जैविक अवशेष। लेकिन अठारहवीं शताब्दी के काल में शब्द जीवाश्म का उपयोग भूपटल में संरक्षित सिर्फ पूर्व जीवन के किसी प्रमाण के लिए किया जाने लगे। 

 

जीवाश्म क्या हैं?

 

  • शब्द 'जीवाश्म' को प्राचीन जीवन के अवशेषों या लेश तत्वों के रूप में परिभाषित किया जा सकता है जो प्राकृतिक प्रक्रियाओं द्वारा अवसादी शैलों में परिरक्षित हो गए
  • जीवाश्म प्राचीन जीवन के एक मात्र प्रत्यक्ष प्रमाण को प्रदर्शित करते हैं। ये जीवों के परिरक्षित कंकालों, अस्थियों और कवचों के रूप में पाए जा सकते हैं अथवा व्यवहारगत् क्रियाकलापों जैसे जीवों के पथों ( tracks), पथचिन्हों (trails) और पदचिन्हों (foot prints) की परिरक्षित छापों के रूप में भी पाए जा सकते हैं। 
  • जीवाश्म शब्द सामान्यतः उन जीवों के अवशेषो के लिए सीमित है जो हजारों करोड़ वर्ष पूर्व मर गए थे। ये व्यापक रूप से स्वीकृत है कि शैलों में पाए गए 10,000 वर्ष पूर्व के अवशेष को भी जीवाश्म कहा जा सकता है। 
  • लेकिन 10,000 वर्ष से कम के जैविक अवशेष और जो आज भी जीवाश्मीभवन की प्रक्रिया में है, उन्हें उपजीवाश्म (subfossil) कहते हैं

 

जीवाश्म का आकार (साइज) 

  • जीवाश्म विभिन्न साइज के होते हैं। ये एक माइक्रोमीटर व्यास के सूक्ष्मजीवी जीवाणुओं से लेकर विशालकाय डाइनोसॉर अथवा वृक्ष के अनेक मीटर लंबे जीवाश्म तनों तक के हो सकते हैं।

 

  • आपने पेट्रोलियम, कोयला और प्राकृतिक गैस के विषय में सुना होगा ये सभी ऊर्जा के गैर- नवीकरणीय (non-renewable) स्रोत हैं और यह सामूहिक रूप से जीवाश्मी ईंधन (fossil fuels) कहलाते हैं। जीवाश्मी ईंधन भी प्राचीन जीवों के जैविक अवशेषों से बनते हैं। इनमें कार्बन और हाइड्रोजन का उच्च प्रतिशत रहता है और इसलिए ये सामान्यतः ईंधन के रूप में प्रयोग किए जाते हैं। इन्हें जीवाश्म नहीं माना जाता है क्योंकि ये पूर्व जीवन के विषय में बहुत कम या कोई जानकारी प्रदान नही करते हैं। कभी-कभी कोयले में प्राचीन पादपों की परिरक्षित तने, पत्तियां, जड़े और कोशिकाएं निहित होती है, जिनकी एक निश्चित स्तर तक पहचान की जा सकती है।

 

शैल और जीवाश्म 

  • शैल (rocks) तीन प्रकार के होते हैं: आग्नेय (igneous), अवसादी (sedimentary) | और कायांतरित ( Metamorphic) | इन शैलों में से सिर्फ अवसादी शैल जो अवसाद / तलछट (बालू, पंक, मृत्तिका) को नदियों और सरिताओं के द्वारा महासागरों और | अन्य जलाशयों में लाया जाता और वहां पर यह परत दर परत जमा किए जाने की मंद , प्रक्रिया द्वारा बनते हैं, और इन में जीवाश्मों को काफी हद तक परिरक्षित करने की क्षमता होती है। जबकि आग्नेय और कायांतरित शैलों में जीवाश्मों को परिरक्षित करने की संभावना बहुत कम या नहीं होती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि आग्नेय शैल की उत्पति पृथ्वी के पटल के नीचे पिघले हुए गरम पदार्थ से होती है और स्वभाविक रूप से इतना उच्च तापमान जीवों के परिरक्षण के लिए उपयुक्त नहीं है। कायांतरित शैल जो पूर्व में | मौजूद शैलों के सघन वलन (folding) और पुनःक्रिस्टलीकरण (re-crystallisation) द्वारा बनते हैं और नई सामग्री निर्मित करने की प्रक्रिया में जैविक अवशेषों को नष्ट कर दती है।

 

जीवाश्मों के प्रकार

 

शैलों की परतों में अनेक प्रकार के जीवाश्म पाए जाते हैं। उनमें से कुछ जैसे देह (body) और अनुरेख (trace) जीवाश्म अधिक सामान्य हैं जबकि अन्य जीवाश्म कम सामान्य हैं। परिरक्षण की विधियाँ, साइज और उपयोगों के आधार पर जीवाश्मों को सामान्यरूप से अनेक प्रकारों में वर्गीकृत किया गया है, । 

 

जीवाश्मों के प्रकार - परिरक्षण की विधियाँ के आधार पर

  • देह जीवाश्म 
  • अनुरेख जीवाश्म
  • रासायनिक जीवाश्म
  • कूट जीवाश्म

 

जीवाश्मों के प्रकार - साइज के आधार पर

  •  स्थूल जीवाश्म 
  • सूक्ष्म जीवाश्म 
  • परासूक्ष्म जीवाश्म

जीवाश्मों के प्रकार - उपयोगों के आधार पर

  • सूचक जीवाश्म 
  • जीवित जीवाश्म  


जीवाश्म क्या है विभिन्न प्रकार के जीवाश्म का वर्णन कीजिए ? 

जीवाश्मों के प्रकार - परिरक्षण की विधियाँ के आधार पर

1. देह जीवाश्म (body fossils): 

ये वास्तविक जीवों के परिरक्षित कठोर भाग हैं। देह जीवाश्म किसी भी जीव का पूरा शरीर, उदाहरण लिए डाइनोसॉर के कंकाल, द्विकपाटी जीवों के कवच अथवा प्राचीन प्राणियों, जैसे मछलियों, डाइनोसॉर अथवा स्तनधारी जीवों के शरीर के भाग होते हैं।  ये प्राचीन जीवन के प्रत्यक्ष प्रमाण होते हैं और कभी जीवित जीवों के साइज और कार्य के विषय में जानकारी प्रदान करते हैं।

 

 

1. देह जीवाश्म (body fossils):

चित्र : देह जीवाश्म a) अमोनोइड: b) कशेरूकी जीव की एक हड्डी; c) सुरा (shark) का एक दांत; और d) मगरमच्छ का एक दांत ।

 

2  अनुरेख जीवाश्म (trace fossils) : 

  • ये जीवों के वास्तविक अवशेष नहीं होते हैं, बल्कि प्राचीन जीवों के क्रियाकलापों के परिरक्षित प्रमाण अथवा छाप ( impression) हैं। अनुरेख जीवाश्मों में पथ, पथचिन्ह, पदचिन्ह, बिल और परिवेधन (borings) सम्मिलित हो सकते हैं । अनुरेख जीवाश्मों को पदचिन्ह जीवाश्म (ichnofossils) भी कहते हैं और उनके अध्ययन को पदचिन्हश्मिकी (ichnology) कहते हैं।

 

2  अनुरेख जीवाश्म (trace fossils) :

रासायनिक जीवाश्म (chemical fossils) : 

  • ये जैविक रूप से व्युत्पन्न यौगिक हैं जो शैलों में परिरक्षित होते हैं। सामान्यतः इन यौगिकों में वास्तविक जीव का कोई अंश नहीं होते हैं, इसलिए इन्हें प्राचीन जीवन के अप्रत्यक्ष प्रमाण माने जाता है। ये देखा गया है कि बड़े जैविक अणु जीव की मृत्यु के बाद लंबे समय तक नहीं बने रहते हैं, लेकिन ये अणु छोटे स्थिर जैविक अणुओं में विखंडित हो सकते हैं, जो लंबे भूवैज्ञानिक काल तक जीवित रह सकते हैं। प्राचीन DNA जो शैलों में परिरक्षित होता है उन्हें रासायनिक जीवाश्मों का सबसे प्रचलित उदाहरण माना जाता है।

 

4. कूट जीवाश्म ( pseudofossils) : 

  • ये जीवाश्म नहीं होते है यद्यपि ये जीवाश्म जैसे दिखते हैं। प्रकृति में अनेक ऐसे अजैविक पदार्थ हैं जो सामान्यतः जीवाश्म से मिलते हैं और ये कूट जीवाश्म कहलाते हैं। मैंगनीज का एक अयस्क डेन्ड्राइट, कूट जीवाश्म का उत्कृष्ट उदाहरण है, जिसे अपनी वृक्ष जैसी संरचना के कारण अक्सर पत्ती अथवा फर्न समझ लिया जाता है । 

 
4. कूट जीवाश्म ( pseudofossils) :

जीवाश्मों के प्रकार - साइज के आधार पर

स्थूल जीवाश्म (Macrofossils) : 

  • ये बड़े जीवाश्म होते हैं जिनका साइज़ 0.3mm से अधिक होता है और इन्हें बिना किसी अतिरिक्त सहायता के आंखों से देखा जा सकता है । जंतुओं की हड्डियां, दांत, कवच और पादपों के काष्ठ और पत्तियां स्थूल जीवाश्मों के सामान्य उदाहरण हैं।

 
4. कूट जीवाश्म ( pseudofossils) :

जीवाश्मों के प्रकार : (a-c) स्थूल जीवाश्म; a) हाथी का एक अश्मीभूत दांत; b) हाथी दांत की अनुप्रस्थ-काट; c) द्विकपाटी कवच और (de) ऑस्ट्रैकोड का सूक्ष्म जीवाश्म (सौजन्य डा. मीरा तिवारी, वाडिया हिमालयी भूविज्ञान संस्थान, देहरादून a) और b) के लिए) । जीवाश्मों के माप (scale) देखिए इससे आपको जीवाश्मों के साइज के विषय में अंदाजा होगा।

 

सूक्ष्म जीवाश्म (Microfossils) : 

  • ये 1 mm से कम साइज़ के बहुत छोटे जीवाश्म होते हैं और इनके अध्ययन के लिए सूक्ष्मदर्शी (microscope) की आवश्यकता होती है । ऑस्ट्रोकोड (जंतु जीवाश्म), परागकण और बीजाणु (पादप जीवाश्म) सूक्ष्म जीवाश्म के सामान्य उदाहरण हैं।

 

परा सूक्ष्म जीवाश्म ( nanofossils)

  • ये बहुत छोटे जीवाश्म होते हैं जिनका साइज़ 5 से 60 माइक्रोमीटर (um) के विस्तार में होता है और इनके अध्ययन के लिए इलैक्ट्रोन सूक्ष्मदर्शी (electron microscope) की आवश्यकता होती है। परा सूक्षम प्लवक (nanoplankton) परा सूक्ष्म जीवाश्म का प्ररूपी उदाहरण है।

 

जीवाश्मों के प्रकार - उपयोगों के आधार पर

सूचक जीवाश्म (Index fossils) : 

  • इनकी पहचान अल्प भूवैज्ञानिक विस्तार (आयु), व्यापक भौगोलिक वितरण, त्वरित विकास दर और विशिष्ट आकारिकीय गुणों से होती हैं। उदाहरण के लिए ट्राइलोबाइट (trilobites) जिन का भूवैज्ञानिक विस्तार केम्ब्रियन (Cambrian) से पर्मियन (Permian) तक है, वे पेलियोजोइक (पुराजीवी ) शैलों के लिए सूचक जीवाश्म है। सूचक जीवाश्मों का उपयोग शैलों के बीच संबंधों का पता लगाने और उनके काल निर्धारण करने के लिए किया जाता है।

 
सूचक जीवाश्म (Index fossils) :


जीवित जीवाश्म गिंगो: a) उत्तरी कोरिया के ट्राइसिक से गिंगोइटीज की एक पत्ती और b) गिंगो बाइलोबा वर्तमान जीवित जाति ।

 

जीवित जीवाश्म (Living fossil) 

  • प्रसिद्ध अंग्रेजी प्रकृति विज्ञानी चार्ल्स डार्विन ने सबसे पहले शब्द जीवित जीवाश्म का प्रयोग पूर्व एशियाई गिंगो (Ginkgo) वृक्ष के लिए किया था। जीवित जीवाश्मों में वे जातियाँ सम्मिलित हैं लंबे भूवैज्ञानिक काल तक जीवित रहीं और आज भी जी रही हैं और उनकी आकारिकीय में विकास के क्रम में बहुत कम या कोई परिवर्तन नहीं हुआ होता है । 
  • जीवित जीवाश्मों में बहुत कम विविधता होती है और उनकी विकासात्मक स्थिरता का वास्तविक कारण अभी तक ज्ञात नहीं हुआ है। जीवित जीवाश्म जीवाश्म विज्ञानियों के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण होते हैं क्योंकि वे जीव वैज्ञानिक आंकड़े प्रदान करते हैं जो जीवाश्मों में नहीं पाये जाते हैं। गिंगो (डिवोनियन कल्प से आज तक) शंकुवृक्षों (conifers) का एक जीवित जीवाश्म है।

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