पर्यावरण अर्थ परिभाषा प्रकार विशेषताएँ| Environment GK in Hindi

 पर्यावरण अर्थ परिभाषा प्रकार विशेषताएँ

पर्यावरण अर्थ परिभाषा प्रकार विशेषताएँ| Environment GK in Hindi


पर्यावरणः परिभाषा एवं प्रकार (Environment: Definition and Types )

 

  • आस-पास के प्रतिवेश, जो हमें चारों ओर से घेरे हुए हैं उसको पर्यावरण (Environment) कहते हैं। वह सभी तत्व तथा परिस्थितियाँ जो हमें चारों ओर से घेरे हुए हैं पर्यावरण कहलाती हैं। प्रत्येक जैव एक विशेष पर्यावरण में पनपता है। 


  • पर्यावरण को विभिन्न विषयों में प्राकृतिक वास (Habitat), जनसंख्या पारिस्थतिकी (Population Ecology), पौष्टिक चक्र (Nutrient Cycle) जीवमंडल (Geosphere) एवं इकोसाफियर (Ecosphere) जैसी शब्दावली से भी जाना जाता है। 


  • पर्यावरण वास्तव में मौलिक एवं जैविक तत्वों के पारस्परिक कार्यवाही संबंध को कहते हैं। पर्यावरण के मौलिक तत्वों में स्थान, भूआकृतियों, जलाशयों (Water-bodies), जलवायु, जलअपवाह (Drainage), शैल ( Rocks) मृदा (Soils), खनिज संपत्ति (Mineral wealth) इत्यादि सम्मिलित हैं, जबकि जैविक तत्व में मानव, पशु, पक्षी एवं वनस्पति सम्मिलित हैं। 


पर्यावरण का निम्न प्रकार से वर्गीकरण किया जा सकता है

 

1. भौतिक पर्यावरण (Physical Environment): 

  • भौतिक पर्यावरण में अजैविक तत्व सम्मलित हैं; जैसे- भूआकृतियाँ (Landforms), जलवायु (Climate), जलाशय (Waterbodies), तापमान तथा आर्द्रता (Humidity) इत्यादि सम्मिलित हैं।

 

2. सांस्कृतिक पर्यावरण (Cultural Environment): 

  • पृथ्वी पर मानव द्वारा निर्मित पर्यावरण को सांस्कृतिक पर्यावरण कहते हैं। इस प्रकार के पर्यावरण में नृजात, भाषा, धर्म, रीति-रिवाज एवं जीवन-शैली मुख्य तत्व होते हैं।


3. जैविक पर्यावरण (Biological Environment): 

  • जैविक पर्यावरण में मानव, पशु, पक्षी तथा वनस्पति सम्मिलित किए जाते हैं।

 

4. संज्ञात पर्यावरण (Cognitive Environment): 

  • अपने संसाधनों का उपयोग करने में जो प्रतिमा ( Image) मानव के मन में आती है उसको संज्ञात पर्यावरण कहते हैं।

 

पर्यावरण की मुख्य विशेषताएँ (Salient Features of Environment) 

 

  • किसी समय पर जैविक एवं अजैविक तत्वों के योग को पर्यावरण कहते हैं। 
  • जैविक विविधता, प्राकृतिक वास (Habitat) तथा ऊर्जा (Energy). किसी पर्यावरण के मुख्य तत्व होते हैं। 
  • पर्यावरण में समय तथा स्थान के साथ परिवर्तन होता रहता है। 
  • पर्यावरण जैविक एवं अजैविक पदार्थों के व्यावहारिक (Functional) संबंध पर अधारित होता है।
  • पर्यावरण अपने जैविक पदार्थों (Organic matter) का उत्पादन करता है जो विभिन्न जलवायु एवं विभिन्न स्थानों पर भिन्न-भिन्न होता है। 
  • पर्यावरण को कार्यवाही (Functioning) ऊर्जा संचार पर निर्भर करती है। 
  • पर्यावरण सामान्यतः पारिस्थितिकी संतुलन स्थापित करने की ओर अग्रसर रहता  है।


परिचालन पर्यावरण (Operational Environment )

 

  • परिचालन पर्यावरण में वह सभी तत्व सम्मिलित होते हैं जो जैविक पदार्थों एवं जैव को प्रभावित करते हैं। उदाहरण के लिए वाइरस (Virus) बहुत सूक्ष्म होता है और उनको बिना यंत्र (Instruments) के देखा नहीं जा सकता, परंतु वह जीवन को प्रभावित करते हैं और बहुत सी बीमारियों का कारण बनते हैं इसलिए वाइरस को भी परिचालित पर्यावरण का तत्व एवं भाग माना जाता है।

 

  • जैसा कि ऊपर लिखा जा चुका है, भौतिक पर्यावरण में जैविक तथा अजैविक तत्व सम्मलित हैं, जबकि सांस्कृतिक पर्यावरण में भूधरातल पर मानव द्वारा निर्मित तत्व सम्मिलित होते हैं। पर्यावरण अध्ययन का मुख्य उद्देश्य किसी क्षेत्र के स्थानीय तथा ऐहिक (Temporal) विश्लेषण की विवेचना की जाती है। पर्यावरण भूगोल में मुख्यतः जीवमंडल (Biosphere) का अध्ययन किया जाता है।

 

मानव तथा पर्यावरण (Man and Environment)

 

  • भूगोल में प्राय: मानव तथा पर्यावरण के पारस्परिक संबंध का अध्ययन किया जाता है। अमेरिका की प्रसिद्ध भूगोलवेत्ता मिस संम्पल के अनुसार 'मानव अपने पर्यावरण की उत्पत्ति है 'Man is the product of Earth or Environment' 
  • सन् 1859 में प्रसिद्ध वैज्ञानिक चार्ल्स डार्विन (Charles Darwin) के अनुसार मानव अपने पर्यावरण में संघर्ष करके वर्तमान स्वरूप में पहुँचा है।
  • भूगोल में डार्विन के संघर्ष सिद्धान्त का सबसे पहले एफ. रेटजिल (F. Ratzel) ने अपनी प्रसिद्ध पुस्तक ऐथरोपांज्यांग्राफी (Anthropogeography) में किया था।
  • रेटजिल महोदय ने मानव एवं पर्यावरण के संबंध में निश्चयवाद विचारधारा (Determinism) को जन्म दिया। निश्चयवाद विचारधारा के अनुसार मानव एवं पारस्परिक संबंध में पर्यावरण एवं प्रकृति (Nature) सक्रिय है और मानव निष्क्रिय (Passive) अर्थात् मानव की उन्नति, अवनति एवं विकास की दर पर्यावरण पर निर्भर रहती है। दूसरे शब्दों में मानव के भाग्य का निर्धारण प्रकृति एवं पर्यावरण करता है।

 

  • निश्चयवाद विचारधारा की मुख्यतः दो कारणों से आलोचना हुई। रेटजिल महोदय के अनुसार यदि दो देशों की अवस्थिति समान हो तो उन लोगों की जीवन शैली, इतिहास तथा संस्कृति भी समान होगी। वास्तव में ऐसा नहीं है, क्योंकि जीवन शैली पर संस्कृति एवं सभ्यता का भी भारी प्रभाव पड़ता है। दूसरे मानव निष्क्रिय नहीं वह अपने कर्म से अपने भाग्य का निर्माण करता है। मानव जीवन को पर्यावरण प्रभावित करता है और मानव भी पर्यावरण को प्रभावित करता है। इन्हीं आलोचनाओं के कारण निश्चयवाद विचारधारा का खंडन किया गया।

 

  • निश्चयवाद की आलोचना विशेष रूप से फ्रांस के भूगोलवेत्ताओं ने की। निश्चयवाद के आलोचक विडाल डी लाब्लाश (Vidal de Lablache) में एक नई विचारधारा को जन्म दिया जिसको संभववाद (Possibilism) के नाम से संबोधित किया जाता है। संभववाद विचारधारा के अनुसार मानव अपने संसाधनों का उपयोग करने में स्वतंत्र है। मानव अपने व्यवहार में स्वतंत्र है। पर्यावरण, संसाधनों के उपयोग की बहुत सी संभावनाएँ प्रस्तुत करता है और मानव अपनी संस्कृति एवं रीति-रिवाज के अनुसार अपने संसाधनों (पर्यावरण) के बारे में निर्णय लेता है। मानव सक्रिय है जो अपने भाग्य का स्वयं निर्धारण करता है।

 

  • विडाल डी लाब्लाश महोदय संभववाद के प्रमुख प्रचारक थे। उन्होंने जीवन-शैली (Genres de vie) शब्दावली का उपयोग किया। उनके अनुसार आचार-व्यवहार (attitude) धर्म विश्वास ( religion ) आदत ( habits). मूल्य ( value) इत्यादि का मानव के व्यवहार एवं संसाधनों के उपयोग पर भारी प्रभाव पड़ता है। यही अवधारणा संभववाद की आधारशिला है।

 

  • यद्यपि संभववाद फ्रांस में काफी लोकप्रिय विचारधारा रही, परंतु इस विचारधारा को भारी आलोचना भी हुई। संभववाद के आलोचकों के अनुसार मानव कभी भी अपने भौतिक पर्यावरण से पूर्णरूप से मुक्ति नहीं पा सकता। मानव प्रकृति के विरुद्ध अपने संसाधनों का उपयोग नहीं कर सकता और यदि मानव ऐसा करता है तो उसको भारी आर्थिक मूल्य चुकाना पड़ेगा। इसके अतिरिक्त जहाँ तक संभावनाओं (possibilities) का प्रश्न है वह विश्व के कुछ प्रदेशों तक संभावित है। आलोचकों के अनुसार विषुवतरेखीय प्रदेशों टुंड्रा (Tundra), मरुस्थलों (Deserts) तथा ऊँचे पर्वतीय प्रदेशों में पर्यावरण को कठोरता के कारण संभावनाएँ बहुत सीमित हैं। वास्तव में मानव भौतिक पर्यावरण के विरुद्ध कुछ भी करने में असमर्थ

 

  • निश्चयवाद (Determinism) तथा संभववाद (Possibilism) के अतिरिक्त, मानव एवं पारस्परिक संबंध की विवेचना के लिए एक तीसरी विचारधारा सांस्कृतिक निश्चयवाद (Cultural Determinism) के रूप में प्रचलित हुई। सांस्कृतिक निश्चयवाद में मानव की सक्रियता पर बल दिया गया है। उनके अनुसार मानव स्वयं अपना इतिहास रचता है। हमारी संस्कृति हमारी वर्तमान परिस्थतियों व आर्थिक उन्नति को निर्धारित करती है। इस विचारधारा को संयुक्त राज्य अमेरिका (U.S. A.) में विशेष रूप से लोकप्रियता प्राप्त हुई। सांस्कृतिक निश्चयवाद के जनक प्रो. कार्ल ओ. सावर (Carl O. Sauer ) थे। प्रो. सावर ने संस्कृति के आधार पर विश्व का सांस्कृतिक प्रादेशीकरण किया। मानव अपनी आवश्यकताओं के अनुसार अपनी टेक्नोलॉजी (technology) का विकास करता तथा अपने संसाधनों का उपयोग करता है। जैसे-जैसे समय गुजरता है, टेक्नोलॉजी में सुधार होता जाता है और मानव अपना आर्थिक एवं सांस्कृतिक व सामाजिक विकास करता है।

 

  • उपरोक्त विचारधाराएँ भूगोल में रूढ़िवादी (conventional) विचारधाराएँ मानी जाती हैं, परंतु निश्चयवाद, संभववाद तथा सांस्कृतिक निश्चयवाद पूर्ण रूप से और शुद्धता के साथ मानव तथा पर्यावरण की पारस्परिक संबंध की व्याख्या नहीं करतीं। दूसरे महायुद्ध के पश्चात भूगोल में संख्यात्मक क्रांति (Humanism) जैसी विचारधाराएँ प्रचलित हुई।
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