मध्यप्रदेश के प्रमुख संग्रहालय। Museum of MP

 मध्यप्रदेश के प्रमुख संग्रहालय (Museum of MP)

मध्यप्रदेश के प्रमुख संग्रहालय। Museum of MP

मध्यप्रदेश के प्रमुख संग्रहालय

  • मध्य प्रदेश के विभिन्न अंचलों में प्रतिहारचंदेलकच्छपदातकलचुरि एवं परमार शासकों के समय बने मूर्ति कला के अवशेष तथा अन्य पुरातात्विक अवशेष सुरक्षित हैं।
  • इनके अन्तर्गत भोपालइंदौरग्वालियरजबलपुरशिवपुरी धार और विदिशा के संग्रहालय विख्यात हैं। मध्य प्रदेश में मौर्यकालीन विशालकाय यक्ष प्रतिमाएं व यक्ष-यक्षिणी की मूर्तियां विदिशा के संग्रहालय में सुरक्षित हैं। 
  • छोटे स्तर के संग्रहालय भानपुराआशापुरीमंदसौरमहेश्वरगंधर्वपुरीदमोह और पन्ना में विद्यमान हैं। 
  • इसके अतिरिक्त राज्य के कुछ विश्वविद्यालयों में भी संग्रहालयों की स्थापना की गई हैजिनमें सागर जबलपुर और उज्जैन विश्वविद्यालय के संग्रहालय उल्लेखनीय हैं। 
  • मध्य प्रदेश में स्थापित 10 संग्रहालयों के अतिरिक्त शासन द्वारा रीवामंडलाशहडोल तथा राजगढ़ आदि में नए संग्रहालय स्थापित किए गए हैं।

 

शासकीय संग्रहालयभोपाल 

  • 'एडवर्ड म्यूजियमनाम से 1887 में स्थापित इस संग्रहालय को मध्य प्रदेश शासन ने 1964 में अधिगृहीत किया। 
  • भोपाल में वाणगंगा मार्ग पर मध्य प्रदेश कला परिषद के सामने स्थित इस संग्रहालय में पाषाण प्रतिमाओं का अच्छा संग्रह है। 
  • यहां एक प्रागैतिहासिक गैलरी भी तैयार की गयी है। 
  • कला में अपूर्व स्थान रखने वाली यहां संगृहित प्रमुख प्रतिमाएं हैं- महिषासुर मर्दनीअलक्ष्मीकृष्ण जन्महरिहर पितामहबुद्ध (गंगाधर शैली)अपराजिता एवं पंचमुखी गणेश आदि।

 

केंद्रीय पुरातत्व संग्रहालयग्वालियर 

  • ग्वालियर किले के गूजरी महल में अवस्थित यह संग्रहालय मध्य प्रदेश शासन के अधीन संचालित है। 
  • बहुमूल्य कृतियों को सहेजने वाले इस संग्रहालय में सुरक्षित पुरातात्विक अवशेष पावायाउज्जैनआवराइंद्रगढ़ तथा महेश्वर से उत्खनन एवं अन्वेषण से प्राप्त हुए हैं। इन अवशेषों में प्राचीन मृद्भांड के टुकड़ेउत्कीर्ण मुहरेंमृण्मूर्तियांमनकेमंजूषा आदि शामिल हैं। 
  • इस संग्रहालय में लगभग 680 पाषाण प्रतिमाएं संगृहीत हैं। विभिन्न देशों में आयोजित होने वाले भारत महोत्सव में प्रदर्शन के लिए पाषाण मूर्तियां इस संग्रहालय से भेजी जाती हैं। 
  • इस संग्रहालय में धातु प्रतिमाओं का भी अच्छा संग्रह है। सिक्के इस संग्रहालय की प्रमुख विशेषता हैं।

 

केंद्रीय पुरातत्व संग्रहालयइंदौर 

  • 1931 में स्थापित इस संग्रहालय में 5 हजार ई.पू. के हस्त कुठारलीवरस्क्रेपरभालाहंसिया आदि उपकरण सुरक्षित हैं। 
  • इस संग्रहालय में हिंगलाजगढ़ और मंदसौर से प्राप्त लगभग 500 पाषाण प्रतिमाएं, 10वीं- 11वीं शताब्दी से लेकर 17वीं-18वीं शताब्दी तक की धातु प्रतिमाएंमुद्राएं आहत मुद्राएंरियासती मुद्राएं तथा 13वीं सदी के मध्य के अभिलेख आदि सुरक्षित हैं। 
  • बोधिसत्व पद्मपाणि की प्रतिमा इस संग्रहालय की अपनी विशेषता है। इस संग्रहालय में 2500 से अधिक सिक्कों का अच्छा संग्रह है।

 

जिला संग्रहालयशिवपुरी 

  • 1930 में स्थापित इस संग्रहालय को 1962 में मध्य प्रदेश शासन ने अधिग्रहीत कर लिया था। जैन पाषाण प्रतिमाओं के लिए प्रसिद्ध शिवपुरी संग्रहालय में लगभग 580 प्रतिमाएं सुरक्षित हैं। 
  • इस संग्रहालय में सुरक्षित अन्य प्रमुख अवशेष हैं। आ उत्खनन से प्राप्त मृद्भांडों के कुछ ठीकरेहनुमान प्रतिमा का मस्तक आदि ।

 

शासकीय जिला पुरातत्व संग्रहालयविदिशा 

  • 1940 में स्थापित इस संग्रहालय को मध्य प्रदेश सरकार ने 1962 में अधिगृहीत किया। 
  • इस समृद्ध संग्रहालय के मुख्य द्वार की शोभा कुबेर की विशालकाय प्रतिमा हैयहां सुरक्षित जैन तीर्थंकर की प्रतिमा विशेष है। 
  • यहां लगभग 133 प्रतिमाओं का अच्छा संग्रह है। इस संग्रहालय में सिक्कों के अच्छे संग्रह के साथ मोहनजोदड़ो के अवशेष भी हैं। गुप्त वंश के रामगुप्त का अभिलेख भी इस संग्रहालय में सुरक्षित है।

 

शासकीय संग्रहालयधुलेबा ( नौगांव ) 

  • 1955 में छतरपुर जिले की नौगांव तहसील के धुलेबा में स्थापित इस शासकीय संग्रहालय (महाराजा छत्रसाल) में क्षेत्रीय इतिहास से सम्बन्धित कृतियां प्रदर्शित हैं। 
  • इस संग्रहालय में पाषाण प्रतिमाओं के साथ-साथ लगभग 2200 सिक्कों का संग्रह हैजो मुस्लिम और आधुनिक काल से सम्बन्धित है। 
  • इस संग्रहालय में स्कंदगुप्तमहाराजा लक्ष्मणभरत बल (पाण् डु वंश)कर्णमलय सिंह आदि के अभिलेख भी सुरक्षित हैं।

 

पुरातत्व संग्रहालयसांची (रायसेन)

 

  • सांची के स्तूपों के कारण विश्वविख्यात इस संग्रहालय का संचालन भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग द्वारा किया जाता है। इस संग्रहालय में ब्राह्मण तथा बौद्ध संस्कृति का समन्वय देखने को मिलता है।

 

पुरातत्व संग्रहालयखजुराहो ( छतरपुर ) 

  • इस संग्रहालय में चंदेल काल ( 10वीं से 12वीं शताब्दी) की लगभग सभी पूर्ण एवं खण्डित प्रतिमाएं संरक्षित हैं। 
  • इस संग्रहालय की प्रमुख पाषाण प्रतिमाएं निम्नलिखित हैं- अग्नि व स्वाहाअर्द्ध- नारीश्वरआदिनाथउमा महेश्वरकार्तिकेयकृष्ण व देवकीकौमारीगणपतिनटराजनंदीबलराममां व शिशुयोद्धागजलक्ष्मी तथा मिथुन प्रतिमाएं |

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