लिपि क्या होती है अर्थ परिभाषा । लिपि और भाषा का संबंध । Lipi Kise Kahte Hain

  लिपि क्या होती है अर्थ परिभाषा ( लिपि और भाषा का संबंध)

लिपि क्या होती है अर्थ परिभाषा । लिपि और भाषा का संबंध । Lipi Kise Kahte Hain


 

लिपि क्या होती है ?

  • लिपि को परिभाषित करते हुए बी. ब्लॉक और जी. एल. ट्रैगर ने कहा है कि- भाषा को दृश्य रूप में स्थायित्व प्रदान करने वाले यादृच्छिक वर्ण- प्रतीकों की परम्परागत व्यवस्था लिपि कहलाती है। (Language is a system of arbitrary Vocal Symbols by means of which a Social group Coooperates)। 


इस संबंध में डॉ0 अनंत चौधरी ने लिखा है- 

  • जिस प्रकार भाषा ध्वनियों की व्यवस्था होती है, उसी प्रकार लिपि वर्णों की। तात्पर्य यह कि भाषा में जिस प्रकार ध्वनि के आश्रय कार्य चलता है, उसी प्रकार लेखन में वर्ण के माध्यम से। 


मानवता के विकास क्रम में लिपि

  • मानवता के विकास क्रम में लिपि ने क्रान्तिकारी भूमिका निभाई है, किन्तु भाषा और लिपि के तुलनात्मक स्वरूप पर हम विचार करें तो हम देखते हैं कि भाषा प्राथमिक है और लिपि द्वितीयक। दूसरे बड़ा अंतर यह भी है कि भाषा के बिना किसी मनुष्य का कार्य नहीं चल सकता, किन्तु लिपि के बिना चल सकता है। 
  • बहुत से व्यक्ति जो पढ़े-लिख नहीं है, वे भी भाषा व्यवहार करते हैं, क्यों कि भाषा मनुष्यता व सामाजिकता का हेतु हैं। भाषा-कौशल व व्याकरणिक दृष्टि से विचार करें तो भाषा और लिपि के इस संबंध को उच्चारित और लिखित भाषा के माध्यम से इनमें अंतर किया गया है। उच्चरित भाषा का संबंध बोलने और सुनने से है और लिखित भाषा का संबंध पढ़ने और लिखने से । इस प्रकार भाषा और लिपि का सम्बन्ध भी लम्बी ऐतिहासिक प्रक्रिया में विकसित हुआ है।

 

लिपि और भाषा का संबंध

 

  • आपने अध्ययन किया कि लिपि, वर्णों की दृश्य रूप में व्यवस्था है। और स्पष्ट रूप में समझे तो यह कि लिपि वर्णों की सुनिश्चित व्यवस्था है, जिस प्रकार वर्ण, ध्वनियों के सुनिश्चित रूप है। 
  • लिपि और भाषा के अंतर्सम्बन्ध को भाषा-कौशल के बिन्दुओं से हम और अच्छे प्रकार से समझ सकते हैं। 
  • भाषा- कौशल के चार माध्यम हैं- भाषण, श्रवण, लेखन, वाचन, इनमें दो का संबंध भाषा के उच्चरित रूप से है और दो का सम्बन्ध भाषा के लिखित रूप से । 

 

लिपि और भाषा (अंतर्सम्बन्ध) 

  1. उच्चरित रूप (वर्ण) -भाषण , श्रवण
  2. (लिपि) लिखित रूप वाचन ,लेखन 

  

  • इस प्रकार आपने देखा कि ध्वनियों एवं वर्ण चिह्नों के सम्बन्ध का नाम ही लिपि है। 


  • भाषा में ध्वनियों एवं वर्ण चिह्नों के संबंध का नाम लिपि है। इन्हीं वर्ण चिह्न के परस्पर संयोग से शब्द बनते हैं जिनसे पद, उपवाक्य तथा वाक्य बनाए जाते हैं। जहाँ लिपि भाषिक ध्वनि को वर्ण के रूप में चिह्नित करती है, वहाँ वर्तनी वर्ण विन्यास के रूप में हमारे सामने आती है। 
  • वर्ण विन्यास से तात्पर्य है - लिखित शब्द में वर्णों को एक विशेष सार्थक क्रम में रखना। 
  • दूसरे शब्दों में कहा जा सकता है कि किसी भाषा के शब्द में सार्थक किसी भी भाषा को शुद्ध रूप से तभी लिखा जा सकता है, जब सके वर्णों को हम सही-सही पहचाने तथा उनसे बनने वाले शब्दों को सही रूप में लिखें। इस आधार पर लिपि के दो पक्ष हो सकते हैं-

 

  • 1. ध्वनियों का लेखन (वर्ण-व्यवस्था)
  • 2. शब्दों का लेखन ( वर्तनी व्यवस्था)

 

  • स्पष्ट है कि भाषा और लिपि गहरे रूप में एक दसूरे से जुड़े हुए हैं। कई बार वाचन (भाषण) को प्राथमिक तथा लेखन को द्वितीयक मान लिया जाता है, जबकि यर्थाथ यह है कि बिना वाचन और लेखन के भाषण और श्रवण भी शुद्ध व परिष्कृत नहीं हो सकता।

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