भारत शासन अधिनियम 1935 एवं विशेषताएं। Bharat Shasan Adhiniyam 1935

 

  भारत शासन अधिनियम 1935 एवं विशेषताएं

भारत शासन अधिनियम, 1935, अधिनियम की विशेषताएं। Bharat Shasan Adhiniyam 1935 ke visheshtaayen


 

भारत शासन अधिनियम, 1935

  • यह अधिनियम भारत में पूर्ण उत्तरदायी सरकार के गठन में एक मील में का पत्थर साबित हुआ। यह एक लंबा और विस्तृत दस्तावेज थाजिसमें 321 धाराएं और 10 अनुसूचियां थीं।

 

 भारत शासन अधिनियम, 1935, की विशेषताएं

 

1. इसने अखिल भारतीय संघ की स्थापना कीजिसमें राज्य और रियासतों को एक इकाई की तरह माना गया। अधिनियम ने केंद्र और इकाइयों के बीच तीन सूचियों- संघीय सूची (59 विषय)राज्य सूची (54 विषय) और समवर्ती सूची (दोनों के लिये, 36 विषय) के आधार पर शक्तियों का बंटवारा कर दिया। अवशिष्ट शक्तियां वायसराय को दे दी गईं। हालांकि यह संघीय व्यवस्था कभी अस्तित्व में नहीं आई क्योंकि देसी रियासतों ने इसमें शामिल होने से इनकार कर दिया था ।  

2. इसने प्रांतों में द्वैध शासन व्यवस्था समाप्त कर दी तथा प्रांतीय स्वायत्तता का शुभारंभ किया। राज्यों को अपने दायरे में रह कर स्वायत्त तरीके से तीन पृथक् क्षेत्रों में शासन का अधिकार दिया गया। इसके अतिरिक्त अधिनियम ने राज्यों में उत्तरदायी सरकार की स्थापना की। यानि गवर्नर को राज्य विधान परिषदों के लिए उत्तरदायी मंत्रियों की सलाह पर काम करना आवश्यक था। यह व्यवस्था 1937 में शुरू की गई और 1939 में इसे समाप्त कर दिया गया 

3. इसने केंद्र में द्वैध शासन प्रणाली का शुभारंभ किया। परिणामतः संघीय विषयों को स्थानांतरित और आरक्षित विषयों में विभक्त करना पड़ा। हालांकि यह प्रावधान कभी लागू नहीं हो सका। 

4. इसने 11 राज्यों में से छह में द्विसदनीय व्यवस्था प्रारंभ की। इस प्रकारबंगालबंबईमद्रासबिहारसंयुक्त प्रांत और असम में द्विसदनीय विधान परिषद् और विधानसभा बन गईं। हालांकि इन पर कई प्रकार के प्रतिबंध थे। 

5. इसने दलित जातियोंमहिलाओं और मजदूर वर्ग के लिए अलग से निर्वाचन की व्यवस्था कर सांप्रदायिक प्रतिनिधित्व व्यवस्था का विस्तार किया। 

6. इसने भारत शासन अधिनियम, 1858 द्वारा स्थापित भारत परिषद को समाप्त कर दिया। इंग्लैंड में भारत सचिव को सलाहकारों की टीम मिल गई। 

7. इसने मताधिकार का विस्तार किया। लगभग दस प्रतिशत जनसंख्या को मत का अधिकार मिल गया । 

8. इसके अंतर्गत देश की मुद्रा और साख पर नियंत्रण के लिये भारतीय रिजर्व बैंक की स्थापना की गई। 

9. इसने न केवल संघीय लोक सेवा आयोग की स्थापना की बल्कि प्रांतीय सेवा आयोग और दो या अधिक राज्यों के लिए संयुक्त सेवा आयोग की स्थापना भी की। 

10. इसके तहत 1937 में संघीय न्यायालय की स्थापना हुई ।


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