कृषि अर्थशास्त्र का आशय परिभाषाएं |Meaning Definitions of Agricultural Economics

कृषि अर्थशास्त्र का आशय परिभाषाएं 

कृषि अर्थशास्त्र का आशय परिभाषाएं |Meaning Definitions of Agricultural Economics


कृषि अर्थशास्त्र सामान्य परिचय 

 

  • अर्थशास्त्र में हम अध्ययन करते है कि कैसे अपने सीमित साधनों से असीमित आवश्यकताओं की पूर्ति करें जिससे कि हमे अधिकतम सन्तुष्टि प्राप्त हो । वर्तमान समय में कृषि न केवल फसल उगाने तक सीमित रही है, बल्कि वनिका तथा पशुपालन भी कृषि क्षेत्र में आते है कृषि अर्थशास्त्र का प्रारम्भ खेत में होने वाले उत्पादन के अध्ययन के रूप में हुआ था किन्तु समय के साथ-साथ इसका क्षेत्र ब्यापक होता चला गया । कृषि शब्द का प्रयोग खाद्यान्न उत्पादन के लिए किया जाता है जिसे खेती बाड़ी भी कहते है। 


  • कृषि में सभी खाद्य उत्पादन क्रियाएँ, उनके उत्पादन, प्रसंस्करण, फसलों के लिए खेतों का वितरण विपणन एवं कृषि साख का अध्ययन किया जाता है। सभी क्रियाए कृषि आगत की तरह है जैसे उर्वरक, साख, मशीनरी, परिवहन, प्रसंस्करण, संग्रहण, तथा सेवाए कृषि अर्थशास्त्र में अध्ययन का एक अंग है। कृषि अर्थशास्त्र में हम अर्थशास्त्र के सिद्धान्तों को कृषि की समस्याओं को हल करने के लिए प्रयोग करते है। हम अपने सीमित साधनों को अधिकतम कृषि उत्पादन के लिए प्रयोग करते है जिससे कि हम अधिकतम लाभ प्राप्त कर सके । हम अर्थशास्त्र की सहायता से विभिन्न उत्पादन साधनों का इस प्रकार से एकत्र करते है कि अधिकतम उत्पादन प्राप्त किया जा सके । जब हम कृषि से सम्बन्धित कोई निर्णय लेते है तो अर्थशास्त्र के सिद्धान्तों से हमे सीख मिलती है कि इनका प्रयोग किस प्रकार करे जिससे कि हमे अधिकतम कृषि उत्पादन प्राप्त हो ।

 


कृषि अर्थशास्त्र का विकास Development of agricultural economics

 

  • प्रारम्भिक अर्थशास्त्रियों के विचारों में कृषि का महत्वपूर्ण स्थान रहा है। यूरोप में 19वी. शताब्दी के औद्योगीकरण से पूर्व कोई भी अर्थशास्त्री कृषि का उल्लेख किए बिना अपने विचार प्रकट नही कर सकता था ।

 

  • जैसा कि ब्लैक का कहना है कि कृषि अर्थशास्त्र विशेषीकरण के रूप में जितना अर्थशास्त्र से विकसित हुआ है उतना ही प्राकृतिक विज्ञानों एवं तकनीकी से भी, विद्वानों द्वारा वीसवीं शताब्दी के प्रारम्भ में कृषि से सम्बन्धित प्रश्नों पर ध्यान जाने लगा था । 


  • 1890 की आर्थिक मन्दी ने कृषि को बुरी तरह से प्रभावित किया था । उस समय संगठित समूहों ने फार्म की समस्यों में पर्याप्त रूचि ली जो प्रोफेसर पहले कृषि रसायन शास्त्र, एग्रानामी, हार्टीकल्चर एवं सामान्य अर्थशास्त्र जैसे प्रश्नों पर ही विचार करते थे, वे अब कृषि अर्थशास्त्र के अध्ययन की ओर अभिमुख हुए । फार्म प्रबन्ध का सर्वप्रथम प्रोफेसर एन्ड्र्यूबाँस को नियुक्त किया गया । वे उस समय एग्रानामी के प्रोफेसर भी थे।

 

  • थामस एक. हन्ट (Thomas F. Hunt ) को कृषि कालेज एवं कृषि प्रयोग सम्बन्धी कार्यो का सूत्रधार माना जाता है। मि. हन्ट एक ऐसे कृषि अर्थशास्त्री थे जिन्होंने खेती बाड़ी के भौतिक, जैविक एवं आर्थिक पहलुओं को पहचाना तथा अच्छे फार्म प्रबन्ध की व्यवस्था को प्रोत्साहित करने में इनकी आवश्यकता को स्वीकार किया ।

 

  • विलियम जे. स्पिलमैन ( william I. Spillman ) ने 1920 में संयुक्त राज्य अमेरिका के कृषि विभाग में फार्म प्रबन्ध का कार्य प्रारम्भ किया तथा एक फार्म पर खेती कितनी ब्यापक होनी चाहिए तथा फार्म कितना बड़ा होना चाहिए आदि बातों पर विचार किया ।

 

  • कृषि अर्थशास्त्र का अध्ययन सर्वप्रथम अमेरिका से ही प्रारम्भ होता है। थामस निक्सन कार्बर ने 1903 में एवं प्रोफेसर एच. सी. टेलर ( Prof. HC Taylor) ने कृषि अर्थशास्त्र तथा प्रो. जार्ज लागेन ने ग्रामीण अर्थव्यावस्था (Rural Economy ) का पाठ्यक्रम प्रारम्भ किया टेलर ने अपनी पुस्तक Agricultural Economies 1905 में प्रकाशित की प्रो. कार्बर की रचना Principals of Rural Eco nomics 1911 में प्रकाश में आयी । प्रथम विश्व युद्ध के बाद ब्यावसायिक खेती बाड़ी का प्रसार हुआ ।

 

  • कृषि अर्थशास्त्र के राष्ट्रीय ब्यूरो तथा कृषि कालेजों के स्टाफ ने सामान्य विक्री की समस्याओं, कीमतों, विदेशी प्रतियोगिता, यातायात, उत्पादन बाजारएवं सांख्यिकीय की समस्याओं का अध्ययन किया । 1920 से फार्म कीमत एवं आय नीति की समस्याओं ने कृषि अर्थशास्त्रियों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया ।

 

  • ब्यावसायिक कृषि अर्थशास्त्रियों को उत्पादन अर्थशास्त्र (Prduction Economics ), फार्म प्रबन्ध (Earm management ) कृषि विपणन ब्यवस्था (Agricaltural Marketing ) तथा कृषि नीति (Agricaltural policy ) में वर्गीकृत किया जा सकता है। इस प्रकार कृषि अर्थशास्त्र की विभिन्न समस्याओं ने अर्थशास्त्रियों को विचार के लिए प्रेरित किया है, साथ ही वर्तमान में देशो में तो कृषि पूर्णतः वैज्ञानिक हो गयी है ।

 

कृषि अर्थशास्त्र का आशय एवं परिभाषाएँ

 

कृषि अर्थशास्त्र में कृषि तथा किसानों से सम्बन्धित आर्थिक समस्याओं का अध्ययन किया जाता है। अनेक विद्वानों ने कृषि अर्थशास्त्र की परिभाषा अपने-अपने ढंग से दी है इनमें से प्रमुख परिभाषाएँ निम्नलिखित है।

 

प्रो. ग्रें के अनुसार कृषि अर्थशास्त्र की परिभाषा 


कृषि अर्थशास्त्र वह विज्ञान है जिसमें सामान्य अर्थशास्त्र के सिद्धान्तों एवं विधियों को कृषि ब्यवसाय की विशिष्ट परिस्थितियों में लागू किया जाता है।"

 

According to Prof. Gray, "It may defined the science in which the principles and methods of Economics are applied to the special conditions of agricultural industry. "

 

प्रो. जोजियर के अनुसार कृषि अर्थशास्त्र की परिभाषा


प्रो. जोजियर के अनुसार कृषि अर्थशास्त्र कृषि विज्ञान की वह शाखा है जो कृषि साधनों के नियमन से सम्बन्ध रखता हुआ यह बताता है कि किसान किस प्रकार अपने व्यवसाय से लाभ उठाकर अपने को सुखी बना सकते है।

 

According to Jouzier," Agricultural Economics is that branch of agricultural science which treats of the manner of regulating the relations of the different elements comprising the resources of the farmer, it be their relation to each other or with other human beings in order to secure the great degree of prosperity of the enterprise."

 

प्रो. हिबार्ड के अनुसार कृषि अर्थशास्त्र 


प्रो. हिबार्ड के अनुसार- "कृषि अर्थशास्त्र कृषि कार्य वाले मनुष्यों के धन कमाने और ब्यय करने की क्रियाओं से उत्पन्न पारस्परिक समस्याओं का अध्ययन करता है।

 

According to Hibbard, "Agricultural economics is the study of relationship arising from the wealth getting and wealth spending activities of man in agriculture".


प्रो. हावार्ड के अनुसार कृषि अर्थशास्त्र 

प्रो. हावार्ड के अनुसार कृषि अर्थशास्त्र सामान्य अर्थशास्त्र के नियमों को कृषि कला व व्यापार पर लागू करने वाला शास्त्र है।"

According to Prof. Howard, "Agriculture Economics may be defined as the application of general economics to the crafts and business of agriculture."


प्रो. टेलर के अनुसार, "कृषि अर्थशास्त्र 


प्रो. टेलर के अनुसार, "कृषि अर्थशास्त्र उन सिद्धान्तों का विवेचन करता है जो कृषक की इन समस्याओं क्या उत्पादन किया जाय और कैसे उत्पादन किया जाए, क्या बेचा जाए और कैसे बेचा जाए को शासित करते है जिससे सम्पूर्ण समाज के हित के साथ-साथ किसानों को भी अधिक से अधिक लाभ हो ।" 


According to Taylor, "Agricultural Economics deals with the principles which underlie for farmers problems of what to produce, how to produce it, what to sell and how to sell it, in order to secure the largest net profit for himself consistent with the best of society as a whole...

 

प्रो. एस. बी. के अनुसार, " कृषि अर्थशास्त्र 

प्रो. एस. बी. के अनुसार, " कृषि अर्थशास्त्र कृषि से संबंधित उन सिद्वान्तों एवं सूत्रों का अध्ययन है जिनकी सहायता से कम समयावधि में ही उन्नत खेती करके समृद्ध एवं सुखमय जीवन व्यतीत किया जा सकता है। "

 

According to A. W. Ashby, "Agricultural Economics is an applied science that is methodical pursuit off knowledge of results, for the purpose of stabilizing, adopting or modifying them, if and when necessary of changing their results." 


स्नोड ग्राँस एवं वालास के अनुसार, कृषि अर्थशास्त्र


स्नोड ग्राँस एवं वालास के अनुसार, "कृषि अर्थशास्त्र को सामाजिक विज्ञान का एक ब्यावहारिक पहलू माना जा सकता है जिसमें कृषि सम्बन्धित समस्याओं के समस्त पहलूओं की और ध्यान दिया जाता है।"


उपरोक्त परिभाषाओं से स्पष्ट है कि कृषि अर्थशास्त्र वह विज्ञान है जिसमें अर्थशास्त्र के सिद्धान्तों का प्रयोग कृषि क्षेत्र की विभिन्न समस्याओं का समाधान करने के लिए किया जाता है कृषि अर्थशास्त्र मूल रूप से अर्थशास्त्र की ही एक शाखा है । कृषि अर्थशास्त्र में कृषि से मनुष्य को धन कमाने और उसे व्यय करने की समस्त क्रियाओं से उत्पन्न समस्याओं का अध्ययन किया जाता है ।


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