प्रसार शिक्षा: उत्पत्ति, उद्भव, अर्थ एवं परिभाषा |प्रसार शिक्षा की प्रमुख विशेषताएँ | Extension education in hindi

 
 प्रसार शिक्षा: उत्पत्ति, उद्भव, अर्थ एवं परिभाषा |प्रसार शिक्षा की प्रमुख विशेषताएँ
प्रसार शिक्षा: उत्पत्ति, उद्भव, अर्थ एवं परिभाषा |प्रसार शिक्षा की प्रमुख विशेषताएँ  | Extension education in hindi



प्रसार शिक्षा: उत्पत्ति, उद्भव, अर्थ एवं परिभाषा 

Extension Education Meaning and Definition

 

  • हम एक ऐसी दुनिया में रह रहे हैं जो बहुत तेजी से बदल रही है। आज हर कोई जानता है कि स्वयं के विकास तथा आगे बढ़ने के लिए शिक्षा का क्या महत्व है। हालाँकि हम जानते हैं कि सारे व्यक्ति विद्यालय या विश्वविद्यालय नहीं जा पाते हैं। जो लोग औपचारिक शिक्षा ग्रहण नहीं कर पाते हैं उनको भी शिक्षित करना बहुत आवश्यक है क्योंकि अपने जीवन एवं क्रियाकलापों को सुधारने हेतु उन्हें भी ज्ञान की आवश्यकता होती है। किसी देश के विकास के लिए प्रत्येक व्यक्ति का योगदान आवश्यक होता है एवं यह योगदान तभी संभव है जब देश का प्रत्येक व्यक्ति शिक्षित हो इसी उद्देश्य के साथ प्रसार शिक्षा का जन्म हुआ।

 

प्रसार (extension)' शब्द की उत्पत्ति एवं अर्थ 

  • प्रसार (extension)' शब्द की उत्पत्ति एक्स (ex) व टेंसियो (tensio) से हुई है जिसका अर्थ है विस्तार करना। 


  • प्रसार शिक्षा का उपयोग सबसे पहले कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय द्वारा 1973 में विश्वविद्यालय परिसर से बाहर के शैक्षिक कार्यक्रमों के प्रसार या विस्तार के लिए किया गया। बाद में प्रसार शिक्षा का उपयोग अमेरिका के एक विश्वविद्यालय द्वारा उन लोगों को शिक्षित करने के लिए एक विषय के रूप में किया गया जो लोग काम की वजह से विश्वविद्यालय से दूर रहते थे। 


  • सन 1914 में संयुक्त राज्य अमेरिका की सरकार ने आधिकारिक तौर पर प्रसार शिक्षा को अपनाने हेतु संघीय स्मिथ लीवर एक्ट पारित किया। यह एक्ट संयुक्त राज्य अमेरिका के लोगों में कृषि एवं गृह अर्थशास्त्र (गृह विज्ञान) से सम्बंधित सभी विषयों पर उपयोगी व व्यवहारिक जानकारी का प्रसार करने के लिए पारित किया गया ।

 

  • प्रसार शिक्षा की इस मत्वपूर्ण भूमिका को बींसवीं सदी की शुरुवात में श्री रवीन्द्र नाथ टैगोर, महात्मा गांधी तथा एफ. एल. ब्रायन द्वारा देश के सामाजिक व आर्थिक विकास में समझा गया। इस प्रकार कुछ क्षेत्रीय विकास प्रसार कार्यक्रम ग्रामीण पुनर्निर्माण के लिए शुरू किये गए। 


  • हालाँकि भारत के आजाद होते ही राष्ट्रीय स्तर पर समुदाय विकास प्रसार कार्यक्रम शुरू हो गए थे । इन प्रयासों के परिणामस्वरूप उत्पादन, आय तथा गुणवत्ता सुधार हेतु प्रसार शिक्षा एक पूर्ण क्षेत्र के रूप में उभरकर सामने आया है।

 

प्रसार शिक्षा की परिभाषा

 

सार शिक्षा के जनक जे. पाल लीगन के अनुसार 

  • जे. पाल लीगन (1961), जोकि प्रसार शिक्षा के जनक माने जाते हैं, उन्होंने बताया कि प्रसार शिक्षा एक व्यवहारिक व सामाजिक विज्ञान है, जिसमें शोध से प्राप्त प्रासंगिक सामग्री, क्षेत्र के अनुभव व  प्रासंगिक सिद्धांत, उपयोगी तकनीकों का संश्लेषण तथा विचार व प्रतिक्रियाएं आती हैं जिससे कि व्यक्ति किसी भी विद्यालय या विश्वविद्यालय में जाए बिना ज्ञान प्राप्त करता है। 

 

ओ. पी. धामा (1973) एक प्रख्यात भारतीय प्रसार शिक्षा विशेषज्ञ के अनुसार 

  • ओ. पी. धामा (1973) एक प्रख्यात भारतीय प्रसार शिक्षा विशेषज्ञ हैं जिन्होंने प्रसार शिक्षा को एक शैक्षणिक क्रिया के रूप में परिभाषित किया जिसके द्वारा ग्रामीण स्थानों पर निवास कर रहे लोगों को विभिन्न क्षेत्रों से सम्बंधित नयी तकनीकों या तरीकों का ज्ञान प्रदान किया जाता है जिससे वे अपने विभिन्न कार्यों को सरलता से कर सकें एवं विभिन्न परिस्थियों में निर्णय ले सकें ।

 

सिंह (1980) के अनुसार प्रसार शिक्षा

  • सिंह (1980) के अनुसार प्रसार शिक्षा एक व्यवहारिक विज्ञान है जिसका प्रयोग विभिन्न तकनीकों और परिवर्तनों के कार्यक्रमों के माध्यम से नये वैज्ञानिक व प्रौद्यौगिकीय विचारों को लोगों तक पहुँचाने में किया जाता है।

 

वी. टी. कृष्णमचारी के अनुसार प्रसार शिक्षा 

  • वी. टी. कृष्णमचारी ने प्रसार शिक्षा को एक सतत प्रक्रिया बताया है जोकि ग्रामीण लोगों को उनकी समस्याओं से अवगत कराने और उसे हल करने के तरीकों के बारे में बताने का कार्य करती है। यह प्रक्रिया लोगों को केवल उनकी समस्याओं से अवगत करने का कार्य ही नहीं करती अपितु लोगों को सकारात्मक कार्य करने के लिए भी प्रोत्साहित करती है। इस प्रकार यह निष्कर्ष निकलता है कि प्रसार शिक्षा मुख्यत: ग्रामीण लोगों के लिए एक शिक्षा है जिसके द्वारा व्यक्ति का विद्यालय जाए बिना आर्थिक, सामाजिक तथा सांस्कृतिक विकास संभव है।
  • प्रसार का अर्थ है उन लोगों में विभिन्न नई तथा उपयोगी तकनीकों का प्रसार करना जो लोग नियमित विद्यालय या विश्वविद्यालय नहीं जा सकते हैं।


प्रसार शिक्षा की प्रमुख विशेषताएँ

 

यह एक व्यवहारिक विज्ञान है। 

यह एक शैक्षिक प्रक्रिया है। 

यह ग्रामीण युवाओं और वयस्कों में वांछनीय बदलावों पर केंद्रित रहता है। 

यह सुविचारित बदलावों की नियोजित प्रक्रिया है। 

यह शिक्षा उपयोगी प्रयोगात्मक वैज्ञानिक ज्ञान, नई पद्धतियों तथा प्रौद्योगिकी पर केंद्रित रहती है।

यह लोगों की प्रायोगिक समस्याओं का समाधान करता है और लोगों को सकारात्मक प्रयासों के लिए प्रोत्साहित करता है। 

यह ज्ञान कक्षाओं तथा विद्यालय में न देकर उसी स्थान पर दिया जाता है जहाँ विद्यार्थी रह रहा होता है या कार्य कर रहा होता है। 

प्रसार शिक्षा का अर्थ है सामाजिक व आर्थिक विकास ।

 

प्रसार के महत्वपूर्ण शब्द

अब हम कुछ अन्य महत्वपूर्ण शब्दों को समझेंगे जिनका उपयोग इस इकाई में आगे किया जाएगा ।

 

प्रसार सेवाएं : 

  • यह कृषि विकास, ग्रामीण कल्याण, ग्रामीण घर व परिवार में सुधार, गाँव या कुटीर आधारित छोटे उद्योगों के विकास या प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के लिए कार्यक्रमों के रूप में प्रदान की गयी सेवाओं को दर्शाता है। यह कार्यक्रम प्रसार शिक्षा की प्रक्रिया तथा उद्देश्यों का पालन करते हैं। प्रसार प्रक्रियाएं : यह विद्यालय या औपचारिक शिक्षण प्रणाली से बाहर सामुदायिक कल्याण हेतु प्रयोग की जाने वाली प्रक्रिया है जिसमें प्रसार कार्यकर्ता या प्रसार विशेषज्ञ, ग्रामीण युवाओं व वयस्कों को उनकी जरूरत व रूचि के अनुसार अच्छी जीविका प्राप्त करने हेतु व बेहतर एवं स्वस्थ जीवन शैली और बाहरी वातावरण हेतु शिक्षित करता है ।

 

समुदाय : 

  • लोगों का समूह जो 'एक ही भौगोलिक क्षेत्र में रहते हैं, एक ही व्यवसाय करते है एवं जीविकोपार्जन हेतु एक दूसरे पर अन्योन्याश्रित रहते हैं।

 

  • उदाहरण: एक गाँव में रहने वाले किसान |


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