सामाजिक जीवन में रूढ़ियुक्तियों का कार्य एवं महत्व |Function and Importance of Stereotypes in social life

सामाजिक जीवन में रूढ़ियुक्तियों का कार्य एवं महत्व
 (Function and Importance of Stereotypes in social life)

सामाजिक जीवन में रूढ़ियुक्तियों का कार्य एवं महत्व |Function and Importance of Stereotypes in social life


 

सामाजिक जीवन में रूढ़ियुक्तियों का कार्य एवं महत्व

  • सामाजिक जीवन में रूढ़ि युक्तियों का अधिक महत्व है क्योंकि इसका प्रभाव सामाजिक अन्तःक्रियाओं पर सीधा पड़ता है। प्रत्येक समाज एवं संस्कृति में कुछ निश्चित रूढ़ि युक्तियाँ होती हैं। जिनके आधार पर हम किसी वर्ग या समुदाय के लोगों के बारे में एक सामान्यत अर्थ लगाते हैं तथा जिससे हमें सामाजिक अन्तःक्रिया (Social interactions) करने में मदद मिलती है।

 

रूढ़ियुक्ति और सामाजिक व्यवहार

  • रूढ़ियुक्तियों से हमें सामाजिक व्यवहारों को समझने में मदद मिलती है। हमारे समाज में एक रूढ़ियुक्ति है कि राजनीतिज्ञ अवसरवादी होते हैं जब हम किसी राजनीतिज्ञ के साथ कोई अन्तः क्रिया करते हैं तो हम उनके प्रत्येक कथन की सत्यता को इस रूढ़ियुक्ति द्वारा मन में बनी मानसिक प्रतिमा के संदर्भ में समझने की कोशिश करते हैं। इसका एक लाभ यह होता है कि हम उनके कथनों में जल्दी नहीं आ जाते हैं और परिस्थिति को अच्छी तरह भाँप कर आगे बढ़ते हैं।

 

  • समाज की रूढ़ियुक्तियों के आधार पर हम पूर्वानुमान करते हैं। सही हो या गलत, उसके आधार पर हम सामाजिक क्रियाओं की संचालित भी करते हैं।

 

रूढ़ियुक्ति उदाहरणार्थ- 

  • एक रूढ़ियुक्ति हमारे समाज में यह है कि नेपाली नौकर (बहादुर) काफी ईमानदार एवं विश्वसनीय होता है। इस रूढ़ियुक्ति के आधार पर हम यह भविष्यवाणी कर सकते हैं कि ऐसे नौकर को ताला चाभी देकर निःसंकोच हम बाहर घूमने जा सकते हैं। उसी तरह से एक दूसरी रूढ़ियुक्ति है कि गोरखा बहुत बहादुर एवं साहसी होता है। अत: युद्ध के मैदान में गोरखा सिपाहियों को देखकर हम भविष्यवाणी कर सकते हैं कि युद्ध में हमारी जीत होगी।

 


  • रूढ़ियुक्तियों द्वारा हमारा सामाजिक व्यवहार नियंत्रित भी होता है। सच पूछा जाय तो रूढ़ियुक्तियों द्वारा व्यक्ति में एक ऐसी अदृश्य शक्ति पैदा होती है जो अपने आप ही व्यक्ति के व्यवहार को एक खास दिशा में नियंत्रित करती है।

 

  • रूढ़ियुक्तियाँ व्यावसायिक प्रचार में भी काफी लाभप्रद सिद्ध हुई है, इन रूढ़ियुक्तियों में व्यावसायिक प्रचार को काफी बल मिलता है।

 

उदाहरणार्थ- 'सर्फ की खरीददारी में और भी समझदारी है' "लाइफबॉय है जहाँ तन्दुरुस्ती है वहाँ,’’ ‘‘जो बीवी से करते हैं प्यार, प्रेस्टिज कुकर से कैसे करे इनकार" आदि रूढ़ियुक्तियों से संबंधित प्रचारों को काफी बल मिलता है तथा सुनने वालों के मस्तिष्क पर गहरा प्रभाव पड़ता है।


 

रूढ़ियुक्तियों के विकास एवं सम्पोषण के कारण 
(Courses of Development and Maintenance of Sterotypes) 


 

  • रूढ़ियुक्तियों के विकास एवं सम्पोषण पर समाज में चली आ रही परम्परा एवं लोक रीतियों का भी प्रभाव पड़ता है। प्रत्येक व्यक्ति की कोशिश यही होती है कि वह समाज की परम्परा एवं लोकरीति को अपनाये एवं उसके अनुसार कार्य करे ताकि उसकी सामाजिक प्रतिष्ठा बनी रही। ऐसा करने में स्वभावतः वह इन रूढ़ियुक्तियों को में तुरंत स्वीकार कर लेता है जो उसे पहले की पीढ़ियों से प्राप्त हुआ है। वह दूसरों की सच्चाई या झूठाई के बारे में एक बार भी नहीं सोचता है। इस तरह से रूढ़ियुक्तियाँ एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी के लोगों में कायम रहती है।

 

  • सामाजिक एवं सांस्कृतिक दूरी से रूढ़ियुक्तियों का विकास एवं सम्प्रेषण होता है। सामाजिक दूरी के कारण एक समाज या समूह या समुदाय के लोग दूसरे समुदाय के बारे में विस्तृत एवं सच्ची जानकारी नहीं रखते हैं। फलस्वरूप एक समुदाय के लोगों में दूसरे समुदाय के लोगों के प्रति अज्ञानता एवं अन्धकार का विकास होता है जिससे रूढ़िवृत्तियों का निर्माण होता है तथा साथ ही साथ उसका सम्पोषण भी होता है।

 

  • रूढ़ियुक्तियों का निर्माण समाजीकरण द्वारा होता है। समाजीकरण की प्रक्रियाओं में व्यक्ति रूढ़ियुक्तियों को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से सीखता है जैसे कि हम जानते हैं समाजीकरण का सबसे प्रमुख एवं महत्वपूर्ण साधन स्वयं परिवार होता है। जिसमें माता-पिता की भूमिका सराहनीय होती है। कुछ माता-पिता बच्चों में रूढ़ियुक्तियाँ विकसित करने के लिए प्रत्यक्ष रूप से काफी बल डालते हैं, जिसके फलस्वरूप बच्चों में रूढ़ियुक्तियों का विकास तीव्रता से होता है।

 

  • रूढ़िवृत्तियों के विकास तथा सम्पोषण में अनुकरण की भी सराहनीय भूमिका है। अनुकरण द्वारा व्यक्ति अपने वर्ग या समुदाय के लोगों के विश्वास एवं विचार को अपना विश्वास या विचार मान लेता है। फलस्वरूप समुदाय के अन्य लोगों की जैसी रूढ़ियुक्तियाँ होती हैं, वैसी ही रूढ़ि युक्ति व्यक्ति अपने में विकसित कर लेता है। शायद यही कारण है कि हिन्दू समुदाय में पैदा होने वाला व्यक्ति अपने हिन्दू भाइयों के समान ही समुदाय के रूढ़ि कृतियों को तेजी से ग्रहण करता है परन्तु मुसलमान समुदाय में प्रचलित रूढ़ि युक्तियों को वह काफी देरी से सीखता है या उसके बारे में जान भी नहीं पाता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि मुसलमान समुदाय के सदस्य के विचारों एवं विश्वासों का अनुकरण न के बराबर करता है।

 

  • किसी वर्ग या समुदाय के व्यक्तियों के बारे में रूढ़ियुक्तियाँ विकसित होने का एक प्रमुख कारण है उस वर्ग या समुदाय के कुछ ही व्यक्तियों से प्राप्त अनुभव तथा उनके बारे में अधूरा ज्ञान ।

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