विदेशी पूँजी के प्रकार |Types of foreign capital

विदेशी पूँजी के प्रकार

विदेशी पूँजी के प्रकार |Types of foreign capital


 

विदेशी पूँजी के प्रकार

 

  • विदेशी पूँजी की चर्चा में इसका अर्थ स्वाभाविक रूप से विदेशी निजी (private) पूँजी से होता है। इसमें बहुपक्षीय संगठनों (विश्व बैंकएशियाई विकास बैंक इत्यादि ) या द्विपक्षीय संगठनों (यू.एस.ए.आई.टीयू.के. की डी.एफ.आई.डी. इत्यादि) से प्राप्त विदेशी सार्वजनिक पूँजी सम्मिलित नहीं होती है। किंतु विनियोग के लिए उपलब्ध पूँजी की मात्रा में वृद्धि करने के रूप में इस प्रकार की अंतर्राष्ट्रीय सार्वजनिक पूँजी का प्रभाव विदेशी निजी पूँजी के समान ही होता है।

 

विदेशी निजी पूँजी के दो प्रकार-


  • विदेशी निजी पूँजी दो प्रकार की होती है। प्रत्यक्ष व्यावसायिक विनियोगजिसे विदेशी प्रत्यक्ष विनियोगभी कहा जाता है तथा प्रमुख रूप से विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफ.आई.आई.) का पोर्टफोलियों विनियोग / एफ.डी.आई. मेजबान देश की कंपनी में विनियोग होता है। 


  • स्वाभाविक रूप से यह एक बहु-राष्ट्रीय कंपनी स्थापित करता है क्योंकि इसके कार्यकलाप एक से अधिक देश में होंगे। हो सकता है यह वह विनियोग हो जो बाजार की खोज करता है तथा घरेलू बाजार में अवसरों का उपयोग करने के प्रयास करता है। यह इस अर्थ में कुशलता की खोज करता भी हो सकता है। कि बहु-राष्ट्रीय कंपनी विकासशील देश में न्यून मजदूरी वाले श्रमिकों का उपयोग करके अपनी उत्पादन लागत को कम करने का प्रयास कर सकती है। एफ.डी.आई. का तीसरा कारण दुर्लभ संसाधनोंखनिजों एवं इसी प्रकार की अन्य वस्तुओं तक पहुँच हो सकती है।

 

  • एक बहु-राष्ट्रीय कंपनी सामान्यतः विभिन्न स्थानों पर अपनी क्रिया-कलापों में समन्वय करने का प्रयास करती है। यह कच्चा माल या पुर्जों का उत्पादन एक देश में कर सकती है तथा उन्हें अन्य देश में जोड़ने या विनिर्मित करने के लिए हस्तांतरित कर सकती है। इस अंतरर्फर्म व्यापार में हस्तांतरण कीमत निर्धारणमूल देश के लाभों में वृद्धि करने के लिए मेजबान देश से पूर्ति किए गए आगतों की कीमतों को कम रखने के अवसर हो सकते है।

 

  • विदेशी पूँजी का अन्य रूप सामान्यतः एफ.आई.आई. द्वारा पोर्टफोलियो विनियोग होता है किंतु इसके अंतर्गत मेजबान देश की कंपनी में विनियोजित पूर्तिकर्ता के साख भी सम्मिलित होते हैं। आजकल एफ.आई.आई. का विनियोग बहुत अधिक है। अनिवासी सामान्यतः व्यक्तिगत रूप से नहीं बल्कि विभिन्न प्रकार के विनियोग कोषों के माध्यम से करते हैं। इनमें से कुछ विनियोग कोष बहुत बड़े सार्वजनिक कोष हैं जैसा सेवानिवृत्त अध्यापकोंसेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारियों एवं इसी प्रकार के अन्य लोगों के पेंशन कोष इत्यादि इस प्रकार की विदेशी पूँजी अपेक्षाकृत अधिक प्रतिफल दर की खोज में विनियोजित की जाती है।


  • विकासशील देश की अर्थव्यवस्थाओं एवं उनके स्टॉकएक्सचेंज द्वारा अब अपने प्रतिपक्ष विकसित देशों की अपेक्षा बेहतर कार्य किए जाने के कारण बहुत बड़ी मात्रा में एफ.आई.आई. पूँजी विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में विनियोग की खोज कर रही है। इस प्रकार की पूँजी का अधिकांश भाग स्कंध बाजार शेयर बाजार में विनियोजित है।

 

  • एफ.डी.आई. एवं एफ.आई.आई. में बहुत बड़ा अंतर होता है। पहला सापेक्षिक रूप में स्थिर होता है क्योंकि मेजबान देश से विनियोग की वचनबद्धता होती है। बहु-राष्ट्रीय कंपनी एक प्लांट या वितरण या विपणन कार्य का ढाँचा स्थापित करती है तथा उससे मेजबान देश में समुचित दीर्घकाल तक बने रहने की आशा की जाती है। प्रतिफल दरों में अल्पकालीन अंतरों से विनियोजित पूँजी को वापस लेने की संभावना उत्पन्न नहीं होती है।

 

  • दूसरी ओर एफ.आई.आई. विनियोग का लक्ष्य अल्पकालीन प्रतिफलों को अधिकतम करना होता है। यदि शेयर बाजार में मूल्य तीव्र गति से कम हो जाते हैं तो इस प्रकार के एफ.आई.आई. विनियोग वापस हो सकते हैं तथा उन्हें अन्य देशों को परिवर्तित कर दिया जाता है। शीघ्र वापसी एवं पोर्टफोलियों विनियोग के पुनर्विनियोग की संभावना के कारण इसे 'गरम मुद्रा (Hot Money) कहा जाने लगा है। 


  • जब देश के शेयर बाजार बहुत अच्छा कर रहे होते हैं तो इस प्रकार की गरम मुद्रा का अंतप्रवाह बहुत अधिक हो सकता है तथा जब देश के शेयर बाजार का कार्य निष्पादन बहुत खराब होता है तब उसका बहुत अधिक बहिर्गमन होता है। इस प्रकार एफ.आई.आई. विनियोगों के चक्रीय विरोधी होने के बजाय चक्रीय पक्षधर होने की प्रवृत्ति होती है। इसकी प्रवृत्ति चक्रीय उच्चावचनों को कम करने के बजाय उसे अधिक गहन बनाने की प्रवृत्ति होती है।

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