केन्द्रीयकरण का अर्थ परिभाषा विशेषताएँ लाभ एवं दोष | केन्द्रीकरण का तात्पर्य | Centralize Administration Explanation in Hindi

केन्द्रीयकरण का अर्थ परिभाषा विशेषताएँ लाभ एवं दोष 

केन्द्रीयकरण का अर्थ परिभाषा विशेषताएँ लाभ एवं दोष | केन्द्रीकरण का तात्पर्य | Centralize Administration Explanation in Hindi



केन्द्रीकरण की सामान्य व्याख्या 

 

  • जब उपक्रम के उच्च प्रबन्धकों के द्वारा अधीनस्थों को अधिकारों का भारार्पण नहीं किया जाता है और अधीनस्थ उच्च प्रबन्ध के निर्देशानुसार ही कार्य करते हैंतब इस संगठन के प्रारूप को केन्द्रीयकरण की संज्ञा देते हैं। 


  • केन्द्रीयकरण एक ऐसी स्थिति होती हैजिसके अन्तर्गत सभी प्रमुख अधिकार किसी एक व्यक्ति या विशिष्ट पद के पास सुरक्षित रहते हैं। अर्थात् इस व्यवस्था के अन्तर्गत अधिकारों का सहायकों को भारार्पण नहीं किया जाता है। 


  • वास्तव में कार्य के सम्बन्ध में अधिकांश निर्णय उन व्यक्तियों द्वारा नहीं लिये जाते जो कि कार्य में संलग्न हैं, अपितु संगठन में एक उच्चतर बिन्दु पर लिये जाते हैं। यह अधिकार सत्ता का न्यूनतम प्रत्यायोजन है। 


केन्द्रीकरण का तात्पर्य

केन्द्रीकरण का तात्पर्य हैसत्ता को संगठन के उच्च स्तर पर केन्द्रित करना। इस व्यवस्था के अन्तर्गत नीति निर्धारण एवं निर्णय लेने की शक्ति को प्रशासनिक संगठन के उच्च अधिकारियों के अधिकार क्षेत्र में रखा जाता है तथा संगठन के निचले स्तर के अधिकारी निर्देशसलाह तथा स्पष्टीकरण हेतु ऊपरी स्तर के अधिकारियों पर निर्भर रहते हैं। 


केन्द्रीयकरण की परिभाषा 

लोक प्रशासन के विभिन्न विचारकों ने इस सम्बन्ध में विभिन्न दृष्टिकोण प्रस्तुत किये हैं। इन्हें समझने का प्रयास करें

 

हेनरी फेयोल के अनुसार केन्द्रीयकरण की परिभाषा 


संगठन में अधीनस्थों की भूमिका को कम करने के लिए जो भी कदम उठाये जाते हैंवे सब विकेन्द्रीयकरण के अन्तर्गत आते हैं।" 


कुण्टज 'डोनेल के अनुसार केन्द्रीयकरण की परिभाषा 


 “केन्द्रीयकरण और विकेन्द्रीकरण में ठीक उतना ही अन्तर हैजितना कि ठण्डे और गरम में पाया जाता है।

 

लुइस ए0 ऐलन के शब्दों में केन्द्रीयकरण की परिभाषा 

 

केन्द्रीयकरण से आशय है कि किये जाने वाले कार्य के सम्बन्ध में अधिकांश निर्णय उन व्यक्तियों द्वारा नहीं लिये जाते हैं जो कि कार्य कर रहे हैंअपितु संगठन के उच्चतर बिन्दु पर लिये जाते हैं।


केन्द्रीयकरण की विशेषताएँ 

उपरोक्त परिभाषाओं के विवेचन के उपरान्त संगठन की निम्नलिखित विशेषताऐं सामने आती हैं। जो इस प्रकार हैं

 

1. केन्द्रीयकरण के अन्तर्गत संगठन के समस्त अधिकार एक ही व्यक्ति के पास केन्द्रित कर दिये जाते हैं और वह व्यक्ति ही उपक्रम के सम्पूर्ण कार्यों का निर्देशन करता है। 

2. केन्द्रीयकरण व्यक्तिगत नेतृत्व में सहयोगी होता है। 

3. एकीकरण व समन्वय सुगम व श्रेष्ठतर होता है। 

4. नीतियोंव्यवहारों व कार्यवाहियों में एकरूपता रहती है। 

5. आपातकालीन परिस्थितियों और संकट का सामना आसानी से हो सकता 

6. योजनाओं तथा प्रस्तावों की गोपनीयता बनाई रखी जा सकती है। 

7. इसके अन्तर्गत निर्णय परिचालन स्तर पर लेने के बजाए शीर्ष प्रबन्धकों के स्तर या उच्चतर बिन्दु पर लिये जाते हैं। 

8. अधिकारों का केन्द्रीयकरण केवल उसी सीमा तक किया जाना चाहिए जो कि श्रेष्ठतम निष्पादन के लिए आवश्यक हो । केन्द्रीयकरण की कोटि का निश्चय संगठन की प्रकृति तथा उसके आकार को ध्यान में रखकर किया जाता है। 


केन्द्रीयकरण से संगठन क्या लाभ प्राप्त होते हैं?

 

एकीकृत व्यवस्था 

  • संस्था के उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए उच्च अधिकारियों द्वारा अपने अधीनस्थों को केन्द्रीयकृत आदेश एवं निर्देश देना अत्यन्त आवश्यक होता है। चूँकि केन्द्रीकरण के अन्तर्गत निर्णय शीर्ष अधिकारियों द्वारा लिये जाते हैंजिससे आदेशों एवं निर्देशों में एकता बनी रहती है। एक क्रम में चलते हुए यह एकीकृत व्यवस्था को जन्म देता है।

 

क्रियाओं की एकरूपता

  • केन्द्रीकरण के अन्तर्गत संस्था के समस्त विभागों को आदेश एक ही केन्द्र-बिन्दु से प्राप्त होते हैंजिससे इन विभागों की क्रियाओं एकरूपता बनी रहती है। निर्णयों में में भी एकरूपता रहती है। इस प्रकार सम्पूर्ण संगठन की क्रियाओं में एकरूपता का प्रदर्शन होता है । 

 

संकटकाल में सहायक 

  • प्रशासन जितना केन्द्रित होगाआपातकालीन निर्णय उतना ही शीघ्रता से लिया जा सकेगा। आपातकाल में सोचने-विचारने का समय कम होता है तथा गलत निर्णय लेने पर परिणाम नकारात्मक भी हो सकते हैं। अतैव केन्द्रीकरण के द्वारा संकटकालीन समस्त निर्णय शीर्षस्थ अधिकारी लेते हैंजिससे अधीनस्थ चिन्तामुक्त रहते हैं।

 

प्रशासन में केन्द्रीकरण के दोष 

यूँ तो केन्द्रीकरण से उपरोक्त लाभ एक संगठन के होते हैंफिर भी प्रत्येक अवधारणा के जहाँ लाभ होते हैंवहीं उसकी कुछ हानियों भी होती है। अध्ययन की पूर्णता की दृष्टि से इसके निम्नलिखित दोषों को समझने का प्रयास करें

 

विकास में बांधक

  • उच्च अधिकारियों पर कार्यभार अधिक हो जाने से विलम्ब के साथ-साथ अकुशलता भी बढ़ सकती है।

 

उच्च स्तरीय प्रबन्ध का बोलबाला

  • केन्द्रीकरण में शीर्ष प्रबन्ध एवं विभागीय प्रबन्ध के बीच सदैव टकराव की स्थिति बनी रहती हैक्योंकि समस्त अधिकार एवं निर्णय लेने की दक्षता वरिष्ठ अधिकारियों में समाहित कर दी जाती है।

 

संदेशवाहन में अप्रभावी 

  • अधिकारों और उत्तर दायित्वों के मध्य असन्तुलन भी होता है। केन्द्रीकरण का यह असन्तुलन अधिकारियों और कर्मचारियों के मध्य सम्प्रेक्षण प्रणाली को भी हानि पहुँचता है।

 

संगठन में निराशा

  • केन्द्रीकरण में कर्मचारी प्रेरणा का अभाव रहता है तथा उनका मनोबल बढ़ाने के लिए कोई स्पष्ट युक्ति का प्रयोग नहीं होताजिससे कर्मचारियों का उत्साह व मनोबल गिरता हैजिससे नियन्त्रण शिथिल हो जाता है।

 

निर्णयों में देरी

  • वरिष्ठों एवं कर्मचारयों के बीच संघर्ष की आशंका निरन्तर बनी रहती है तो निर्णयों में विलम्ब सामने आता है। कागजी कार्यवाही जटिल हो जाती है।

 

संक्षेप में केन्द्रीकरण की अवधारणा का लक्ष्य केन्द्रीयकृत कार्य करना है। जिसके लिए अधिकारियों की शाक्ति संगठन के शीर्ष स्तर पर केन्द्रीकृत कर ली जाती है। किन्हीं परिस्थितियों में ये अच्छा परिणाम दे सकते हैं और कभी नकारात्मक परिणाम भी दे सकते हैं।

संगठन के सिद्धान्त

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