भारत में स्थानीय स्वशासन की पृष्ठभूमि | Background of Local Self Government in India in Hindi

भारत में स्थानीय स्वशासन की पृष्ठभूमि
Background of Local Self Government in India in Hindi
भारत में स्थानीय स्वशासन की पृष्ठभूमि | Background of Local Self Government in India in Hindi


 भारत में स्थानीय स्वशासन की पृष्ठभूमि  

पंचायत शब्द की उत्पत्ति संस्कृत भाषा के किस शब्द से हुई है?

  • भारत में स्थानीय स्वशासन की अवधारणा प्राचीन काल से ही चली आ रही है। स्थानीय स्वशासन वर्तमान की भाँति नगरीय एवं ग्रामीण क्षेत्रों की प्रशासनिक व्यवस्थाओं में विभक्त थी विशेष रूप से ग्राम पंचायतों का अस्तित्व अति प्राचीन है।
  • 'पंचायत' शब्द की उत्पत्ति संस्कृत भाषा के 'पंचायतन' से हुई है, जिसका आशय पाँच व्यक्तियों के समूह से है। 
  • वैदिक सभ्यता के साहित्य में सभा एवं समितियों का वर्णन मिलता है जो प्रजा की भलाई के लिए राजा को सलाह देती थी। जिससे अतिशासन पर नियंत्रण सम्भव होता था।

 

  • रामायण महाभारत काल के साहित्य में सभाओं, समितियों तथा गाँवों का उल्लेख मिलता है। वाल्मीकि रामायण में दो प्रकार के गांवों का वर्णन है- घोश एवं ग्राम
  • मनुस्मृति अनुसार गाँव का अधिकारी 'ग्रामिक' कहलाता था।  उसका कार्य करसंचित करना था। दस गाँव के अधिकारी को 'दशिक', 20 गाँव के अधिकारी को विधाधिप सौ गाँवों पर शतपाल और एक हजार गाँव के अधिकारी को सहस्रपति कहते थे। 
  • मौर्य काल के विदेशी यात्री मेगस्थनीज द्वारा भी स्थानीय शासन में नगरों एवं ग्राम आत्मनिर्भर छोटे गणतंत्रों के रूप में बताया गया। अर्थशास्त्र में कोटिल्य द्वारा स्थानीय स्वशासन पर काफी विस्तार से बताया गया और मौर्य शासकों के काल में इसका स्वरूप काफी विकसित था। 
  • गुप्त काल में गाँव के लिए ग्राम समितियों का विकास हो चुका था प्रशासनिक सुविधा के लिए प्रान्तों को नगर एवं ग्राम में विभक्त किया गया था। नगर का अधिकारी 'नगरपति' एवं ग्राम का अधिकारी ग्रामिककहलाता था। 
  • राजपूत कालीन युग में भी प्रशासन की मूल इकाई ग्राम ही थी जिसका शासन प्रबन्ध सभा एवं समितियों द्वारा होता था नगरीय शासन प्रबन्ध 'पहनाधिकारी द्वारा होता था।

 

सल्तनतकालीन प्रशासन


  • सल्तनतकालीन प्रशासन मूलतः सैनिक शासन रहा, जहाँ निरंकुशता एवं स्वेच्छाचारीता द्वारा स्थानीय स्वशासन के महत्त्व को कमतर कर दिया गया। सत्ता के केन्द्रीयकरण ने स्थानीय स्वायत्ता को प्रायः समाप्त ही कर दिया था।
  • मुस्लिम शासनकाल में स्थानीय संस्थाओं के प्रति उपेक्षा देखने को मिलती है इस काल में स्थानीय संस्थाओं और स्वशासन का स्वरूप वह नहीं रहा था जो प्राचीन भारत की प्रशासनिक व्यवस्थाओं में देखने को मिलता है, विशेष रूप से जमींदारी प्रथा के आरम्भ होने के पश्चात सत्ता के प्रति यह दृष्टिकोण आगे मुगलकाल में भी जारी रहा और स्थानीय स्वशासन की अवधारणा के महत्त्व पर कम ध्यान दिया गया।
  • किन्तु स्थानीय प्रशासन पर 'आईन-ए अकबरी' में नगर प्रशासन की जिम्मेदारी जिस अधिकारी पर थी वह 'कोतवाल' कहलाता था।

 

ब्रिटिश के प्रशासन में स्थानीय शासन

  • ब्रिटिश के प्रशासन में स्थानीय शासन के विषय में पर्याप्त विस्तृत विवरण मिलता है। यद्यपि भारत में स्थानीय स्वशासन प्राचीन काल से ही मौजूद रहा किन्तु इसका वर्तमान स्वरूप, संगठन, कार्यप्रणाली और विकास ब्रिटिश राज की ही देन है। 
  • स्थानीय स्वशासन में शासक वर्ग का निर्वाचन जो प्रतिनिधियात्मक व उत्तरदायित्व की ओर संकेत करता है, का विकास ब्रिटिश शासन में आरम्भ हुआ। 
  • ब्रिटिश काल में ग्रामीण स्थानीय प्रशासन की अपेक्षा नगरीय स्थानीय संस्थाओं के विकास पर अधिक ध्यान दिया गया था इसका आरम्भ 1687 मद्रास नगर निगम की स्थापना से माना जाता है। इस प्रकार ब्रिटिश काल में विकसित हुआ भारत का स्थानीय शासन लगभग 330 वर्ष पुराना है। 


आजादी के पश्चात भारत में स्थानीय स्वशासन

  • आजादी के पश्चात भारतीय संस्कृति के प्राचीन मूल्यों, परम्पराओं एवं विरासतों को प्रजातांत्रिक संवैधानिक व्यवस्थाओं के साथ स्वभाविक रूप से अपनाया गया और हमारे नीति निर्माताओं द्वारा स्थानीय शासन के महत्त्व को समझते हुए लोकतांत्रिक विकेन्द्रीकरण पर आधारित स्वायत्ता प्रदान की गयी। 
  • निर्वाचक गणों के प्रति उत्तरदायी पूर्ण शासन को बनाने के लिए स्थानीय स्वशासन को विकसित करने का पुनित कार्य न केवल राज्य को सौंपा गया बल्कि नीति-निर्देशक तत्वों के अन्तर्गत पंचायतों एवं नगरीय शासन को 1992 में 73वां एवं 74वां संविधान संशोधन कर संवैधानिक दर्जा प्रदान कर दिया गया। 

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