कौटिल्य के मण्डल सिद्धान्त का विश्लेषण |Analysis of Kautilya's Mandal Sidhant

कौटिल्य के मण्डल सिद्धान्त का विश्लेषण
Analysis of Kautilya's Mandal theory
कौटिल्य के मण्डल सिद्धान्त का विश्लेषण Analysis of Kautilya's Mandal theory

कौटिल्य के मंडल सिद्धांत की विवेचना कीजिए


मण्डल सिद्धान्त का विश्लेषणः- 

कौटिल्य का मण्डल सिद्धान्त एक व्यावहारिक एवं दूरदर्शितापूर्ण सिद्धान्त है। इस सिद्धान्त में कौटिल्य ने राज्य के चारों ओर बनने वाले मण्डल (दूसरे राज्यों के घेरा) का विश्लेषण किया है।


मण्डल सिद्धान्त की प्रमुख तत्व निम्न है: 

1.कौटिल्य का मण्डल सिद्धान्त 12 राज्यों के एक केन्द्र की कल्पना करता है। 

2.मण्डल सिद्धान्त में राज्यों को विशेष नाम एवं विशेष प्रकृति का उल्लेख किया गया है । 

3.कौटिल्य के अनुसार यह संख्या घट बढ़ सकती है। 

4.कौटिल्य के अनुसार मध्यम एवं उदासीन राज्य को छोड़कर अन्य सभी राज्यों की शक्ति लगभग समान है।

5.कौटिल्य की स्पष्ट मान्यता है कि राज्य अपने पड़ोसी का शत्रु तथा उसके पड़ोसी का मित्र होता है।

6.उसकी मान्यता है कि राज्य को पड़ोसी राज्य से सतर्क रहते हुए अपना गठबंधन बनाना चाहिए । 

7.यह शक्ति संतुलन के सिद्धान्त पर आधारित है। यह राज्यों के आपसी सहयोग पर आधारित है।

मण्डल सिद्धान्त का वर्तमान में महत्व 

कौटिल्य का मण्डल सिद्धान्त तत्कालीन परिस्थितियों के अनुसार स्थापित किया गया था परन्तु आज की बदली परिस्थितियों में जिसमें भूमण्डलीकरण का दौर है तथा सैनिक शक्ति की अपेक्षा आर्थिक शक्ति का महत्व बढ़ गया है प्रांसगिक नहीं रह गया है। इसके बावजूद तत्कालीन परिस्थितियों को देखते हुए उसकी यह महत्वपूर्ण देन है। 

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