मानव का तंत्रिका तंत्र | Human Nervous System

मानव का तंत्रिका तंत्र 

Human Nervous System 

तंत्रिका तंत्र क्या होता है 

वह तंत्र जो सोचने, समझने तथा स्मरण रखने के साथ ही शरीर के विभिन्न अंगों के कार्यों में सामंजस्य तथा संतुलन स्थापित करने का कार्य करता है, तंत्रिका तंत्र कहलाता है। हमारी समस्त प्रतिक्रियाओं को सामूहिक रूप से हमारा व्यवहार या आचरण कहा जा सकता है। हमारी समस्त प्रतिक्रियाओं को दो भागों में बांटा गया है। ऐच्छिक एवं अनैच्छिक प्रतिक्रियाएं।



ऐच्छिक प्रतिकियाएं

  • किसी निश्चित उद्देश्यय को पूरा करने के लिए होती हैं इनकी प्रेरणा प्रमस्तिष्क के नियंत्रण केन्द्रों से निर्गमित होती है।

अनैच्छिक  कियाएं 

  • अपने आप होती रहने वाली अचेतन प्रतिक्रियाएं हैं हृदय स्पंदन, सामान्य श्वास क्रिया, ताप नियंत्रण, आदि से संबंधित प्रतिकियाएं अनैच्छिक होती हैं। इनके नियंत्रण केन्द्र, मस्तिष्क में हाइपोथैलेमस में होता है।

तंत्रिकीय नियंत्रण के घटक

तंत्रिकीय नियंत्रण के घटक में संवोदांग, अपवाहक रचनाएं तथा सूचना प्रसारण तंत्र आता है।

संवेदांग Sensory Organs or Receptors

वातावरणीय परिवर्तनों से उर्दीप्त होने वाले अंग होते हैं। इनकी तीन श्रेणियां होती हैं-

1.ज्ञानेन्द्रियां- जिसमें घ्राणेन्द्रियां,नेत्र, कर्ण तथा त्वचा में सूक्ष्म त्वक ज्ञानेन्द्रियां आती हैं।

2.अन्तः ज्ञानेन्द्रियां- ये शरीर के अन्तः वातावरण के उद्दीपनों को ग्रहण करते हैं।

3. स्वाम्य ज्ञानेन्द्रियां- रेखित पेशियों, अस्थि संधियों, कण्डराओं तथा स्नायुओं आदि में स्थित संवेदी तंत्रिका तन्तुओं के स्वतंत्र छोर होते हैं।

अपवाहक रचनाएं Effectors

  • ये प्रतिक्रिया करने वाली रचनाएं होती हैं इसलिए इन्हे क्रियात्मक भी कहते हैं ग्रंथियां रेखित एवं अरेखित पेशियां ही तंत्रिकीय संचालन की प्रतिक्रियाओं का अपवाहक होती हैं। अर्थात इनका कियान्वयन मोटर न्यूरान द्वारा होता है।

सूचना प्रसारण केन्द्र Communication System

मनुष्य का सूचना प्रसारण तंत्र तीन भागों में विभक्त होता है-

  • केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र CNS
  • परिधीय तंत्रिका तंत्र PNS
  • स्वधीन तंत्रिका तंत्र ANS

केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र Central Nervous System

तंत्रिका तंत्र का वह भाग जो संपूर्ण शरीर तथा स्वयं तंत्रिका तंत्र पर नियंत्रण रखता है, केन्द्रीय तंत्रिका-तंत्र  कहलाता है। यह शरीर के मुख्य अक्ष पर स्थित होता है। यह दो अंगों से बना होता है।

  1. मस्तिष्क
  2. मेरूरज्जू 



मस्तिष्क Human Brain

  • मस्तिष्क एक बहुत ही महत्वपूर्ण अंग है, जो करोटि या खोपड़ी (Scale) के भीतर कपाल (Skull) में  स्थित होता है।
  • इसका वज़न 1200-1400 gm होता है। तथा इसकी क्षमता 1350cc होती है।


मस्तिष्क के चारों ओर झिल्लियाँ

मस्तिष्क के चारों ओर झिल्लियाँ (Membranes) होती हैं। जो इसको सुरक्षा प्रदान करती हैं, इन झिल्लियों को मेनिन्जेज (Meninges) कहते है। ये तीन प्रकार की होती है-



01- ड्यूरामेटर (Dura Mater)

  • यह सबसे बाहरी झिल्ली है। जो तंतुमय संयोजी ऊतकों (Fibrous connective tissue) तथा कोलेजन तन्तुओं (Collagen fibers) से बनी होती है। 

02- एरेकेनोइड (Arachnoid Mater)

  • यह मध्य में पायी जाने वाली झिल्ली है। जो तंतुमय ऊतकों (Fibrous connective tissue) एवं इलास्टीन तंतुओ (Elastic fibers) से बनी होती है।

03- पायामेटर (Pia Mater)

  • यह सबसे भीतरी झिल्ली है। पायरोमीटर ऑक्सीज़न एवं भोज्य पदार्थ पहुंचाती है । 
  • यह मस्तिष्क से स्पर्श करती है, इसका निर्माण भी संयोजी ऊतकों से होता है। इसमें पायी जाने वाली रुधिर वाहिनियो के द्वारा मस्तिष्क को पोषण प्राप्त होता है।

रक्त जालक (Choroid plexus)

  • रक्त जालक (Choroid plexus) केशिकाओं का एक जाल है मस्तिष्क (Brain) की गुहा में लटकी रहती हैं। रक्त जालक (Choroid plexus)  शरीर में दो महत्वपूर्ण कार्यों को कार्य करता है।
  • यह सेरेब्रोस्पाइनल तरल का निर्माण करता है तथा मस्तिष्क और अन्य केंद्रीय तंत्रिका ऊतकों को विषाक्त पदार्थों से बचाता है।

मस्तिष्क में पायी जाने वाली गुहाए





सबड्यूरल गुहा (Subdural cavity)

  • दृढ़तानिका/ ड्यूरामेटर (Dura Mater) तथा जालतानिका/ एरेकेनोइड (Arachnoid Mater) के बीच पायी जाने वाली गुहा।

सब- एरेकेनोइड गुहा

  • जालतानिका/ एरेकेनोइड (Arachnoid mater) तथा मृदुतानिका/ पायामेटर (Pia Mater) के बीच पायी जाने वाली गुहा।

प्रमस्तिष्क मेरुद्रव (Cerebro-spinal fluid)

  • रक्त जालक (Choroid plexus) से रक्त छानकर मस्तिष्क की गुहा में निकलता है जिसे प्रमस्तिष्क मेरुद्रव (Cerebro-spinal fluid) कहते है।

मस्तिष्क के प्रमुख भाग (Main Parts of Brain)

मस्तिष्क को तीन प्रमुख भाग में बांटा जाता हैं-

  1. अग्र मस्तिष्क (Fore Brain)
  2. मध्य मस्तिष्क (Mid Brain)
  3. पश्चमस्तिष्क (Hind Brain)

अग्र मस्तिष्क (Fore Brain)

  • यह प्रमस्तिष्क (Cerebrum) और डायनसेफैलॉन (Diencephelon) से बना होता है।

प्रमस्तिष्क (Cerebrum)

  • मस्तिष्क का सबसे बड़ा भाग होता है। जो दो भागों में बंटा होता है, जिन्हें प्रमस्तिष्क गोलार्ध (cerebral hemispheres) कहते हैं। इन प्रमस्तिष्क गोलार्धो को दाए तथा बाएँ में विभक्त करते है। इनकी बाहरी सतह उभारों (outgrowth) और खांचों (groove) की मौजूदगी के कारण अत्यधिक संवलित (folded) होती है। 
  • प्रत्येक प्रमस्तिष्क गोलार्ध (cerebral hemispheres) आंतरिक रूप से खोखला होता है। और उनकी भितियों में भीतरी और बाहरी क्षेत्र होते हैं। बाहरी क्षेत्र प्रमस्तिष्क वल्कुट कहलाता है। जिसमें तंत्रिका-कोशिकाओं (Neuron) की कोशिका-काय होती है, और धूसर रंग (Gray) का होने के कारण इसे धूसर-द्रव्य (Gray matter) कहते हैं।
  • भीतरी क्षेत्र सफेद तंत्रिकाक्ष (Axon) रेशों का बना होता है, उसे श्वेत द्रव्य (White matter) कहते हैं।
  • यदि गोलार्धो को अनुप्रस्थ दिशा (Transverse) में काटा जाय तो उसके भीतर खाली स्थान या गुहा (Cavity) मिलेगी। इन गुहा को पार्श्व निलय (Lateral Ventricles) कहा जाता है।
  • दोनों प्रमस्तिष्क गोलार्ध (cerebral hemispheres) कॉर्पस कैलोसम (corpus callosum) द्वारा आपस में जुड़े रहते है, जो आड़े-तिरछे तंत्रिका-रेशों (Neuron fibers) की एक चादर-सी होती है।
  • प्रमस्तिष्क का बायां पार्श्व शरीर के दाएं भाग का नियंत्रण करता है। और इसी प्रकार दायां पार्श्व बाएं भाग का नियंत्रण करता है।

प्रमस्तिष्क वल्कुट के  कार्य 

  • यह ऐच्छिक (Voluntary) पेशी-संकुंचनों (Contraction) को आरंभ करता है। तथा उनका नियंत्रण करता है।
  •  प्रमस्तिष्क वल्कुट संवेदी अंगों, जैसे नेत्र, कान, नाक आदि से आने वाली सूचना को ग्रहण करता है। और उन पर कार्रवाई करता है।
  •  यह मानसिक काम जैसे सोचना, तर्क करना, विवेचना योजना बनाना, याद रखना आदि करता है।

डायनसिफेलॉन (Diencephalon)

इसको अग्रमस्तिष्क पश्च (posterior part of the forebrain) भी कहा जाता है यह भाग प्रमस्तिष्क के नीचे स्थित होता है। इसमें निम्नलिखित दो भाग होते हैंः

चेतक / थैलैमस (Thalamus)

  • यह धूसर द्रव्य (Gray matter) से बना अंडानुमा (Egg shaped) एक पिंड है, जो प्रमस्तिष्क के नीचे बीच में स्थित होता है।
  • थैलैमस उन संवेदी आवेगों के लिए प्रसारण केंद्र का काम करता है, जो प्रमस्तिष्क को जाती है। जैसे पीड़ा और सुख के संवेद।

अध्श्चेतक / हाईपो थैलैमस (Hypo thalamus)

  • यह मस्तिष्क का वह भाग है, जो थैलैमस के नीचे स्थित होता है।
  • हाईपो थैलैमस प्रेरित व्यवहार, जैसे -खाना, पीना, घृणा, क्रोध, प्यार और काम भावना (Labido) का नियंत्रण करता है।
  • यह शरीर के तापमान और शरीर के भीतर तरलों की मात्रा का भी नियमनकारी केंद्र (Regulatory System) है।
  • इसके नीचे स्थित पीयूष ग्रंथि (Pituttary gland) स्थित होती है।
  • हाईपो थैलैमस के द्वारा मोचक तथा निरोधी हॉर्मोन का स्राव होता। जो पीयूष ग्रंथि (Pituttary gland) के हॉर्मोन स्रावण का नियंत्रण करते है।

मध्य मस्तिष्क (Mid Brain)

  • यह अग्र और पश्च मस्तिष्क के बीच में एक छोटा-सा नलिकाकार भाग होता है। जिसे मेसेन्सफ्लोन (mesencephalon) भी कहा जाता है,

कोर्पोरा क्वाड्रीजेमिन

  • मेसेन्सफ्लोन (मध्य मस्तिष्क)  चार पिण्डों से बना है। इन पिण्डों को कोर्पोरा क्वाड्रीजेमिन (corpora quadrigemina) कहते है। उपर के दो पिण्ड टेक्टम (tectum) और नीचे के पिण्ड टेगमेंटम (tegmentum) कहलाते है।
  • टेक्टम देखने के लिए तथा टेगमेंटम सुनने के लिए उतरदायी होते है।

प्रमस्तिष्क वृन्तक (Cerebral peduncles)

  • ये मध्य मस्तिष्क के आगे पायी जाने तन्तुओं का बंडल है,
  • प्रमस्तिष्क वृन्तक प्रमस्तिष्क वल्कुट (Cerebral cortex) को मस्तिष्क के अन्य भाग तथा मेरुरज्जू से जोड़ता है इसे Crus cerebri भी कहते है।

पश्चमस्तिष्क (Hind Brain)

  • यह अनुमस्तिष्क,  पॉन्स, और मेडुला ऑब्लांगेटा से बना है

अनुमस्तिष्क (Cerebellum)

  • यह मस्तिष्क का दूसरा सबसे बड़ा भाग है।
  • ये प्रमस्तिष्क के आधार पर उसके नीचे स्थित होता है। इसमें अनेक खांचें होती हैं। इसका वल्कुट भाग (Cortex) भी धूसर द्रव्य (Gray matter) का बना होता है।
  • सेरेबेलम (अनुमस्तिष्क) शरीर का संतुलन बनाए रखना और पेशीय क्रियाओं में समन्वय बनाए रखने का कार्य करता है।

मेड्यूला ऑब्लांगेटा (Medulla oblongata)



  • यह मस्तिष्क का अंतिम भाग होता है। जो मेरुरज्जु से जुड़ा होता है।
  • मेड्यूला ऑब्लांगेटा लार आना, उलटी आना, हृद्-स्पंद (Heart Beat), आहार नाल के क्रमाकुंचन तथा अन्य अनेक अनैच्छिक क्रियाओं का नियंत्रण करता है।
  • यह सांस लेने, खांसने, निगलने आदि का केंद्र होता है। इसको Myelencephalon भी कहा जाता है

पोंस (Pons)

  • इसको Metencephalon  भी कहा जाता है। पोंस श्वास का विनियमन करता है।
  • पोन्स में श्वसन केंद्र (Neumotexic center) न्यूमोटैक्सिक सेंटर नामक एक संरचना होती है। जो श्वसन के दौरान हवा की मात्रा तथा श्वसन दर को नियंत्रित करता है।

मस्तिष्क स्तम्भ (Brainstem)

  • मध्य मस्तिष्क (मेसेन्सफ्लोन), पोन्स (मेटेंसफ्लोन), और मेडुला ऑब्लांगेटा (मायेलेंसफ्लोन) मिलकर बनाते है।

कपाल तंत्रिकाएं (Cranial nerves)

  • मस्तिष्क से 12 जोड़ी कपाल तंत्रिकाएं निकलती हैं, जिनमें से कुछ संवेदी (Sensory) होती हैं कुछ प्रेरक (Motor)
  • कुछ कपाल तंत्रिकाएं मिश्रित किस्म यानि संवेदी और प्रेरक दोनों की होती है।

मेरुरज्जु (Spinal cord)

मस्तिष्क की तरह केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र (Central Nerve System) का भाग है।

यह एक प्रकार का द्रव्य है, जो हमारे पश्च मस्तिष्क (Hind Brain) के मेडुला ओब्लोगेटा (Medulla Oblogeta) भाग से होकर रीढ़ की हड्डी (Spine) के बीच में स्थित नाल में से गुजरता हुआ रीढ़ की संपूर्ण लंबाई में स्थित होता है।

इसके ऊपर भी मस्तिष्क के समान तानिकाएँ यानि झिल्लियाँ (Menings) पाई जाती है-

1.    ड्युरामेटर (Duramater)

2.    एरेकेनोइड (Arachnoid)

3.    पायामेटर (Piamater)

ड्युरामेटर (Duramater) -यह झिल्ली सबसे बाहर की ओर स्थित होती है।

एरेकेनोइड (Arachnoid)-यह झिल्ली मध्य में स्थित होती है।

पायामेटर (Piamater)-यह झिल्ली सबसे अंदर की ओर स्थित होती है।


मेरुरज्जु (Spinal cord) में मस्तिष्क के समान तीन गुहा (Cavity) पायी जाती है।

  1. सबड्यूरल गुहा (Subdural cavity)
  2. सब- एरेकेनोइड गुहा (Subarachnoid Cavity)
सबड्यूरल गुहा (Subdural cavity) -यह गुहा ड्युरामेटर (Duramater) तथा एरेकेनोइड (Arachnoid) के बीच में पायी जाती है।

सब- एरेकेनोइड गुहा (Subarachnoid Cavity)-यह गुहा (Cavity) एरेकेनोइड (Arachnoid)  तथा पायामेटर (Pia Mater) के बीच में पायी जाती है। इस गुहा में सेरेब्रो स्पाइनल फ्लूइड (Cerebro-spinal Fluid) भरा रहता है।

धूसर द्रव्य (grey mater) तथा श्वेत द्रव्य (white mater)

  • मेरुरज्जु में मस्तिष्क के समान ही धूसर द्रव्य (grey mater) तथा श्वेत द्रव्य (white mater) पाया जाता है। परंतु मेरुरज्जु में मस्तिष्क के विपरीत परिधि की ओर श्वेत द्रव्य तथा अंदर की धूसर द्रव्य होता है।
  • धूसर द्रव्य का निर्माण न्यूरोन  के कोशिका काय (Cell body) से तथा श्वेत द्रव्य का निर्माण न्यूरोन के तंत्रिकाक्ष (Axon) से होता है।

मेरुरज्जु की संरचना (Structure of Spinal Cord)



  • मेरुरज्जु का अनुप्रस्थ काट (Cross section) काटने पर धूसर द्रव्य तितली या H आकार का दिखाई देता है। जिसके पृष्ठ भाग (Dorsal surface) पर दो पृष्ठ श्रग (Dorsal horns) तथा अधर भाग (Ventral surface) पर दो अधर श्रग (Ventral horns) होते है। यानि के तितली के पंख के समान ऊपरी भाग पृष्ठ श्रग (Dorsal horns) और पंख के समान निचला भाग अधर श्रग (Ventral horns) कहलाता है। 
  • पृष्ठ श्रग तथा अधर भाग का निर्माण तंत्रिका तंतुओ (Neuron fiibers) से होता है।
  • मेरुरज्जु के पृष्ठ तथा अधर सतह दो खांच पाई जाती है। जिन्हें पृष्ठ खांच (Dorsal fissure) तथा अधर खांच (ventral fissure) कहते है।
  • तंत्रिका के संवेदी तंतु (Sensory nerve) स्पाइनल कॉर्ड में पृष्ठ श्रग (Dorsal horns)  तथा प्रेरक तंतु (Motor nerve) अधर श्रग (Ventral horns) से प्रवेश करते है। पृष्ठ सतह की छत पर गांठ पाई जाती है। जिसे पृष्ठ गुच्छन (Dorsal Root Ganglion) कहते है।

मेरु तंत्रिका (Spinal nerve)

मेरुरज्जु से मेरुरज्जु तंत्रिकाओं (Spinal nerve) के कुल 31 जोड़े निकलते है। जिनको पाँच भागों में बाँटा गया जाता है-

ग्रीवा मेरु तंत्रिकाएँ (Cervical nerves)- इनकी संख्या 8 जोड़े होते है। C1, C2, C3, C4, C5, C6 ,C7, C8 जिनको कहते है।

वक्षीय मेरु तंत्रिकाएँ (Thoracic nerve)- इनकी संख्या 12 जोड़े होते है। जिनको T1, T2, T3, T4, T5, T6, T7, T8, T9, T10, T11, T12,  कहते है।

कटी मेरु तंत्रिकाएँ (Lumbar nerve)- इनकी संख्या 5 जोड़े होते है। जिनको L1, L2, L3, L4, L5 कहते है।

त्रिक मेरु तंत्रिकाएँ (Sacral nerve)-इनकी संख्या 5 जोड़े होते है। जिनको S1, S2, S3, S4, S5 कहते है।

अनुत्रिक मेरु तंत्रिकाएँ (Coccygea nerve)- इसकी संख्या एक जोड़ा है। जिसको CO1 कहते है।

 

  • सभी मेरुरज्जु तंत्रिकाएँ (Cervical nerves) शरीर के विभिन्न भागों में फैली रहती है। जो विभिन्न अंगों के कार्य तथा संवेदनाओं (Sensation) को नियंत्रित करती है।
  • जैसे यदि आपको अपने हाथ की अंगुलि को हिलाना है। तो C8 की प्रेरक मेरु तंत्रिका के माध्यम से संदेश अंगुलि तक पहुचता है। जिसके कारण अंगुलि हिल पाती है।
  • यदि तंत्रिका का संपर्क मेरुरज्जु से टूट जाता है। तो चाह कर भी अंगुली को नहीं हिलाया जा सकता और यदि C8 संवेदी मेरु तंत्रिका कार्य करना। बंद कर दे तो अँगुलियों में सुनपन आ जाता है। अथार्त किसी ताप स्पर्श आदि का पता नहीं लग सकता।

तंत्रिका प्लेक्सस

रीढ़ की हड्डी से बाहर निकलने वाली मेरुरज्जु तंत्रिकाएँ (Cervical nerves) मिलकर चार शाखाओं का निर्माण करती है, जिन्हें तंत्रिका प्लेक्सस कहा जाता है। जो निम्न है-

1.    ग्रीवा प्लेक्सस (Cervical Plexus)

2.    ब्रेकीयल प्लेक्सस (Brachial Plexus)

3.    कटी /लम्बर प्लेक्सस (Lumbar Plexus)

4.    त्रिक/ सेक्रल प्लेक्सस (Sacral Plexus)

ग्रीवा प्लेक्सस (Cervical Plexus) -यह गर्दन और कंधे के कार्य का नियंत्रण करता है।

ब्रेकीयल प्लेक्सस (Brachial Plexus)- यह हाथ और पीठ के ऊपरी हिस्से के कार्य का नियंत्रण करता है।

कटी /लम्बर प्लेक्सस (Lumbar Plexus) ह उदार और पैर की मांसपेशियों के कार्य का नियंत्रण करता है।

त्रिक/ सेक्रल प्लेक्सस (Sacral Plexus)-पैर के कार्य का नियंत्रण करता है।

मेरुरज्जु के कार्य (Functions of spinal cord)

  • प्रतिवर्ती क्रियाओं का नियमन करना (Regulation of Reflex Action)। मेरुरज्जु प्रतिवर्ती क्रियाओं का प्रमुख केंद्र है।
  • त्वचा और पेशियों से संवेदी आवेगों को मस्तिष्क तक ले जाना।
  • मस्तिष्क (Brain) से संदेश/ आदेश/ अनुक्रियाओं को गर्दन के नीचे जैसे हाथ, पैर, या विभिन्न अंगों तक लेकर जाना।

Also read.....परिधीय तंत्रिका तंत्र PNS

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