जैव विविधता हॉटस्पॉट क्या है | What is biodiversity Hotspot

 

जैव विविधता हॉटस्पॉट क्या है

जैव विविधता हाॅटस्पाॅट
जैव विविधता हॉटस्पॉट की संख्या

  • जैव विविधता हाॅटस्पाॅट की संकल्पना पर्यारणविद् नार्मन मायर्स द्वारा वर्ष 1988 में दिया गया।
  • जैव विविधता हाॅटस्पाॅट वे क्षेत्र है, जहां जैव विविधता की प्रचुरता के साथ स्थानिक प्रजातियों की भी प्रचुरता पाई जाती है।
  • विश्व के विभन्न क्षेत्रों में जैव विविधता का वितरण भिन्न-भिन्न होता है। कुछ क्षेत्रों में पादपों तथा जंतुओं के अनुकूल पर्यावरणीय दशाएं होने के कारण अधिक जैव विविधता तथा कुछ क्षेत्रों में प्रतिकूल होने के कारण कम जैव विविधता कम पाई जाती है।
  • वर्तमान में विश्व में कुल 36 हाॅटस्पाॅट क्षेत्र हैं, जो पृथ्वी के 2.3 प्रतिशत भाग पर विस्तृत हैं। इन क्षेत्रों में पौधों, पक्षियों, स्तनधारियों सरीसृपों एवं उभयचरों की 60 प्रतिशत प्रजातियां पायी जाती हैं। 

जैव विविधता हाॅटस्पाॅट घोषित करने के मापदंड

  • संवहनीय पौधों की 1500 से अधिक स्थानिक प्रजातियां होनी चाहिए।
  • 70 प्रतिशत से अधिक प्राथमिक वनस्पतियाँ नष्ट हो चुकी हो।

 भारत में जैव विविधता के हाॅटस्पाॅट Hotspots of Biodiversity in India

जैव विविधता की दृष्टि से भारत महत्वपूर्ण स्थान है। विश्व के 36 जैव विविधता हाॅटस्पाॅट क्षेत्रों में से 4 हाॅटस्पाॅट क्षेत्र भारत में स्थित हैं।

  • 1. हिमालय जैव विविधता हाॅटस्पाॅट क्षेत्र
  • 2. इंडो बर्मा जैव विविधता हाॅटस्पाॅट
  • 3. सुंडालैण्डस जैव विविधता क्षेत्र
  • 4. पश्चिमी घाट एवं श्रीलंका जैव विविधत हाॅटस्पाॅट

1. हिमालय जैव विविधता हाॅटस्पाॅट क्षेत्र

  • इसमें संपूर्ण भारतीय हिमालय क्षेत्र सम्मिलित है। इस वृहद् हाॅटस्पाॅट में पाकिस्तान, तिब्बत, नेपाल, भूटान, चीन एवं म्यांमार में विस्तृत हिमालय सम्मिलत है।
  • पश्चिमी हिमलाय, कुमायूँ से लेकर कश्मीर के उत्तर पश्चिम क्षेत्र तक विस्तृत है। इसके अंतर्गत उतराखंड, हिमाचल प्रदेश एवं जम्मू कश्मीर राज्य आते हैं।
  • पूर्वी हिमालय सिक्किम से लेकर अरूणाचल प्रदेश तक विस्तृत है। यह क्षेत्र जैव विविधता की दृष्टि से अत्यंत समृद्ध है। पश्चिम हिमालय की अपेक्षा पूर्वी हिमालय में शंकुधारी वृक्षों की संख्या कम है। उच्च वर्षा होने के कारण यहाँ जीव प्रजातियों की विविधता एवं सघनता अधिक होती है। 
  • यहाँ उपोष्ण कटिबंधीय चैधी पत्ती वाले वनों से लेकर मध्य ऊंचाइयों पर समशीतोष्ण चैड़ी पत्ती वाले वन, उच्चतर पहाड़िों पर मिश्रित कोणधारी वन तथा वृक्ष रेखा से ऊपर विस्तृत अल्पाइन वन मिलते हैं।
  • हिमतेंदुआ, कस्तूरी मृग, हिमालयी ताहर, नीली भेड़, काला भाू, पिग्मीहाॅग, सुनहरा लंगूर, स्लोथ बियर, नामदफा गिलहरी (उडने वाली गिलहरी) आदि जंतु यहां पाये जाते हैं।

2. इंडो बर्मा जैव विविधता हाॅटस्पाॅट

  • उत्तर-पूर्वी क्षेत्र इंडो बर्मा हाॅटस्पाॅट का एक भाग है।
  • इसके अंतर्गत भारत का संपूर्ण उत्तर-पूर्वी क्षेत्र सम्मिलत है। (असम एवं अंडमान निकोबार द्वीप समूह को छोड़कर)।
  • इस वृहद् हाॅटस्पाॅट में म्यांमार, थाईलैण्ड, वियतनाम, लाओस, कंबोडिया तथा दक्षिणी चीन के क्षेत्र सम्मिलत हैं।
  • इस हाॅट-स्पाॅट की जैव विविधत के अंतर्गत 13500 संवहनीय पादप प्रजातियां आती हैं, जिनमें से लगभग 7000 (52 प्रतिशत) स्थाकि हैं। इंडो वर्मा मे ंपायी जाने वाली 1277 पक्षी प्रजातियों में से 74 स्थानिक हैं। इसी प्रकार 430 स्तनधारी प्रजातियों में से 71 स्थानिक हैं। अन्य कशेरूकी समूहों में 519 गैर-सरीसृप समुद्री प्रजातियों में से 189 स्थानिक हैं और 323 उभयचर प्रजातियों में 139 प्रजातियां स्थानिकता के उच्च स्तर को दर्शाती हैं।
  • इण्डो-बर्मा क्षेत्र विश्व भर में कछुओं के आश्रय स्थल के लिए प्रसिद्ध है।

3. सुंडालैण्डस जैव विविधता क्षेत्र

  • इसमें भारत का निकोबार द्वीप समूह सम्मिलित है, जबकि इस वृहद हाॅटस्पाॅट  में इंडोनेशिया, मलेशिया, सिंगापुर, ब्रुनेई, फिलीपीन्स के क्षेत्र सम्मिलित हैं।
  • अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह में 3500 पुष्पीय पादप प्रजातियां पाई जाती हैं। 120 टेरिडोफाइट प्रजातियों में से 50 प्रतिशत ग्रेट निकोबार द्वीप पर हैं। यहाँ पायी जाने वाली जंगली आॅर्किड की 110 प्रजातियों में से 25 प्रजातियाॅ स्थानिक हैं।
  • बंगाल की खाड़ी में स्थित अंडमान निकोबाद द्वीप समूह में लगभग 572 द्वीप पाये जाते हैं। यह संपूर्ण भारत के लगभग 0.03 प्रतिशत क्षेत्रफल पर विस्तृत है।
  • निकोबार द्वीप पर केवल जनजातियां पायी जाती हैं।

4. पश्चिमी घाट एवं श्रीलंका जैव विविधत हाॅटस्पाॅट

  • इसमें भारत का संपूर्ण पश्चिमी घाट तथा वृहद हाॅटस्पाॅट में श्रीलंका भी सम्मिलत है।
  • पश्चिमी घाट एवं श्रीलंका हाॅटस्पाॅट अरब सागर तट के समानांतर उत्तर से दक्षिण की ओर 1500 किमी. की दूरी तक विस्तृत हैं।
  • पश्चिमी घाट का अधिकतर भाग पर्वतीय क्षेत्र है। अत्यधिक वर्षा होने के कारण यहां वर्षा वन एवं आर्द्र पर्णपाती वन पाए जाते हैं।

जैव विविधता: संपूर्ण अध्ययन सामग्री

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