जैव विविधता अधिनियम 2002 | Biodiversity Act 2002

 

जैव विविधता अधिनियम 2002

जैव विविधता अधिनियम 2002
Biodiversity Act 2002

जैव-विविधता अधिनियम, 2002 भारत में जैव-विविधता के संरक्षण के लिए भारतीय संसद द्वारा पारित अधिनियम है, इस अधिनियम पर 5 फरवरी 2002 को राष्ट्रपति के हस्ताक्षर हुये और  इसने कानून का रूप लिया ।  तथा यह पारंपरिक संसाधनों एवं ज्ञान के उपयोग से प्राप्त होने वाले लाभों के न्यायपूर्ण साझेदारी के लिए क्रियाविधि प्रदान करता है।

इस अधिनियम को जैव विविधता पर कन्वेंशन के आबांधों को पूरा करने के अधिनियमित किया गया था, जिसका भारत भी एक भागीदार है। इस अधिनियम के कार्यान्वयन हेतु वर्ष 2003 में राष्ट्रीय जैव विविधता प्राधिकरण की स्थापना की गई।

राष्ट्रीय जैव विविधता प्राधिकरण एक वैधानिक, स्वायत्त निकाय है तथा भारत सरकार के लिए जैविक संसाधनों के संरक्षण, संधारणीय प्रयोग एवं उनसे उत्पन्न होने वाले लाभों की न्यायपूर्ण साझेदारी के मुद्दे पर सुविधा प्रदायक, विनियामक और परामर्शी कार्यों का निष्पादन करता है।

इस अधिनियम के अंतर्गत राष्ट्रीय जैव विविधता प्राधिकरण चेन्नई, राज्य जैव विविधत बोर्ड एवं स्थानिक निकायो में जैव विविधत प्रबंधन समितियों का गठन भी किया गया है, जो अपने अपने स्तरों पर जैव विविधता की सुरक्षा एवं संरक्षा हेतु अधिकार प्राप्त हैं।

जैव विविधता अधिनियम द्वारा प्रदाय शक्तियां

  • जैव विविधता अधिनियम 2002 सभी स्थानीय निकायों को जैव विविधता प्रबंधन समितियां स्थापित करने के लिए आज्ञापित करता है तथा साथ ही यह स्थानीय जैव-विविधता जैसे पक्षियों, जंतुओं एवं पौधों की प्रजातियों का संरक्षण एवं सवर्द्धन करता है।
  • स्थानीय वैद्यों द्वारा उपयोग किये जाने वाले औषधीय पौधों/संसाधनों संबंधी डेटा का अनुरक्षण करने हेतु जैव विविधता रजिस्टर तैयार करता है ताकि एक इलेक्ट्रानिक डाटाबेस का अनुरक्षण स्थानीय लोगों से इनपुट प्राप्त कर किया जा सके।
  • जैव विविधता पर कन्वेंशन के नगोया प्रोटोकाॅल के अंतर्गत ये शोधार्थियों एवं वाणिज्यिक कंपनियों को जैव विविधता रजिस्टर तक पहुंच प्रदान करने के लिए शुल्क का संग्रहण कर सकते हैं।
  • जैविक संसाधनों की प्राप्ति के लिए सभी विदेशी नागरिकों को राष्ट्रीय जैव विविधता प्राधिकरण से स्वीकृति प्रदान करना अनिवार्य हैं
  • जैव विविधता अधिनियम 2002 वल्र्ड वाइड फंड फाॅर नेचर तथा विश्व सरंक्षण संघ, जैवमंडल आरक्षित क्षेत्र के संरक्षण एवं उचित विकास को बढ़ावा देने वाली परियोजनाओं को समर्थन प्रदान करता है।
  • जैव विविधता अधिनियम 2002 में भारत की संकटग्रस्त जैवविविधता की रक्षा के लिए अपार क्षमता । 

जैव विविधता नियम 2004 

जैव विविधता नियम 2004  मुख्य रूप राष्ट्रीय जैव विविधता प्राधिकरण के निम्न कार्यों के बारे में उल्लेख करता है

  • केन्द्रीय सरकार के जैव विविधता के संरक्षण और उसके संघटकों को पोषणीय उपयोग तथा जैविक स्रोतों और ज्ञान के उपयोग से अदभुत फायदों के उचित और साम्यापूर्ण प्रभाजन से संबंधित विषयों के संबंध में सलाह देना 
  • राज्य जैव विविधता बोर्डों के क्रियाकलापों को समन्वित करना;
  • राज्य जैव विविधता बोर्डों को तकनीकी सहायता और मार्गदर्शन उपलब्ध कराना;
  • अध्ययन आरंभ करना और अन्वेषण तथा अनूसंधान प्रयोजित करना;
  • प्राधिकरण को उसके कृत्यों के प्रभावी निर्वहन मर तकनीकी सहायता उपलब्ध कराने के लिए तीन वर्ष से अनधिक की विनिर्दिष्ट अवधि के लिए परामर्शदाताओं को लगाना;
  • जैव विविधता संरक्षण, उसके संघटकों के पोषणीय उपयोग और जैवीय संसाधनों और ज्ञान और उपयोग से उद्भूत फायदों के उचित और साम्यापूर्ण प्रभाजन से संबंधित तकनीकी और संख्याकिय आंकड़े और मैनुअल, सहिंतायें या गाइडें संगृहित, संकलित और प्रकशित करना;
  • जैव विविधता संरक्षण, उसके संघटकों के पोषणीय उपयोग और जैवीय संसाधनों और ज्ञान और उपयोग से अदभुत फायदों के उचित साम्यापूर्ण प्रभाजन से संबंधित जन प्रचार द्वारा एक वृहत कार्यक्रम आयोजित करना;
  • प्राधिकरण का उसकी रसीदों और केन्द्रीय सरकार से उसके अवमूल्यन को भी समाविष्ट करते हुए वार्षिक बजट तैयार करना परंतु यह कि केन्द्रीय सरकार द्वारा आबंटन केन्द्रीय सरकार द्वारा अनुमोदित बजट उपबंधों के अनुसार प्रचालित किया जाएगा॰

 

वन अधिकार अधिनियम, 2006

  • इस अधिनियम में न केवल आजीविका के लिये  स्‍वकृषि या निवास का अधिकार का प्रावधान है बल्कि यह वन संसाधनों पर उनका नियंत्रण सुनिश्चित करने के लिये कई अन्‍य अधिकार भी देता है।
  • इनमें स्‍वामित्‍व का अधिकार, संग्रह तक पहुँच, लघु वन उपज का उपयोग व निपटान जैसे सामुदायिक अधिकार; आदिम जनजातीय समूहों के लिये निवास के अधिकार; ऐसे सामुदायिक वन संसाधन जिसकी वे ठोस उपयोग के लिये पारंपरिक रूप से उनकी सुरक्षा या संरक्षण करते रहे हैं, विरोध, पुनर्निर्माण या संरक्षण या प्रबंधन का अधिकार शामिल है।
  • इस अधिनियम में ग्राम सभाओं की अनुशंसा के साथ विद्यालयों, चिकित्‍सालयों, उचित दर की दुकानों, बिजली तथा दूरसंचार लाइनों, पानी की टंकियों आदि जैसे सरकार द्वारा प्रबंधित जन उपयोग सुविधाओं के लिये वन जीवन के उपयोग का भी प्रावधान है।
  • अनुसूचित जनजाति एवं अन्य पारंपरिक वन क्षेत्र के निवासियों को (वन अधिकार मान्यता) अधिनियम 2006 की धारा 3 (1)(H) के तहत वन्य गाँव, पुराने आबादी वाले क्षेत्रों, बिना सर्वेक्षण वाले गाँव तथा वन क्षेत्र के अन्य गाँव, भले ही वे राजस्व गाँव के रूप में अधिसूचित हों या नहीं, के स्थापन एवं परिवर्तन का अधिकार यहाँ प्राप्त है।

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