Biodiversity of Madhya Pradesh |मध्यप्रदेश की जैवविविधता


मध्यप्रदेश की जैवविविधता

मध्यप्रदेश की जैवविविधता

  • मध्यप्रदेश देश के मध्य भाग में स्थित है और जैवविविधता के दो हॉटस्पॉट (पूर्वी हिमालय एवं पश्चिमी  घाट) को जोड़ने वाला रास्ता मध्यप्रदेश से होकर गुजरता है।  इस भौगोलिक स्थिति के कारण प्रदेश जैवविविधता में हिमालय एवं पश्चिमी  घाट की जैवविविधता की झलक देखने को मिलती है। राज्य में कई तरह के इलाके (ईको सिस्टम) है, जसै  नदियॉं, घाटियॉ, पठार, बीहड़मैदानी इलाके पाये जाते हैं।

मध्यप्रदेश में वन जैवविविधता Forest Biodiversity in Madhya Pradesh

  • मध्यप्रदेश भारत का एक महत्वपूर्ण वनाच्छादित प्रदेश है। मध्य प्रदेश सबसे अधिक वनक्षेत्र वाला राज्य है। राज्य का 20 प्रतिशत इलाका कई प्रकार के वनों से ढका है। देश के जंगल में मध्यप्रदेश के जंगल 12.27 प्रतिशत की हिस्सेदारी रखते हैं। मध्यप्रदेश में कुल वनक्षेत्र 94,3489 वर्ग कि.मी. है।
  • प्रदेश के जंगल तीन वर्गों में विभाजित हैं। संरक्षित वनक्षेत्र, आरक्षित वनक्षेत्र एवं अवर्गीकृत वनक्षेत्र। प्रदेश के कुल वनक्षेत्र में से 31098 वर्ग कि.मी. संरक्षित वनक्षेत्र है। आरक्षित वनक्षेत्र 61886 वर्ग कि.मी. तथा अवर्गीकृत वनक्षेत्र 1705 वर्ग कि.मी. में फेले हैं।

ईकोटोन (संक्रमिका)

  • दो भिन्न आवास स्थलों के मिलने के क्षेत्र को ईकोटोन कहा जाता है। जैसे- जहाॅ पर पर्वत से घाटी मिलती है इन स्थानों पर भौतिक परिस्थितियाॅ बदलती हैं इसी लिए इन स्थानों पर जीवन समुदाय में विविधता होती है।

 मध्य प्रदेश में कृषि जैवविविधता Agricultural Biodiversity in Madhya Pradesh

  1.  मध्यप्रदेश विभिन्न जलवायु, मिट्टी, फसल चक्र की उपलब्धता के कारण कृषि जैवविविधता की दृष्टि से सम्पन्न है। प्रदेश में 11 कृषि जलवायु क्षेत्र हैं।
  2. प्रदेश की प्रमुख मिट्टियाॅं- काली मिट्टी, जलोढ, लाल एवं पीली, मिश्रित, कछारी मिट्टी पाई जाती है।
  3.  प्रदेश की प्रमुख कृषि फसलें हैं-सोयाबीन, गेहूॅचना,मूंग, उड़द, तुअर,धान, चावल, बाजरा, ज्वारमक्का, कोदों, कुटकी, सांवा, काॅटन, तिल,मूंगफली, तिवड़ा, गन्ना इत्यादि

मध्यप्रदेश के कृषि जलवायु क्षेत्र Agricultural Climate Zone of Madhya Pradesh

1.         मालवा पठार
2.         विन्ध्य पठार
3.         नर्मदा घाटी
4.         सतपुड़ा पर्वतमाला
5.         झाबुआ पर्वत माला
6.         गिर्द (ग्वालियर) क्षेत्र
7.         कैमूर पठार
8.         बुन्देलखंड क्षेत्र
9.         निमाड़ पठार,
10.       वेनगंगा घाटी,
11.       छत्तीसगढ़ उत्तर पर्वत माला

डाॅ. आर.एच.रिछारिया
  • स्वर्गीय डाॅ. आर.एच.रिछारिया भारत के जाने-माने कृषि विशेषज्ञ थे। उनके द्वारा अविभाजित मध्यप्रदेश में 23,500 धान की पारंपरिक किस्में (देशी किस्म) एकत्रित की गई। उनके द्वारा एकत्रित धान की किस्में वर्तमान में इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर में संरक्षित है।

मध्यप्रदेश की उद्यानिकी जैवविविधता Horticulture Biodiversity of Madhya Pradesh

  • प्रदेश की प्रमुख उद्यानिकी फसलें हैं-पपीता, अनार, मिर्च, आलू, शकरकंद,प्याज, टमाटर, लौकीसेवंती, गैदाा इत्यादि।

मध्यप्रदेश की स्थानीय उद्यानिकी प्रजातियाॅ
  • नूरजहां ‘ आम की विषिष्ट प्रजाति कटठीवाडा़ जिला अलीराजपुर में उगाई जाती है। इस आम का फल 1 किलोग्राम से 5 किलोग्राम तक होता है।
  • सुंदरजा‘‘ आम की स्थानीय किस्म रीवा जिले के गोविंदगढ़ क्षेत्र में पायी जाती है जो अपने विषिष्ट खूशबू एवं स्वाद के लिये जानी जाती है।
  • बड़वानी का लाल पपीता, बुदेलखंड के बेर, गुना एवं ग्वालियर क्षेत्र का कुंभराज धनिया भी स्थानीय विषेशताये हैं।

मध्यप्रदेश में पालतु पशुओं की जैवविविधता Biodiversity of domestic animals in Madhya Pradesh
  • कृषि आधारित प्रदेश होने के कारण मवेशी स्थानीय आबादी की आजिविका का मुख्य स्त्रोत हैं। पशुधन दूध, मांस, अण्डा, ऊन इत्यादि का स्त्रोत होने के साथ-साथ परम्परागत खेती में भी उपयोगी हैं।

मध्य प्रदेश पशुओं की स्थानीय नस्ले

1. गाय-मालवी (उज्जैन, शाजापुर, राजगढ़), निमाड़ी (खरगोन एवं बड़वानी जिले), गोआलो  छिंदवाड़ा जिला) एवं केनकथा (जिला-पन्ना) इत्यादि गाय की स्थानीय नस्लें पायी जाती हैं।

2. भैंस -‘‘भदावरी‘‘ (भिण्ड एवं ग्वालियर), जिसके दूध में वसा की सर्वाधिक मात्रा पायी जाती है।
3. बकरी -‘‘जमुनापारी‘‘ (भिण्ड) बकरी की स्थानीय नस्ल है।
4. ऊंट -‘‘मालवी‘‘ (मंदसौर) ऊंट की स्थानीय नस्ल है।

5. मुर्गी - ‘‘कड़कनाथ‘‘ (झाबुआ, अलीराजपुर, धार) मुर्गी की स्थानीय नस्ल है, जिसका मांस
काले रंग का होता है। मांस का काला रंग खून में हीमोग्लोबिन (लोह तत्व) की अधिकता के
कारण होता है।

मुर्गी की नस्ल ‘‘कड़कनाथ‘‘
  • कड़कनाथ या कालामांसी झाबुआ, अलीराजपुर, धार जिलो मे  पायी जाने वाली मुर्गी की स्थानीय नस्ल है, जो अपने काले रंग एवं औशधीय गुणों के लिये जानी जाती है।
  • इसके मांस में अन्य मुर्गी की नस्लों की तुलना में वसा की मात्रा (0.73-1.03 प्रतिशत) बहुत कम होती है।
  • कड़कनाथ के मांस को 30 जुलाई 2018 को भारत सरकार द्वारा Geographical Indication (GI) घोषित किया गया है।
  • अधिक मांग के कारण यह नस्ल कम होती जा रही है। राज्य सरकार द्वारा इनको बचाने के लिये कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं।


मध्यप्रदेश में जलीय जैवविविधता Aquatic Biodiversity in Madhya Pradesh

  • मध्यप्रदेश अपने जल संसाधनों में बहुत सम्पन्न हैं। पूरे राज्य का पानी बहकर देश की सात नदी प्रणालियों में जाता हैं। सबसे ज्यादा पानी गंगा-यमुना बेसिन में जाता हैं। नर्मदा और ताप्ति राज्य की अन्य बड़ी नदी प्रणालियाँ हैं। नदियों के ये बेसिन नदियो, जलधाराओजलाश्यों, तालाबों के रूप में मछलियों के लिये कई प्रकार के आवास क्षेत्र उपलब्ध कराते हैं। प्रदेश के जल संसाधन समृद्ध जलीय जैवविविधता-मछली, कछुआ, घड़ियाल, मगरमच्छ, आटर तथा राज्यकीय जलचर गंगाई डाॅल्फिन को आश्रय देते हैं। प्रदेश में मछलियों की 136 प्रजातियाॅ पाई जाती है जिसमें 29 प्रजातियाँ नर्मदा में मिलती हैं।

 राष्ट्रीय चंबल घड़ियाल वन्यप्राणी अभ्यारण्य
  • यह अभ्यारण्य चंबल नदी पर राजस्थान, मध्यप्रदेश एवं उत्तरप्रदेश के बीच बंटा है।
  • मध्यप्रदेश में 1978 में अभ्यारण्य घोषित किया गया।
  • अति संकटग्रस्त प्रजाति घड़ियाल, रेड क्राउन्ड रूफ टर्टल, गंगाई डाल्फिन (सौंस), मगरमच्छ एवं आर्टर के लिये जाना जाता है।

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