MP mein mahaajanapad kaal | मध्यपदेश में महाजनपद काल|Mahajanapada period in Madhya Pradesh


मध्यपदेश में महाजनपद काल

 मध्यपदेश में महाजनपद काल Madhyapadesh mein mahaajanapad kaal


600 .पू. बौद्ध ग्रंथ अंगुतर निकाय तथा जैन ग्रंथ भगवतीसूत्र में वार्णित महाजनपदों की संख्या 16 थी। जिनमें चेदि तथा अंवति जनपद .प्र. में थे।   
चेदि जनपद- वर्तमान बुंदेलखंड का पूर्वी भाग और निकटवर्ती क्षेत्र इसमें शामिल थे, जिसकी राजधानी शक्तिमानी थी।  
अवंति जनपद- यह पश्चिम और मध्य मालवा क्षेत्र में बसा था। इसके दो भाग उत्तरी अवन्ती (राजधानी उज्जयिनी) और दक्षिणी अवंति (राजधानी महिष्मति) थी। वेत्रवती (वेतवा) नदी इनके बीच बहती थी। 
  • उज्जैयिनी का राजा चण्डप्रघोत था जो पुलिक का पुत्र था। बिंबिसार और युद्ध प्रद्योत के समकालीन थे।
  • बिंबिसार के समय मगध राज्य के साथ प्रद्योत के संबंध मैत्रीपूर्ण थे। प्रद्योत के पाण्ड्डुरोग से ग्रसित होने पर बिंबिसार ने अपने राजवैद्य जीवक को इलाज के लिए भेजा था।
  • अजातशुत्र (बिंबिसार का पुत्र) के समय मगध और अवंति राज्यों के बीच द्वेष पनपने लगा।
  • प्रद्योत के समय अवंति बौद्ध धर्म का केंद्र था। 
  • प्रद्योत का पुत्र पालक अवंति का राजा बना जिसने वत्स पर (ग्वालियर) आक्रमण पर उसकी राजधानी कौशांबी पर अधिकार कर लिया और अपने पुत्र निशाखयूप को वहां का उपराजा बनाया।
  • पालक के बाद अजक और नंदिवर्धन ने अवंति पर शासन किया।
  • अवंति राज्य लौह इस्पात के अस्त्र शस्त्र बनाने वाले श्रेष्ठ कारीगरों में धनी था
  • अवंति के दो प्रसिद्ध नगरों कुररधर और सुदर्शनपुर का वर्णन बौद्ध ग्रंथों में मिलता हैं।
  • कालांतर में मगध राज्य के हर्यकवंश के अंतिक शासक नागदशक के अमात्य शिशुनाग ने अवंति राज्य पर आक्रमण पर प्रद्योत वंश के अंतिम शासक नंदिवर्धन को पराजित किया और अवंति को मगध में मिला लिया और मगध में शिशुनाग वंश का शासन आंरभ हुआ। 
  • मगध की राजधानी वैशाली और गिरिव्रज दोनों थे। परन्तु बाद में वैशाली को मुख्य राजधानी बनाया गया।
  • शिशुनाग के बाद पुत्र कालाशोक राजा बना और पाटलीपुत्र को राजधानी बनाया गया।
  • शिशुनाग के बाद पुत्र कालाशोक राजा बना और पाटलीपुत्र को राजाधानी बनाया।
  • कालाशोक के समय द्वितीय बौद्धसंगीति का आयोजन हुआ जिसमें बौद्ध धर्म दो सम्प्रदायों (स्थाविर और महासंधिक) में बंट गया।
  • कालाशोक की हत्या महापद्मनन्द ने की और नंदवंश की स्थापना की।
  • नंदवंश शूद्र जाति से संबंधित था। इस वंश के अंतिम शासक धनानंद की (जो सिकंदर का समकालीन था) हत्या चंद्रगुप्त मौर्य ने कर दी और मौर्य वंश की स्थापना की।
  • यूनानी लेखकों ने धनांनद को अग्रमीज कहा है।

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