Bharat Sarkar ke Vibhinn Ayog | राष्ट्रीय भाषायी अल्पसंख्यक आयोग|राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग |बच्चो के लिए राष्ट्रीय आयोग

|राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग बच्चो के लिए राष्ट्रीय आयोग

राष्ट्रीय भाषायी अल्पसंख्यक आयोग National linguistic minority commission

  • इस आयोग का गठन संविधान के 7वें संशोधन के द्वारा वर्ष 1957 मेँ किया गया था। इसका मुख्यालय इलाहाबाद मेँ है।
  • वर्तमान मेँ भाषायी अल्पसंख्यकोँ की संख्या मेँ निरंतर वृद्धि हो रही है, जिनकी देश की कुल जनसंख्या मेँ लगभग 16 प्रतिशत की भागीदारी है।

राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग National Minorities Commission


  • राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग अधिनियम 1992 के द्वारा केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग की स्थापना की है।
  • आयोग का मुख्य कार्य केंद्र तथा राज्य सरकारोँ के अधीन अल्पसंख्यकों के विकास की प्रगति का मूल्यांकन करना और अल्पसंख्यको के सामाजिक आर्थिक तथा शैक्षणिक विकास से संबंधित विषय पर उत्पन्न समस्या से सरकार को अवगत कराना है।
आयोग के कार्य
  • संविधान प्रदत्त अल्पसंख्यकों के लिए रक्षोपायो और संसद और राज्य विधानमंडलों द्वारा बने कानून के कार्यान्वयन का संचालन करना।
  • संघ और राज्योँ के अधीन अल्पसंख्यको की उन्नति के लिए किए गए विकास कार्योँ का मूल्यांकन तथा अल्पसंख्यक के हितों की रक्षा के प्रभावकारी कार्यान्वयन के लिए केंद्र तथा राज्य सरकार को सुझाव देना।

बच्चो के लिए राष्ट्रीय आयोग National Commission for Children


  • अप्रैल 2003 मेँ, भारत सरकार ने ‘बच्चो के लिए एक राष्ट्रीय आयोग’ और ‘बच्चो के लिए एक राष्ट्रीय चार्टर’ का प्रस्ताव रखा।
गठन
  • आयोग एक संविधानिक निकाय (statutory body) होगा और 7 सदस्योँ से मिलकर बनेगा, जिसका अध्यक्ष सर्वोच्च न्यायालय का सेवानिवृत्त न्यायाधीश उच्चंन्यायालय का न्यायाधीश या बालकल्याण के क्षेत्र मेँ ख्याति प्राप्त व्यक्ति होगा।
  • अन्य सदस्योँ मेँ बाल स्वास्थ्य, बाल शिक्षा, बाल पालन-पोषण और बाल विकास के क्षेत्र मेँ विशेषज्ञ और पर्याप्त अनुभव रखने वाले व्यक्ति होने चाहिए।
  • यह परामर्शदात्री निकाय है और इसका निर्माण सरकार के ऊपर बाध्यकारी नहीँ है।
शक्तियाँ और कार्य
  • बच्चो के अधिकार और उसके विकास से संबंधित मामलोँ की जांच और छानबीन या तो स्वयं करेगा या फिर उनके अधिकारोँ के उल्लंघन की शिकायत प्राप्त होने पर करेगा।
  • यह सरकार को बच्चो से संबंधित नीति बनाते समय सलाह देगा।
  • वह बच्चो से सम्बंधित नीति बनाते समय सलाह देगा। वह बच्चों से सम्बद्ध ऐसी नीतियों और उनके क्रियान्वयन की समीक्षा भी करेगा।
  • यह बच्चों और उनके लिए बनी नीतियों और उनके क्रियान्वयन से संबंधित मामलोँ पर रिपोर्ट तैयार करेगा और केंद्र सरकार को प्रस्तुत करेगा।
  • यह बच्चों के विकास के क्षेत्र मेँ हो रही खोजों को बढ़ावा भी देगा और बच्चो को शिक्षा देने मेँ सहायता भी प्रदान करेगा।
आयोग का महत्व
  • बच्चो के हितों को बढ़ावा देने के लिए यह एक अद्वितीय विधायन है और यह इस कार्य मेँ बहुत दूर तक जाएगा।
  • यह बच्चों के कार्य-स्थल पर होने वाले दुर्वव्हार पर भी ध्यान देगा जैसे बाल श्रम, बर्बरता और और हिंसा (विशेष रुप से यौन संबंधी)।
  • बच्चो के सर्वांगीण विकास का नेतृत्व करेगा।

No comments:

Post a Comment

Powered by Blogger.