राज्यपाल Governor | Rajya pal ki Niyukti, karyakal,sapath


Rajya pal ki Niyukti, karyakal,sapath
  • संविधान के भाग 6 मेँ राज्य शासन के लिए कुछ प्रावधान किए गए हैं। 

राज्यपाल Governor

  • राज्य की कार्यपालिका का प्रधान राज्यपाल होता है, प्रत्येक राज्य मेँ एक राज्यपाल होता है लेकिन एक ही राज्यपाल दो या अधिक राज्योँ का राज्यपाल भी नियुक्त हो सकता है।
  • राज्यपाल की नियुक्ति राष्ट्रपति करता है। 
राज्यपाल पद के लिए निम्नलिखित योग्यताएं होनी चाहिए-
  1. वह भारत का नागरिक हो
  2. वह 35 वर्ष की आयु पूरी कर चुका हो
  3. किसी प्रकार के लाभ के पद पर न हो
  4. वह राज्य विधानसभा का सदस्य चुने जाने योग्य हो

राज्यपाल Governor के संबंध मे अन्य तथ्य 


  • राज्यपाल का कार्यकाल 5 वर्ष निर्धारित होता है।
  • राज्यपाल का वेतन 1 लाख रुपए मासिक होता है, यदि दो या दो से अधिक राज्योँ का एक ही राज्यपाल हो तब उसे दोनो राज्यपालोँ के वेतन उसी अनुपात मेँ दिया जायेगा, जैसा की राष्ट्रपति निर्धारित करे।
  • राज्यपाल का पद ग्रहण करने से पूर्व उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश अथवा वरिष्ठतम् न्यायाधीश के सम्मुख अपने पद की शपथ लेता है।
  • राज्यपाल अपने पद की शक्तियोँ के प्रयोग तथा कर्तव्योँ के पालन के लिए किसी न्यायालय के प्रति उत्तरदायी नहीँ है।
  • राज्यपाल की पदावधि के दौरान उसके विरुद्ध किसी भी न्यायालय मेँ किसी प्रकार की आपराधिक कार्यवाही प्रारंभ नहीँ की जा सकती है।
  • राज्यपाल के पद ग्रहण करने से पूर्व या पश्चात् उसके द्वारा किए गए कार्य के संबंध मेँ कोई सिविल कार्यवाही करने से पूर्व उसे दो मास पूर्व सूचना देनी पडती है।
  • राज्य के समस्त कार्य पालिका कार्य राज्यपाल के नाम से किए जाते हैं।
  • राज्यपाल मुख्यमंत्री को तथा मुख्यमंत्री की सलाह से उसकी मंत्रिपरिषद के सदस्योँ को पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाता है।
  • राज्यपाल राज्य के उच्च अधिकारियों जैसे- महाधिवक्ता, राज्य लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष तथा सदस्यो की नियुक्ति करता है तथा राज्योँ के उच्च न्यायालय मे न्यायधीशों  की नियुक्ति के संबंध मेँ राष्ट्रपति को परामर्श देता है।
  • राज्यपाल को अधिकार है कि वह राज्य प्रशासन के संबंध मेँ मुख्यमंत्री से सूचना प्राप्त करे।
  • राज्यपाल को राजनयिक तथा सैन्य शक्ति प्राप्त नहीँ है।
  • राज्यपाल को राज्य लोक सेवा आयोग के सदस्योँ को हटाने का अधिकार नहीँ है।
  • राष्ट्रपति शासन के समय राज्यपाल केंद्र सरकार के अभिकर्ता के रुप मेँ राज्य का प्रशासन चलाता है।
  • राज्यपाल इस आशय का प्रतिवेदन राष्ट्रपति को दे सकता है कि राज्य का शासन संविधान के उपबंधोँ  द्वारा नहीँ चलाया जा रहा है अतः यहां राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया जाए।
  • राज्य विधान मंडल का अभिन्न अंग होता है।
  • राज्यपाल विधानमंडल का सत्रावसान करता है तथा उसका विघटन करता है। राज्यपाल विधानसभा के अधिवेशन अथवा दोनों सदनों के संयुक्त अधिवेशन को संबोधित करता है।
  • राज्य विधान परिषद की कुल सदस्य संख्या संख्या का 1/6 भाग सदस्योँ को नियुक्त करता है, जिनका सम्बन्ध विज्ञान, साहित्य, कला, समाज सेवा और सहकारी आन्दोलन से रहा है।
  • राज्य विधान मंडल द्वारा पारित विधेयक राज्यपाल के हस्ताक्षर के बाद ही अधिनियम बन पाता है।
  • जब विधानमंडल का सत्र नहीँ चल रहा हो और राज्यपाल को ऐसा लगे कि तत्कालीन कार्यवाही की आवश्यकता है, तो वह अध्यादेश जारी कर सकता है, जिसे वही स्थान प्राप्त है, जो विधान मंडल द्वारा पारित किसी अधिनियम को है। ऐसे अध्यादेश का 6 सप्ताह के भीतर विधानमंडल द्वारा स्वीकृत होना आवश्यक है। यदि विधानमंडल 6 सप्ताह के भीतर उसे अपनी स्वीकृति नहीँ देता है, तो उस अध्यादेश की वैधता समाप्त हो जाती है।
  • राज्यपाल प्रत्येक वित्तीय वर्ष मेँ वित्त मंत्री को विधानमंडल के सम्मुख वार्षिक वित्तीय विवरण प्रस्तुत करने के लिए कहता है।
  • ऐसा कोई विधेयक जो राज्य की संचित निधि से खर्च निकालने की व्यवस्था करता है उस समय तक विधानमंडल द्वारा पारित नहीँ किया जा सकता जब तक राज्यपाल इसकी संस्तुति न कर दे।
  • राज्यपाल की संस्तुति के बिना अनुदान की किसी मांग को विधानमंडल के सम्मुख नहीँ रखा जा सकता।
  • राज्यपाल धन विधेयक के अतिरिक्त किसी विधेयक को पुनर्विचार के लिए राज्य विधान मंडल द्वारा पारित किए जाने पर उस पर अपनी सहमति के लिए बाध्य होता है।
  • कार्यपालिका की किसी विधि के अधीन राज्यपाल दण्डित अपराधी के दंड को क्षमा, निलंबन, परिहार या लघुकरण कर सकता है। मृत्युदंड के संबंध मेँ राज्यपाल को क्षमा का अधिकार नहीँ है।

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