Government of Delhi Sultanate | दिल्ली सल्तनत की शासन-व्यवस्था | Delhi saltanat kee shaasan vyavastha

Delhi saltanat kee shaasan vyavastha

दिल्ली सल्तनत की शासन-व्यवस्था 

केंद्रीय शासन
  • दिल्ली सल्तनत में इस्लामराजधर्म था। शासक-वर्ग इस्लाम इस्लाम धर्म से संबंधित था।
  • दिल्लीसल्तनत में शासक कुरान कें नियमों के अनुसार शासन करते थे। दिल्ली सल्तनतका प्रमुख सुल्तान कहलाता था। प्रशासन के सभी प्रमुख कार्य वही करता था। वहशासन का सर्वोच्च प्रशासक, न्याय का भी सबसे बड़ा अधिकारी तथा सर्वोच्चसेनापति था। प्रशासन में सुल्तान को सहायता देने के लिए एक मंत्रिपरिषद्होती थी। जिसे मजलिस-ए-खलवतकहते थे।
  • जलालुद्दीन खिलजी ने व्यय के कागजात की देखभाल हेतु दीवान-ए-वकूफ की स्थापना की।
  • अलाउद्दीन खिलजी ने दो नए विभाग बनाये- दीवान-ए-रियासत (वाणिज्य मत्रालय) तथा दीवान-ए-मुस्तखराज (वित्त विभाग)।
  • फिरोजतुगलक के दो निजी विभाग थे- दीवान-ए-बंदगान (गुलामों से संबंधित), दीवान-ए-खैरात (दान) , साथ ही, लोक निर्माण विभाग भी उसने बनवाया था।
  • दिल्लीसल्तनत के प्रमुख पदाधिकारी इस प्रकार थे-1. नाइब-सुल्तान के बाद दूसरासबसे प्रमुख अधिकारी 2. वजीर-वित्त या राजस्व विभाग का प्रधान, 3. मुसरिफ-महालेखाकार, 4. मुस्तौफी-महालेखा परीक्षक, 5. दीवान-ए-आरिज-सेना विभाग काप्रमुख, 6. दीवान-ए-इंशा- शाही पत्र व्यवहार, 7. काजी-उल-कुजात - न्यायविभाग का प्रधान, 8. सद्र-उस-सुदूर - धर्म विभाग का प्रधान, 9. बरीद-ए-मुमालिक- गुप्तचर विभाग का प्रधान, 10. मजमुआदार-आय-व्यय विभाग काप्रमुख, 11. दीवान-ए-मुस्तखराज- अतिरिक्त करों का प्रबंधक, 12. दीवान-ए-वकूफ- व्यय के कागजातों की देखभाल करना, 13. दीवान-ए-अमीर कोही-  अनुपयोगी भूमि को खेती के योग्य बनाना, 14. खजीन (खजांची)- कोषाध्यक्ष, 15. बारबक- राजदरबार का प्रबंधक, 16. वकील-ए-दर- राजमहल तथा सुल्तान केव्यक्तिगत सेवकों का प्रबंधक, 17. अमीर-ए-मजलिस- सभाओं, दावतों, विशेषउत्सवों आदि का प्रबंधक, 18. अमीर-ए-शिकार- शिकार स्थलों का प्रबंधक, 19. अमीर-ए-हाजिब- लोगों को सुल्तान के सामने पेश करने वाला, 20. सर-ए-जहांदार-सुल्तान के व्यक्तिगत अंगरक्षकों का प्रधान, 21. अमीर-ए-आखुर-अश्वशाला प्रधान, 22. शहना-ए-पील- हस्तशाला प्रधान तथा 23. दीवान-ए-इस्तिहाक-पेंशन विभाग का अध्यक्ष।
प्रांतीत शासन
  • प्रांतीयशासन भी केंद्रीय शासन के समान होता था। राज्य को छोटी-छोटी इकाइयों में बांटा गया था, जिन्हें इक्ताकहा जाता था। इक्ता का प्रधान मुक्ति, नाजिम, नाइब सुल्तान अथवा वली के नाम से पुकारा जाता था। इक्ते में एक अन्यपदाधिकारी ख्वाजाहोता था, जो वित्तीय मामलों में वली की सहायता करताथा। इसकी नियुक्ति वजीर करता था। अपने-अपने इक्ताओं में मुक्ति या वली कोवे संपूर्ण अधिकार प्राप्त थे, जो सुल्तान को केन्द्र पर थे और उसी प्रकारशासन का उत्तरदायित्व भी उन्हीं पर था।
  • राजस्व-वसूली के लिए अनेककर्मचारियों की नियुक्ति की जाती थी। इनमें नाजिरतथा वाकुफप्रमुख थे।प्रांतों में काजी तथा कुछ अन्य निम्न श्रेणी के कर्मचारी भी होते थे।
  • इक्ताओंको शिकों में बांटा गया था। इसका प्रमुख अधिकारी शिकदारहोता था, जो एकसैनिक अधिकारी था। शिकों को परगनों में बांटा गया था। परगने का सबसे बड़ाअधिकारी आमिल था। आमिल के अलावा एक मुशारिफ, एक खजांची तथा दो क्लर्क मुख्यअधिकारी थे।
  • शासन की सबसे छोटी इकाई गांव थे। गांवों में चौकीदार, पटवारी, खुत, मुकद्दम आदि पैतृक अधिकारी थे, जो शासन को लगान वसूल करने मेंसहायता देते थे। इसके अतिरिक्त गांव में पंचायतें होती थीं जो शिक्षा, न्याय, सफाई आदि स्थानीय कार्य भी करती थीं।
राजस्व व्यवस्था
  • दिल्ली सल्तनत की आय का सर्वाधिक महत्वपूर्ण नियमित साधन भू-राजस्व या लगान ही था।
  • राजस्वके लिए सल्तनत काल में भूमि को चार भागों में बांटा  गया था- 1. खालसाभूमि, 2. मुसलमान विद्वान्  अथवा संतों का इनाम, मिल्क अथवा वक्फ के रूपमें दी गई भूमि, 3. मुक्तियों को दी जाने वाली क्लोम-विभक्त भूमि तथा 4. सुल्तान की अधीनता स्वीकार कर लेने वाले हिंदू सामंतों की भूमि।
  • खालसाभूमि का प्रबंधक केंद्रीय सरकार द्वारा किया जाता था। इनाम, मिल्क अथवावक्फ भूमि राजस्व से मुक्त थी। सल्तनत काल में राजस्व की प्राप्ति के लिएपांच प्रकार के कर लगाए जाते थे, जो इस प्रकार थे- 1. उश्रः मुसलमानों सेलिया जाने वाला भूमि कर, 2. खराजः गैर-मुसलमानों से लिया जाने वाला भूमिकर, 3. खम्सः लूटे हुये धन, खानों अथवा भूमि में गड़े हुये खजानों सेप्राप्त सम्पत्ति का 1/5 भाग, 4. जकातः मुसलमानों पर धार्मिक कर एवं 5. जजियाः गैर- मुसलमानों पर धार्मिक कर।
  • फिरोजशाह तुगलक ने ब्राहृणों से भी जजिया लिया था।
न्याय व्यवस्था
  • मुस्लिम कानून के चार स्त्रोत थे- कुरान, इजमा, हदीस तथा कयास।
  • कुरानमुस्लिम कानून का मुख्य स्त्रोत था। कानून का स्त्रोत इजामकहलाता था।हदीसमें पैगम्बर के कथन एवं कार्यों का उल्लेख है।
  • इस्लामी कानूनोंकी व्याख्या करने वाले मुजतहिदकहे जाते थे। दिल्ली सल्तनत में न्यायविभाग को दीवान-ए-कजाके नाम से जाना जाता था।
  • सुल्तान सबसे बड़ान्यायाधीश होता था। सुल्तान की अनुपस्थिति में मुख्य काजी सबसे बड़ान्यायाधीश होता था। बड़े नगरों में अमीर-ए-दादनामक पदाधिकारी होता था, जिसका कार्य आधुनिक सिटी मजिस्टेªट के समान था। इसकी सहायता के लियेनाइब-ए-दाद बकनामक पदाधिकारी था।
सैनिक संगठन
  • दिल्ली स्थितसुल्तान की सेना हश्म-ए-क्लब कहलाती थी तथा सेना विभाग का प्रमुखदीवान-ए-अर्ज होता था। प्रांतों में यह उत्तरदायित्व प्रांतीय आरिजनिभाते थे।
  • सुल्तान के सैनिक खासखेलकहे जाते थे। सुल्तान की सेनामें शाही गुलाम तथा रक्षक जांदारतथा अल्फाज-ए-क्लबकह जाते थे।सर्वप्रथम स्थायी सेना की नींव अलाउद्दीन ने डाली तथा अनेक सैनिक सुधारोंको लागू किया।
  • फिरोजशाह तुगलक ने सैन्य-तंत्र को फिर से सामंती संगठन में परिणत कर दिया।
  • लोदियोंकी सेना कबीलों के आधार पर संगठित थी। सेना को दशमलव पद्धति के आधार परसंगठित किया जाता था। सुल्तान सबसे बड़ा सेनापति होता था। फिरोज तुगलक नेसैनिकों को भी वेतन भू-राजस्व के रूप में देने की प्रथा प्रारंभ की थी।

No comments:

Post a Comment

Powered by Blogger.