उपराष्ट्रपति का निर्वाचन| Election of Deputy president of India| Bharat ke up rashtrapati


  • लोकसभा तथा राज्यसभा के सभी सदस्योँ (मनोनीत सदस्य सहित) वाले निर्वाचक मंडल द्वारा आनुपातिक प्रतिनिधित्व पद्धति के अनुसार एकल संक्रमणीय मत द्वारा उपराष्ट्रपति का निर्वाचन होता है।
पदच्युति
  • राज्यसभा के ‘वास्तविक बहुमत’ द्वारा पारित तथा लोकसभा की सहमति द्वारा प्राप्त संकल्प द्वारा उपराष्ट्रपति को पदच्युत किया जा सकता है।
वास्तविक बहुमत
  • यह सदन के सदस्योँ की वास्तविक संख्या के 50 % से अधिक होता है (रिक्तियों की गणना नहीँ की जाती है), दूसरे शब्दोँ मेँ, सदन के सदस्यों की कुल संख्या मेँ से रिक्तियोँ की संख्या को घटाकर सदन के सदस्यों की वास्तविक संख्या प्राप्त की जाति है।
  • राज्यसभा जहाँ सदस्योँ की कुल संख्या 245 है, के परिप्रेक्ष्य मेँ यदि 15 स्थान रिक्त हैं, तो वास्तविक सदस्य संख्या 230 होगी तथा उसके 50 % से अधिक अर्थात 116 या उससे ऊपर की संख्या को वास्तविक बहुमत कहा जाएगा।
  • भारत के उपराष्ट्रपति को हटाने के लिए इस आशय के संकल्प को वास्तविक बहुमत द्वारा पारित किया जाना आवश्यक है।
विशेष परिस्थितियोँ मेँ उपराष्ट्रपति के कर्तव्य
  • अनुच्छेद 65 के अनुसार राष्ट्रपति की मृत्यु, पदत्याग या पदच्युति या अन्य किसी कारण से उसका पद रिक्त हो जाने की स्थिति मेँ न राष्ट्रपति के निर्वाचन होने की तिथि तक उपराष्ट्रपति राष्ट्रपति के रुप मेँ कार्य करेगा।
  • अपनी अनुपस्थिति, रुग्णता या अन्य किसी कारण से जब राष्ट्रपति अपने कृत्योँ का निर्वाह करने मेँ समर्थ नहीँ होता है, तब उपराष्ट्रपति उसके कृत्योँ को संपन्न करेगा जब तक की राष्ट्रपति पुनः अपना कार्य प्रारंभ नहीँ कर देता।
  • जब तक उपराष्ट्रपति राष्ट्रपति के रुप मेँ कार्य करता या या राष्ट्रपति के कृत्योँ का निर्वाह करता है, तब वह राष्ट्रपति की समस्त शक्तियोँ का प्रयोग करेंगा और राष्ट्रपति के वेतन व भत्तों को प्राप्त करेगा।
उपराष्ट्रपति होने की अर्हता
  • भारत का नागरिक हो।
  • उसने 35 वर्ष की आयु पूरी कर ली हो।
  • वह राज्य सभा के सदस्य के रुप मेँ निर्वाचित होने के योग्य हो।
  • सरकार के तहत किसी लाभ के पद को धारण करने वाला व्यक्ति उपराष्ट्रपति के रुप मेँ निर्वाचित होने के योग्य नहीँ होगा।
  • राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, राज्यपाल या केंद्र अथवा किसी राज्य के मंत्री का पद लाभ का पद नहीँ माना जाएगा।
उपराष्ट्रपति पद की कार्यविधि (अनुच्छेद 67)
  • उपराष्ट्रपति 5 वर्षोँ की कार्यविधि के लिए निर्वाचित होता है, अथवा अपने उत्तराधिकारी के पद धारण करने तक पदासीन रहता है।
  • उपराष्ट्रपति स्व-हस्तलिखित तथा राष्ट्रपति को संबोधित त्यागपत्र द्वारा अपना पद छोड़ सकता है।
  • राज्यसभा के तत्कालीन सभी सदस्योँ के बहुमत द्वारा पारित तथा लोक सभा द्वारा सहमत संकल्प (resolution) द्वारा उपराष्ट्रपति को उसके पद से हटाया जा सकता है। किसी औपचारिक महाभियोग की आवश्यकता नहीँ है। परन्तु इस संकल्प को प्रस्तावित करने के आशय की सूचना कम से कम 14 दिन पहले देनी होगी।
  • यदि उपराष्ट्रपति भी राष्ट्रपति के रुप मेँ कार्य करने मेँ असमर्थ हो तो उच्चतम न्यायालय का मुख्य न्यायधीश और यदि वह भी अनुपस्थित हो तो उच्चतम न्यायालय का अन्य वरिष्ठ न्यायधीश राष्ट्रपति के पद पर कार्य करता है।
  • उपराष्ट्रपति के चुनाव के लिए संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक होना आवश्यक नहीँ है।
  • उपराष्ट्रपति के लिए उम्मीदवार राज्यसभा के सदस्य के रुप मेँ निर्वाचित होने की योग्यता रखता हो।
  • उपराष्ट्रपति संसद के किसी भी सदन का सदस्य नहीँ होता है।
  • उपराष्ट्रपति पद पर कोई भी व्यक्ति कितनी बार निर्वाचित हो सकता है, इसकी कोई सीमा नहीँ है।
  • उपराष्ट्रपति 5 वर्ष से पूर्व स्वयं त्यागपत्र राष्ट्रपति को देकर पद से हट सकता है।
  • उपराष्ट्रपति को 5 वर्ष पूर्व संविधान के उल्लंघन के आरोप मेँ हटाया जा सकता है।
  • उपराष्ट्रपति राज्यसभा का पदेन सभापति होता है। उसकी अनुपस्थिति मेँ राज्यसभा का उपसभापति सभापति के रुप मेँ कार्य करता है।
  • उपराष्ट्रपति जब राज्यसभा के सभापति के रुप मेँ कार्य करता है। तो उसे राज्य सभा के सभापति का वेतन तथा जब वह राष्ट्रपति के रुप मेँ कार्य करता है तो राष्ट्रपति को मिलने वाले वेतन एवं अन्य उपलब्धियो को प्राप्त करता है।
  • उपराष्ट्रपति एक समय मेँ एक ही कार्य कर सकता है अर्थात यदि वह राष्ट्रपति के रुप मेँ कार्य कर रहा है तो राज्य सभा के सभापति के रुप मेँ कार्य नहीँ कर सकता, तब राज्य सभा का उपसभापति सभापति के रुप मेँ कार्य करेगा।
  • राष्ट्रपति या उपराष्ट्रपति के निर्वाचन से संबंधित संदेह और विवाद का निर्धारण उच्चतम न्यायालय करेगा।
  • राष्ट्रपति के त्यागपत्र की सूचना उपराष्ट्रपति लोकसभा अध्यक्ष को देगा।
  • संसद मेँ संशोधन विधेयक पारित कर के उपराष्ट्रपति का राज्य सभा के सभापति के रुप मेँ मिलने वाला वेतन 1,50,000 रुपए कर दिया है।

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