निबन्ध क्या है |निबंध और निबंधकार
निबन्ध क्या है
निबन्ध शब्द हिन्दी में संस्कृत से ग्रहण किया गया है, परन्तु आज इससे अंग्रेजी 'Essay' का बोध होता है, फ्रेंच में इसे 'एसाई' कहते थे, इसका अर्थ होता है प्रयोग करना।
अँग्रेजी में Essay शब्द का प्रयोग सबसे पहले वहाँ के श्रेष्ठ निबन्धकार बेकन ने किया। बेकन तथा अन्य अनेक पाश्चात्य विद्वानों ने ऐसे' अथवा निबन्ध में वस्तुनिष्ठता पर बल दिया है, परन्तु निबन्ध के जनक, फ्रेंच विद्वान मौटेन इसमें वैयक्तिकता को भी अनिवार्य मानते हैं-निबन्ध विचारों, उद्धरणों और आख्यात्मक वृत्तों का सम्मिश्रण है।
हिन्दी के भी अधिकांश विद्वानों ने निबन्धों में वैयक्तिकता पर अधिक बल दिया है।
श्री ठाकुर प्रसाद सिंह लिखते हैं, 'मैंने निबन्ध को दूर तक व्यक्तित्व प्रधान निबन्ध का पर्याय माना है और व्यक्तिविहीन रचना निबन्ध नहीं और कुछ चाहे जो हो।''
S.No. | निबंध | निबंधकार |
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1. | राजा भोज का सपना | शिवप्रसाद 'सितारे-हिंद' |
2. | म्युनिसिपैलिटी के कारनामे, जनकस्य दण्ड, रसज्ञ रंजन, कवि और कविता, लेखांजलि, आत्मनिवेदन, सुतापराधे |
महावीर प्रसाद द्विवेदी |
3. | विक्रमोर्वशी की मूल कथा, अमंगल के स्थान में मंगल शब्द, मारेसि मोहि कुठाँव, कछुवा धर्म |
चंद्रधर शर्मा गुलेरी |
4. | शिवशंभू के चिट्ठे, चिट्ठे और खत | बालमुकुंद गुप्त |
5. | निबंध नवनीत, खुशामद, आप, बात, भौं, प्रताप पीयूष |
प्रतापनारायण मिश्र |
6. | पद्म पराग, प्रबंध मंजरी में संकलित निबंध | पद्मसिंह शर्मा |
7. | साहित्य सरोज, भट्ट निबंधावली (आँसू, रुचि, जात पाँत, सीमा रहस्य, आशा, चलन आदि), साहित्य जनसमूह के हृदय का विकास है (नि.) |
बालकृष्ण भट्ट |
8. | पाँचवें पैगम्बर | भारतेंदु |
9. | मजदूरी और प्रेम, सच्ची वीरता, अमरीका का मस्त जोगी वाल्ट ह्विटमैन, पवित्रता, कन्यादान, आचरण की सभ्यता |
सरदार पूर्णसिंह |
10. | फिर निराशा क्यों, ठलुआ क्लब, मन की बातें, मेरी असफलताएँ, कुछ उथले कुछ गहरे |
बाबू गुलाबराय |
11. | चिंतामणि (चार भाग) में संकलित निबंध, कविता क्या है, साधारणीकरण और व्यक्ति-वैचित्र्यवाद |
रामचंद्र शुक्ल |
12. | पंचपात्र (संग्रह) | पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी |
13. | कुछ (संग्रह) | शिवपूजन सहाय |
14. | बुढ़ापा, गाली | 'उग्र' |
15. | साहित्य देवता, अमीर देवता, गरीब देवता | माखनलाल चतुर्वेदी |
16. | काव्य कला तथा अन्य निबंध, यथार्थवाद और छायावाद, रंगमंच, मौर्यों का राज्य परिवर्तन |
प्रसाद |
17. | साहित्यकार की आस्था तथा अन्य निबंध, श्रृंखला की कड़ियाँ, क्षणदा, संधिनी, चिंतन के क्षण |
महादेवी वर्मा |
18. | जड़ की बात, सोच विचार, मंथन, मैं और वे, साहित्य का श्रेय और प्रेय, इतस्तत:, पूर्वोदय |
जैनेंद्र |
19. | अशोक के फूल, कल्पलता, विचार और वितर्क, नाखून क्यों बढ़ते हैं, कुटज, पुनश्च, प्राचीन भारत के कलात्मक विनोद, ठाकुर की बटोर, आम फिर बौरा गए, कुटज (नि.) |
हजारी प्रसाद द्विवेदी |
20. | मिट्टी की ओर, पंत, उजली आग, प्रसाद और मैथिलीशरण गुप्त, रेती के फूल, अर्द्धनारीश्वर |
'दिनकर' |
21. | आधुनिक साहित्य, नया साहित्य : नये प्रश्न, हिंदी साहित्य : 20वीं शताब्दी, जयशंकर प्रसाद, प्रेमचंद |
नंददुलारे वाजपेयी |
22. | यौवन के द्वार पर, आस्था के चरण, चेतना के बिंब, छायावाद की परिभाषा, साधारणीकरण (नि.) |
नगेंद्र |
23. | गेहूँ और गुलाब, वंदे वाणी विनायकौ, लाल तारा | रामवृक्ष बेनीपुरी |
24. | त्रिशंकु, आलवाल, हिंदी साहित्य : एक आधुनिक परिदृश्य, भवंती, लिखि कागद कोरे, आत्मपरक, सबरंग (ललित निबंध-संग्रह) |
अज्ञेय |
25. | धरती गाती है, एक युग : एक प्रतीक, रेखाएँ बोल उठीं | देवेंद्र सत्यार्थी |
26. | चक्कर क्लब, बात-बात में मात, गांधीवाद की शव परीक्षा, न्याय का संघर्ष, देखा सोचा समझा |
यशपाल |
27. | जिंदगी मुस्कराई, बाजे पायलिया में घुंघुरू, महके आँगन चहके द्वार |
कन्हैयालाल मिश्र प्रभाकर |
28. | मंटो : मेरा दुश्मन | 'अश्क' |
29. | खरगोश के सींग | प्रभाकर माचवे |
30. | छितवन की छाँह, अंगद की नियति, तुम चंदन हम पानी, आँगन का पंछी और बंजारा मन, मैंने सिल पहुँचाई, कदम की फूली डाल, परंपरा बंधन नहीं, बसंत आ गया पर कोई बंधन नहीं, मेरा देश वापस लाओ, अग्निरथ |
विद्यानिवास मिश्र |
31. | नई कविता का आत्मसंघर्ष तथा अन्य निबंध, नये साहित्य का सौंदर्यशास्त्र, समीक्षा की समस्याएँ, एक साहित्यिक की डायरी, कला का तीसरा बाण, शमशेर : मेरी दृष्टि में, कलाकार की व्यक्तिगत ईमानदारी, सौंदर्य प्रतीति की प्रक्रिया, कलात्मक अनुभव, उर्वशी : मनोविज्ञान, उर्वशी : दर्शन और काव्य, मध्ययुगीन भक्ति आंदोलन का एक पहलू |
मुक्तिबोध |
32. | ठेले पर हिमालय, पश्यंती, कहनी-अनकहनी, रामजी की चींटी : रामजी का शेर |
धर्मवीर भारती |
33. | शिखरों के सेतु | शिवप्रसाद सिंह |
34. | निठल्ले की डायरी, भूत के पाँव, सदाचार का तावीज, ठिठुरता गणतंत्र, जैसे उनके दिन फिरे, सुनो भाई साधो, विकलांग श्रद्धा का दौर, पगडंडियों का जमाना |
हरिशंकर परसाई |
35. | प्रिया नीलकंठी, रस आखेटक, गंधमादन, विषादयोग | कुबेरनाथ राय |
36. | चिंतन के क्षण | विजयेंद्र स्नातक |
37. | इतिहास और आलोचना, बकलम खुद | नामवर सिंह |
38. | शब्द और स्मृति, कला और जोखिम, ढलान से उतरते हुए | निर्मल वर्मा |
39. | हमारे आराध्य, साहित्य और जीवन | बनारसी दास चतुर्वेदी |
40. | नए प्रतिमान : पुराने निकष | लक्ष्मीकांत वर्मा |
41. | बेहया का जंगल | कृष्ण बिहारी |
42. | लघुमानव के बहाने हिंदी कविता पर बहस, शमशेर की काव्यानुभूति की बनावट |
विजयदेव नारायण साही |
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